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{{सूचना बक्सा राज्य
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|राज्यपाल=[[मुरलीधर चन्द्रकान्त भंडारे]]
|तापमान=25° C (औसत)
|मुख्यमंत्री=[[नवीन पटनायक]]
|ग्रीष्म=35-40° C (अधिकतम)
|शरद=3-4° C (न्यूनतम)
|वर्षा=150 सेमी
|राज्यपाल=[[गणेशी लाल]]
|मुख्यमंत्री=[[नवीन पटनायक]]  
|विधान सभा सदस्य संख्या=147
|विधान सभा सदस्य संख्या=147
|विधान परिषद सदस्य संख्या=
|लोकसभा क्षेत्र=21
|राज्यसभा सदस्य=10
|बाहरी कड़ियाँ=[http://www.orissa.gov.in/Portal/default.asp अधिकारिक वेबसाइट]
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|अद्यतन=2010/03/30
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उड़ीसा भारत  का एक प्रान्त है जो भारत के पूर्वी तट पर बसा है। उड़ीसा उत्तर में [[झारखण्ड]], उत्तर पूर्व में [[पश्चिम बंगाल]] दक्षिण में [[आंध्र प्रदेश]] और पश्चिम में [[छत्तीसगढ़]] से घिरा है तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। भौगोलिक लिहाज से इसके उत्तर में छोटा नागपुर का पठार है जो अपेक्षाकत कम उपजाऊ है लेकिन दक्षिण में महानदी, ब्राह्मणी, कालिंदी और वैतरणी नदियों का उपजाऊ मैदान है। यह पूरा क्षेत्र मुख्य रूप से चावल उत्पादक क्षेत्र है्।
ओडिशा [[भारत]] का एक प्रान्त है जो [[भारत]] के पूर्वी तट पर बसा है। ओडिशा उत्तर में [[झारखण्ड]], उत्तर पूर्व में [[पश्चिम बंगाल]] दक्षिण में [[आंध्र प्रदेश]] और पश्चिम में [[छत्तीसगढ़]] से घिरा है तथा पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]] है। भौगोलिक लिहाज़ से इसके उत्तर में छोटा नागपुर का पठार है जो अपेक्षाकत कम उपजाऊ है लेकिन दक्षिण में [[महानदी]], [[ब्राह्मणी नदी|ब्राह्मणी]], [[कालिंदी नदी|कालिंदी]] और वैतरणी नदियों का उपजाऊ मैदान है। यह पूरा क्षेत्र मुख्य रूप से चावल उत्पादक क्षेत्र है।
==इतिहास और भूगोल==
==इतिहास==
उड़ीसा राज्य प्राचीन समय में '[[कलिंग]]' के नाम से विख्यात था। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी (261 ई.पू.) में [[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]] ने [[कलिंग]] विजय करने के लिए एक शक्तिशाली सेना भेजी थी, जिसका कलिंग के निवासियों ने जमकर सामना किया। सम्राट अशोक ने कलिंग तो जीता, परन्तु युद्ध के भीषण संहार से सम्राट का मन में वितृष्णा पैदा हो गई और अशोक की मृत्यु के बाद कलिंग फिर से स्वाधीन हो गया। ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में [[खारवेल]] राजा के अधीन कलिंग एक शक्तिशाली साम्राज्य बन गया। खारवेल की मृत्यु के बाद उड़ीसा की ख्याति लुप्त हो गई। चौथी शताब्दी में विजय पर निकले [[समुद्रगुप्त]] ने उड़ीसा पर आक्रमण किया और इस प्रदेश के पांच राजाओं को पराजित किया। सन 610 में उड़ीसा पर शशांक नरेश का अधिकार हो गया। शशांक के निधन के बाद [[हर्षवर्धन]] ने उड़ीसा पर विजय प्राप्त की।
ओडिशा राज्य प्राचीन समय में '[[कलिंग]]' के नाम से विख्यात था। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी (261 ई.पू.) में [[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]] ने कलिंग विजय करने के लिए एक शक्तिशाली सेना भेजी थी, जिसका कलिंग के निवासियों ने जमकर सामना किया। सम्राट अशोक ने कलिंग तो जीता, परन्तु युद्ध के भीषण संहार से सम्राट का मन में वितृष्णा पैदा हो गई और अशोक की मृत्यु के बाद कलिंग फिर से स्वाधीन हो गया। ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में [[खारवेल]] राजा के अधीन कलिंग एक शक्तिशाली साम्राज्य बन गया। खारवेल की मृत्यु के बाद ओडिशा की ख्याति लुप्त हो गई। चौथी शताब्दी में विजय पर निकले [[समुद्रगुप्त]] ने ओडिशा पर आक्रमण किया और इस प्रदेश के पांच राजाओं को पराजित किया। सन् 610 में ओडिशा पर [[शशांक]] नरेश का अधिकार हो गया। शशांक के निधन के बाद [[हर्षवर्धन]] ने ओडिशा पर विजय प्राप्त की।
[[चित्र:High-Court-Orissa.jpg|ओडिशा उच्च न्यायालय, [[कटक]] <br />Orissa High Court, Cuttack|left|thumb|250px]]
सातवीं शताब्दी में ओडिशा पर [[गंग वंश]] का शासन रहा। सन् 795 में महाशिवगुप्त यजाति द्वितीय ने ओडिशा का शासन भार संभाला और ओडिशा के इतिहास का सबसे गौरवशाली अध्याय शुरू हुआ। उन्होंने कलिंग, कनगोडा, [[उत्कल]] और कोशल को मिलाकर खारवेल की भाँति विशाल साम्राज्य की नींव रखी। गंग वंश के शासकों के समय में ओडिशा राज्य की बहुत उन्नति हुई। इस राजवंश के शासक राजा नरसिंह देव ने कोणार्क का विश्व भर में प्रसिद्ध [[सूर्य मंदिर कोणार्क|सूर्य मंदिर]] बनवाया था। 16 वीं शताब्दी के लगभग मध्य से 1592 तक ओडिशा पांच मुस्लिम राजाओं द्वारा शासित रहा। सन् 1592 में [[अकबर]] ने ओडिशा को अपने अधीन कर अपने शासन में शामिल कर लिया। [[मुग़ल|मुग़लों]] के पतन के पश्चात् ओडिशा पर [[मराठा|मराठों]] का अधिकार रहा। सन् 1803 में ब्रिटिश राज से पहले ओडिशा मराठा शासकों के अधीन रहा।
[[1 अप्रैल]] सन् [[1936]] को ओडिशा को स्वतंत्र प्रांत बनाया गया। स्वतंत्रता के बाद ओडिशा तथा इसके आसपास की रियासतों ने [[भारत]] सरकार को अपनी सत्ता सौंप दी। रियासतों (गवर्नर के अधीन प्रांतों) के विलय संबंधी आदेश [[1949]] के अंतर्गत जनवरी 1949 में ओडिशा की सभी रियासतों का ओडिशा राज्य में सम्पूर्ण विलय हो गया। ओडिशा के कलिंग, उत्कल और उद्र जैसे कई प्राचीन नाम हैं, परन्तु यह प्रदेश मुख्यत: भगवान जगन्नाथ की भूमि के लिए प्रसिद्ध है। भगवान जगन्नाथ ओडिशा के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन से बहुत गहरे जुडे हुए हैं। विभिन्न समय में ओडिशा के लोगों पर जैन, ईसाई और इस्लाम धर्मो का प्रभाव पडा।
===भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान===
[[भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन]] में उडीसा के अनेक [[साँचा:स्वतन्त्रता सेनानी|स्वतंत्रता सेनानियों]] ने योगदान दिया है जिसमें से प्रमुख हैं- [[सुभाष चंद्र बोस]] · [[गोपबंधु दास]] · [[हरे कृष्ण मेहताब]] · [[जगबंधु बख्शी]] ·


सातवीं शताब्दी में उड़ीसा पर गंग वंश का शासन रहा। सन 795 मे महाशिवगुप्त यजाति द्वितीय ने उड़ीसा का शासन भार संभाला और उड़ीसा के इतिहास का सबसे गौरवशाली अध्याय शुरू हुआ। उन्होंने कलिंग, कनगोडा, उत्कल और कोशल को मिलाकर खारवेल की भाँति विशाल साम्राज्य की नींव रखी। गंग वंश के शासकों के समय में उड़ीसा राज्य की बहुत उन्नति हुई। इस राजवंश के शासक राजा नरसिंह देव ने कोणार्क का विश्व भर में प्रसिद्ध सूर्य मंदिर बनवाया था। 16 वीं शताब्दी के लगभग मध्य से 1592 तक उड़ीसा  पांच मुस्लिम राजाओं द्वारा शासित रहा। सन 1592 में [[अकबर]] ने उड़ीसा को अपने अधीन कर अपने शासन में शामिल कर लिया। मुग़लों के पतन के पश्चात उड़ीसा पर मराठों का अधिकार रहा। सन 1803 में ब्रिटिश राज से पहले उड़ीसा मराठा शासकों के अधीन रहा।
==भूगोल==
 
उड़ीसा राज्य 17.780 और और 22.730 अक्षांश और 81.37 पूर्व और 81.53 पूर्व देशांतर के बीच पड़ता है। भौगोलिक रूप से यह राज्य उत्तर-पूर्व में [[पश्चिम बंगाल]], उत्तर में [[झारखंड]], पश्चिम में [[छत्तीसगढ़]] और दक्षिण में [[आंध्र प्रदेश]] और पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]] से घिरा हुआ है। राज्य का तटीय क्षेत्र लगभग 450 किलोमीटर तक है और इस क्षेत्र में यह 155, 707 वर्गकिलोमीटर तक आगे बढ़ गया है। यह भारत के कुल 4.87 % क्षेत्र के बराबर है। राज्य को सामान्यत: चार भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा जा सकता है। ये हैं -  
1 अप्रैल सन 1936 को उड़ीसा को स्वतंत्र प्रांत बनाया गया। स्वतंत्रता के बाद उड़ीसा तथा इसके आसपास की रियासतों ने भारत सरकार को अपनी सत्ता सौंप दी। रियासतों (गवर्नर के अधीन प्रांतों) के विलय संबंधी आदेश 1949 के अंतर्गत जनवरी 1949 में उड़ीसा की सभी रियासतों का उड़ीसा राज्य में सम्पूर्ण विलय हो गया। उड़ीसा के कलिंग, उत्कल और उद्र जैसे कई प्राचीन नाम हैं, परन्तु यह प्रदेश मुख्यत: भगवान जगन्नाथ की भूमि के लिए प्रसिद्ध है। भगवान जगन्नाथ उड़ीसा के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन से बहुत गहरे जुडे हुए हैं। विभिन्न समय में उड़ीसा के लोगों पर जैन, ईसाई और इस्लाम धर्मो का प्रभाव पडा।
[[चित्र:Mahanadi-River.jpg|thumb|250px|left|[[महानदी]], ओडिशा <br />Mahanadi, Orissa]]
 
उड़ीसा भारत के उत्तर पूर्वी भाग में स्थित है। इसकी पूर्व दिशा में बंगाल की खाडी, उत्तर-पूर्व दिशा में [[पश्चिम बंगाल]], उत्तर दिशा में [[झारखण्ड]], पश्चिम दिशा में [[छत्तीसगढ़]] और दक्षिण दिशा में [[आंध्र प्रदेश]] है। राज्य को सामान्यत: चार भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा जा सकता है। ये हैं -  
#उत्तरी पठार,  
#उत्तरी पठार,  
#मध्य नदी थाला,  
#मध्य नदी थाला,  
#पूर्वी पहाडियां और  
#पूर्वी पहाडियां और  
#तटवर्ती मैदान।
#तटवर्ती मैदान।
==कृषि व्यवस्था==
====जलवायु====
[[चित्र:Sun-Temple-Konark.jpg|[[सूर्य मंदिर कोणार्क|सूर्य मंदिर]], [[कोणार्क]]<br /> Sun Temple, Konark|thumb]]
ओडिशा उष्णकटिबंधीय आर्द्र-शुष्क़ (उष्णकटिबंधीय सवाना घास के मैदान) जलवायु प्रदेश में स्थित है। [[कटक]] में औसत [[तापमान]] लगभग 26° से. रहता है। [[जनवरी]] सबसे सर्द महीना है, जिसमें औसत तापमान 20° से. रहता है, लेकिन [[मई]], जो सबसे गर्म महीना है, में औसत तापमान 33° से. तक बढ़ जाता है। ऊँचाई पर स्थित पहाड़ियाँ ग्रीष्म ऋतु की गर्मी से राहत देती हैं, जो मध्य भूभाग के बेसिन में ख़ास तौर पर असह्म हो जाती हैं। [[वर्षा]] दसिण-पश्चिम मॉनसून ([[जून]] से [[अक्टूबर]]) के महीनों में होती है। राज्य में औसत वार्षिक [[वर्षा]] लगभग 1,800 मिमी है, जो पूर्वी घाट में और भी अधिक होती है। [[चिल्का झील]] के तटीय इलाक़े सबसे शुष्क हैं, जहाँ औसत वार्षा 939 मिमी है।
राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे राज्य के कुल उत्पाद का 28 प्रतिशत प्राप्त होता है और जनसंख्या का 65 प्रतिशत भाग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्य में लगा हुआ है। चावल उड़ीसा की मुख्य फ़सल है। 2004 - 2005 में 65.37 लाख मी. टन चावल का उत्पादन हुआ। गन्ने की खेती भी किसान करते हैं।
==अर्थव्यवस्था==
====कृषि====
{{राज्य मानचित्र|float=right}}
ओडिशा की अर्थव्यवस्था में [[कृषि]] की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ओडिशा की लगभग 80प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य में लगी है, हालांकि यहाँ की अधिकांश भूमि अनुपजाऊ या एक से अधिक वार्षिक फ़सल के लिए अनुपयुक्त है। ओडिशा में लगभग 40 लाख खेत हैं, जिनका औसत आकार 1.5 हेक्टेयर है, लेकिन प्रति व्यक्ति कृषि क्षेत्र 0.2 हेक्टेयर से भी कम है। राज्य के कुल क्षेत्रफल के लगभग 45 प्रतिशत भाग में खेत है। इसके 80 प्रतिशत भाग में [[चावल]] उगाया जाता है। अन्य महत्त्वपूर्ण फ़सलें तिलहन, दलहन, जूट, [[गन्ना]] और नारियल है। [[सूर्य]] के [[प्रकाश]] की उपलब्धता में कमी, मध्यम गुणवत्ता वाली मिट्टी, उर्वरकों का न्यूनतम उपयोग और मानसूनी [[वर्षा]] के समय व मात्रा में विविधता होने के कारण यहाँ उपज कम होती है और इसकी गिनती देश के ग़रीब राज्यों में होती है।
 
चूंकि बहुत से ग्रामीण लगातार साल भर रोज़गार नहीं प्राप्त कर पाते, इसलिए कृषि- कार्य में लगे बहुत से परिवार गैर कृषि कार्यों में भी संलग्न है। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति कृषि भूमि की उपलब्धता कम होती जा रही है। भू- अधिगृहण पर सीमा लगाने के प्रयास अधिकांशत: सफल नहीं रहे। हालांकि राज्य द्वारा अधिगृहीत कुछ भूमि स्वैच्छिक तौर पर भूतपूर्व काश्तकारों को दे दी गई है।


उच्च फ़सल उत्पादन प्रौद्योगिकी, समन्वित पोषक प्रबंधन और कीट प्रबंधन को अपनाकर कृषि का विस्तार किया जा रहा है। अलग -अलग फलों की 12.5 लाख और काजू की 10 लाख तथा सब्जियों की 2.5 लाख कलमें किसानों में वितरित की गई हैं। राज्य में प्याज की फ़सल को बढावा देने के लिए अच्छी किस्म की प्याज के 300 क्विंटल बीज बांटे गए हैं जिनसे 7,500 एकड जमीन प्याज उगायी जाएगी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत गुलाब, गुलदाऊदी और गेंदे के फूलों की 2,625 प्रदर्शनियां की गईं। किसानों को  धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए उड़ीसा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लि. (पी ए सी), मार्कफेड, नाफेड आदि एजेंसियों के द्वारा 20 लाख मी. टन चावल ख़रीदने का लक्ष्य बनाया है। सूखे की आशंका से ग्रस्त क्षेत्रों में लघु जलाशय लिए 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 2,413 लघु जलाशय विकसित करने का लक्ष्य है।
चावल ओडिशा की मुख्य फ़सल है। 2004 - 2005 में 65.37 लाख मी. टन चावल का उत्पादन हुआ। गन्ने की खेती भी किसान करते हैं। उच्च फ़सल उत्पादन प्रौद्योगिकी, समन्वित पोषक प्रबंधन और कीट प्रबंधन को अपनाकर कृषि का विस्तार किया जा रहा है। अलग -अलग [[भारत के फल|फलों]] की 12.5 लाख और काजू की 10 लाख तथा सब्जियों की 2.5 लाख कलमें किसानों में वितरित की गई हैं। राज्य में प्याज की फ़सल को बढावा देने के लिए अच्छी किस्म की प्याज के 300 क्विंटल बीज बांटे गए हैं जिनसे 7,500 एकड ज़मीन प्याज उगायी जाएगी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत [[गुलाब]], गुलदाऊदी और [[गेंदा|गेंदे]] के [[भारत के पुष्प|फूलों]] की 2,625 प्रदर्शनियाँ की गईं। किसानों को  धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए ओडिशा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लि. (पी ए सी), मार्कफेड, नाफेड आदि एजेंसियों के द्वारा 20 लाख मी. टन चावल ख़रीदने का लक्ष्य बनाया है। सूखे की आशंका से ग्रस्त क्षेत्रों में लघु जलाशय लिए 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 2,413 लघु जलाशय विकसित करने का लक्ष्य है।
==सिंचाई और बिजली==
;सिंचाई और बिजली
बडी, मंझोली और छोटी परियोजनाओं और जल दोहन परियोजनाओं से सिचांई क्षमता को बढाने का प्रयास किया गया है-  *वर्ष 2004 - 2005  तक  2,696 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की व्यवस्था पूर्ण की जा चुकी है।  
बडी, मंझोली और छोटी परियोजनाओं और जल दोहन परियोजनाओं से सिचांई क्षमता को बढाने का प्रयास किया गया है-   
*2005-06 के सत्र में 12,685 हेक्टेयर सिंचाई  की छह  सिंचाई परियोजनाओं को चिन्हित किया गया है जिसमें से चार योजनाएं लक्ष्य प्राप्त कर चुकी हैं।  
*वर्ष [[2004]] - [[2005]] तक  2,696 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की व्यवस्था पूर्ण की जा चुकी है।  
*2005 - 2006 में उड़ीसा लिफ्ट सिंचाई निगम ने 'बीजू कृषक विकास योजना' के अंतर्गत 500 लिफ्ट सिंचाई पाइंट बनाये हैं और 1,200 हेक्टेयर की  सिंचाई क्षमता प्राप्त की है।  
*2005-06 के सत्र में 12,685 हेक्टेयर सिंचाई  की छह  सिंचाई परियोजनाओं को चिह्नित किया गया है जिसमें से चार योजनाएं लक्ष्य प्राप्त कर चुकी हैं।  
*2005 - [[2006]] में ओडिशा लिफ्ट सिंचाई निगम ने 'बीजू कृषक विकास योजना' के अंतर्गत 500 लिफ्ट सिंचाई पाइंट बनाये हैं और 1,200 हेक्टेयर की  सिंचाई क्षमता प्राप्त की है।  
*2004 - 2005 में राज्य में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 4,845.34 मेगावाट थी तथा कुल स्रोतों से प्राप्त बिजली क्षमता 1,995.82 मेगावाट थी।  
*2004 - 2005 में राज्य में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 4,845.34 मेगावाट थी तथा कुल स्रोतों से प्राप्त बिजली क्षमता 1,995.82 मेगावाट थी।  
*मार्च 2005 तक राज्य के कुल  46,989  गांवों में  से 37,744 गांवों में बिजली पहुंचा दी गई है।
*मार्च 2005 तक राज्य के कुल  46,989  गांवों में  से 37,744 गांवों में बिजली पहुँचा दी गई है।
==उद्योग==
====उद्योग====
उद्योग प्रोत्साहन एवं निवेश निगम लि., औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड और उड़ीसा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ये तीन प्रमुख एजेंसियां राज्य के उद्योगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इस्पात, एल्यूमीनियम, तेलशोधन, उर्वरक आदि  विशाल उद्योग लग रहे हैं। राज्य सरकार लघु, ग्रामीण और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए छूट देकर वित्तीय मदद दे रही है।  2004 - 2005 वर्ष में  83,075 लघु उद्योग इकाई स्थापित की गयी।
उद्योग प्रोत्साहन एवं निवेश निगम लि., औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड और ओडिशा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ये तीन प्रमुख एजेंसियां राज्य के उद्योगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इस्पात, एल्यूमीनियम, तेलशोधन, उर्वरक आदि  विशाल उद्योग लग रहे हैं। राज्य सरकार लघु, ग्रामीण और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए छूट देकर वित्तीय मदद दे रही है।  2004 - 2005 वर्ष में  83,075 लघु उद्योग इकाई स्थापित की गयी।
[[चित्र:Sun-Temple-Konark.jpg|thumb|250px|[[सूर्य मंदिर कोणार्क|सूर्य मंदिर]], [[कोणार्क]]<br /> Sun Temple, Konark]]
औद्योगिक विकास करने के लिए रोज़गार के अवसर और आर्थिक विकास दर को बढाने के लिए ओडिशा उद्योग (सुविधा) अधिनियम, 2004 को लागू किया है जिससे निवेश प्रस्तावों के कम समय में निबटारा और निरीक्षण कार्य हो सके। निवेश को सही दिशा में प्रयोग करने के लिए ढांचागत सुविधा में सुधार को  प्राथमिकता दी गई है। सूचना प्रौद्योगिकी में ढांचागत विकास करने के लिए [[भुवनेश्वर]] में एक निर्यात संवर्द्धन औद्योगिक पार्क स्थापित किया गया है। राज्य में लघु और मध्यम उद्योगों को बढाने के लिए  2005 - 2006 में  2,255 लघु उद्योग स्थापित किए गये, इन योजनाओं में 123.23 करोड़ रुपये का निवेश किया गया और लगभग 10,308 व्यक्तियों को काम मिला।
 
श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों को सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं दी गई हैं। उद्योगों में लगे बाल मज़दूरों को मुक्त किया गया और औपचारिक शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना के अंतर्गत प्रवेश दिया गया। राज्य भर में 18 ज़िलों में 18 बालश्रमिक परियोजनाएं क्रियान्वित हैं। लगभग 33,843 बाल श्रमिकों को राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना द्वारा संचालित स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है और 64,885 बाल श्रमिकों को स्कूली शिक्षा के माध्यम से मुख्यधारा में जोडने का प्रयास किया गया। श्रमिकों को दिया जाने वाला न्यूनतम वेतन बढाया गया।


औद्योगिक विकास करने के लिए रोजगार के अवसर और आर्थिक विकास दर को बढाने के लिए उड़ीसा उद्योग (सुविधा) अधिनियम, 2004 को लागू किया है जिससे निवेश प्रस्तावों के कम समय में निबटारा और निरीक्षण कार्य हो सके। निवेश को सही दिशा में प्रयोग करने के लिए ढांचागत सुविधा में सुधार को  प्राथमिकता दी गई है। सूचना प्रौद्योगिकी में ढांचागत विकास करने के लिए [[भुवनेश्वर]] में एक निर्यात संवर्द्धन औद्योगिक पार्क स्थापित किया गया है। राज्य में लघु और मध्यम उद्योगों को बढाने के लिए 2005 - 2006 में 2,255 लघु उद्योग स्थापित किए गये, इन योजनाओं में 123.23 करोड़ रुपये का निवेश किया गया और लगभग 10,308 व्यक्तियों को काम मिला।
ओडिशा के औद्योगिक संसाधन उल्लेखनीय हैं। क्रोमाइट, [[मैंगनीज़]] अयस्क और डोलोमाइट के उत्पादन में ओडिशा [[भारत]] के सभी राज्यों से आगे है। यह उच्च गुणवत्ता के लौह- अयस्क के उत्पादन में भी अग्रणी है। ढेंकानाल के भीतरी ज़िले में स्थित महत्त्वपूर्ण तालचर की खानों से प्राप्त कोयला राज्य के प्रगलन व उर्वरक उत्पादन के लिए [[ऊर्जा]] उपलब्ध कराता है। स्टील, अलौह प्रगलन और उर्वरक उद्योग राज्य के भीतर भागों में केंद्रित हैं, जबकि अधिकांश ढलाईघर, रेल कार्यशालाएँ, काँच निर्माण और [[काग़ज़]] की मिलें कटक के आसपास [[महानदी]] के डेल्टा के निकट स्थित है। जिसका उपयोग उपमहाद्वीप की सर्वाधिक महत्त्वाकांक्षी बहुउद्देशीय परियोजना, हीराकुड बाँध व माछकुड जलविद्युत परियोजना द्वारा किया जा रहा है। ये दोनों बहुत सी अन्य छोटी इकाइयों के साथ समूचे निचले बेसिन को बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और बिजली उपलब्ध कराते है।
====खनिज====
बड़े उद्योग मुख्यत: [[खनिज]] आधारित हैं, जिनमें राउरकेला स्थित इस्पात व उर्वरक संयंत्र, जोडो व रायगड़ा में लौह मैंगनीज़ संयत्र, राज गांगपुर व बेलपहाड़ में अपवर्तक उत्पादन कर रहे कारख़ाने, चौद्वार (नया नाम टांगी चौद्वार) में [[रेफ्रिजरेटर]] निर्माण संयंत्र और राजगांगपुर में एक सीमेंट कारख़ाना शामिल हैं। रायगड़ा व चौद्वार में चीनी व काग़ज़ की तथा ब्रजराजनगर में काग़ज़ की बड़ी मिलें हैं; अन्य उद्योगों में वस्त्र, कांच ऐलुमिनियम धातुपिंड व केबल और भारी मशीन उपकरण शामिल हैं।
[[चित्र:Sand-Art-Puri-Orissa.jpg|thumb|250px|left|रेत कला, [[पुरी]]]]
====सूचना प्रौद्योगिकी====
सूचना प्रौद्योगिक  में राज्य  में संतोष जनक प्रगति हो रही है। भुवनेश्वर की इन्फोसिटी में विकास केंद्र खोलने का प्रयास चल रहा है। ओडिशा सरकार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस तथा नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर ने संयुक्त रूप एक पारदर्शी और कुशल प्रणाली शुरू की है। राज्य मुख्यालय को ज़िला मुख्यालयों, सब डिवीजन मुख्यालयों, ब्लाक मुख्यालयों से जोडने के लिए ई-गवर्नेंस पर आधारित क्षेत्र नेटवर्क से जोडा जा रहा है। [[उड़िया भाषा]] को कंप्यूटर में लाने के लिए ‘भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास’ कार्यक्रम के अंतर्गत उडिया भाषा का पैकेज तैयार किया जा रहा है।
 
====मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास====
राज्य की कृषि नीति में आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकी का प्रयोग करते हुए, दूध, मछली और मांस उत्पादन के विकास को विशेष रूप से विकसित करने का प्रयास करके कुल दुग्ध उत्पादन 36 लाख लीटर प्रतिदिन अर्थात् 3 लाख लीटर से अधिक तक पहुँचा दिया गया है। डेयरी उत्पादन के विकास के लिए ओडिशा दुग्ध फेडरेशनमें राज्य के सभी 30 ज़िलों को सम्मिलित गया है। फेडरेशन ने दुग्ध संरक्षण को बढाकर 2.70 लाख लीटर प्रतिदिन तक कर दिया है। ‘स्टैप’ कार्यक्रम के तहत फेडरेशन द्वारा 17 ज़िलों में ‘महिला डेयरी परियोजना’ चल रही है। राज्य में 837 महिला डेयरी [[सहकारी समिति|सहकारी समितियां]] हैं, जिनमें 60,287 महिलाएं कार्यरत हैं।
==सांस्कृतिक जीवन==
ओडिशा की समृद्ध कलात्मक विरासत है और इसने [[भारतीय कला]] एवं वास्तुशिल्प के सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों का सृजन किया है। भित्तिचित्रों पत्थर व लकड़ी पर नक़्क़ाशी देव चित्र (पट्ट चित्रकला के नाम से विख्यात) और [[ताड़पत्र (लेखन सामग्री)|ताड़पत्रों]] पर चित्रकारी के माध्यम से कलात्मक परंपराएं आज भी क़ायम हैं। हस्तशिल्प कलाकार चांदी में बेहद महीन जाली की कटाई की अलंकृत शिल्प कला के लिए विख्यात हैं।
[[चित्र:Odissi-Dance.jpg|thumb|250px|[[ओडिसी नृत्य]], ओडिशा<br />Odissi Dance, Orissa]]
;नृत्य
जनजातीय इलाकों में कई प्रकार के [[लोकनृत्य]] है। मादल व [[बांसुरी]] का संगीत गांवो में आम है। ओडिशा का [[शास्त्रीय नृत्य]] ओडिसा 700 वर्षों से भी अधिक समय से अस्तित्व में है। मूलत: यह ईश्वर के लिए किया जाने वाला मंदिर नृत्य था। नृत्य के प्रकार, गति, मुद्राएं और भाव-भंगिमाएं बड़े मंदिरों की दीवारों पर, विशेषकर कोणार्क में शिल्प व उभरी हुई नक़्क़ासी के रूप में अंकित हैं, इस नृत्य के आधुनिक प्रवर्तकों ने इसे राज्य के बाहर भी लोकप्रिय बनाया है। मयूरभंज और सरायकेला प्रदेशों का छऊ नृत्य (मुखौटे पहने कलाकारों द्वारा किया जाने वाला नृत्य) ओडिशा की संस्कृति की एक अन्य धरोहर है। [[1952]] में [[कटक]] में कला विकास केंद्र की स्थापना की गई, जिसमें नृत्य व संगीत के प्रोत्साहन के लिए एक छह वर्षीय अवधि का शिक्षण पाठयक्रम है। नेशनल म्यूजिक एसोसिएशन (राष्ट्रीय संगीत समिति) भी इस उद्देश्य के लिए है। कटक में अन्य प्रसिद्ध नृत्य व संगीत केन्द्र है: उत्कल संगीत समाज, उत्कल स्मृति कला मंडप और मुक्ति कला मंदिर।
;त्योहार
ओडिशा के अनेक अपने पारंपरिक त्योहार हैं। इसका एक अनोखा त्योहार अक्टूबर या नवंबर (तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार तय की जाती है) में मनाया जाने वाला बोइता बंदना (नौकाओं की पूजा) अनुष्ठा है। पूर्णिमा से पहले लगातार पांच दिनों तक लोग नदी किनारों या समुद्र तटों पर एकत्र होते हैं और छोटे-छोटे नौका रूप तैराते हैं। जो इसका प्रतीक है कि वे भी अपने पूर्वजों की तरह सुदूर स्थानों (मलेशिया, इंडोनेशिया) की यात्रा पर निकलेंगे। पुरी में जगन्नाथ (ब्रह्मांड का स्वामी) मंदिर है, जो [[भारत]] के सर्वाधिक प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहाँ होने वाली वार्षिक रथयात्रा लाखों लोगों को आकृष्ट करती है। यहाँ से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर भगवान सूर्य के रथ के आकार में बना [[कोणार्क सूर्य मंदिर|कोणार्क मंदिर]] है। यह मंदिर मध्यकालीन उड़िया संस्कृति के उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है।
 
==शिक्षा==
*1947 के बाद शैक्षणिक संस्थानों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
*यहाँ पाँच विश्वविद्यालय (और कई संबद्ध महाविद्यालय) हैं, जिनमें उत्कल विश्वविद्यालय और उड़ीसा कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय सबसे बड़े व विख्यात हैं।
[[चित्र:Chilka-Lake-Orissa.jpg|thumb|250px|left|[[चिल्का झील]], उड़ीसा]]
*शैक्षणिक संस्थानों के नाम इस प्रकार है:-
**कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी (भुवनेश्वर),
**इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (तालचर),
**इंस्टिट्यूट ऑफ़ फिज़िक्स (भुवनेश्वर),
**उड़ीसा इंजीनियरिंग कॉलेज (भुवनेश्वर),
**रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज (राउकेला),
**रेवनशॉ कॉलेज (कटक),
**स्टीवर्ट साइंस कॉलेज (कटक),
**यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग (संबलपुर),
**वी. एस. एस. मेडिकल कॉलेज (बुरला) और
**ज़ेवियर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट (भुवनेश्वर) अन्य महत्त्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थान हैं।
*इन संस्थानों की उपस्थिति के बावजूद उड़ीसा की जनसंख्या का एक छोटा सा भाग ही विश्वविद्यालय स्तर तक शिक्षित है और राज्य की साक्षरता दर (63.61 प्रतिशत) राष्ट्रीय औसत (65.38 प्रतिशत) से कम है।


श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों को सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं दी गई हैं। उद्योगों में लगे बाल मजदूरों को मुक्त किया गया और औपचारिक शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना के अंतर्गत प्रवेश दिया गया। राज्य भर में 18 जिलों में 18 बालश्रमिक परियोजनाएं क्रियान्वित हैं। लगभग 33,843 बाल श्रमिकों को राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना द्वारा संचालित स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है और 64,885 बाल श्रमिकों को स्कूली शिक्षा के माध्यम से मुख्यधारा में जोडने का प्रयास किया गया। श्रमिकों को दिया जाने वाला न्यूनतम वेतन बढाया गया।
==सूचना प्रौद्योगिकी==
सूचना प्रौद्योगिक  में राज्य  में संतोष जनक प्रगति हो रही है। भुवनेश्वर की इन्फोसिटी में विकास केंद्र खोलने का प्रयास चल रहा है। उड़ीसा सरकार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस तथा नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर ने संयुक्त रूप एक पारदर्शी और कुशल प्रणाली शुरू की है। राज्य मुख्यालय को  ज़िला मुख्यालयों, सब डिवीजन मुख्यालयों, ब्लाक मुख्यालयों से जोडने के लिए ई-गवर्नेंस पर आधारित क्षेत्र नेटवर्क से जोडा जा रहा है। उडिया भाषा को कंप्यूटर में लाने के लिए ‘भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास’ कार्यक्रम के अंतर्गत उडिया भाषा का पैकेज तैयार किया जा रहा है।
==पर्यटन==
[[चित्र:Jagannath-Temple-Puri.jpg|[[जगन्नाथ मंदिर पुरी|जगन्नाथ मंदिर]], [[पुरी]]<br /> Jagannath Temple Puri|thumb]]
राज्य के आर्थिक विकास में पर्यटन के महत्व को समझते हुए मीडिया प्रबंधन एजेंसियों और पर्व प्रबंधकों को प्रचार एवं प्रसार का कार्य दिया गया है। उड़ीसा को विभिन्न महत्वपूर्ण पर्यटन परिजनाओं - धौली में शांति पार्क, ललितगिरि, उदयगिरि तथा लांगुडी के बौद्ध स्थलों को ढांचागत विकास और पिपिली में पर्यटन विकास का काम किया जाएगा। (पुरी) भुवनेश्वर का एकाग्र उत्सव, कोणार्क का कोणार्क पर्व के मेलों और त्योहारों के विकास के लिए प्रयास किया जा रहा है। उड़ीसा पर्यटन विभाग ने बैंकाक, मास्को, लंदन, कुआलालंपुर, कोच्चि, कोलकाता, रायपुर आदि के भ्रमण व्यापार के आयोजनों में भाग लिया। पर्यटन क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन देने के लिए 373 मार्गदर्शकों (गाइडों) को प्रशिक्षण दिया गया।
==मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास==
राज्य की कृषि नीति में आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकी का प्रयोग करते हुए, दूध, मछली और मांस उत्पादन के विकास को विशेष रूप से विकसित करने का प्रयास करके कुल दुग्ध उत्पादन 36 लाख लीटर प्रतिदिन  अर्थात 3 लाख लीटर से अधिक तक पहुँचा दिया गया है। डेयरी उत्पादन के विकास के लिए उड़ीसा दुग्ध फेडरेशनमें राज्य के सभी 30 जिलों को सम्मिलित गया है। फेडरेशन ने दुग्ध संरक्षण को बढाकर 2.70 लाख लीटर प्रतिदिन तक कर दिया है। ‘स्टैप’ कार्यक्रम के तहत फेडरेशन द्वारा 17 जिलों में ‘महिला डेयरी परियोजना’ चल रही है। राज्य में 837 महिला डेयरी सहकारी समितियां हैं, जिनमें 60,287 महिलाएं कार्यरत हैं।
==परिवहन==
==परिवहन==
1947 से पहले ओडिशा में संचार सुविधाएं अविकसित थीं, लेकिन इसमें से रजवाड़ों के विलय और खनिज संसाधनों की खोज से अच्छी सड़कों के संजाल की आवश्यकता महसूस की गई। अधिकांश प्रमुख नदियों पर पुल निर्माण जैसे बड़े विनिर्माण कार्यक्रम ओडिशा सरकार द्वारा शुरू किए गए। [[महानदी]] के मुहाने पर [[पारादीप बंदरगाह|पारादीप]] में सभी मौसमों के लिए उपयुक्त, गहरे बंदरगाह का निर्माण किया गया है। यह बंदरगाह राज्य के निर्यात, विशेषकर कोयले के निर्यात का केंद्र बन गया है।
[[चित्र:Orrisa-Map-1.gif|thumb|250px|ओडिशा का मानचित्र<br /> Orrisa Map]]
राज्य में विकास दर बढाने के लिए परिवहन की अनेक योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है-
राज्य में विकास दर बढाने के लिए परिवहन की अनेक योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है-
==सडकें==  
====सडकें====
[[चित्र:Orrisa-Map-1.gif|उड़ीसा का मानचित्र<br /> Orrisa Map|thumb]]
*2004 - 05 तक राज्य में  सडकों की कुल लंबाई 2,37,332 कि.मी. थी। इसमें राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 3,595 कि.मी., एक्सप्रेस राजमार्गों की कुल लंबाई 29 किलोमीटर, राजकीय राजमार्गों की कुल लंबाई 5,102 कि.मी. ज़िला मुख्य सड़कों की कुल लंबाई 3,189 कि.मी., अन्य ज़िला सड़कों की कुल लंबाई 6,334 कि.मी. और  ग्रामीण सड़कों की कुल लंबाई 27,882 कि.मी. है। पंचायत समिति सड़कों  की कुल लंबाई 1,39,942 कि.मी. और 88 कि.मी. ग्रिडको सड़कें हैं।
*2004 - 05 तक राज्य में  सडकों की कुल लंबाई 2,37,332 कि.मी. थी। इसमें राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 3,595 कि.मी., एक्सप्रेस राजमार्गों की कुल लंबाई 29 किलोमीटर, राजकीय राजमार्गों की कुल लंबाई 5,102 कि.मी. ज़िला मुख्य सड़कों की कुल लंबाई 3,189 कि.मी., अन्य ज़िला सड़कों की कुल लंबाई 6,334 कि.मी. और  ग्रामीण सड़कों की कुल लंबाई 27,882 कि.मी. है। पंचायत समिति सड़कों  की कुल लंबाई 1,39,942 कि.मी. और 88 कि.मी. ग्रिडको सड़कें हैं।


==रेलवे==
====रेलवे====
31 मार्च 2004 तक  राज्य में  2,287 किलोमीटर लंबी बडी रेल लाइनें और 91 किलोमीटर छोटी लाइनें थी।
[[31 मार्च]] 2004 तक  राज्य में  2,287 किलोमीटर लंबी बडी रेल लाइनें और 91 किलोमीटर छोटी लाइनें थी।
==उड्डयन==
====उड्डयन====
भुवनेश्वर में हवाई अड्डे का आधुनिकीकरण का कार्य हो रहा है। यहाँ से [[दिल्ली]], [[कोलकाता]], [[चेन्नई]], [[नागपुर]] और [[हैदराबाद]] के लिए सीधी उड़ानें हैं। इस समय राज्य भर में 13 हवाई पट्टियां और 16 हेलीपैड की व्यवस्था है।
भुवनेश्वर में हवाई अड्डे का आधुनिकीकरण का कार्य हो रहा है। यहाँ से [[दिल्ली]], [[कोलकाता]], [[चेन्नई]], [[नागपुर]] और [[हैदराबाद]] के लिए सीधी उड़ानें हैं। इस समय राज्य भर में 13 हवाई पट्टियां और 16 हेलीपैड की व्यवस्था है।
==बंदरगाह==
पारादीप राज्य का एक मात्र मुख्य बंदरगाह है। गोपालपुर को पूरे साल काम करने वाले बंदरगाह के रूप में विकसित करने का कार्य प्रगति पर है।
==पर्यटन स्थल==
प्रमुख पर्यटन स्थलों मे
*सूर्य मंदिर, कोणार्क
*राज्य की राजधानी भुवनेश्वर लिंगराज मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
*पुरी का जगन्नाथ मंदिर और
*सुंदर पुरी तट सुविख्यात हैं।
*राज्य के अन्य प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र हैं कोणार्क, नंदनकानन, चिलका झील, धौली बौद्ध मंदिर, उदयगिरि-खंडगिरि की प्राचीन गुफाएं, रत्नगिरि, ललितगिरि और उदयगिरि के बौद्ध भित्तिचित्र और गुफाएं, सप्तसज्या का मनोरम पहाडी दृश्य, सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान तथा बाघ परियोजना, हीराकुंड बांध, दुदुमा जलप्रपात, उषाकोठी वन्य जीव अभयारण्य, गोपानपुर समुद्री तट, हरिशंकर, नृसिंहनाथ, तारातारिणी, तप्तापानी, भितरकणिका, भीमकुंड कपिलाश आदि स्थान प्रसिद्ध हैं।


====बंदरगाह====
{{main|पारादीप बंदरगाह}}
पारादीप राज्य का एक मात्र मुख्य बंदरगाह है। [[गोपालपुर (उड़ीसा)|गोपालपुर]] को पूरे साल काम करने वाले बंदरगाह के रूप में विकसित करने का कार्य प्रगति पर है।
==पर्यटन==
राज्य के आर्थिक विकास में पर्यटन के महत्त्व को समझते हुए मीडिया प्रबंधन एजेंसियों और पर्व प्रबंधकों को प्रचार एवं प्रसार का कार्य दिया गया है। ओडिशा को विभिन्न महत्त्वपूर्ण पर्यटन परिजनाओं - [[धौली]] में शांति पार्क, [[ललितगिरि]], [[उदयगिरि और खण्डगिरि गुफ़ाएँ|उदयगिरि]] तथा लांगुडी के बौद्ध स्थलों को ढांचागत विकास और पिपिली में पर्यटन विकास का काम किया जाएगा। (पुरी) भुवनेश्वर का एकाग्र उत्सव, कोणार्क का कोणार्क पर्व के मेलों और त्योहारों के विकास के लिए प्रयास किया जा रहा है। [[चित्र:Udayagiri-Caves-Khandagiri.jpg|thumb|250px|left|[[उदयगिरि और खण्डगिरि गुफ़ाएँ|उदयगिरि गुफ़ाएँ]], [[भुवनेश्वर]]]] ओडिशा पर्यटन विभाग ने [[बैंकॉक]], मास्को, लंदन, कुआलालंपुर, [[कोच्चि]], कोलकाता, रायपुर आदि के भ्रमण व्यापार के आयोजनों में भाग लिया। पर्यटन क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन देने के लिए 373 मार्गदर्शकों (गाइडों) को प्रशिक्षण दिया गया।
====पर्यटन स्थल====
*[[सूर्य मंदिर कोणार्क|सूर्य मंदिर]], कोणार्क
*राज्य की राजधानी [[भुवनेश्वर]] [[लिंगराज मन्दिर]] के लिए प्रसिद्ध है।
*पुरी का [[जगन्नाथ मंदिर पुरी|जगन्नाथ मन्दिर]]
*सुंदर पुरी तट
*राज्य के अन्य प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र हैं कोणार्क, नंदनकानन, चिलका झील, धौली बौद्ध मंदिर, [[उदयगिरि और खण्डगिरि गुफ़ाएँ|उदयगिरि-खंडगिरि की प्राचीन गुफाएं]], [[रत्नगिरि]], ललितगिरि और उदयगिरि के बौद्ध भित्तिचित्र और गुफाएं, सप्तसज्या का मनोरम पहाडी दृश्य, सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान तथा बाघ परियोजना, हीराकुंड बांध, दुदुमा जलप्रपात, उषाकोठी वन्य जीव अभयारण्य, गोपानपुर समुद्री तट, हरिशंकर, नृसिंहनाथ, तारातारिणी, तप्तापानी, भितरकणिका, भीमकुंड कपिलाश आदि स्थान प्रसिद्ध हैं।
==समाचार==
====<u>गुरुवार, 25 मार्च, 2011</u>====
'''<u>उड़ीसा अब ओडिशा हो गया</u>'''<br />
उड़ीसा का नाम ओडिशा किए जाने संबंधी विधेयक को [[लोकसभा]] के बाद [[राज्यसभा]] में भी गुरुवार को मंजूरी दे दी गई। उड़ीसा विधानसभा में 28 अगस्त 2008 को इसका प्रस्ताव पारित किया गया था जिसे बाद में केन्द्र को भेज दिया गया था। केन्द्रीय गृह मंत्री पी.चिदम्बरम ने राज्यसभा में उड़ीसा (वैकल्पिक नाम) विधेयक, 2010 और उडिया भाषा का नाम बदलकर ओडिशा करने के लिए संविधान (113 वां संशोधन) विधेयक,2010 पेश किया। दोनों विधेयकों को राज्यसभा ने पारित कर दिया। लोकसभा पिछले साल नवम्बर में ही इन्हें पारित कर चुकी है। राज्यसभा में विधेयक पेश करते हुए चिदम्बरम ने कहा कि संविधान की पहली अनुसूची में शामिल उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा हो जाएगा।
====<u>समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें</u>====
*[http://www.khaskhabar.com/parliament-approves-new-name-for-orissa-032011255739111227.html ख़ास खबर]
*[http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/7779633.cms नवभारत टाइम्स]
*[http://hindi.webdunia.com/news/news/national/1103/24/1110324041_1.htm हिन्दी वेबदुनिया]
*[http://www.samaylive.com/regional-news-in-hindi/other-states-news-in-hindi/114157/orissa-odisha-parliament-approved-bill.html समय लाइव]
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक= |माध्यमिक=माध्यमिक1 |पूर्णता= |शोध= }}
==वीथिका==
<gallery>
चित्र:Sun-Temple-Gate-Konark.jpg|[[सूर्य मंदिर कोणार्क|सूर्य मंदिर]], [[कोणार्क]]
चित्र:Sun-Temple-Konark-5.jpg|[[सूर्य मंदिर कोणार्क|सूर्य मंदिर]], [[कोणार्क]]
चित्र:Jagannath-Temple-Orissa-2.jpg|[[जगन्नाथ मंदिर पुरी|जगन्नाथ मन्दिर]], उड़ीसा
चित्र:Bhubaneswar-Taptapani.jpg|तपता पानी मंदिर, [[भुवनेश्वर]]
चित्र:Sun-Temple-Konark-12.jpg|[[सूर्य मंदिर कोणार्क|सूर्य मंदिर]], [[कोणार्क]]
चित्र:Orissa-Paintings.jpg|चित्रकारी, उड़ीसा
चित्र:A-View-Of-Sun-Temple-Konark.jpg|[[सूर्य मंदिर कोणार्क|सूर्य मंदिर]], [[कोणार्क]]
चित्र:Jagannath-Temple-Puri.jpg|[[जगन्नाथ मंदिर पुरी|जगन्नाथ मंदिर]], [[पुरी]]
चित्र:Sun-Temple-Konark-3.jpg|[[सूर्य मंदिर कोणार्क|सूर्य मंदिर]], [[कोणार्क]]
चित्र:Sun-Temple-Konark-10.jpg|[[सूर्य मंदिर कोणार्क|सूर्य मंदिर]], [[कोणार्क]]
</gallery>


==सम्बंधित लिंक==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{उड़ीसा के पर्यटन स्थल}}
{{उड़ीसा के नगर}}
{{उड़ीसा के ऐतिहासिक स्थान}}
{{उड़ीसा के ज़िले}}
{{उड़ीसा के ज़िले}}
{{राज्य और के. शा. प्र.}}
{{राज्य और के. शा. प्र.}}
{{राज्य और के. शा. प्र.2}}
[[Category:उड़ीसा राज्य]]
[[Category:उड़ीसा राज्य]]
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[[Category:पूर्वी भारत]]
[[Category:चुनाव अद्यतन]]
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__NOTOC__

10:05, 11 जून 2022 के समय का अवतरण

ओडिशा
नाम कलिंग, उत्कल, उत्कलरात, उड्र, ओद्र, ओद्रबिश
राजधानी भुवनेश्वर
राजभाषा(एँ) उड़िया भाषा
स्थापना 1 अप्रॅल, 1936
जनसंख्या 3,68,04,660 [1]
· घनत्व 236 [2] /वर्ग किमी
क्षेत्रफल 1,55,707 वर्ग किमी
भौगोलिक निर्देशांक 20°09′N 85°30′E
तापमान 25° C (औसत)
· ग्रीष्म 35-40° C (अधिकतम)
· शरद 3-4° C (न्यूनतम)
वर्षा 150 सेमी मिमी
ज़िले 30 [2]
सबसे बड़ा नगर भुवनेश्वर
मुख्य पर्यटन स्थल कोणार्क, पुरी, लिंगराज मन्दिर, सूर्य मंदिर कोणार्क
लिंग अनुपात 1000:972 ♂/♀
साक्षरता 63.08%
· स्त्री 50.51%
· पुरुष 71.35%
राज्यपाल गणेशी लाल
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक
विधानसभा सदस्य 147
लोकसभा क्षेत्र 21
राज्यसभा सदस्य 10
बाहरी कड़ियाँ अधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

ओडिशा भारत का एक प्रान्त है जो भारत के पूर्वी तट पर बसा है। ओडिशा उत्तर में झारखण्ड, उत्तर पूर्व में पश्चिम बंगाल दक्षिण में आंध्र प्रदेश और पश्चिम में छत्तीसगढ़ से घिरा है तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। भौगोलिक लिहाज़ से इसके उत्तर में छोटा नागपुर का पठार है जो अपेक्षाकत कम उपजाऊ है लेकिन दक्षिण में महानदी, ब्राह्मणी, कालिंदी और वैतरणी नदियों का उपजाऊ मैदान है। यह पूरा क्षेत्र मुख्य रूप से चावल उत्पादक क्षेत्र है।

इतिहास

ओडिशा राज्य प्राचीन समय में 'कलिंग' के नाम से विख्यात था। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी (261 ई.पू.) में मौर्य सम्राट अशोक ने कलिंग विजय करने के लिए एक शक्तिशाली सेना भेजी थी, जिसका कलिंग के निवासियों ने जमकर सामना किया। सम्राट अशोक ने कलिंग तो जीता, परन्तु युद्ध के भीषण संहार से सम्राट का मन में वितृष्णा पैदा हो गई और अशोक की मृत्यु के बाद कलिंग फिर से स्वाधीन हो गया। ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में खारवेल राजा के अधीन कलिंग एक शक्तिशाली साम्राज्य बन गया। खारवेल की मृत्यु के बाद ओडिशा की ख्याति लुप्त हो गई। चौथी शताब्दी में विजय पर निकले समुद्रगुप्त ने ओडिशा पर आक्रमण किया और इस प्रदेश के पांच राजाओं को पराजित किया। सन् 610 में ओडिशा पर शशांक नरेश का अधिकार हो गया। शशांक के निधन के बाद हर्षवर्धन ने ओडिशा पर विजय प्राप्त की।

ओडिशा उच्च न्यायालय, कटक
Orissa High Court, Cuttack

सातवीं शताब्दी में ओडिशा पर गंग वंश का शासन रहा। सन् 795 में महाशिवगुप्त यजाति द्वितीय ने ओडिशा का शासन भार संभाला और ओडिशा के इतिहास का सबसे गौरवशाली अध्याय शुरू हुआ। उन्होंने कलिंग, कनगोडा, उत्कल और कोशल को मिलाकर खारवेल की भाँति विशाल साम्राज्य की नींव रखी। गंग वंश के शासकों के समय में ओडिशा राज्य की बहुत उन्नति हुई। इस राजवंश के शासक राजा नरसिंह देव ने कोणार्क का विश्व भर में प्रसिद्ध सूर्य मंदिर बनवाया था। 16 वीं शताब्दी के लगभग मध्य से 1592 तक ओडिशा पांच मुस्लिम राजाओं द्वारा शासित रहा। सन् 1592 में अकबर ने ओडिशा को अपने अधीन कर अपने शासन में शामिल कर लिया। मुग़लों के पतन के पश्चात् ओडिशा पर मराठों का अधिकार रहा। सन् 1803 में ब्रिटिश राज से पहले ओडिशा मराठा शासकों के अधीन रहा। 1 अप्रैल सन् 1936 को ओडिशा को स्वतंत्र प्रांत बनाया गया। स्वतंत्रता के बाद ओडिशा तथा इसके आसपास की रियासतों ने भारत सरकार को अपनी सत्ता सौंप दी। रियासतों (गवर्नर के अधीन प्रांतों) के विलय संबंधी आदेश 1949 के अंतर्गत जनवरी 1949 में ओडिशा की सभी रियासतों का ओडिशा राज्य में सम्पूर्ण विलय हो गया। ओडिशा के कलिंग, उत्कल और उद्र जैसे कई प्राचीन नाम हैं, परन्तु यह प्रदेश मुख्यत: भगवान जगन्नाथ की भूमि के लिए प्रसिद्ध है। भगवान जगन्नाथ ओडिशा के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन से बहुत गहरे जुडे हुए हैं। विभिन्न समय में ओडिशा के लोगों पर जैन, ईसाई और इस्लाम धर्मो का प्रभाव पडा।

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में उडीसा के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने योगदान दिया है जिसमें से प्रमुख हैं- सुभाष चंद्र बोस · गोपबंधु दास · हरे कृष्ण मेहताब · जगबंधु बख्शी ·

भूगोल

उड़ीसा राज्य 17.780 और और 22.730 अक्षांश और 81.37 पूर्व और 81.53 पूर्व देशांतर के बीच पड़ता है। भौगोलिक रूप से यह राज्य उत्तर-पूर्व में पश्चिम बंगाल, उत्तर में झारखंड, पश्चिम में छत्तीसगढ़ और दक्षिण में आंध्र प्रदेश और पूर्व में बंगाल की खाड़ी से घिरा हुआ है। राज्य का तटीय क्षेत्र लगभग 450 किलोमीटर तक है और इस क्षेत्र में यह 155, 707 वर्गकिलोमीटर तक आगे बढ़ गया है। यह भारत के कुल 4.87 % क्षेत्र के बराबर है। राज्य को सामान्यत: चार भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा जा सकता है। ये हैं -

महानदी, ओडिशा
Mahanadi, Orissa
  1. उत्तरी पठार,
  2. मध्य नदी थाला,
  3. पूर्वी पहाडियां और
  4. तटवर्ती मैदान।

जलवायु

ओडिशा उष्णकटिबंधीय आर्द्र-शुष्क़ (उष्णकटिबंधीय सवाना घास के मैदान) जलवायु प्रदेश में स्थित है। कटक में औसत तापमान लगभग 26° से. रहता है। जनवरी सबसे सर्द महीना है, जिसमें औसत तापमान 20° से. रहता है, लेकिन मई, जो सबसे गर्म महीना है, में औसत तापमान 33° से. तक बढ़ जाता है। ऊँचाई पर स्थित पहाड़ियाँ ग्रीष्म ऋतु की गर्मी से राहत देती हैं, जो मध्य भूभाग के बेसिन में ख़ास तौर पर असह्म हो जाती हैं। वर्षा दसिण-पश्चिम मॉनसून (जून से अक्टूबर) के महीनों में होती है। राज्य में औसत वार्षिक वर्षा लगभग 1,800 मिमी है, जो पूर्वी घाट में और भी अधिक होती है। चिल्का झील के तटीय इलाक़े सबसे शुष्क हैं, जहाँ औसत वार्षा 939 मिमी है।

अर्थव्यवस्था

कृषि

ओडिशा की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ओडिशा की लगभग 80प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य में लगी है, हालांकि यहाँ की अधिकांश भूमि अनुपजाऊ या एक से अधिक वार्षिक फ़सल के लिए अनुपयुक्त है। ओडिशा में लगभग 40 लाख खेत हैं, जिनका औसत आकार 1.5 हेक्टेयर है, लेकिन प्रति व्यक्ति कृषि क्षेत्र 0.2 हेक्टेयर से भी कम है। राज्य के कुल क्षेत्रफल के लगभग 45 प्रतिशत भाग में खेत है। इसके 80 प्रतिशत भाग में चावल उगाया जाता है। अन्य महत्त्वपूर्ण फ़सलें तिलहन, दलहन, जूट, गन्ना और नारियल है। सूर्य के प्रकाश की उपलब्धता में कमी, मध्यम गुणवत्ता वाली मिट्टी, उर्वरकों का न्यूनतम उपयोग और मानसूनी वर्षा के समय व मात्रा में विविधता होने के कारण यहाँ उपज कम होती है और इसकी गिनती देश के ग़रीब राज्यों में होती है।

चूंकि बहुत से ग्रामीण लगातार साल भर रोज़गार नहीं प्राप्त कर पाते, इसलिए कृषि- कार्य में लगे बहुत से परिवार गैर कृषि कार्यों में भी संलग्न है। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति कृषि भूमि की उपलब्धता कम होती जा रही है। भू- अधिगृहण पर सीमा लगाने के प्रयास अधिकांशत: सफल नहीं रहे। हालांकि राज्य द्वारा अधिगृहीत कुछ भूमि स्वैच्छिक तौर पर भूतपूर्व काश्तकारों को दे दी गई है।

चावल ओडिशा की मुख्य फ़सल है। 2004 - 2005 में 65.37 लाख मी. टन चावल का उत्पादन हुआ। गन्ने की खेती भी किसान करते हैं। उच्च फ़सल उत्पादन प्रौद्योगिकी, समन्वित पोषक प्रबंधन और कीट प्रबंधन को अपनाकर कृषि का विस्तार किया जा रहा है। अलग -अलग फलों की 12.5 लाख और काजू की 10 लाख तथा सब्जियों की 2.5 लाख कलमें किसानों में वितरित की गई हैं। राज्य में प्याज की फ़सल को बढावा देने के लिए अच्छी किस्म की प्याज के 300 क्विंटल बीज बांटे गए हैं जिनसे 7,500 एकड ज़मीन प्याज उगायी जाएगी। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत गुलाब, गुलदाऊदी और गेंदे के फूलों की 2,625 प्रदर्शनियाँ की गईं। किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए ओडिशा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम लि. (पी ए सी), मार्कफेड, नाफेड आदि एजेंसियों के द्वारा 20 लाख मी. टन चावल ख़रीदने का लक्ष्य बनाया है। सूखे की आशंका से ग्रस्त क्षेत्रों में लघु जलाशय लिए 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 2,413 लघु जलाशय विकसित करने का लक्ष्य है।

सिंचाई और बिजली

बडी, मंझोली और छोटी परियोजनाओं और जल दोहन परियोजनाओं से सिचांई क्षमता को बढाने का प्रयास किया गया है-

  • वर्ष 2004 - 2005 तक 2,696 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की व्यवस्था पूर्ण की जा चुकी है।
  • 2005-06 के सत्र में 12,685 हेक्टेयर सिंचाई की छह सिंचाई परियोजनाओं को चिह्नित किया गया है जिसमें से चार योजनाएं लक्ष्य प्राप्त कर चुकी हैं।
  • 2005 - 2006 में ओडिशा लिफ्ट सिंचाई निगम ने 'बीजू कृषक विकास योजना' के अंतर्गत 500 लिफ्ट सिंचाई पाइंट बनाये हैं और 1,200 हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता प्राप्त की है।
  • 2004 - 2005 में राज्य में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता 4,845.34 मेगावाट थी तथा कुल स्रोतों से प्राप्त बिजली क्षमता 1,995.82 मेगावाट थी।
  • मार्च 2005 तक राज्य के कुल 46,989 गांवों में से 37,744 गांवों में बिजली पहुँचा दी गई है।

उद्योग

उद्योग प्रोत्साहन एवं निवेश निगम लि., औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड और ओडिशा राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम ये तीन प्रमुख एजेंसियां राज्य के उद्योगों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इस्पात, एल्यूमीनियम, तेलशोधन, उर्वरक आदि विशाल उद्योग लग रहे हैं। राज्य सरकार लघु, ग्रामीण और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए छूट देकर वित्तीय मदद दे रही है। 2004 - 2005 वर्ष में 83,075 लघु उद्योग इकाई स्थापित की गयी।

सूर्य मंदिर, कोणार्क
Sun Temple, Konark

औद्योगिक विकास करने के लिए रोज़गार के अवसर और आर्थिक विकास दर को बढाने के लिए ओडिशा उद्योग (सुविधा) अधिनियम, 2004 को लागू किया है जिससे निवेश प्रस्तावों के कम समय में निबटारा और निरीक्षण कार्य हो सके। निवेश को सही दिशा में प्रयोग करने के लिए ढांचागत सुविधा में सुधार को प्राथमिकता दी गई है। सूचना प्रौद्योगिकी में ढांचागत विकास करने के लिए भुवनेश्वर में एक निर्यात संवर्द्धन औद्योगिक पार्क स्थापित किया गया है। राज्य में लघु और मध्यम उद्योगों को बढाने के लिए 2005 - 2006 में 2,255 लघु उद्योग स्थापित किए गये, इन योजनाओं में 123.23 करोड़ रुपये का निवेश किया गया और लगभग 10,308 व्यक्तियों को काम मिला।

श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों को सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं दी गई हैं। उद्योगों में लगे बाल मज़दूरों को मुक्त किया गया और औपचारिक शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना के अंतर्गत प्रवेश दिया गया। राज्य भर में 18 ज़िलों में 18 बालश्रमिक परियोजनाएं क्रियान्वित हैं। लगभग 33,843 बाल श्रमिकों को राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना द्वारा संचालित स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है और 64,885 बाल श्रमिकों को स्कूली शिक्षा के माध्यम से मुख्यधारा में जोडने का प्रयास किया गया। श्रमिकों को दिया जाने वाला न्यूनतम वेतन बढाया गया।

ओडिशा के औद्योगिक संसाधन उल्लेखनीय हैं। क्रोमाइट, मैंगनीज़ अयस्क और डोलोमाइट के उत्पादन में ओडिशा भारत के सभी राज्यों से आगे है। यह उच्च गुणवत्ता के लौह- अयस्क के उत्पादन में भी अग्रणी है। ढेंकानाल के भीतरी ज़िले में स्थित महत्त्वपूर्ण तालचर की खानों से प्राप्त कोयला राज्य के प्रगलन व उर्वरक उत्पादन के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराता है। स्टील, अलौह प्रगलन और उर्वरक उद्योग राज्य के भीतर भागों में केंद्रित हैं, जबकि अधिकांश ढलाईघर, रेल कार्यशालाएँ, काँच निर्माण और काग़ज़ की मिलें कटक के आसपास महानदी के डेल्टा के निकट स्थित है। जिसका उपयोग उपमहाद्वीप की सर्वाधिक महत्त्वाकांक्षी बहुउद्देशीय परियोजना, हीराकुड बाँध व माछकुड जलविद्युत परियोजना द्वारा किया जा रहा है। ये दोनों बहुत सी अन्य छोटी इकाइयों के साथ समूचे निचले बेसिन को बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और बिजली उपलब्ध कराते है।

खनिज

बड़े उद्योग मुख्यत: खनिज आधारित हैं, जिनमें राउरकेला स्थित इस्पात व उर्वरक संयंत्र, जोडो व रायगड़ा में लौह मैंगनीज़ संयत्र, राज गांगपुर व बेलपहाड़ में अपवर्तक उत्पादन कर रहे कारख़ाने, चौद्वार (नया नाम टांगी चौद्वार) में रेफ्रिजरेटर निर्माण संयंत्र और राजगांगपुर में एक सीमेंट कारख़ाना शामिल हैं। रायगड़ा व चौद्वार में चीनी व काग़ज़ की तथा ब्रजराजनगर में काग़ज़ की बड़ी मिलें हैं; अन्य उद्योगों में वस्त्र, कांच ऐलुमिनियम धातुपिंड व केबल और भारी मशीन उपकरण शामिल हैं।

रेत कला, पुरी

सूचना प्रौद्योगिकी

सूचना प्रौद्योगिक में राज्य में संतोष जनक प्रगति हो रही है। भुवनेश्वर की इन्फोसिटी में विकास केंद्र खोलने का प्रयास चल रहा है। ओडिशा सरकार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस तथा नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर ने संयुक्त रूप एक पारदर्शी और कुशल प्रणाली शुरू की है। राज्य मुख्यालय को ज़िला मुख्यालयों, सब डिवीजन मुख्यालयों, ब्लाक मुख्यालयों से जोडने के लिए ई-गवर्नेंस पर आधारित क्षेत्र नेटवर्क से जोडा जा रहा है। उड़िया भाषा को कंप्यूटर में लाने के लिए ‘भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास’ कार्यक्रम के अंतर्गत उडिया भाषा का पैकेज तैयार किया जा रहा है।

मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास

राज्य की कृषि नीति में आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकी का प्रयोग करते हुए, दूध, मछली और मांस उत्पादन के विकास को विशेष रूप से विकसित करने का प्रयास करके कुल दुग्ध उत्पादन 36 लाख लीटर प्रतिदिन अर्थात् 3 लाख लीटर से अधिक तक पहुँचा दिया गया है। डेयरी उत्पादन के विकास के लिए ओडिशा दुग्ध फेडरेशनमें राज्य के सभी 30 ज़िलों को सम्मिलित गया है। फेडरेशन ने दुग्ध संरक्षण को बढाकर 2.70 लाख लीटर प्रतिदिन तक कर दिया है। ‘स्टैप’ कार्यक्रम के तहत फेडरेशन द्वारा 17 ज़िलों में ‘महिला डेयरी परियोजना’ चल रही है। राज्य में 837 महिला डेयरी सहकारी समितियां हैं, जिनमें 60,287 महिलाएं कार्यरत हैं।

सांस्कृतिक जीवन

ओडिशा की समृद्ध कलात्मक विरासत है और इसने भारतीय कला एवं वास्तुशिल्प के सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों का सृजन किया है। भित्तिचित्रों पत्थर व लकड़ी पर नक़्क़ाशी देव चित्र (पट्ट चित्रकला के नाम से विख्यात) और ताड़पत्रों पर चित्रकारी के माध्यम से कलात्मक परंपराएं आज भी क़ायम हैं। हस्तशिल्प कलाकार चांदी में बेहद महीन जाली की कटाई की अलंकृत शिल्प कला के लिए विख्यात हैं।

ओडिसी नृत्य, ओडिशा
Odissi Dance, Orissa
नृत्य

जनजातीय इलाकों में कई प्रकार के लोकनृत्य है। मादल व बांसुरी का संगीत गांवो में आम है। ओडिशा का शास्त्रीय नृत्य ओडिसा 700 वर्षों से भी अधिक समय से अस्तित्व में है। मूलत: यह ईश्वर के लिए किया जाने वाला मंदिर नृत्य था। नृत्य के प्रकार, गति, मुद्राएं और भाव-भंगिमाएं बड़े मंदिरों की दीवारों पर, विशेषकर कोणार्क में शिल्प व उभरी हुई नक़्क़ासी के रूप में अंकित हैं, इस नृत्य के आधुनिक प्रवर्तकों ने इसे राज्य के बाहर भी लोकप्रिय बनाया है। मयूरभंज और सरायकेला प्रदेशों का छऊ नृत्य (मुखौटे पहने कलाकारों द्वारा किया जाने वाला नृत्य) ओडिशा की संस्कृति की एक अन्य धरोहर है। 1952 में कटक में कला विकास केंद्र की स्थापना की गई, जिसमें नृत्य व संगीत के प्रोत्साहन के लिए एक छह वर्षीय अवधि का शिक्षण पाठयक्रम है। नेशनल म्यूजिक एसोसिएशन (राष्ट्रीय संगीत समिति) भी इस उद्देश्य के लिए है। कटक में अन्य प्रसिद्ध नृत्य व संगीत केन्द्र है: उत्कल संगीत समाज, उत्कल स्मृति कला मंडप और मुक्ति कला मंदिर।

त्योहार

ओडिशा के अनेक अपने पारंपरिक त्योहार हैं। इसका एक अनोखा त्योहार अक्टूबर या नवंबर (तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार तय की जाती है) में मनाया जाने वाला बोइता बंदना (नौकाओं की पूजा) अनुष्ठा है। पूर्णिमा से पहले लगातार पांच दिनों तक लोग नदी किनारों या समुद्र तटों पर एकत्र होते हैं और छोटे-छोटे नौका रूप तैराते हैं। जो इसका प्रतीक है कि वे भी अपने पूर्वजों की तरह सुदूर स्थानों (मलेशिया, इंडोनेशिया) की यात्रा पर निकलेंगे। पुरी में जगन्नाथ (ब्रह्मांड का स्वामी) मंदिर है, जो भारत के सर्वाधिक प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहाँ होने वाली वार्षिक रथयात्रा लाखों लोगों को आकृष्ट करती है। यहाँ से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर भगवान सूर्य के रथ के आकार में बना कोणार्क मंदिर है। यह मंदिर मध्यकालीन उड़िया संस्कृति के उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है।

शिक्षा

  • 1947 के बाद शैक्षणिक संस्थानों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • यहाँ पाँच विश्वविद्यालय (और कई संबद्ध महाविद्यालय) हैं, जिनमें उत्कल विश्वविद्यालय और उड़ीसा कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय सबसे बड़े व विख्यात हैं।
चिल्का झील, उड़ीसा
  • शैक्षणिक संस्थानों के नाम इस प्रकार है:-
    • कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी (भुवनेश्वर),
    • इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (तालचर),
    • इंस्टिट्यूट ऑफ़ फिज़िक्स (भुवनेश्वर),
    • उड़ीसा इंजीनियरिंग कॉलेज (भुवनेश्वर),
    • रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज (राउकेला),
    • रेवनशॉ कॉलेज (कटक),
    • स्टीवर्ट साइंस कॉलेज (कटक),
    • यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग (संबलपुर),
    • वी. एस. एस. मेडिकल कॉलेज (बुरला) और
    • ज़ेवियर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट (भुवनेश्वर) अन्य महत्त्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थान हैं।
  • इन संस्थानों की उपस्थिति के बावजूद उड़ीसा की जनसंख्या का एक छोटा सा भाग ही विश्वविद्यालय स्तर तक शिक्षित है और राज्य की साक्षरता दर (63.61 प्रतिशत) राष्ट्रीय औसत (65.38 प्रतिशत) से कम है।

परिवहन

1947 से पहले ओडिशा में संचार सुविधाएं अविकसित थीं, लेकिन इसमें से रजवाड़ों के विलय और खनिज संसाधनों की खोज से अच्छी सड़कों के संजाल की आवश्यकता महसूस की गई। अधिकांश प्रमुख नदियों पर पुल निर्माण जैसे बड़े विनिर्माण कार्यक्रम ओडिशा सरकार द्वारा शुरू किए गए। महानदी के मुहाने पर पारादीप में सभी मौसमों के लिए उपयुक्त, गहरे बंदरगाह का निर्माण किया गया है। यह बंदरगाह राज्य के निर्यात, विशेषकर कोयले के निर्यात का केंद्र बन गया है।

ओडिशा का मानचित्र
Orrisa Map

राज्य में विकास दर बढाने के लिए परिवहन की अनेक योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है-

सडकें

  • 2004 - 05 तक राज्य में सडकों की कुल लंबाई 2,37,332 कि.मी. थी। इसमें राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 3,595 कि.मी., एक्सप्रेस राजमार्गों की कुल लंबाई 29 किलोमीटर, राजकीय राजमार्गों की कुल लंबाई 5,102 कि.मी. ज़िला मुख्य सड़कों की कुल लंबाई 3,189 कि.मी., अन्य ज़िला सड़कों की कुल लंबाई 6,334 कि.मी. और ग्रामीण सड़कों की कुल लंबाई 27,882 कि.मी. है। पंचायत समिति सड़कों की कुल लंबाई 1,39,942 कि.मी. और 88 कि.मी. ग्रिडको सड़कें हैं।

रेलवे

31 मार्च 2004 तक राज्य में 2,287 किलोमीटर लंबी बडी रेल लाइनें और 91 किलोमीटर छोटी लाइनें थी।

उड्डयन

भुवनेश्वर में हवाई अड्डे का आधुनिकीकरण का कार्य हो रहा है। यहाँ से दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, नागपुर और हैदराबाद के लिए सीधी उड़ानें हैं। इस समय राज्य भर में 13 हवाई पट्टियां और 16 हेलीपैड की व्यवस्था है।

बंदरगाह

पारादीप राज्य का एक मात्र मुख्य बंदरगाह है। गोपालपुर को पूरे साल काम करने वाले बंदरगाह के रूप में विकसित करने का कार्य प्रगति पर है।

पर्यटन

राज्य के आर्थिक विकास में पर्यटन के महत्त्व को समझते हुए मीडिया प्रबंधन एजेंसियों और पर्व प्रबंधकों को प्रचार एवं प्रसार का कार्य दिया गया है। ओडिशा को विभिन्न महत्त्वपूर्ण पर्यटन परिजनाओं - धौली में शांति पार्क, ललितगिरि, उदयगिरि तथा लांगुडी के बौद्ध स्थलों को ढांचागत विकास और पिपिली में पर्यटन विकास का काम किया जाएगा। (पुरी) भुवनेश्वर का एकाग्र उत्सव, कोणार्क का कोणार्क पर्व के मेलों और त्योहारों के विकास के लिए प्रयास किया जा रहा है।

उदयगिरि गुफ़ाएँ, भुवनेश्वर

ओडिशा पर्यटन विभाग ने बैंकॉक, मास्को, लंदन, कुआलालंपुर, कोच्चि, कोलकाता, रायपुर आदि के भ्रमण व्यापार के आयोजनों में भाग लिया। पर्यटन क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन देने के लिए 373 मार्गदर्शकों (गाइडों) को प्रशिक्षण दिया गया।

पर्यटन स्थल

  • सूर्य मंदिर, कोणार्क
  • राज्य की राजधानी भुवनेश्वर लिंगराज मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है।
  • पुरी का जगन्नाथ मन्दिर
  • सुंदर पुरी तट
  • राज्य के अन्य प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र हैं कोणार्क, नंदनकानन, चिलका झील, धौली बौद्ध मंदिर, उदयगिरि-खंडगिरि की प्राचीन गुफाएं, रत्नगिरि, ललितगिरि और उदयगिरि के बौद्ध भित्तिचित्र और गुफाएं, सप्तसज्या का मनोरम पहाडी दृश्य, सिमिलिपाल राष्ट्रीय उद्यान तथा बाघ परियोजना, हीराकुंड बांध, दुदुमा जलप्रपात, उषाकोठी वन्य जीव अभयारण्य, गोपानपुर समुद्री तट, हरिशंकर, नृसिंहनाथ, तारातारिणी, तप्तापानी, भितरकणिका, भीमकुंड कपिलाश आदि स्थान प्रसिद्ध हैं।

समाचार

गुरुवार, 25 मार्च, 2011

उड़ीसा अब ओडिशा हो गया
उड़ीसा का नाम ओडिशा किए जाने संबंधी विधेयक को लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी गुरुवार को मंजूरी दे दी गई। उड़ीसा विधानसभा में 28 अगस्त 2008 को इसका प्रस्ताव पारित किया गया था जिसे बाद में केन्द्र को भेज दिया गया था। केन्द्रीय गृह मंत्री पी.चिदम्बरम ने राज्यसभा में उड़ीसा (वैकल्पिक नाम) विधेयक, 2010 और उडिया भाषा का नाम बदलकर ओडिशा करने के लिए संविधान (113 वां संशोधन) विधेयक,2010 पेश किया। दोनों विधेयकों को राज्यसभा ने पारित कर दिया। लोकसभा पिछले साल नवम्बर में ही इन्हें पारित कर चुकी है। राज्यसभा में विधेयक पेश करते हुए चिदम्बरम ने कहा कि संविधान की पहली अनुसूची में शामिल उड़ीसा का नाम बदलकर ओडिशा हो जाएगा।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 2001 की जनगणना के अनुसार
  2. 2.0 2.1 ORISSA PROFILE (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) ओडिशा की आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 26 मई, 2011।

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