"अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Aligarh-Muslim-University.jpg|thumb|अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का प्रतीक | [[चित्र:Aligarh-Muslim-University.jpg|thumb|अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का प्रतीक चिह्न]] | ||
'''अलीगढ़ मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज'''<br /> | '''अलीगढ़ मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज'''<br /> | ||
अलीगढ़ मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[अलीगढ़]] शहर में स्थित है। अलीगढ़ मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, ए. एम. यू. कॉलेज भी कहा जाता है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है। यह विश्वविद्यालय [[दिल्ली]] के दक्षिण से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। [[ज़ाकिर हुसैन]], [[ध्यानचंद|मेजर ध्यान चन्द]], मुश्ताक अली, [[लाला अमरनाथ]], [[ | अलीगढ़ मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[अलीगढ़]] शहर में स्थित है। अलीगढ़ मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, ए. एम. यू. कॉलेज भी कहा जाता है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है। यह विश्वविद्यालय [[दिल्ली]] के दक्षिण से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। [[ज़ाकिर हुसैन]], [[ध्यानचंद|मेजर ध्यान चन्द]], मुश्ताक अली, [[लाला अमरनाथ]], [[नसीरुद्दीन शाह]], साहिब सिंह वर्मा और [[मोहम्मद हामिद अंसारी]] आदि जैसी प्रसिद्ध हस्तियों ने इसी विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से प्रमुख नेताओं, [[उर्दू]] लेखकों और उपमहाद्वीप के विद्वानों ने स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। | ||
;<u>पाठ्यक्रम</u> | ;<u>पाठ्यक्रम</u> | ||
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा के पारंपरिक और आधुनिक शाखा में 280 से अधिक पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं। | अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा के पारंपरिक और आधुनिक शाखा में 280 से अधिक पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं। | ||
==विश्वविद्यालय की स्थापना== | ==विश्वविद्यालय की स्थापना== | ||
*अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना भारत के स्वाधीनता संग्राम के दौरान राष्ट्रीय भावनाओं को मज़बूत आधार एवं स्वदेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए [[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] द्वारा की गयी थी। सर सैय्यद अहमद | *अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना भारत के स्वाधीनता संग्राम के दौरान राष्ट्रीय भावनाओं को मज़बूत आधार एवं स्वदेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए [[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] द्वारा की गयी थी। सर सैय्यद अहमद ख़ान ने सन् [[1877]] में जब ए. एम. यू. कॉलेज की स्थापना की थी। तब ए. एम. यू. कॉलेज की भूमि 78 एकड़ थी जो अब एक हज़ार एकड़ से अधिक है।<ref name="समय-सृजन">{{cite web |url=http://samaysrijan.blogspot.com/2010/10/blog-post_5002.html |title=अमुवि का विस्तार:सर सैय्यद का सपना |accessmonthday=[[19 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last=अबरार |first=डॉ. राहत |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=समय-सृजन |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | ||
*1856 ई. से अलीगढ़ नगर भारतीय मुसलमानों का सांस्कृतिक केंद्र बन गया है। जब [[सर सैयर अहमद खाँ]] के प्रयास से यहाँ 'एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज' की स्थापना की गयी। शीघ्र ही यह कॉलेज भारतीय मुसलमानों को अंग्रेज़ी शिक्षा देने वाला प्रमुख केंद्र बन गया। [[1920]] ई. में 'अलीगढ़ कॉलेज' को विश्वविद्यालय बना दिया गया। अलीगढ़ आन्दोलन, जिसका उद्देश्य उन्नति करना, भारतीय मुसलमानों को पश्चिमी शिक्षा देना, सामाजिक कुरीतियाँ दूर करना और उन्हें [[1885]] ई. से आरम्भ होने वाली [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के प्रभाव से दूर रखना था, उसका केंद्र बिन्दु अलीगढ़ ही था। | *1856 ई. से अलीगढ़ नगर भारतीय मुसलमानों का सांस्कृतिक केंद्र बन गया है। जब [[सर सैयर अहमद खाँ]] के प्रयास से यहाँ 'एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज' की स्थापना की गयी। शीघ्र ही यह कॉलेज भारतीय मुसलमानों को अंग्रेज़ी शिक्षा देने वाला प्रमुख केंद्र बन गया। [[1920]] ई. में 'अलीगढ़ कॉलेज' को विश्वविद्यालय बना दिया गया। अलीगढ़ आन्दोलन, जिसका उद्देश्य उन्नति करना, भारतीय मुसलमानों को पश्चिमी शिक्षा देना, सामाजिक कुरीतियाँ दूर करना और उन्हें [[1885]] ई. से आरम्भ होने वाली [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के प्रभाव से दूर रखना था, उसका केंद्र बिन्दु अलीगढ़ ही था। | ||
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सैयद जी का शिक्षा-संस्था खोलने का विचार हुआ तो सैयद जी ने अपनी सारी जमा-पूँजी यहाँ तक कि मकान भी गिरवी रख कर यूरोपीय शिक्षा-पद्धति का ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से [[इंग्लैंड]] की यात्रा की। लौटकर आए तो कुछ वर्षों के भीतर ही मई [[1875]] में [[अलीगढ़]] में 'मदरसतुलउलूम' एक मुस्लिम स्कूल स्थापित किया गया और [[1876]] में सेवानिवृत्ति के बाद सैयद ने इसे कॉलेज में बदलने की बुनियाद रखी। सैयद की परियोजनाओं के प्रति रूढ़िवादी विरोध के बावज़ूद कॉलेज ने तेज़ी से प्रगति की और [[1920]] में इसे विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।<ref name="युग-विमर्श">{{cite web |url=http://yugvimarsh.blogspot.com/2008/10/blog-post_4627.html |title=सर सैयद अहमद | सैयद जी का शिक्षा-संस्था खोलने का विचार हुआ तो सैयद जी ने अपनी सारी जमा-पूँजी यहाँ तक कि मकान भी गिरवी रख कर यूरोपीय शिक्षा-पद्धति का ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से [[इंग्लैंड]] की यात्रा की। लौटकर आए तो कुछ वर्षों के भीतर ही मई [[1875]] में [[अलीगढ़]] में 'मदरसतुलउलूम' एक मुस्लिम स्कूल स्थापित किया गया और [[1876]] में सेवानिवृत्ति के बाद सैयद ने इसे कॉलेज में बदलने की बुनियाद रखी। सैयद की परियोजनाओं के प्रति रूढ़िवादी विरोध के बावज़ूद कॉलेज ने तेज़ी से प्रगति की और [[1920]] में इसे विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।<ref name="युग-विमर्श">{{cite web |url=http://yugvimarsh.blogspot.com/2008/10/blog-post_4627.html |title=सर सैयद अहमद ख़ान (जन्म-दिवस पर विशेष) |accessmonthday=[[19 अक्टूबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=युग-विमर्श |language=[[हिन्दी]] }}</ref> | ||
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भारतीय उपमहाद्वीप में मुसलमानों के पुर्नजागरण के प्रतीक सर सैयद अहमद ख़ाँ का उद्देश्य मात्र [[अलीगढ़]] में एक विश्वविद्यालय की स्थापना करना ही नहीं था बल्कि उनकी हार्दिक कामना थी कि अलीगढ़ में उनके द्वारा स्थापित कॉलेज का प्रारूप एक ऐसे केन्द्र का हो जिसके अधीन देश भर की मुस्लिम शिक्षा संस्थायें उसके निर्देशन में आगे बढ़ें ताकि देश भर के मुसलमान आधुनिक शिक्षा ग्रहण कर राष्ट्र निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभा सकें। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अधीन स्थापित होने वाले नये केन्द्रों के गठन से सर सैयद अहमद ख़ाँ का सपना साकार होने जा रहा है। | भारतीय उपमहाद्वीप में मुसलमानों के पुर्नजागरण के प्रतीक सर सैयद अहमद ख़ाँ का उद्देश्य मात्र [[अलीगढ़]] में एक विश्वविद्यालय की स्थापना करना ही नहीं था बल्कि उनकी हार्दिक कामना थी कि अलीगढ़ में उनके द्वारा स्थापित कॉलेज का प्रारूप एक ऐसे केन्द्र का हो जिसके अधीन देश भर की मुस्लिम शिक्षा संस्थायें उसके निर्देशन में आगे बढ़ें ताकि देश भर के मुसलमान आधुनिक शिक्षा ग्रहण कर राष्ट्र निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभा सकें। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अधीन स्थापित होने वाले नये केन्द्रों के गठन से सर सैयद अहमद ख़ाँ का सपना साकार होने जा रहा है। | ||
ए. एम. यू. कॉलेज के आधारशिला समारोह में [[8 जनवरी]], [[1877]] को लॉर्ड लिटन के सम्मुख सर सैयद ने कहा था कि आज जो "हम बीज बो रहे हैं वह एक घने वृक्ष के रूप में फैलेगा और उसकी शाखें देश के विभिन्न क्षेत्रों में फैल जायेंगी। यह कॉलेज विश्वविद्यालय का स्वरूप धारण करेगा और इसके छात्र सहिष्णुता, आपसी प्रेम व सद्भाव और ज्ञान के सन्देश को जन-जन तक पहुँचायेंगे।" आज इस संस्था के छात्र 92 देशों में फैले हुए हैं और देश का यह मात्र पहला ऐसा संस्थान है जिसके छात्र पूरी | ए. एम. यू. कॉलेज के आधारशिला समारोह में [[8 जनवरी]], [[1877]] को लॉर्ड लिटन के सम्मुख सर सैयद ने कहा था कि आज जो "हम बीज बो रहे हैं वह एक घने वृक्ष के रूप में फैलेगा और उसकी शाखें देश के विभिन्न क्षेत्रों में फैल जायेंगी। यह कॉलेज विश्वविद्यालय का स्वरूप धारण करेगा और इसके छात्र सहिष्णुता, आपसी प्रेम व सद्भाव और ज्ञान के सन्देश को जन-जन तक पहुँचायेंगे।" आज इस संस्था के छात्र 92 देशों में फैले हुए हैं और देश का यह मात्र पहला ऐसा संस्थान है जिसके छात्र पूरी दुनिया में अपने संस्थापक सर सैयद का जन्म दिवस मनाते हैं। सर सैयद भारतीय मुसलमानों के ऐसे पहले समाज सुधारक थे जिन्होंने अज्ञानता की काली चादर की धज्जियाँ उड़ाकर मुसलमानों में आधुनिक शिक्षा और वैज्ञानिक चेतना जागृत की।<ref name="समय-सृजन"/> | ||
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सर सैयद के 'ए. एम. यू. कॉलेज' के द्वार सभी धर्मावलम्बियों के लिए खुले हुए थे। पहले दिन से ही [[अरबी भाषा|अरबी]] [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] भाषाओं के साथ-साथ [[संस्कृत भाषा]] कि शिक्षा की भी व्यवस्था की गई। स्कूल के स्तर तक हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन को भी अपेक्षित समझा गया और इसके लिए पं. केदारनाथ अध्यापक नियुक्त हुए। सकूल तथा कॉलेज दोनों ही स्तरों पर हिन्दू अध्यापकों की नियुक्ति में कोई संकोच नहीं किया गया। कॉलेज के गणित के प्रोफेसर जादव चन्द्र चक्रवर्ती को अखिल भारतीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हुई। एक लंबे समय तक चक्रवर्ती गणित के अध्ययन के बिना गणित का ज्ञान अधूरा समझा जाता था।<ref name="युग-विमर्श"/> | सर सैयद के 'ए. एम. यू. कॉलेज' के द्वार सभी धर्मावलम्बियों के लिए खुले हुए थे। पहले दिन से ही [[अरबी भाषा|अरबी]] [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] भाषाओं के साथ-साथ [[संस्कृत भाषा]] कि शिक्षा की भी व्यवस्था की गई। स्कूल के स्तर तक हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन को भी अपेक्षित समझा गया और इसके लिए पं. केदारनाथ अध्यापक नियुक्त हुए। सकूल तथा कॉलेज दोनों ही स्तरों पर हिन्दू अध्यापकों की नियुक्ति में कोई संकोच नहीं किया गया। कॉलेज के गणित के प्रोफेसर जादव चन्द्र चक्रवर्ती को अखिल भारतीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हुई। एक लंबे समय तक चक्रवर्ती गणित के अध्ययन के बिना गणित का ज्ञान अधूरा समझा जाता था।<ref name="युग-विमर्श"/> | ||
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*मौलाना आज़ाद केन्द्रीय पुस्तकालय [[1875]] में स्थापित किया गया था जब विश्वविद्यालय मदरसतुल ऊलूम नामक एक मदरसे के रूप में स्थापित हुआ। | *मौलाना आज़ाद केन्द्रीय पुस्तकालय [[1875]] में स्थापित किया गया था जब विश्वविद्यालय मदरसतुल ऊलूम नामक एक मदरसे के रूप में स्थापित हुआ। | ||
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अलीगढ़ मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज
अलीगढ़ मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अलीगढ़ शहर में स्थित है। अलीगढ़ मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, ए. एम. यू. कॉलेज भी कहा जाता है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है। यह विश्वविद्यालय दिल्ली के दक्षिण से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ज़ाकिर हुसैन, मेजर ध्यान चन्द, मुश्ताक अली, लाला अमरनाथ, नसीरुद्दीन शाह, साहिब सिंह वर्मा और मोहम्मद हामिद अंसारी आदि जैसी प्रसिद्ध हस्तियों ने इसी विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से प्रमुख नेताओं, उर्दू लेखकों और उपमहाद्वीप के विद्वानों ने स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।
- पाठ्यक्रम
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा के पारंपरिक और आधुनिक शाखा में 280 से अधिक पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं।
विश्वविद्यालय की स्थापना
- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना भारत के स्वाधीनता संग्राम के दौरान राष्ट्रीय भावनाओं को मज़बूत आधार एवं स्वदेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सर सैयद अहमद ख़ाँ द्वारा की गयी थी। सर सैय्यद अहमद ख़ान ने सन् 1877 में जब ए. एम. यू. कॉलेज की स्थापना की थी। तब ए. एम. यू. कॉलेज की भूमि 78 एकड़ थी जो अब एक हज़ार एकड़ से अधिक है।[1]
- 1856 ई. से अलीगढ़ नगर भारतीय मुसलमानों का सांस्कृतिक केंद्र बन गया है। जब सर सैयर अहमद खाँ के प्रयास से यहाँ 'एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज' की स्थापना की गयी। शीघ्र ही यह कॉलेज भारतीय मुसलमानों को अंग्रेज़ी शिक्षा देने वाला प्रमुख केंद्र बन गया। 1920 ई. में 'अलीगढ़ कॉलेज' को विश्वविद्यालय बना दिया गया। अलीगढ़ आन्दोलन, जिसका उद्देश्य उन्नति करना, भारतीय मुसलमानों को पश्चिमी शिक्षा देना, सामाजिक कुरीतियाँ दूर करना और उन्हें 1885 ई. से आरम्भ होने वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रभाव से दूर रखना था, उसका केंद्र बिन्दु अलीगढ़ ही था।
इतिहास
सैयद जी का शिक्षा-संस्था खोलने का विचार हुआ तो सैयद जी ने अपनी सारी जमा-पूँजी यहाँ तक कि मकान भी गिरवी रख कर यूरोपीय शिक्षा-पद्धति का ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से इंग्लैंड की यात्रा की। लौटकर आए तो कुछ वर्षों के भीतर ही मई 1875 में अलीगढ़ में 'मदरसतुलउलूम' एक मुस्लिम स्कूल स्थापित किया गया और 1876 में सेवानिवृत्ति के बाद सैयद ने इसे कॉलेज में बदलने की बुनियाद रखी। सैयद की परियोजनाओं के प्रति रूढ़िवादी विरोध के बावज़ूद कॉलेज ने तेज़ी से प्रगति की और 1920 में इसे विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।[2]
हम बीज बो रहे हैं वह एक घने वृक्ष के रूप में फैलेगा और उसकी शाखें देश के विभिन्न क्षेत्रों में फैल जायेंगी। यह कॉलेज विश्वविद्यालय का स्वरूप धारण करेगा और इसके छात्र सहिष्णुता, आपसी प्रेम व सद्भाव और ज्ञान के सन्देश को जन-जन तक पहुँचायेंगे। - सर सैयद अहमद ख़ाँ
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- सर सैयद अहमद ख़ाँ का उद्देश्य
भारतीय उपमहाद्वीप में मुसलमानों के पुर्नजागरण के प्रतीक सर सैयद अहमद ख़ाँ का उद्देश्य मात्र अलीगढ़ में एक विश्वविद्यालय की स्थापना करना ही नहीं था बल्कि उनकी हार्दिक कामना थी कि अलीगढ़ में उनके द्वारा स्थापित कॉलेज का प्रारूप एक ऐसे केन्द्र का हो जिसके अधीन देश भर की मुस्लिम शिक्षा संस्थायें उसके निर्देशन में आगे बढ़ें ताकि देश भर के मुसलमान आधुनिक शिक्षा ग्रहण कर राष्ट्र निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभा सकें। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अधीन स्थापित होने वाले नये केन्द्रों के गठन से सर सैयद अहमद ख़ाँ का सपना साकार होने जा रहा है। ए. एम. यू. कॉलेज के आधारशिला समारोह में 8 जनवरी, 1877 को लॉर्ड लिटन के सम्मुख सर सैयद ने कहा था कि आज जो "हम बीज बो रहे हैं वह एक घने वृक्ष के रूप में फैलेगा और उसकी शाखें देश के विभिन्न क्षेत्रों में फैल जायेंगी। यह कॉलेज विश्वविद्यालय का स्वरूप धारण करेगा और इसके छात्र सहिष्णुता, आपसी प्रेम व सद्भाव और ज्ञान के सन्देश को जन-जन तक पहुँचायेंगे।" आज इस संस्था के छात्र 92 देशों में फैले हुए हैं और देश का यह मात्र पहला ऐसा संस्थान है जिसके छात्र पूरी दुनिया में अपने संस्थापक सर सैयद का जन्म दिवस मनाते हैं। सर सैयद भारतीय मुसलमानों के ऐसे पहले समाज सुधारक थे जिन्होंने अज्ञानता की काली चादर की धज्जियाँ उड़ाकर मुसलमानों में आधुनिक शिक्षा और वैज्ञानिक चेतना जागृत की।[1]
कॉलेज में अनेक भाषाओं में शिक्षा
सर सैयद के 'ए. एम. यू. कॉलेज' के द्वार सभी धर्मावलम्बियों के लिए खुले हुए थे। पहले दिन से ही अरबी फ़ारसी भाषाओं के साथ-साथ संस्कृत भाषा कि शिक्षा की भी व्यवस्था की गई। स्कूल के स्तर तक हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन को भी अपेक्षित समझा गया और इसके लिए पं. केदारनाथ अध्यापक नियुक्त हुए। सकूल तथा कॉलेज दोनों ही स्तरों पर हिन्दू अध्यापकों की नियुक्ति में कोई संकोच नहीं किया गया। कॉलेज के गणित के प्रोफेसर जादव चन्द्र चक्रवर्ती को अखिल भारतीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हुई। एक लंबे समय तक चक्रवर्ती गणित के अध्ययन के बिना गणित का ज्ञान अधूरा समझा जाता था।[2]
मौलाना आज़ाद केन्द्रीय पुस्तकालय
- मौलाना आज़ाद केन्द्रीय पुस्तकालय में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का पुस्तकालय है।
- मौलाना आज़ाद केन्द्रीय पुस्तकालय में 80 से अधिक महाविद्यालय और विभागीय पुस्तकालय हैं।
- मौलाना आज़ाद केन्द्रीय पुस्तकालय एशिया का दूसरा सबसे बड़ा पुस्तकालय भी है।
- मौलाना आज़ाद केन्द्रीय पुस्तकालय 1875 में स्थापित किया गया था जब विश्वविद्यालय मदरसतुल ऊलूम नामक एक मदरसे के रूप में स्थापित हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 अबरार, डॉ. राहत। अमुवि का विस्तार:सर सैय्यद का सपना (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) समय-सृजन। अभिगमन तिथि: 19 अक्टूबर, 2010।
- ↑ 2.0 2.1 सर सैयद अहमद ख़ान (जन्म-दिवस पर विशेष) (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) युग-विमर्श। अभिगमन तिथि: 19 अक्टूबर, 2010।
बाहरी कड़ियाँ
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