"हिमाचल प्रदेश": अवतरणों में अंतर

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[[State::हिमाचल प्रदेश]] / Himachal Pradesh
{{सूचना बक्सा राज्य
|Image=Himachal-pradesh-map.jpg
|राजधानी=[[शिमला]]
|जनसंख्या=6,85,6509<ref name="hp">{{cite web |url=http://himachal.nic.in/tour/glance.htm |title=Himachal At A Glance |accessmonthday=17 मई  |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=आधिकारिक वेबसाइट |language=अंग्रेज़ी }}</ref>
|जनसंख्या घनत्व=123 <ref name="hp"/>
|क्षेत्रफल=55,673 वर्ग किमी
|भौगोलिक निर्देशांक=31°6′12″ उत्तर - 77°10′20″ पूर्व
|ज़िले=12
|सबसे बड़ा नगर=[[शिमला]]
|राजभाषा(एँ)=[[हिन्दी भाषा]], [[पहाड़ी भाषा]]
|स्थापना=25 जनवरी, 1971
|मुख्य पर्यटन स्थल=[[कुल्लू]], [[मनाली हिमाचल प्रदेश|मनाली]], [[शिमला]], [[डलहौज़ी नगर|डलहौज़ी]]
|लिंग अनुपात=1000:974<ref name="hp"/>
|साक्षरता=83.78 <ref name="hp"/>
|स्त्री=76.60
|पुरुष=90.83
|तापमान= 20 °C (औसत)
|ग्रीष्म=28 °C
|शरद=7 °C
|वर्षा=1469 मिमी (औसत)
|राज्यपाल=[[राजेन्द्र आर्लेकर]]
|मुख्यमंत्री=[[सुखविंदर सिंह सुक्खू]]
|विधान सभा सदस्य संख्या=68
|लोकसभा क्षेत्र=4
|राज्यसभा सदस्य=3
|बाहरी कड़ियाँ=[http://www.himachal.nic.in/ अधिकारिक वेबसाइट]
|अद्यतन={{अद्यतन|15:32, 2 जुलाई 2023 (IST)}}
|emblem=Himachal Pradesh Logo.jpg
}}
'''हिमाचल प्रदेश''' पश्चिमी [[भारत]] में स्थित राज्य है। यह उत्तर में [[जम्मू और कश्मीर]], पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में दक्षिण में [[हरियाणा]] एवं [[उत्तर प्रदेश]], दक्षिण-पूर्व में [[उत्तराखंड]] तथा पूर्व में [[तिब्बत]] से घिरा है। 'हिमाचल' प्रदेश का शाब्दिक अर्थ बर्फ़ीले पहाड़ों का अंचल' है। हिमाचल प्रदेश को देव भूमि भी कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश में [[आर्य|आर्यों]] का प्रभाव [[ऋग्वेद]] से भी पुराना है। आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद, यह ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आ गया। सन् 1857 तक यह [[पंजाब]] के महाराजा [[रणजीत सिंह]] के शासन के अधीन पंजाब राज्य का हिस्सा रहा। सन् 1950 में इस राज्य को केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया, परन्तु 1971 में 'हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971' के अन्तर्गत इसे [[25 जनवरी]] 1971 को भारत का अठारहवाँ राज्य बना दिया गया। हिमाचल प्रदेश में प्रतिव्यक्ति अनुमानित आय भारत के अन्य किसी भी राज्य की तुलना में ज़्यादा है। नदियों की बहुतायत के कारण, हिमाचल अन्य राज्यों को पनबिजली देता है, जिनमें [[दिल्ली]], [[पंजाब]] और [[राजस्थान]] प्रमुख रूप से हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था पनबिजली, पर्यटन और [[कृषि]] पर मूल रूप से आधारित है। राज्य में [[हिन्दु|हिन्दुओं]] की संख्या कुल जनसंख्या का 90 प्रतिशत है और मुख्य समुदायों में [[ब्राह्मण]], [[राजपूत]], कन्नेत, राठी और [[कोली]] हैं।
[[चित्र:Viceregal-Lodge-Shimla.jpg|thumb|left|220px|विसिरेजल लॉज, [[शिमला]]]]
==इतिहास और भूगोल==
हिमाचल प्रदेश पश्चिमी [[हिमालय]] के मध्य में स्थित है, इसे देव भूमि कहा जाता है। यहाँ देवी और [[देवता|देवताओं]] का निवास स्थान माना जाता है। हिमाचल राज्य में पत्थर और लकड़ी के अनेक मंदिर हैं। सम़ृद्ध संस्कृति और परम्पराओं ने हिमाचल को एक अनोखा राज्य बना दिया है। यहाँ के ऊंचे नीचे पहाड़, [[ग्लेशियर]],  छायादार घाटियां और विशाल पाइन वृक्ष और गरजती नदियां तथा विशिष्ट जीव जंतु मिलकर हिमाचल के लिए एक मधुर [[संगीत]] की रचना तैयार करते प्रतीत होते हैं।


हिमाचल प्रदेश पश्चिमी [[भारत]]  में स्थित राज्य है। यह उत्तर में [[जम्मू कश्मीर]], पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में दक्षिण में [[हरियाणा]] एवं [[उत्तर प्रदेश]], दक्षिण-पूर्व में [[उत्तराखंड]] तथा पूर्व में [[तिब्बत]] से घिरा है। 'हिमाचल' प्रदेश का शाब्दिक अर्थ बर्फ़ीले पहाड़ों का अंचल' है। हिमाचल प्रदेश को देव भूमि भी कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश में आर्यों का प्रभाव [[ऋग्वेद]] से भी पुराना है। आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद, यह ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आ गया। सन 1857 तक यह [[पंजाब]] के महाराजा रणजीत सिंह के शासन के अधीन पंजाब राज्य का हिस्सा रहा। सन 1950 में इस राज्य को केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया, परन्तु 1971 में 'हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971' के अन्तर्गत इसे 25 जून 1971 को भारत का अठारहवाँ राज्य बना दिया गया। हिमाचल प्रदेश में प्रतिव्यक्ति अनुमानित आय भारत के अन्य किसी भी राज्य की तुलना में ज़्यादा है। नदियों की बहुतायत के कारण, हिमाचल अन्य राज्यों को पनबिजली देता है, जिनमें [[दिल्ली]], [[पंजाब]]  और [[राजस्थान]] प्रमुख रूप से हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था पनबिजली, पर्यटन और कृषि पर मूल रूप से आधारित है। राज्य में हिंदूओं की संख्या कुल जनसंख्या का 90 प्रतिशत है और मुख्य समुदायों में ब्राह्मण, राजपूत, कन्नेत, राठी और कोली हैं।
हिमाचल प्रदेश पूर्ण राज्य [[25 जनवरी]], 1971 को बना। अप्रैल 1948 में यहाँ की 27,000 वर्ग किमी में फैली हुई लगभग 30 रियासतों को मिलाकर इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। 1954 में ‘ग’ श्रेणी की रियासत तबलासपुर को इसमें मिलाने पर इसका क्षेत्रफल बढ़कर 28,241 वर्ग किमी हो गया। सन् 1966 में इस केन्द्रशासित प्रदेश में पंजाब के पहाड़ी भाग को मिलाकर इस राज्य का पुनर्गठन किया गया और इसका क्षेत्रफल बढ़कर 55,673 वर्ग किमी हो गया। आज हिमाचल प्रदेश में न केवल पहाड़ी क्षेत्रों का विकास हुआ, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं में भी इस प्रदेश ने उल्लेखनीय विकास प्राप्त किया है।
==इतिहास और भूगोल==
हिमाचल प्रदेश पश्चिमी [[हिमालय]] के मध्‍य में स्थित है, इसे देव भूमि कहा जाता है। यहाँ देवी और देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। हिमाचल राज्‍य में पत्‍थर और लकड़ी के अनेक मंदिर हैं। सम़ृद्ध संस्‍कृति और परम्‍पराओं ने हिमाचल को एक अनोखा राज्‍य बना दिया है। यहां के ऊंचे नीचे पहाड़, ग्‍लेशियर,  छायादार घाटियां और विशाल पाइन वृक्ष और गरजती नदियां तथा विशिष्‍ट जीव जंतु मिलकर हिमाचल के लिए एक मधुर संगीत की रचना तैयार करते प्रतीत होते हैं।


हिमाचल प्रदेश पूर्ण राज्य 25 जनवरी, 1971 को बना। अप्रैल 1948 में यहाँ की 27,000 वर्ग कि.मी. में फैली हुई लगभग 30 रियासतों को मिलाकर इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। 1954 में ‘ग’ श्रेणी की रियासत तबलासपुर को इसमें मिलाने पर इसका क्षेत्रफल बढ़कर 28,241 वर्ग कि.मी.हो गया। सन 1966 में इस केन्द्रशासित प्रदेश में पंजाब के पहाड़ी भाग को मिलाकर इस राज्य का पुनर्गठन किया गया और इसका क्षेत्रफल बढ़कर 55,673 वर्ग कि.मी. हो गया। आज हिमाचल प्रदेश में न केवल पहाड़ी क्षेत्रों का विकास हुआ, बल्कि शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और सामाजिक सेवाओं में भी इस प्रदेश ने उल्‍लेखनीय विकास प्राप्त किया है।
{{seealso|हिमाचल प्रदेश का इतिहास}}
==कृषि==
==कृषि==
हिमाचल प्रदेश का प्रमुख व्‍यवसाय कृषि है। कृषि राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है। कृषि  से 69 प्रतिशत कामकाजी नागरिकों को सीधा काम मिलता है। कृषि और उसके सहायक क्षेत्र से प्राप्त आय प्रदेश के कुल घरेलू उत्‍पादन का 22.1 प्रतिशत है। कुल भूमि क्षेत्र 55.673 लाख हेक्‍टेयर में से 9.79 लाख हेक्‍टेयर भूमि के स्‍वामी 9.14 लाख किसान हैं। मध्यम और छोटे किसानों के पास कुल भूमि का 86.4 प्रतिशत भाग है। राज्‍य में कृषि भूमि केवल 10.4 प्रतिशत है। लगभग 80 प्रतिशत भूमि वर्षा द्वारा सिंचित है और किसान [[इंद्र]] देवता की कृपा पर निर्भर रहते हैं। वर्ष 2006-07 में खाद्यान्‍न का कुल उत्‍पादन 16 लाख मिलियन टन रहा ।
हिमाचल प्रदेश का प्रमुख व्यवसाय कृषि है। कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कृषि  से 69 प्रतिशत कामकाजी नागरिकों को सीधा काम मिलता है। कृषि और उसके सहायक क्षेत्र से प्राप्त आय प्रदेश के कुल घरेलू उत्पादन का 22.1 प्रतिशत है। कुल भूमि क्षेत्र 55.673 लाख हेक्टेयर में से 9.79 लाख हेक्टेयर भूमि के स्वामी 9.14 लाख किसान हैं। मध्यम और छोटे किसानों के पास कुल भूमि का 86.4 प्रतिशत भाग है। राज्य में कृषि भूमि केवल 10.4 प्रतिशत है। लगभग 80 प्रतिशत भूमि वर्षा द्वारा सिंचित है और किसान [[इंद्र]] देवता की कृपा पर निर्भर रहते हैं। वर्ष 2006-07 में खाद्यान्न का कुल उत्पादन 16 लाख मिलियन टन रहा ।
[[चित्र:Dhankar-Lake-Himachal-Pradesh.jpg|thumb|250px|left|धनकर झील, हिमाचल प्रदेश]]
==बागवानी==
==बागवानी==
प्रकृति द्वारा हिमाचल प्रदेश को व्‍यापक रूप से कृषि के अनुकूल जलवायु और परिस्थितियां दी हैं जिसके कारण किसानों को विविध फल उगाने में मदद मिलती है। बागवानी के प्रमुख फल हैं- सेब, नाशपाती, आडू, बेर, खुमानी, गुठली वाले फल, नीबू, आम, लीची, अमरूद और झरबेरी आदि। 1950 में केवल 792 हेक्‍टेयर क्षेत्र बागवानी के अंतर्गत था, जो बढ़कर 2.23 लाख हेक्‍टेयर हो गया है। 1950 में फल उत्‍पादन 1200 मीट्रिक टन था, जो 2007 में बढकर 6.95 लाख टन हो गया है। फल उद्योग से  लगभग 2200 करोड़ रूपये की घरेलू वार्षिक आय होती है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में राज्‍य में बागवानी के विकास के लिए टेक्‍नोलॉजी मिशन 80 करोड़ रूपये की कुल लागत के साथ स्‍थापित किया जा रहा है। इस मिशन से राज्‍य में बागवानी विकास की सभी संभावनाओं का पता लगाया जाएगा। इस योजना में विभिन्‍न जलवायु वाले कृषि क्षेत्रों में चार उत्‍कृष्‍टता केंद्र बनाए जाएंगे और जल संरक्षण, ग्रीन हाउस, कार्बनिक कृषि और कृषि तकनीकों से जुड़ी सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
प्रकृति द्वारा हिमाचल प्रदेश को व्यापक रूप से कृषि के अनुकूल जलवायु और परिस्थितियां दी हैं जिसके कारण किसानों को विविध फल उगाने में मदद मिलती है। बागवानी के प्रमुख [[फल]] हैं- [[सेब]], [[नाशपाती]], आडू, बेर, खुमानी, गुठली वाले फल, [[नीबू]], [[आम]], [[लीची]], [[अमरुद]] और झरबेरी आदि। 1950 में केवल 792 हेक्टेयर क्षेत्र बागवानी के अंतर्गत था, जो बढ़कर 2.23 लाख हेक्टेयर हो गया है। 1950 में फल उत्पादन 1200 मीट्रिक टन था, जो 2007 में बढकर 6.95 लाख टन हो गया है। फल उद्योग से  लगभग 2200 करोड़ रुपये की घरेलू वार्षिक आय होती है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में राज्य में बागवानी के विकास के लिए टेक्नोलॉजी मिशन 80 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ स्थापित किया जा रहा है। इस मिशन से राज्य में बागवानी विकास की सभी संभावनाओं का पता लगाया जाएगा। इस योजना में विभिन्न जलवायु वाले कृषि क्षेत्रों में चार उत्कृष्टता केंद्र बनाए जाएंगे और जल संरक्षण, ग्रीन हाउस, कार्बनिक कृषि और कृषि तकनीकों से जुड़ी सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
==संस्कृति==
[[पहाड़ी जाति|पहाड़ी लोगों]] के मेले और त्योहार उल्लासपूर्ण गीतों और नृत्य के अवसर होते हैं। उत्कृष्ट शैली में बनी किन्नौर शॉलें, [[कुल्लू]] की विशिष्ट ऊनी टोपियाँ और [[चंबा]] के क़सीदाकारी किये हुए रूमाल त्योहार के रंगीन परिधानों को और भी विशिष्टता प्रदान करते हैं। हिमाचल प्रदेश अपनी [[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा घाटी चित्रकला शैली]] के लिए भी जाना जाता है। [[शिमला]] की पहाड़ियाँ, कुल्लू घाटी ([[मनाली हिमाचल प्रदेश|मनाली]] शहर सहित) और [[डलहौज़ी नगर|डलहौज़ी]] पर्यटकों के बड़े आकर्षण हैं। स्कीइंग, [[गॉल्फ़]], मछली पकड़ना, लम्बी यात्रा और पर्वतारोहण ऐसी गतिविधियाँ हैं, जिनके लिए हिमाचल प्रदेश एक आदर्श स्थान है। कुछ पौराणिक धर्मस्थलों पर पूजा-अर्चना के लिए हिमाचल और उसके पड़ोसी राज्यों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में एकत्र होते हैं।
 
कुल्लू घाटी देवताओं की घाटी के रूप में जानी जाती है; इसके चीड़ और देवदार के जंगल, [[फूल|फूलों]] से लदे हरे-भरे मैदान और फलों के बगीचे प्रत्येक शरद ऋतु में होने वाले दशहरा महोत्सव के लिए माहौल तैयार कर देते हैं। इस मौक़े पर मन्दिरों के देवताओं को सजी हुई पालकियों में गाजे-बाजे के साथ और नाचते हुए निकाला जाता है। 1959 में [[ल्हासा]] पर [[चीन]] के क़ब्ज़े के परिणामस्वरूप दलाई लामा [[तिब्बत]] से पलायन कर [[धर्मशाला]] आ गए थे और यहीं रहने लगे। इसके बाद से ही [[बौद्ध|बौद्धों]] के लिए (ख़ासकर तिब्बतियों के लिए) धर्मशाला पवित्र स्थान हो गया है। वर्ष 2000 की शुरुआत में 14 वर्षीय 17वें करमापा भी [[तिब्बत]] से भागकर धर्मशाला आ गए और शरण माँगी।
 
हिमाचल प्रदेश में मुख्य रूप से [[हिन्दी]], काँगड़ी, [[पहाड़ी भाषा|पहाड़ी]], [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], तथा [[डोगरी भाषा|डोगरी]] आदि भाषाऐं बोली जाती हैं। [[हिन्दू धर्म|हिन्दू]], [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]] और [[सिक्ख धर्म|सिक्ख]] आदि यहाँ के प्रमुख [[धर्म]] हैं। हिमाचल प्रदेश के [[कुल्लू]], [[सिरमौर]], [[मण्डी हिमाचल प्रदेश|मण्डी]] ऊपरी क्षेत्र किन्नौर, [[शिमला]] इत्यादि जनपदों में [[नाटी नृत्य]] मुख्य रूप से किया जाता है।
 
==शिक्षा==
[[चित्र:Library-Shimla.jpg|thumb|250px|पुस्तकालय, [[शिमला]]]]
*हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा और लोक स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार और संचार सुविधाओं के सुधार की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। फिर भी राज्य की अधिकांश जनता जीवनयापन के स्तर पर ही है और राज्य के विशाल प्राकृतिक संसाधनों का योजनाबद्ध रूप से दोहन होना अभी बाक़ी है।
*[[1970]] में [[शिमला]] में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही प्रदेश में उच्च शिक्षा संभव हो सकी।
*इस विश्वविद्यालय से 50 से अधिक महाविद्यालय संबद्ध हैं।
*शिमला में एक चिकित्सा महाविद्यालय, [[पालमपुर]] में एक कृषि विश्वविद्यालय और [[सोलन]] के निकट एक बाग़बानी और वन विश्वविद्यालय भी है।
*इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड स्टडी (शिमला) और सेंट्रल रिसर्च इस्टिट्यूट ([[कसौली]]) में शोध कार्य होता है।
*[[1960]] के दशक के बाद के वर्षों से प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के विद्यालयों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, इसी के अनुरूप इनमें दाख़िला लेने वालों की संख्या भी बढ़ी।
*[[हमीरपुर हिमाचल प्रदेश|हमीरपुर]] में एक अभियांत्रिकी महाविद्यालय भी है।
[[चित्र:HPCA-Stadium.jpg|thumb|250px|left|हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम ]]
;शिक्षण संस्थान
*चौधरी स्‍वर्ण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्‍वविद्यालय
*परमार उद्यानकृषि एवं वानिकी विश्‍वविद्यालय
*हिमाचल प्रदेश विश्‍वविद्यालय
*जे पी सूचना प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय
*राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (मानद विश्‍वविद्यालय)
 
==परिवहन==
==परिवहन==
हिमाचल प्रदेश राज्‍य में सड़कें ही यहां की जीवन रेखा हैं और यही संचार के प्रमुख साधन हैं। इसके 55,673 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में से 36,700 किलोमीटर में रहने योग्य स्थान है, जिसमें से 16,807 गांव अनेक पर्वतीय श्रृंखलाओं और घाटियों के ढलानों पर फैले हुए हैं। उत्‍पादन क्षेत्रों और बाजार केंद्रों को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़कों के निर्माण के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने तीन वर्षों में प्रत्येक पंचायत को सड़क से जोड़ने का निर्णय किया है। यह राज्‍य जब1948 में बना, तो यहां पर केवल 288 कि.मी. लंबी सड़कें थीं जिनको 15 अगस्‍त 2007 तक बढ़ाकर 30,264 कि.मी. तक विकसित कर दिया गया है।
हिमाचल प्रदेश राज्य में सड़कें ही यहाँ की जीवन रेखा हैं और यही संचार के प्रमुख साधन हैं। इसके 55,673 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में से 36,700 किलोमीटर में रहने योग्य स्थान है, जिसमें से 16,807 गांव अनेक पर्वतीय श्रृंखलाओं और घाटियों के ढलानों पर फैले हुए हैं। उत्पादन क्षेत्रों और बाज़ार केंद्रों को जोड़ने वाली महत्त्वपूर्ण सड़कों के निर्माण के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने तीन वर्षों में प्रत्येक पंचायत को सड़क से जोड़ने का निर्णय किया है। यह राज्य जब1948 में बना, तो यहाँ पर केवल 288 किमी लंबी सड़कें थीं जिनको 15 अगस्त 2007 तक बढ़ाकर 30,264 किमी तक विकसित कर दिया गया है।
{{राज्य मानचित्र|float=right}}
==जैव प्रौद्योगिकी==
==जैव प्रौद्योगिकी==
जैव प्रौद्योगिकी के लिए राज्‍य में जैव-प्रौद्योगिकी के दोहन पर विशेष विकास किया जा रहा है। इसके विकास के लिए अलग से जैव-प्रौद्योगिकी विभाग खोल दिया गया है। राज्‍य की अपनी जैव-प्रौद्योगिकी नीति है। सरकार की ओर से जैव प्रौद्योगिकी इकाइयों को रियायतें दी जा रही हैं जो अन्‍य औद्योगिकी इकाइयों को दी जाती हैं। राज्‍य सरकार का [[सोलन]] ज़िले में जैव-प्रौद्योगिकी पार्क की स्‍थापना का विचार है।
जैव प्रौद्योगिकी के लिए राज्य में जैव-प्रौद्योगिकी के दोहन पर विशेष विकास किया जा रहा है। इसके विकास के लिए अलग से जैव-प्रौद्योगिकी विभाग खोल दिया गया है। राज्य की अपनी जैव-प्रौद्योगिकी नीति है। सरकार की ओर से जैव प्रौद्योगिकी इकाइयों को रियायतें दी जा रही हैं जो अन्य औद्योगिकी इकाइयों को दी जाती हैं। राज्य सरकार का [[सोलन ज़िला|सोलन ज़िले]] में जैव-प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना का विचार है।
==सिंचाई और जलापूर्ति==
==सिंचाई और जलापूर्ति==
वर्ष 2007 तक हिमाचल प्रदेश में कुल कृषि क्षेत्र 5.83 लाख हेक्‍टेयर था। गांवों में पीने के पानी की सुविधा दी गई है और राज्‍य में 14,611 हैंडपंप लग चुके हैं। जल आपूर्ति और सिंचाई व्यवस्था में सुधार के लिए राज्‍य सरकार 339 करोड़ रूपए की लागत से ‘वाश’ परियोजना चला रही है। इस परियोजना में सिंचाई और पीने के पानी के लिए जी.डी.जेड. सहयोग दे रही है।
वर्ष 2007 तक हिमाचल प्रदेश में कुल [[कृषि]] क्षेत्र 5.83 लाख हेक्टेयर था। गांवों में पीने के पानी की सुविधा दी गई है और राज्य में 14,611 हैंडपंप लग चुके हैं। जल आपूर्ति और सिंचाई व्यवस्था में सुधार के लिए राज्य सरकार 339 करोड़ रूपए की लागत से ‘वाश’ परियोजना चला रही है। इस परियोजना में सिंचाई और पीने के पानी के लिए जी.डी.जेड. सहयोग दे रही है।
==वानिकी==
==वानिकी==
राज्‍य का कुल क्षेत्रफल 55,673 वर्ग किलोमीटर है। रिकार्ड के अनुसार कुल वन क्षेत्र 37,033 वर्ग किलोमीटर है। इसमें लगभग 16,376 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पहाड़ी वनस्‍पतियां नहीं उगाईं जा सकतीं क्‍योंकि यह क्षेत्र स्‍थायी रूप से बर्फ से ढ़का रहता है। उपयोग में आने वाला वन क्षेत्र  20,657 वर्ग किलोमीटर है। राज्‍य सरकार परियोजनाओं के द्वारा अधिकतम क्षेत्र को हरित क्षेत्र बनाने कि लिए प्रयास चल रहे हैं। इन योजनाओं के लिए सरकार अपनी योजनाओं के साथ साथ भारत सरकार की योजनाओं और बाह्य सहायता से चल रही योजनाओ को क्रियान्वित कर रही है। विश्‍व बैंक ने हिमालय में जलाशय विकास योजना के लिए 365 करोड़ रूपये स्‍वीकृत किए हैं। इस परियोजना को अगले छ: वर्षों में 10 जिलों के 42 विकास खंडों की 545 पंचायतों में चलाया जाएगा। राज्‍य में 2 राष्‍ट्रीय पार्क तथा 32 वन्‍यजीवन अभयारण्‍य हैं। वन्‍यजीवन अभयारण्‍य के अंतर्गत कुल क्षेत्र 5,562 कि.मी., राष्‍ट्रीय पार्क के अंतर्गत 1,440 कि.मी. क्षेत्र है। इस प्रकार कुल संरक्षित क्षेत्र 7,002 कि.मी. है।
राज्य का कुल क्षेत्रफल 55,673 वर्ग किलोमीटर है। रिकार्ड के अनुसार कुल वन क्षेत्र 37,033 वर्ग किलोमीटर है। इसमें लगभग 16,376 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पहाड़ी वनस्पतियां नहीं उगाईं जा सकतीं क्योंकि यह क्षेत्र स्थायी रूप से बर्फ़ से ढका रहता है। उपयोग में आने वाला वन क्षेत्र  20,657 वर्ग किलोमीटर है। राज्य सरकार परियोजनाओं के द्वारा अधिकतम क्षेत्र को हरित क्षेत्र बनाने कि लिए प्रयास चल रहे हैं। [[चित्र:Chamba-Valley-Himachal-Pradesh.jpg|thumb|250px|left|चंबा घाटी]] इन योजनाओं के लिए सरकार अपनी योजनाओं के साथ साथ भारत सरकार की योजनाओं और बाह्य सहायता से चल रही योजनाओ को क्रियान्वित कर रही है। विश्व बैंक ने हिमालय में जलाशय विकास योजना के लिए 365 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इस परियोजना को अगले छ: वर्षों में 10 ज़िलों के 42 विकास खंडों की 545 पंचायतों में चलाया जाएगा। राज्य में 2 राष्ट्रीय पार्क तथा 32 वन्यजीवन अभयारण्य हैं। वन्यजीवन अभयारण्य के अंतर्गत कुल क्षेत्र 5,562 किमी, राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत 1,440 किमी क्षेत्र है। इस प्रकार कुल संरक्षित क्षेत्र 7,002 किमी है।
==पर्यटन==
==पर्यटन==
हिमाचल प्रदेश में पर्यटन उद्योग को उच्‍च प्राथमिकता दी गई है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने विकास के लिए सुनियोजित विकास किया है जिसमें जनोपयोगी सेवाएं, सड़कें, संचार तंत्र, हवाई अड्डे, यातायात सेवाएं, जलापूर्ति और जन स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को शामिल किया है। राज्‍य सरकार राज्‍य को ‘हर हाल में गंतव्‍य’ का रूप देने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्‍य पर्यटन विकास निगम की आय में 10 प्रतिशत का योगदान करता है। यह निगम बिक्री कर, सुख-सुविधा कर और यात्री कर के रूप में 2 करोड़ वार्षिक आय का योगदान राज्य की आय में करता है। वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में 8.3 मिलियन पर्यटक आए जिनमें लगभग 2008 लाख पर्यटक विदेशी थे।
[[चित्र:Rewalsar-Lake-Mandi.jpg|thumb|250px|[[रिवालसर झील मंडी|रिवालसर झील]], [[मंडी हिमाचल प्रदेश|मंडी]]]]
हिमाचल प्रदेश में पर्यटन उद्योग को उच्च प्राथमिकता दी गई है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने विकास के लिए सुनियोजित विकास किया है जिसमें जनोपयोगी सेवाएं, सड़कें, संचार तंत्र, हवाई अड्डे, यातायात सेवाएं, जलापूर्ति और जन स्वास्थ्य सेवाओं को शामिल किया है। राज्य सरकार राज्य को ‘हर हाल में [[गंतव्य]]’ का रूप देने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य पर्यटन विकास निगम की आय में 10 प्रतिशत का योगदान करता है। यह निगम बिक्री कर, सुख-सुविधा कर और यात्री कर के रूप में 2 करोड़ वार्षिक आय का योगदान राज्य की आय में करता है। वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में 8.3 मिलियन पर्यटक आए जिनमें लगभग 2008 लाख पर्यटक विदेशी थे।


राज्‍य में तीर्थो और मानवशास्त्रीय महत्‍व के स्‍थलों का समृद्ध एवं अथाह भंडार है। इस राज्‍य का [[व्‍यास]], [[पाराशर]], [[वसिष्‍ठ]], [[मार्कण्‍डेय]] और [[लोमश]] आदि ऋषि मुनियों का स्‍थल होने का गौरवपूर्ण पौराणिक इतिहास है, साथ ही गर्म पानी के स्रोत, ऐतिहासिक दुर्ग, प्राकृतिक तथा मानव निर्मित झीलें, उन्‍मुक्‍त घूमते चरवाहे पर्यटकों को असीम सुख और आनंद प्रदान करते हैं। राज्‍य सरकार पर्यटन को  प्रोत्साहित करने के लिए निजी क्षेत्रों को योजनाओं में शामिल करके पर्यटन संबंधी विकास इस तरह कर रही है कि राज्‍य की प्राकृतिक स्थिति और पर्यावरण अक्षुण्‍ण बना रहे। साथ ही  रोजगारों का सृजन हो और पर्यटन का विकास हो। पर्यटकों के प्रवास की अवधि बढ़ाने के लिए गतिविधियों पर आधारित पर्यटन का विकास विशेष रूप से  
राज्य में [[तीर्थ|तीर्थो]] और मानवशास्त्रीय महत्त्व के स्थलों का समृद्ध एवं अथाह भंडार है। इस राज्य का [[व्यास]], [[पाराशर]], [[वसिष्ठ]], [[मार्कण्डेय]] और [[लोमश ऋषि|लोमश]] आदि ऋषि मुनियों का स्थल होने का गौरवपूर्ण पौराणिक इतिहास है, साथ ही गर्म पानी के स्रोत, ऐतिहासिक दुर्ग, प्राकृतिक तथा मानव निर्मित झीलें, उन्मुक्त घूमते चरवाहे पर्यटकों को असीम सुख और आनंद प्रदान करते हैं। राज्य सरकार पर्यटन को  प्रोत्साहित करने के लिए निजी क्षेत्रों को योजनाओं में शामिल करके पर्यटन संबंधी विकास इस तरह कर रही है कि राज्य की प्राकृतिक स्थिति और पर्यावरण अक्षुण्ण बना रहे। साथ ही  रोज़गारों का सृजन हो और पर्यटन का विकास हो। पर्यटकों के प्रवास की अवधि बढ़ाने के लिए गतिविधियों पर आधारित पर्यटन का विकास विशेष रूप से किया जा रहा है।
किया जा रहा है।


पर्यटन के विकास की दृष्टि से राज्‍य सरकार निम्न क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्‍यान दे रही है-
पर्यटन के विकास की दृष्टि से राज्य सरकार निम्न क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान दे रही है-
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#इतिहास संबंधी पर्यटन
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#नए पर्यटन क्षेत्रों का पता लगाना
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#आदिवासी पर्यटन
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#प्रकृति पर्यटन
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#स्‍वास्‍थ्‍य पर्यटन
#स्वास्थ्य पर्यटन
#साहसिक पर्यटन को प्रोत्‍साहन देना
#साहसिक पर्यटन को प्रोत्साहन देना
#वन्‍यजीवन पर्यटन
#वन्यजीवन पर्यटन
#सांस्‍कृतिक पर्यटन
#सांस्कृतिक पर्यटन
वर्ष 2006-07 में राज्‍य मेंके पर्यटन विकास के लिए 6276.38 लाख रुपये का आवंटन हुआ था। भारत सरकार ने 8 करोड़ रुपये [[कुल्‍लू]]-[[मनाली]]-[[लाहौल एवं स्‍पीति]] तथा लेह मठ परिसर के लिए, 21 करोड़ रुपये कांगड़ा, शिमला और सिरमौर क्षेत्र के लिए, 16 करोड़ रुपये [[बिलासपुर]]-[[मंडी]] और [[चंबा]] क्षेत्र के लिए, 30 लाख रूपये मनाली में पर्यटन सूचना केंद्र का निर्माण करने  के लिए स्‍वीकृत किए थे। त्‍योहारों और अन्‍य मुख्य अवसरों के लिए 1,545 योजनाओं हेतु 67.57 करोड़ रुपये की केंद्रीय वित्त सहायता प्राप्‍त हुई थी।
वर्ष 2006-07 में राज्य मेंके पर्यटन विकास के लिए 6276.38 लाख रुपये का आबंटन हुआ था। भारत सरकार ने 8 करोड़ रुपये [[कुल्लू]], [[मनाली हिमाचल प्रदेश|मनाली]], [[लाहौल]] एवं स्पीति तथा [[लेह मठ]] परिसर के लिए, 21 करोड़ रुपये कांगड़ा, [[शिमला]] और सिरमौर क्षेत्र के लिए, 16 करोड़ रुपये [[बिलासपुर हिमाचल प्रदेश|बिलासपुर]], [[मंडी हिमाचल प्रदेश|मंडी]] और [[चंबा]] क्षेत्र के लिए, 30 लाख रुपये मनाली में पर्यटन सूचना केंद्र का निर्माण करने  के लिए स्वीकृत किए थे। त्योहारों और अन्य मुख्य अवसरों के लिए 1,545 योजनाओं हेतु 67.57 करोड़ रुपये की केंद्रीय वित्त सहायता प्राप्त हुई थी।
 


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10:02, 2 जुलाई 2023 के समय का अवतरण

हिमाचल प्रदेश
राजधानी शिमला
राजभाषा(एँ) हिन्दी भाषा, पहाड़ी भाषा
स्थापना 25 जनवरी, 1971
जनसंख्या 6,85,6509[1]
· घनत्व 123 [1] /वर्ग किमी
क्षेत्रफल 55,673 वर्ग किमी
भौगोलिक निर्देशांक 31°6′12″ उत्तर - 77°10′20″ पूर्व
तापमान 20 °C (औसत)
· ग्रीष्म 28 °C
· शरद 7 °C
वर्षा 1469 मिमी (औसत) मिमी
ज़िले 12
सबसे बड़ा नगर शिमला
मुख्य पर्यटन स्थल कुल्लू, मनाली, शिमला, डलहौज़ी
लिंग अनुपात 1000:974[1] ♂/♀
साक्षरता 83.78 [1]%
· स्त्री 76.60%
· पुरुष 90.83%
राज्यपाल राजेन्द्र आर्लेकर
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू
विधानसभा सदस्य 68
लोकसभा क्षेत्र 4
राज्यसभा सदस्य 3
बाहरी कड़ियाँ अधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

हिमाचल प्रदेश पश्चिमी भारत में स्थित राज्य है। यह उत्तर में जम्मू और कश्मीर, पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में दक्षिण में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखंड तथा पूर्व में तिब्बत से घिरा है। 'हिमाचल' प्रदेश का शाब्दिक अर्थ बर्फ़ीले पहाड़ों का अंचल' है। हिमाचल प्रदेश को देव भूमि भी कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश में आर्यों का प्रभाव ऋग्वेद से भी पुराना है। आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद, यह ब्रिटिश शासन के अंतर्गत आ गया। सन् 1857 तक यह पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के शासन के अधीन पंजाब राज्य का हिस्सा रहा। सन् 1950 में इस राज्य को केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया, परन्तु 1971 में 'हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971' के अन्तर्गत इसे 25 जनवरी 1971 को भारत का अठारहवाँ राज्य बना दिया गया। हिमाचल प्रदेश में प्रतिव्यक्ति अनुमानित आय भारत के अन्य किसी भी राज्य की तुलना में ज़्यादा है। नदियों की बहुतायत के कारण, हिमाचल अन्य राज्यों को पनबिजली देता है, जिनमें दिल्ली, पंजाब और राजस्थान प्रमुख रूप से हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था पनबिजली, पर्यटन और कृषि पर मूल रूप से आधारित है। राज्य में हिन्दुओं की संख्या कुल जनसंख्या का 90 प्रतिशत है और मुख्य समुदायों में ब्राह्मण, राजपूत, कन्नेत, राठी और कोली हैं।

विसिरेजल लॉज, शिमला

इतिहास और भूगोल

हिमाचल प्रदेश पश्चिमी हिमालय के मध्य में स्थित है, इसे देव भूमि कहा जाता है। यहाँ देवी और देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। हिमाचल राज्य में पत्थर और लकड़ी के अनेक मंदिर हैं। सम़ृद्ध संस्कृति और परम्पराओं ने हिमाचल को एक अनोखा राज्य बना दिया है। यहाँ के ऊंचे नीचे पहाड़, ग्लेशियर, छायादार घाटियां और विशाल पाइन वृक्ष और गरजती नदियां तथा विशिष्ट जीव जंतु मिलकर हिमाचल के लिए एक मधुर संगीत की रचना तैयार करते प्रतीत होते हैं।

हिमाचल प्रदेश पूर्ण राज्य 25 जनवरी, 1971 को बना। अप्रैल 1948 में यहाँ की 27,000 वर्ग किमी में फैली हुई लगभग 30 रियासतों को मिलाकर इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। 1954 में ‘ग’ श्रेणी की रियासत तबलासपुर को इसमें मिलाने पर इसका क्षेत्रफल बढ़कर 28,241 वर्ग किमी हो गया। सन् 1966 में इस केन्द्रशासित प्रदेश में पंजाब के पहाड़ी भाग को मिलाकर इस राज्य का पुनर्गठन किया गया और इसका क्षेत्रफल बढ़कर 55,673 वर्ग किमी हो गया। आज हिमाचल प्रदेश में न केवल पहाड़ी क्षेत्रों का विकास हुआ, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं में भी इस प्रदेश ने उल्लेखनीय विकास प्राप्त किया है।

इन्हें भी देखें: हिमाचल प्रदेश का इतिहास

कृषि

हिमाचल प्रदेश का प्रमुख व्यवसाय कृषि है। कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कृषि से 69 प्रतिशत कामकाजी नागरिकों को सीधा काम मिलता है। कृषि और उसके सहायक क्षेत्र से प्राप्त आय प्रदेश के कुल घरेलू उत्पादन का 22.1 प्रतिशत है। कुल भूमि क्षेत्र 55.673 लाख हेक्टेयर में से 9.79 लाख हेक्टेयर भूमि के स्वामी 9.14 लाख किसान हैं। मध्यम और छोटे किसानों के पास कुल भूमि का 86.4 प्रतिशत भाग है। राज्य में कृषि भूमि केवल 10.4 प्रतिशत है। लगभग 80 प्रतिशत भूमि वर्षा द्वारा सिंचित है और किसान इंद्र देवता की कृपा पर निर्भर रहते हैं। वर्ष 2006-07 में खाद्यान्न का कुल उत्पादन 16 लाख मिलियन टन रहा ।

धनकर झील, हिमाचल प्रदेश

बागवानी

प्रकृति द्वारा हिमाचल प्रदेश को व्यापक रूप से कृषि के अनुकूल जलवायु और परिस्थितियां दी हैं जिसके कारण किसानों को विविध फल उगाने में मदद मिलती है। बागवानी के प्रमुख फल हैं- सेब, नाशपाती, आडू, बेर, खुमानी, गुठली वाले फल, नीबू, आम, लीची, अमरुद और झरबेरी आदि। 1950 में केवल 792 हेक्टेयर क्षेत्र बागवानी के अंतर्गत था, जो बढ़कर 2.23 लाख हेक्टेयर हो गया है। 1950 में फल उत्पादन 1200 मीट्रिक टन था, जो 2007 में बढकर 6.95 लाख टन हो गया है। फल उद्योग से लगभग 2200 करोड़ रुपये की घरेलू वार्षिक आय होती है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में राज्य में बागवानी के विकास के लिए टेक्नोलॉजी मिशन 80 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ स्थापित किया जा रहा है। इस मिशन से राज्य में बागवानी विकास की सभी संभावनाओं का पता लगाया जाएगा। इस योजना में विभिन्न जलवायु वाले कृषि क्षेत्रों में चार उत्कृष्टता केंद्र बनाए जाएंगे और जल संरक्षण, ग्रीन हाउस, कार्बनिक कृषि और कृषि तकनीकों से जुड़ी सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

संस्कृति

पहाड़ी लोगों के मेले और त्योहार उल्लासपूर्ण गीतों और नृत्य के अवसर होते हैं। उत्कृष्ट शैली में बनी किन्नौर शॉलें, कुल्लू की विशिष्ट ऊनी टोपियाँ और चंबा के क़सीदाकारी किये हुए रूमाल त्योहार के रंगीन परिधानों को और भी विशिष्टता प्रदान करते हैं। हिमाचल प्रदेश अपनी कांगड़ा घाटी चित्रकला शैली के लिए भी जाना जाता है। शिमला की पहाड़ियाँ, कुल्लू घाटी (मनाली शहर सहित) और डलहौज़ी पर्यटकों के बड़े आकर्षण हैं। स्कीइंग, गॉल्फ़, मछली पकड़ना, लम्बी यात्रा और पर्वतारोहण ऐसी गतिविधियाँ हैं, जिनके लिए हिमाचल प्रदेश एक आदर्श स्थान है। कुछ पौराणिक धर्मस्थलों पर पूजा-अर्चना के लिए हिमाचल और उसके पड़ोसी राज्यों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में एकत्र होते हैं।

कुल्लू घाटी देवताओं की घाटी के रूप में जानी जाती है; इसके चीड़ और देवदार के जंगल, फूलों से लदे हरे-भरे मैदान और फलों के बगीचे प्रत्येक शरद ऋतु में होने वाले दशहरा महोत्सव के लिए माहौल तैयार कर देते हैं। इस मौक़े पर मन्दिरों के देवताओं को सजी हुई पालकियों में गाजे-बाजे के साथ और नाचते हुए निकाला जाता है। 1959 में ल्हासा पर चीन के क़ब्ज़े के परिणामस्वरूप दलाई लामा तिब्बत से पलायन कर धर्मशाला आ गए थे और यहीं रहने लगे। इसके बाद से ही बौद्धों के लिए (ख़ासकर तिब्बतियों के लिए) धर्मशाला पवित्र स्थान हो गया है। वर्ष 2000 की शुरुआत में 14 वर्षीय 17वें करमापा भी तिब्बत से भागकर धर्मशाला आ गए और शरण माँगी।

हिमाचल प्रदेश में मुख्य रूप से हिन्दी, काँगड़ी, पहाड़ी, पंजाबी, तथा डोगरी आदि भाषाऐं बोली जाती हैं। हिन्दू, बौद्ध और सिक्ख आदि यहाँ के प्रमुख धर्म हैं। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, सिरमौर, मण्डी ऊपरी क्षेत्र किन्नौर, शिमला इत्यादि जनपदों में नाटी नृत्य मुख्य रूप से किया जाता है।

शिक्षा

पुस्तकालय, शिमला
  • हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा और लोक स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार और संचार सुविधाओं के सुधार की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। फिर भी राज्य की अधिकांश जनता जीवनयापन के स्तर पर ही है और राज्य के विशाल प्राकृतिक संसाधनों का योजनाबद्ध रूप से दोहन होना अभी बाक़ी है।
  • 1970 में शिमला में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही प्रदेश में उच्च शिक्षा संभव हो सकी।
  • इस विश्वविद्यालय से 50 से अधिक महाविद्यालय संबद्ध हैं।
  • शिमला में एक चिकित्सा महाविद्यालय, पालमपुर में एक कृषि विश्वविद्यालय और सोलन के निकट एक बाग़बानी और वन विश्वविद्यालय भी है।
  • इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड स्टडी (शिमला) और सेंट्रल रिसर्च इस्टिट्यूट (कसौली) में शोध कार्य होता है।
  • 1960 के दशक के बाद के वर्षों से प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के विद्यालयों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, इसी के अनुरूप इनमें दाख़िला लेने वालों की संख्या भी बढ़ी।
  • हमीरपुर में एक अभियांत्रिकी महाविद्यालय भी है।
हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम
शिक्षण संस्थान
  • चौधरी स्‍वर्ण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्‍वविद्यालय
  • परमार उद्यानकृषि एवं वानिकी विश्‍वविद्यालय
  • हिमाचल प्रदेश विश्‍वविद्यालय
  • जे पी सूचना प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय
  • राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (मानद विश्‍वविद्यालय)

परिवहन

हिमाचल प्रदेश राज्य में सड़कें ही यहाँ की जीवन रेखा हैं और यही संचार के प्रमुख साधन हैं। इसके 55,673 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में से 36,700 किलोमीटर में रहने योग्य स्थान है, जिसमें से 16,807 गांव अनेक पर्वतीय श्रृंखलाओं और घाटियों के ढलानों पर फैले हुए हैं। उत्पादन क्षेत्रों और बाज़ार केंद्रों को जोड़ने वाली महत्त्वपूर्ण सड़कों के निर्माण के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने तीन वर्षों में प्रत्येक पंचायत को सड़क से जोड़ने का निर्णय किया है। यह राज्य जब1948 में बना, तो यहाँ पर केवल 288 किमी लंबी सड़कें थीं जिनको 15 अगस्त 2007 तक बढ़ाकर 30,264 किमी तक विकसित कर दिया गया है।

जैव प्रौद्योगिकी

जैव प्रौद्योगिकी के लिए राज्य में जैव-प्रौद्योगिकी के दोहन पर विशेष विकास किया जा रहा है। इसके विकास के लिए अलग से जैव-प्रौद्योगिकी विभाग खोल दिया गया है। राज्य की अपनी जैव-प्रौद्योगिकी नीति है। सरकार की ओर से जैव प्रौद्योगिकी इकाइयों को रियायतें दी जा रही हैं जो अन्य औद्योगिकी इकाइयों को दी जाती हैं। राज्य सरकार का सोलन ज़िले में जैव-प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना का विचार है।

सिंचाई और जलापूर्ति

वर्ष 2007 तक हिमाचल प्रदेश में कुल कृषि क्षेत्र 5.83 लाख हेक्टेयर था। गांवों में पीने के पानी की सुविधा दी गई है और राज्य में 14,611 हैंडपंप लग चुके हैं। जल आपूर्ति और सिंचाई व्यवस्था में सुधार के लिए राज्य सरकार 339 करोड़ रूपए की लागत से ‘वाश’ परियोजना चला रही है। इस परियोजना में सिंचाई और पीने के पानी के लिए जी.डी.जेड. सहयोग दे रही है।

वानिकी

राज्य का कुल क्षेत्रफल 55,673 वर्ग किलोमीटर है। रिकार्ड के अनुसार कुल वन क्षेत्र 37,033 वर्ग किलोमीटर है। इसमें लगभग 16,376 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पहाड़ी वनस्पतियां नहीं उगाईं जा सकतीं क्योंकि यह क्षेत्र स्थायी रूप से बर्फ़ से ढका रहता है। उपयोग में आने वाला वन क्षेत्र 20,657 वर्ग किलोमीटर है। राज्य सरकार परियोजनाओं के द्वारा अधिकतम क्षेत्र को हरित क्षेत्र बनाने कि लिए प्रयास चल रहे हैं।

चंबा घाटी

इन योजनाओं के लिए सरकार अपनी योजनाओं के साथ साथ भारत सरकार की योजनाओं और बाह्य सहायता से चल रही योजनाओ को क्रियान्वित कर रही है। विश्व बैंक ने हिमालय में जलाशय विकास योजना के लिए 365 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इस परियोजना को अगले छ: वर्षों में 10 ज़िलों के 42 विकास खंडों की 545 पंचायतों में चलाया जाएगा। राज्य में 2 राष्ट्रीय पार्क तथा 32 वन्यजीवन अभयारण्य हैं। वन्यजीवन अभयारण्य के अंतर्गत कुल क्षेत्र 5,562 किमी, राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत 1,440 किमी क्षेत्र है। इस प्रकार कुल संरक्षित क्षेत्र 7,002 किमी है।

पर्यटन

रिवालसर झील, मंडी

हिमाचल प्रदेश में पर्यटन उद्योग को उच्च प्राथमिकता दी गई है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने विकास के लिए सुनियोजित विकास किया है जिसमें जनोपयोगी सेवाएं, सड़कें, संचार तंत्र, हवाई अड्डे, यातायात सेवाएं, जलापूर्ति और जन स्वास्थ्य सेवाओं को शामिल किया है। राज्य सरकार राज्य को ‘हर हाल में गंतव्य’ का रूप देने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य पर्यटन विकास निगम की आय में 10 प्रतिशत का योगदान करता है। यह निगम बिक्री कर, सुख-सुविधा कर और यात्री कर के रूप में 2 करोड़ वार्षिक आय का योगदान राज्य की आय में करता है। वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश में 8.3 मिलियन पर्यटक आए जिनमें लगभग 2008 लाख पर्यटक विदेशी थे।

राज्य में तीर्थो और मानवशास्त्रीय महत्त्व के स्थलों का समृद्ध एवं अथाह भंडार है। इस राज्य का व्यास, पाराशर, वसिष्ठ, मार्कण्डेय और लोमश आदि ऋषि मुनियों का स्थल होने का गौरवपूर्ण पौराणिक इतिहास है, साथ ही गर्म पानी के स्रोत, ऐतिहासिक दुर्ग, प्राकृतिक तथा मानव निर्मित झीलें, उन्मुक्त घूमते चरवाहे पर्यटकों को असीम सुख और आनंद प्रदान करते हैं। राज्य सरकार पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए निजी क्षेत्रों को योजनाओं में शामिल करके पर्यटन संबंधी विकास इस तरह कर रही है कि राज्य की प्राकृतिक स्थिति और पर्यावरण अक्षुण्ण बना रहे। साथ ही रोज़गारों का सृजन हो और पर्यटन का विकास हो। पर्यटकों के प्रवास की अवधि बढ़ाने के लिए गतिविधियों पर आधारित पर्यटन का विकास विशेष रूप से किया जा रहा है।

पर्यटन के विकास की दृष्टि से राज्य सरकार निम्न क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्यान दे रही है-

क्राइस्ट चर्च, शिमला
  1. इतिहास संबंधी पर्यटन
  2. नए पर्यटन क्षेत्रों का पता लगाना
  3. पर्यटन व्यवस्था का सुधार
  4. तीर्थ पर्यटनको बढ़ावा देना
  5. आदिवासी पर्यटन
  6. प्रकृति पर्यटन
  7. स्वास्थ्य पर्यटन
  8. साहसिक पर्यटन को प्रोत्साहन देना
  9. वन्यजीवन पर्यटन
  10. सांस्कृतिक पर्यटन

वर्ष 2006-07 में राज्य मेंके पर्यटन विकास के लिए 6276.38 लाख रुपये का आबंटन हुआ था। भारत सरकार ने 8 करोड़ रुपये कुल्लू, मनाली, लाहौल एवं स्पीति तथा लेह मठ परिसर के लिए, 21 करोड़ रुपये कांगड़ा, शिमला और सिरमौर क्षेत्र के लिए, 16 करोड़ रुपये बिलासपुर, मंडी और चंबा क्षेत्र के लिए, 30 लाख रुपये मनाली में पर्यटन सूचना केंद्र का निर्माण करने के लिए स्वीकृत किए थे। त्योहारों और अन्य मुख्य अवसरों के लिए 1,545 योजनाओं हेतु 67.57 करोड़ रुपये की केंद्रीय वित्त सहायता प्राप्त हुई थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 Himachal At A Glance (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) आधिकारिक वेबसाइट। अभिगमन तिथि: 17 मई, 2012।

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