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'''सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sultanpur National Park'') गुड़गांव जिले में दिल्ली हवाई अड्डे से 34 किलमीटर, गुड़गांव-फुरख्नगर रोड पर स्थित है। इस पक्षी अभयारण्य की खोज का श्रेय पीटर जैक्सन नाम के पक्षी प्रेमी को जाता है। यहां एक प्राचीन [[झील]] है। इस विशाल प्राकृतिक झील में प्रत्येक वर्ष प्रजनन के लिए पक्षियों और साइबेरिया से लगभग 100 प्रजातियां आती हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक इस स्थान पर जाते हैं।
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==इतिहास==
==इतिहास==
पहले सुल्तानपुर में एक समृद्ध नमक विनिर्माण उद्योग हुआ करता था। कुछ समय बाद इस उद्योग में भारी गिरावट दर्ज की गई, क्यूंकि ब्रिटिश सरकार ने उत्पादनों पर भारी कर लगाना शुरू कर दिया। उसके बाद ही पक्षी वैज्ञानिक पीटर जैक्सन ने तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गाँधी]] से तालाब के चारों ओर बसे इस क्षेत्र को बचाने की अपील की। इसके बाद तुरंत ही शुरुआत में इस जगह को सन [[1972]] में सुल्तानपुर पक्षी अभ्यारण्य के रूप में घोषित कर दिया गया। अभ्यारण्य को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा सन [[1989]] में मिला।
पहले सुल्तानपुर में एक समृद्ध नमक विनिर्माण उद्योग हुआ करता था। कुछ समय बाद इस उद्योग में भारी गिरावट दर्ज की गई, क्यूंकि ब्रिटिश सरकार ने उत्पादनों पर भारी कर लगाना शुरू कर दिया। उसके बाद ही पक्षी वैज्ञानिक पीटर जैक्सन ने तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गाँधी]] से तालाब के चारों ओर बसे इस क्षेत्र को बचाने की अपील की। इसके बाद तुरंत ही शुरुआत में इस जगह को सन [[1972]] में सुल्तानपुर पक्षी अभ्यारण्य के रूप में घोषित कर दिया गया। अभ्यारण्य को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा सन [[1989]] में मिला।

07:17, 8 मार्च 2022 के समय का अवतरण

सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान

सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान (अंग्रेज़ी: Sultanpur National Park) गुड़गांव जिले में दिल्ली हवाई अड्डे से 34 किलमीटर, गुड़गांव-फुरख्नगर रोड पर स्थित है। इस पक्षी अभयारण्य की खोज का श्रेय पीटर जैक्सन नाम के पक्षी प्रेमी को जाता है। यहां एक प्राचीन झील है। इस विशाल प्राकृतिक झील में प्रत्येक वर्ष प्रजनन के लिए पक्षियों और साइबेरिया से लगभग 100 प्रजातियां आती हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक इस स्थान पर जाते हैं।

इतिहास

पहले सुल्तानपुर में एक समृद्ध नमक विनिर्माण उद्योग हुआ करता था। कुछ समय बाद इस उद्योग में भारी गिरावट दर्ज की गई, क्यूंकि ब्रिटिश सरकार ने उत्पादनों पर भारी कर लगाना शुरू कर दिया। उसके बाद ही पक्षी वैज्ञानिक पीटर जैक्सन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी से तालाब के चारों ओर बसे इस क्षेत्र को बचाने की अपील की। इसके बाद तुरंत ही शुरुआत में इस जगह को सन 1972 में सुल्तानपुर पक्षी अभ्यारण्य के रूप में घोषित कर दिया गया। अभ्यारण्य को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा सन 1989 में मिला।

जीव-जंतु

यह शांत और खूबसूरत स्थल स्थानीय पक्षियों के साथ-साथ प्रवासी पक्षियों का भी निवास स्थल है। ज़माने पहले यह एक शिकार करने का क्षेत्र हुआ करता था, पर शुक्र हो कुछ वन्यजीव प्रेमियों का जिनकी वजह से आज यह जगह बर्बाद होने से बच गई। आज इस संरक्षित निवासस्थल को एक राष्ट्रीय उद्यान की तरह जानते हैं। यहाँ प्रवेश करने के लिए बस ज़रूरत है एक आधिकारिक पहचान पत्र की और कुछ नाम मात्र शुल्क अदा करने की।

बड़े से तालाब के साथ बसा हुआ सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान, जहाँ यमुना नदी का पानी प्रवाह होता है, कई पक्षियों और जीव जंतुओं का सबसे अच्छा और मनपसंद वास स्थल है। यहाँ दो तरह के पक्षी देखने को मिलेंगे, स्थानीय पक्षी और प्रवासी पक्षी। कुछ स्थानीय पक्षी जो यहाँ पाए जाते हैं, वे हैं:- बिल बत्तख, यूरेशियन थिक नीज़, छोटे बगुले, सफ़ेद गले वाले किंगफ़िशर, कबूतर, नीलकंठ, कॉमन हूप्स, इंडिया क्रेस्टेड लार्क्स, आदि।

प्रवासी पक्षी यहाँ मुख्यतः ठण्ड के मौसम में अक्टूबर से जनवरी के महीने में आवास करते हैं। 250 से भी ज़्यादा पक्षियों की जातियां सुल्तानपुर पक्षी अभ्यारण्य में पाए जाते हैं। स्टॉर्क, राजहंस, येलो वैगटेल्स, पेलिकन, साइबेरियाई सारस, काले पंखों वाला स्टिल्ट, जलकाग, कॉमन ग्रीनशैंक्स, कुरजां आदि कुछ ऐसे प्रमुख प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां हैं जो हर ठण्ड के मौसम में इस उद्यान की ओर पलायन करते हैं।

कैसे पहुँचें

  • सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान का निकटतम हवाई अड्डा इंद्रा गांधी राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो गुरुग्राम के माध्यम से सुल्तानपुर नेशनल पार्क से 34 किलोमीटर दूर है।
  • निकटतम रेलवे स्टेशन- गढ़ी हरसरू जंक्शन, फररुखनगर स्टेशन और गुरुग्राम रेलवे स्टेशन।
  • सुल्तानपुर नेशनल पार्क गुरुग्राम-फररुखनगर रोड के माध्यम से सड़क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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