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पूस की रात
{{माह क्रम |पिछला=[[सितम्बर 2024]]|अगला=[[नवम्बर 2024]]}}
(मुन्शी प्रेमचन्द)
{{Calendar-Tue
 
| राष्ट्रीय शाके =1946<br/>राष्ट्रीय आश्विन 9 से  राष्ट्रीय कार्तिक 14 तक<br />
हल्कू ने आकर स्त्री से कहा:
| विक्रम संवत =2081<br/>आश्विन वदी 14 से कार्तिक वदी 14 तक
:सहना आया है। लाओ, जो रुपए रखे हैं, उसे दे दूँ, किसी तरह गला तो छूटे।
| अंग्रेज़ी =अक्टूबर 2024
 
| इस्लामी हिजरी =1446<br/>[[रबीउल अव्वल]] 27 से [[रबीउल आख़िर|रबीउल आख़िर]] 27 तक<br/>
मुन्नी झाडू लगा रही थी। पीछे फिरकर बोली:
| बंगला संवत =1431<br/>बंग आश्विन 16 से बंग कार्तिक 15 तक
:'तीन ही रुपए हैं, दे दोगे तो कम्मल कहाँ से आवेगा? माघ-पूस की रात हार में कैसे कटेगी? उससे कह दो, फसल पर दे देंगे। अभी नहीं।
| मंगल1 ={{DATE
 
| दिनांक =[[1 अक्टूबर|01]]
हल्कू एक क्षण अनिश्चित दशा में खडा रहा। पूस सिर पर आ गया, कम्बल के बिना हार में रात को वह किसी तरह सो नहीं सकता। मगर सहना मानेगा नहीं, घुडकियाँ जमावेगा, गालियाँ देगा। बला से जाडों में मरेंगे, बला तो सिर से टल जाएगी। यह सोचता हुआ वह अपनी भारी-भरकम डील लिए हुए (जो उसके नाम को झूठ सिध्द करता था) स्त्री के समीप आ गया और खुशामद करके बोला:
| दिनांक/माह/वर्ष=01102024
:'ला दे दे, गला तो छूटे। कम्मल के लिए कोई दूसरा उपाय सोचूँगा।
| तिथि सूचना =शाके 10 गते 18<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[चतुर्दशी]], [[पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र|पूर्वाफाल्गुनी]]<br />हि. 27, मंगल, ज़ुब्रा<br />बंगला- 16
 
| घटनाएँ =[[अन्तरराष्ट्रीय कॉफ़ी दिवस]], [[अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस]]<br />
मुन्नी उसके पास से दूर हट गई और ऑंखें तरेरती हुई बोली:
'''जन्म''' - [[मजरूह सुल्तानपुरी]], [[सचिन देव बर्मन]], [[एनी बेसेंट]], [[रामनाथ कोविंद]], [[जी.एम.सी. बालायोगी]], [[शिवाजी गणेशन]], [[सूरज भान]], [[एस. सुब्रह्मण्य अय्यर]], [[ए. के. गोपालन]], [[प्रताप सिंह कैरों]], [[माइकल फ़रेरा]], [[जीवन सिंह उमरानंगल]], [[त्रिलोक सिंह ठकुरेला]], [[शारदा सिन्हा]], [[जे. एच. पटेल]], [[गुरदीप सिंह]]<br />
:कर चुके दूसरा उपाय! जरा सुनूँ तो कौन सा उपाय करोगे? कोई खैरात दे देगा कम्मल? न जाने कितनी बाकी है, जो किसी तरह चुकने ही नहीं आती। मैं कहती हूँ, तुम क्यों नहीं खेती छोड देते? मर-मर काम करो, उपज हो तो बाकी दे दो, चलो छुट्टी हुई। बाकी चुकाने के लिए ही तो हमारा जनम हुआ है। पेट के लिए मजूरी करो। ऐसी खेती से बाज आए। मैं रुपए न दूँगी- न दूँगी।
'''मृत्यु''' - [[चन्दन सिंह गढ़वाली]], [[सुरेन्द्रनाथ द्विवेदी]]}}
 
| बुध1 ={{DATE
हल्कू उदास होकर बोला:
| दिनांक =[[2 अक्टूबर|02]]
:तो क्या गाली खाऊँ ?
| दिनांक/माह/वर्ष=02102024
 
| तिथि सूचना =शाके 11 गते 19<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[अमावस्या]], [[उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र|उत्तराफाल्गुनी]]<br />हि. 28, बुध, सर्फ़ा<br />बंगला- 17
मुन्नी ने तडपकर कहा:
| घटनाएँ =[[गाँधी जयन्ती]], [[अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस]], [[वन्यजीव सप्ताह|वन्यजीव सप्ताह (02-08)]], [[विश्व आवास दिवस]], [[सर्वपितृ अमावस्या]], [[मातामह श्राद्ध]], [[पितृ विसर्जन]], [[पितृ पक्ष|पितृ पक्ष समाप्त]]<br />
:गाली क्यों देगा, क्या उसका राज है?
'''जन्म''' - [[लाल बहादुर शास्त्री]], [[महात्मा गाँधी]], [[तपन सिन्हा]], [[आशा पारेख]], [[प्रीतम सिवाच]], [[हंगपन दादा]], [[लीला नाग]], [[शंकर शेष]], [[प्रजापति मिश्र]], [[लवलीना बोरगोहेन]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[राजा रवि वर्मा]], [[राजकुमारी अमृत कौर]], [[के. कामराज]], [[सी. डी. देशमुख]]}}
मगर यह कहने के साथ ही उसकी तनी हुई भौहें ढीली पड गईं। हल्कू के उस वाक्य में जो कठोर सत्य था, वह मानो एक भीषण जन्तु की भाँति उसे घूर रहा था। उसने जाकर आले पर से रुपए निकाले और लाकर हल्कू के हाथ पर रख दिए। फिर बोली:
| गुरु1 ={{DATE
:'तुम छोड दो अबकी से खेती। मजूरी में सुख से एक रोटी तो खाने को मिलेगी। किसी की धौंस तो न रहेगी। अच्छी खेती! मजूरी करके लाओ, ''वह भी उसी में झोंक दो, उस पर धौंस।''
| दिनांक =[[3 अक्टूबर|03]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=03102024
हल्कू ने रुपए लिए और इस तरह बाहर चला, मानो अपना हृदय निकालकर देने जा रहा हो। उसने मजूरी से एक-एक पैसा काट-काटकर तीन रुपए कम्बल के लिए जमा किए थे। वह आज निकले जा रहे थे। एक-एक पग के साथ उसका मस्तक अपनी दीनता के भार से दबा जा रहा था। पूस की अंधेरी रात! आकाश पर तारे भी ठिठुरते हुए मालूम होते थे। हल्कू अपने खेत के किनारे ऊख के पत्तों की एक छतरी के नीचे बाँस के खरोले पर अपनी पुरानी गाढे की चादर ओढे पडा काँप रहा था। खाट के नीचे उसका संगी कुत्ता जबरा पेट में मुँह डाले सर्दी से कूँ-कूँ कर रहा था। दो में से एक को भी नींद न आती थी। हल्कू ने घुटनियों को गरदन में चिपकाते हुए कहा:
| तिथि सूचना =शाके 12 गते 20<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[प्रतिपदा]], [[हस्त नक्षत्र|हस्त]]<br />हि. 29, जुमेरात, अव्वा<br />बंगला- 18
:क्यों जबरा, जाडा लगता है? कहता तो था, घर में पुआल पर लेट रह, तो यहाँ क्या लेने आए थे? अब खाओ ठंड, मैं क्या करूँ? जानते थे, मैं यहाँ हलुआ-पुरी खाने आ रहा''' ''', दौडे-दौडे आगे-आगे चले आए। अब रोओ नानी के नाम को।
| घटनाएँ =[[नवरात्र|शारदीय नवरात्र प्रारम्भ]], [[महाराजा अग्रसेन|अग्रसेन जयंती]]<br/>
 
'''जन्म''' - [[जे. पी. दत्ता]], [[लक्ष्मी नारायण साहू]], [[दीपक मिश्रा]], [[सुबीर गोकर्ण]], [[अमृतलाल बेगड़]], [[पी. परमेश्वरन]]<br />
जबरा ने पड़े-पड़े दुम हिलाई और अपनी कूँ-कूँ को दीर्घ बनाता हुआ एक बार जम्हाई लेकर चुप हो गया। उसकी श्वान बुध्दि ने शायद ताड लिया, स्वामी को मेरी कूँ-कूँ से नींद नहीं आ रही है।
'''मृत्यु''' - [[कादम्बिनी गांगुली]], [[अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर]]}}
 
| शुक्र1 ={{DATE
हल्कू ने हाथ निकालकर जबरा की ठण्डी पीठ सहलाते हुए कहा:
| दिनांक =[[4 अक्टूबर|04]]
:कल से मत आना मेरे साथ, नहीं तो ठण्डे हो जाओगे। यह राँड पछुआ न जाने कहाँ से बर्फ लिए आ रही है। उठूँ फिर एक चिलम भरूँ। किसी तरह रात तो कटे! आठ चिलम तो पी चुका। यह खेती का मजा है! और एक भागवान ऐसे पडे हैं जिनके पास जाडा आए तो गर्मी से घबडाकर भागो। मोटे-मोटे गद्दे, लिहाफ, कम्बल। मजाल है, जाडे का गुजर हो जाए। तकदीर की खूबी! मजूरी हम करें, मजा दूसरे लूटें!
| दिनांक/माह/वर्ष=04102024
 
| तिथि सूचना =शाके 13 गते 21<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[द्वितीया]], [[चित्रा नक्षत्र|चित्रा]]<br />हि. 30, जुम्मा, सिमाक<br />बंगला- 19
हल्कू उठा, गड्ढे में से ज़रा-सी आग निकालकर चिलम भरी। जबरा भी उठ बैठा। हल्कू ने चिलम पीते हुए कहा:
| घटनाएँ =[[विश्व पशु कल्याण दिवस]]<br />
:पिएगा चिलम, जाड़ा तो क्या जाता है, हाँ जरा मन बदल जाता है।
'''जन्म''' - [[रामचन्द्र शुक्ल]], [[सरला ग्रेवाल]], [[श्यामजी कृष्ण वर्मा]], [[संध्या मुखर्जी]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[कस्तूरी बाई]], [[शक्ति सिन्हा]]}}
जबरा ने उसके मुँह की ओर प्रेम से छलकती हुई ऑंखों से देखा।
| शनि1 ={{DATE
 
| दिनांक =[[5 अक्टूबर|05]]
हल्कू:
| दिनांक/माह/वर्ष=05102024
:आज और जाड़ा खा ले। कल से मैं यहाँ पुआल बिछा दूँगा। उसी में घुसकर बैठना, तब जाडा न लगेगा।
| तिथि सूचना =शाके 14 गते 22<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[तृतीया]], [[स्वाती नक्षत्र|स्वाती]]<br />हि. 01, हफ़्ता, अफ़रा<br />बंगला- 20
 
| घटनाएँ =[[अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस]]<br />
जबरा ने अपने पंजे उसकी घुटनियों पर रख दिए और उसके मुँह के पास अपना मुँह ले गया। हल्कू को उसकी गर्म साँस लगी।
'''जन्म''' - [[रानी दुर्गावती]], [[राम चतुर मल्लिक]], [[चो रामस्वामी]], [[नर बहादुर भंडारी]], [[मधुमिता बिष्ट]], [[गुरुदास कामत]], [[वी. वैथिलिंगम]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[भगवतीचरण वर्मा]], [[दुर्गा प्रसाद खत्री]], [[विल्सन जोन्स]]}}
चिलम पीकर हल्कू फिर लेटा और निश्चय करके लेटा कि चाहे कुछ हो अबकी सो जाऊँगा, पर एक ही क्षण में उसके हृदय में कम्पन होने लगा। कभी इस करवट लेटता, कभी उस करवट, पर जाडा किसी पिशाच की भाँति उसकी छाती को दबाए हुए था।
| रवि2 ={{DATE
 
| दिनांक =[[6 अक्टूबर|06]]
जब किसी तरह न रहा गया, उसने जबरा को धीरे से उठाया और उसके सिर को थपथपाकर उसे अपनी गोद में सुला लिया। कुत्ते की देह से जाने कैसी दुर्गन्ध आ रही थी, पर वह उसे अपनी गोद से चिपटाए हुए ऐसे सुख का अनुभव कर रहा था, जो इधर महीनों से उसे न मिला था। जबरा शायद समझ रहा था कि स्वर्ग यहीं है, और हल्कू की पवित्र आत्मा में तो उस कुत्ते के प्रति घृणा की गन्ध तक न थी। अपने किसी अभिन्न मित्र या भाई को भी वह इतनी ही तत्परता से गले लगाता। वह अपनी दीनता से आहत न था, जिसने आज उसे इस दशा को पहुँचा दिया। नहीं, इस अनोखी मैत्री ने जैसे उसकी आत्मा के सब द्वार खोल दिए थे और उनका एक-एक अणु प्रकाश से चमक रहा था।
| दिनांक/माह/वर्ष=06102024
 
| तिथि सूचना =शाके 15 गते 23<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[तृतीया]], [[विशाखा नक्षत्र|विशाखा]]<br />हि. 02, इतवार, ज़ुबाना<br />बंगला- 21
सहसा जबरा ने किसी जानवर की आहट पाई। इस विशेष आत्मीयता ने उसमें एक नई स्फूर्ति पैदा कर दी थी, जो हवा के ठण्डे झोंकों को तुच्छ समझती थी। वह झपटकर उठा और छपरी से बाहर आकर भौंकने लगा। हल्कू ने उसे कई बार चुमकारकर बुलाया, पर वह उसके पास न आया। हार में चारों तरफ दौड-दौडकर भूँकता रहा। एक क्षण के लिए आ भी जाता, तो तुरन्त ही फिर दौडता।र् कत्तव्य उसके हृदय में अरमान की भाँति उछल रहा था।पूस की ऍंधेरी रात! आकाश पर तारे भी ठिठुरते हुए मालूम होते थे। हल्कू अपने खेत के किनारे ऊख के पत्तों की एक छतरी के नीचे बाँस के खरोले पर अपनी पुरानी गाढे की चादर ओढे पडा काँप रहा था। खाट के नीचे उसका संगी कुत्ता जबरा पेट में मुँह डाले सर्दी से कूँ-कूँ कर रहा था। दो में से एक को भी नींद न आती थी।
| घटनाएँ =
 
'''जन्म''' - [[मेघनाथ साहा]], [[विनोद खन्ना]], [[कृपालु महाराज]], [[नेकसियर]], [[हुसैन अहमद मदनी]], [[भजन लाल]]<br />
हल्कू ने घुटनियों को गरदन में चिपकाते हुए कहा- क्यों जबरा, जाडा लगता है? कहता तो था, घर में पुआल पर लेट रह, तो यहाँ क्या लेने आए थे? अब खाओ ठंड, मैं क्या करूँ? जानते थे, मैं यहाँ हलुआ-पुरी खाने आ रहा ँ, दौडे-दौडे आगे-आगे चले आए। अब रोओ नानी के नाम को।
'''मृत्यु''' - [[गुरु हरराय]], [[नाना साहब]], [[वी. के. कृष्ण मेनन]], [[प्यारेलाल खण्डेलवाल]], [[लक्ष्मी मल्ल सिंघवी]], [[गोकुलभाई भट्ट]], [[दत्तो वामन पोतदार]], [[बाबासाहेब भोसले]], [[अरविंद त्रिवेदी]]}}
 
| सोम2 ={{DATE
जबरा ने पडे-पडे दुम हिलाई और अपनी कूँ-कूँ को दीर्घ बनाता हुआ एक बार जम्हाई लेकर चुप हो गया। उसकी श्वान बुध्दि ने शायद ताड लिया, स्वामी को मेरी कूँ-कूँ से नींद नहीं आ रही है।
| दिनांक =[[7 अक्टूबर|07]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=07102024
हल्कू ने हाथ निकालकर जबरा की ठण्डी पीठ सहलाते हुए कहा- कल से मत आना मेरे साथ, नहीं तो ठण्डे हो जाओगे। यह राँड पछुआ न जाने कहाँ से बर्फ लिए आ रही है। उठूँ फिर एक चिलम भरूँ। किसी तरह रात तो कटे! आठ चिलम तो पी चुका। यह खेती का मजा है! और एक भागवान ऐसे पडे हैं जिनके पास जाडा आए तो गर्मी से घबडाकर भागो। मोटे-मोटे गद्दे, लिहाफ, कम्बल। मजाल है, जाडे का गुजर हो जाए। तकदीर की खूबी! मजूरी हम करें, मजा दूसरे लूटें!
| तिथि सूचना =शाके 16 गते 24<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[चतुर्थी]], [[अनुराधा नक्षत्र|अनुराधा]]<br />हि. 03, पीर, इक़्लील<br />बंगला- 22
 
| घटनाएँ =
हल्कू उठा, गङ्ढे में से जरा-सी आग निकालकर चिलम भरी। जबरा भी उठ बैठा।
'''जन्म''' - [[बली राम भगत]], [[दुर्गा भाभी]], [[बेगम अख़्तर]], [[विजयदेव नारायण साही]], [[नरहरि पारिख]], [[वाजिद ख़ान (संगीत निर्देशक)|वाजिद ख़ान]], [[अरुण भादुड़ी]], [[ज़हीर ख़ान]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[गुरु गोबिन्द सिंह]], [[केदारेश्वर सेन गुप्ता]], [[के. केलप्पन]], [[अश्वनी कुमार]]}}
हल्कू ने चिलम पीते हुए कहा- पिएगा चिलम, जाडा तो क्या जाता है, हाँ जरा मन बदल जाता है।
| मंगल2 ={{DATE
 
| दिनांक =[[8 अक्टूबर|08]]
जबरा ने उसके मुँह की ओर प्रेम से छलकती हुई ऑंखों से देखा।
| दिनांक/माह/वर्ष=08102024
 
| तिथि सूचना =शाके 17 गते 25<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[पंचमी]], [[ज्येष्ठा नक्षत्र|ज्येष्ठा]]<br />हि. 04, मंगल, क़ल्ब<br />बंगला- 23
हल्कू- आज और जाडा खा ले। कल से मैं यहाँ पुआल बिछा दूँगा। उसी में घुसकर बैठना, तब जाडा न लगेगा।
| घटनाएँ =[[भारतीय वायु सेना|वायु सेना दिवस]]<br />
 
'''जन्म''' - [[बदरुद्दीन तैयब जी]], [[पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य]]<br />
जबरा ने अपने पंजे उसकी घुटनियों पर रख दिए और उसके मुँह के पास अपना मुँह ले गया। हल्कू को उसकी गर्म साँस लगी।
'''मृत्यु''' - [[प्रेमचंद]], [[जयप्रकाश नारायण]], [[रामविलास पासवान]], [[कमलापति त्रिपाठी]], [[केदार नाथ साहू]]}}
 
| बुध2 ={{DATE
चिलम पीकर हल्कू फिर लेटा और निश्चय करके लेटा कि चाहे कुछ हो अबकी सो जाऊँगा, पर एक ही क्षण में उसके हृदय में कम्पन होने लगा। कभी इस करवट लेटता, कभी उस करवट, पर जाडा किसी पिशाच की भाँति उसकी छाती को दबाए हुए था।
| दिनांक =[[9 अक्टूबर|09]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=09102024
जब किसी तरह न रहा गया, उसने जबरा को धीरे से उठाया और उसके सिर को थपथपाकर उसे अपनी गोद में सुला लिया। कुत्ते की देह से जाने कैसी दुर्गन्ध आ रही थी, पर वह उसे अपनी गोद से चिपटाए हुए ऐसे सुख का अनुभव कर रहा था, जो इधर महीनों से उसे न मिला था। जबरा शायद समझ रहा था कि स्वर्ग यहीं है, और हल्कू की पवित्र आत्मा में तो उस कुत्ते के प्रति घृणा की गन्ध तक न थी। अपने किसी अभिन्न मित्र या भाई को भी वह इतनी ही तत्परता से गले लगाता। वह अपनी दीनता से आहत न था, जिसने आज उसे इस दशा को पहुँचा दिया। नहीं, इस अनोखी मैत्री ने जैसे उसकी आत्मा के सब द्वार खोल दिए थे और उनका एक-एक अणु प्रकाश से चमक रहा था।
| तिथि सूचना =शाके 18 गते 26<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[षष्ठी]], [[मूल नक्षत्र|मूल]]<br />हि. 05, बुध, शौला<br />बंगला- 24
 
| घटनाएँ =[[स्कन्द षष्ठी]], [[विश्व डाक दिवस]]<br />
सहसा जबरा ने किसी जानवर की आहट पाई। इस विशेष आत्मीयता ने उसमें एक नई स्फूर्ति पैदा कर दी थी, जो हवा के ठण्डे झोंकों को तुच्छ समझती थी। वह झपटकर उठा और छपरी से बाहर आकर भौंकने लगा। हल्कू ने उसे कई बार चुमकारकर बुलाया, पर वह उसके पास न आया। हार में चारों तरफ दौड-दौडकर भूँकता रहा। एक क्षण के लिए आ भी जाता, तो तुरन्त ही फिर दौडता।र् कत्तव्य उसके हृदय में अरमान की भाँति उछल रहा था।
'''जन्म''' - [[गोपबंधु दास]], [[अमजद अली ख़ाँ]], [[मिनजुर भक्तवत्सलम]], [[राजा लक्ष्मण सिंह]], [[राधेश्याम बारले]]<br />
 
'''मृत्यु''' -  [[कांशी राम]], [[रवीन्द्र जैन]], [[सैफ़ुद्दीन किचलू]]}}
एक घण्टा और गुजर गया। रात ने शीत को हवा से धधकाना शुरू किया। हल्कू उठ बैठा और दोनों घुटनों को छाती से मिलाकर सिर को उसमें छिपा लिया, फिर भी ठण्ड कम न हुई। ऐसा जान पडता था, सारा रक्त जम गया है, धमनियों में रक्त की जगह हिम बह रही है। उसने झुककर आकाश की ओर देखा, अभी कितनी रात बाकी है! सप्तर्षि अभी आकाश में आधे भी नहीं चढे। ऊपर आ जाएँगे तब कहीं सबेरा होगा। अभी पहर से ऊपर रात है।
| गुरु2 ={{DATE
 
| दिनांक =[[10 अक्टूबर|10]]
हल्कू के खेत से कोई एक गोली के टप्पे पर आमों का एक बाग था। पतझड शुरू हो गई थी। बाग में पत्तियों का ढेर लगा हुआ था। हल्कू ने सोचा, चलकर पत्तियाँ बटोरूँ और उन्हें जलाकर खूब तापूँ। रात को कोई मुझे पत्तियाँ बटोरते देखे तो समझे, कोई भूत है। कौन जाने, कोई जानवर ही छिपा बैठा हो, मगर अब तो बैठे नहीं रहा जाता।
| दिनांक/माह/वर्ष=10102024
 
| तिथि सूचना =शाके 19 गते 27<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[सप्तमी]], [[पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र|पूर्वाषाढ़ा]]<br />हि. 06, जुमेरात, नआइम<br />बंगला- 25
उसने पास के अरहर के खेत में जाकर कई पौधे उखाड लिए और उनका एक झाडू बनाकर हाथ में सुलगाता हुआ उपला लिए बगीचे की तरफ चला। जबरा ने उसे आते देखा, पास आया और दुम हिलाने लगा।
| घटनाएँ =[[विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस]]<br />
 
'''जन्म''' - [[द्वारकानाथ कोटणीस]], [[श्रीपाद अमृत डांगे]], [[आर. के. नारायण]], [[रामविलास शर्मा]], [[शिवराम कारंत]], [[बलबीर सिंह]], [[शिवराज रामशरण]], [[सुतीर्था मुखर्जी]]<br />
हल्कू ने कहा- अब तो नहीं रहा जाता जबरू! चलो बगीचे में पत्तियाँ बटोरकर तापें। टाँटे हो जाएँगे, फिर आकर सोएँगे। अभी तो बहुत रात है।
'''मृत्यु''' - [[जगजीत सिंह]], [[मुलायम सिंह यादव]], [[सुलोचना (रूबी मेयर्स)|रूबी मेयर्स]], [[मनोरमा (तमिल अभिनेत्री)|मनोरमा]], [[लुडमिला पावलीचेंको]]}}
 
| शुक्र2 ={{DATE
जबरा ने कूँ-कूँ करके सहमति प्रकट की और आगे बगीचे की ओर चला।
| दिनांक =[[11 अक्टूबर|11]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=11102024
बगीचे में खूब ऍंधेरा छाया हुआ था और अन्धकार में निर्दय पवन पत्तियों को कुचलता हुआ चला जाता था। वृक्षों से ओस की बूँदें टपटप नीचे टपक रही थीं।
| तिथि सूचना =शाके 20 गते 28<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[अष्टमी]], [[उत्तराषाढ़ा नक्षत्र|उत्तराषाढ़ा]]<br />हि. 07, जुम्मा, बल्दा<br />बंगला- 26
 
| घटनाएँ =[[दुर्गाष्टमी]], [[महाअष्टमी]]<br />
एकाएक एक झोंका मेहँदी के फूलों की खुशबू लिए हुए आया।
'''जन्म''' - [[जयप्रकाश नारायण]], [[नानाजी देशमुख]], [[अमिताभ बच्चन]], [[मगन भाई देसाई]], [[हरीश चंद्र महरोत्रा]], [[विजय पी. भटकर]], [[काज़ी लेन्डुप दोरजी]], [[निर्भय शर्मा]], [[सतीश शर्मा]], [[तरुण गोगोई]], [[माता प्रसाद]], [[कमल किशोर गोयनका]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[सिस्टर निवेदिता]], [[दीना पाठक]], [[गुलशन राय]], [[बरकतुल्लाह ख़ान]]}}
हल्कू ने कहा- कैसी अच्छी महक आई जबरू! तुम्हारी नाक में भी कुछ सुगन्ध आ रही है?
| शनि2 ={{DATE
 
| दिनांक =[[12 अक्टूबर|12]]
जबरा को कहीं, जमीन पर एक हड्डी पडी मिल गई थी। उसे चिंचोड रहा था।
| दिनांक/माह/वर्ष=12102024
 
| तिथि सूचना =शाके 21 गते 29<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[नवमी]], [[श्रवण नक्षत्र|श्रवण]]<br />हि. 08, हफ़्ता, सा-देज़ाबेह<br />बंगला- 27
 
| घटनाएँ =[[महा नवमी]], [[दुर्गा नवमी]], [[नवरात्र|शारदीय नवरात्र समाप्त]],  [[विश्व दृष्टि दिवस]]<br />
 
'''जन्म''' - [[विजय मर्चेन्ट]], [[शिवराज पाटिल]], [[विजयाराजे सिंधिया]], [[निदा फ़ाज़ली]], [[आत्माराम]], [[कामिनी राय]], [[पेरीन बेन]], [[शिवनाथ मिश्रा]]<br />
हल्कू ने आग जमीन पर रख दी और पत्तियाँ बटोरने लगा। जरा देर में पत्तियों का ढेर लग गया। हाथ ठिठुरे जाते थे। नंगे पाँव गले जाते थे और वह पत्तियों का पहाड खडा कर रहा था। इसी अलाव में वह ठण्ड को जलाकर भस्म कर देगा।
'''मृत्यु''' - [[राम मनोहर लोहिया]], [[पी. वेंकटसुब्बैया]]}}
 
| रवि3 ={{DATE
 
| दिनांक =[[13 अक्टूबर|13]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=13102024
थोडी देर में अलाव जल उठा। उसकी लौ ऊपर वाले वृक्ष की पत्तियों को छू-छूकर भागने लगी। उस अस्थिर प्रकाश में बगीचे के विशाल वृक्ष ऐसे मालूम होते थे, मानो उस अथाह अन्धकार को अपने सिरों पर सँभाले हुए हों। अन्धकार के उस अनन्त सागर में यह प्रकाश एक नौका के समान हिलता, मचलता हुआ जान पडता था।
| तिथि सूचना =शाके 22 गते 30<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[दशमी]], [[धनिष्ठा नक्षत्र|धनिष्ठा]]<br />हि. 09, इतवार, बुला<br />बंगला- 28
 
| घटनाएँ =[[विजयादशमी|विजयादशमी (दशहरा)]], [[शमी पूजा]], [[पापांकुशा एकादशी]], [[भरत मिलाप]], [[मध्वाचार्य|मध्वाचार्य जयंती]]<br />
 
'''जन्म''' - [[सी. के. नायडू]], [[अशोक कुमार]], [[नुसरत फ़तेह अली ख़ां]], [[भूलाभाई देसाई]], [[अविनाश साबले]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[अमीर मीनाई]], [[किशोर कुमार]], [[निरुपा रॉय]], [[जरनैल सिंह]]}}
हल्कू अलाव के सामने बैठा आग ताप रहा था। एक क्षण में उसने दोहर उतारकर बगल में दबा ली, दोनों पाँव फैला दिए, मानो ठण्ड को ललकार रहा हो, 'तेरे जी में आए सो कर। ठण्ड की असीम शक्ति पर विजय पाकर वह विजय-गर्व को हृदय में छिपा न सकता था।
| सोम3 ={{DATE
 
| दिनांक =[[14 अक्टूबर|14]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=14102024
 
| तिथि सूचना =शाके 23 गते 31<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[एकादशी]]/[[द्वादशी]], [[शतभिषा नक्षत्र|शतभिषा]]<br />हि. 10, पीर, आव्‌बिय<br />बंगला- 29
उसने जबरा से कहा- क्यों जब्बर, अब ठण्ड नहीं लग रही है?
| घटनाएँ =[[पद्मनाभ द्वादशी]]<br />
 
'''जन्म''' - [[लाला हरदयाल]], [[निखिल बैनर्जी]], [[अरुण खेत्रपाल]], [[रित्विक भट्टाचार्य]], [[बीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य]], [[लालू भाई सामलदास मेहता]], [[बहादुर शाह प्रथम]], [[हरजिंदर कौर]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[मोहन धारिया]], [[दत्तोपन्त ठेंगडी]], [[नरसिंह चिन्तामन केलकर]], [[शोभा नायडू]], [[दसरथ देब]]}}
 
| मंगल3 ={{DATE
जब्बर ने कूँ-कूँ करके मानो कहा- अब क्या ठण्ड लगती ही रहेगी?
| दिनांक =[[15 अक्टूबर|15]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=15102024
 
| तिथि सूचना =शाके 24 गते 32<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[त्रयोदशी]], [[पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र|पूर्वाभाद्रपद]]<br />हि. 11, मंगल, सऊद<br />बंगला- 30
 
| घटनाएँ =[[प्रदोष व्रत]]<br />
पहले से उपाय न सूझा, नहीं इतनी ठंड क्यो खाते।
'''जन्म''' - [[अब्दुल कलाम]], [[शंकर (संगीतकार)|संगीतकार शंकर]], [[रमन सिंह]], [[अकबर]], [[महेंद्र नाथ पांडेय]], [[मुख़्तार अब्बास नक़वी]], [[हीरा लाल देवपुरा]], [[मनुभाई पाँचोली]], [[मदन सिंह चौहान]], [[मदन लाल खुराना]], [[विक्टर बनर्जी]], [[के. शंकरनारायणन]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला']], [[शिरडी साईं बाबा]], [[दुर्गा भाभी]], [[देवी प्रसाद राय चौधरी]], [[फ़ैज़ी]], [[भानु अथैया]], [[अक्किथम अछूथन नंबूथिरी]]}}
 
| बुध3 ={{DATE
 
| दिनांक =[[16 अक्टूबर|16]]
जब्बर ने पूँछ हिलाई।
| दिनांक/माह/वर्ष=16102024
 
| तिथि सूचना =शाके 25 गते 01<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[चतुर्दशी]]/[[पूर्णिमा]], [[उत्तराभाद्रपद नक्षत्र|उत्तराभाद्रपद]]<br />हि. 12, बुध, मुक़द्दम<br />बंगला- 31
 
| घटनाएँ =[[शरद पूर्णिमा]], [[पौर्णमासी व्रत]], [[कार्तिक स्नान|कार्तिक स्नान प्रारम्भ]]। [[विश्व खाद्य दिवस]]<br />
 
'''जन्म''' - [[नवीन पटनायक]], [[सेठ गोविन्द दास]], [[दिगम्बर हांसदा]], [[हेमा मालिनी]], [[विनय मोहन शर्मा]], [[लच्छू महाराज]], [[वेद कृष्णमूर्ति]], [[नरेंद्र चंचल]], [[निदुमोलु सुमति]], [[अमित पंघाल]], [[संकेत महादेव]]<br />
अच्छा आओ, इस अलाव को कूदकर पार करें। देखें, कौन निकल जाता है। अगर जल गए बचा तो मैं दवा न करूँगा।
'''मृत्यु''' - [[प्रभाशंकर पाटनी]], [[गणेश घोष]], [[हरीश चंद्र महरोत्रा]]}}
 
| गुरु3 ={{DATE
 
| दिनांक =[[17 अक्टूबर|17]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=17102024
जब्बर ने उस अग्नि- राशि की ओर कातर नेत्रों से देखा!
| तिथि सूचना =शाके 26 गते 02<br />[[शुक्ल पक्ष]], [[पूर्णिमा]], [[रेवती नक्षत्र|रेवती]]<br />हि. 13, जुमेरात, मुअख़्ख़<br />बंगला- 01
 
| घटनाएँ =[[तुला संक्रान्ति]], [[वाल्मीकि|वाल्मीकि जयंती]], [[मीराबाई|मीराबाई जयंती]], [[विश्व आघात दिवस]]<br />
 
'''जन्म''' - [[सर सैयद अहमद ख़ाँ]], [[शिवानी]], [[स्मिता पाटिल]], [[अनिल कुंबले]], [[सिस्टर यूप्रासिआ]], [[दूधनाथ सिंह]], [[भगवंत मान]], [[राजीव तारानाथ]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[स्वामी रामतीर्थ]], [[अरुण भादुड़ी]]}}
मुन्नी से कल न कह देना, नहीं लडाई करेगी।
| शुक्र3 ={{DATE
 
| दिनांक =[[18 अक्टूबर|18]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=18102024
 
| तिथि सूचना =शाके 27 गते 03<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[प्रतिपदा]], [[अश्विनी नक्षत्र|अश्विनी]]<br />हि. 14, जुम्मा, शुर्तैन-नत्‌ह<br />बंगला- 02
यह कहता हुआ वह उछला और उस अलाव के ऊपर से साफ निकल गया। पैरों में जरा लपट लगी, पर वह कोई बात न थी।
| घटनाएँ =
 
'''जन्म''' - [[इब्राहिम अल्काज़ी]], [[ओम पुरी]], [[नारायण दत्त तिवारी]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[विश्वनाथ सत्यनारायण]], [[रावुरी भारद्वाज]], [[रामकृष्ण खत्री]]}}
 
| शनि3 ={{DATE
जबरा आग के गिर्द घूमकर उसके पास आ खडा हुआ।
| दिनांक =[[19 अक्टूबर|19]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=19102024
 
| तिथि सूचना =शाके 28 गते 04<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[द्वितीया]], [[भरणी नक्षत्र|भरणी]]<br />हि. 15, हफ़्ता, बुतैन<br />बंगला- 03
 
| घटनाएँ =
हल्कू ने कहा- चलो-चलो, इसकी सही नहीं! ऊपर से कूदकर आओ। वह फिर कूदा और अलाव के इस पार आ गया!
'''जन्म''' - [[मातंगिनी हज़ारा]], [[निर्मला देशपांडे]], [[आर. सी. बोराल]], [[सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर]], [[मजाज़]], [[भोलाशंकर व्यास]], [[गोविन्दराम सेकसरिया]], [[पाण्डुरंग शास्त्री अठावले]], [[सारंगधर दास]], [[दिव्यांश सिंह पंवार]], [[नीतू घंघास]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[रामअवध द्विवेदी]], [[कुमारी नाज़]]}}
 
| रवि4 ={{DATE
 
| दिनांक =[[20 अक्टूबर|20]]
पत्तियाँ जल चुकी थीं। बगीचे में फिर ऍंधेरा छाया था। राख के नीचे कुछ-कुछ आग बाकी थी, जो हवा का झोंका आ जाने पर जरा जाग उठती थी, पर एक क्षण में फिर ऑंखें बन्द कर लेती थी।
| दिनांक/माह/वर्ष=20102024
 
| तिथि सूचना =शाके 29 गते 05<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[तृतीया]]/ [[चतुर्थी]], [[कृत्तिका नक्षत्र|कृत्तिका]]<br />हि. 16, इतवार, सुरैया<br />बंगला- 04
 
| घटनाएँ =[[करवा चौथ]], [[विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस]]<br />
 
'''जन्म''' - [[लीला सेठ]], [[वीरेन्द्र सहवाग]], [[गोवर्धनराम माधवराम त्रिपाठी]], [[सुदर्शन भगत]], [[कुमार सानु]], [[सिद्धार्थ शंकर राय]]<br />
हल्कू ने फिर चादर ओढ ली और गर्म राख के पास बैठा हुआ एक गीत गुनगुनाने लगा। उसके बदन में गर्मी आ गई थी, पर ज्यों-ज्यों शीत बढती जाती थी, उसे आलस्य दबाए लेता था।
'''मृत्यु''' - [[एच. सी. दासप्पा]], [[निरंजन नाथ वांचू]], [[दादू चौगुले दत्तात्रेय]]}}
 
| सोम4 ={{DATE
 
| दिनांक =[[21 अक्टूबर|21]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=21102024
जबरा जोर से भूँककर खेत की ओर भागा। हल्कू को ऐसा मालूम हुआ कि जानवरों का एक झुण्ड उसके खेत में आया है। शायद नीलगायों का झुण्ड था। उनके कूदने-दौडने की आवाजें साफ कान में आ रही थीं। फिर ऐसा मालूम हुआ कि खेत में चर रही हैं। उनके चबाने की आवाज चर-चर सुनाई देने लगी।
| तिथि सूचना =शाके 30 गते 06<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[पंचमी]], [[रोहिणी नक्षत्र|रोहिणी]]<br />हि. 17, पीर, दबरान<br />बंगला- 05
 
| घटनाएँ =[[आज़ाद हिन्द फ़ौज स्थापना दिवस]], [[विश्व आयोडीन अल्पता दिवस]], [[पुलिस स्मृति दिवस]]<br />
 
'''जन्म''' - [[शम्मी कपूर]], [[हेलन]], [[कृष्ण सिंह]], [[काशीनाथ नारायण दीक्षित]], [[नैन सिंह रावत]], [[सुरजीत सिंह बरनाला]], [[अशोक लवासा]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[यश चोपड़ा]], [[अजीत]]}}
उसने दिल में कहा- नहीं, जबरा के होते कोई जानवर खेत में नहीं आ सकता। नोच ही डाले। मुझे भ्रम हो रहा है। कहाँ! अब तो कुछ नहीं सुनाई देता। मुझे भी कैसा धोखा हुआ!
| मंगल4 ={{DATE
 
| दिनांक =[[22 अक्टूबर|22]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=22102024
 
| तिथि सूचना =शाके 31 गते 07<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[षष्ठी]], [[आर्द्रा नक्षत्र|आर्द्रा]]<br />हि. 18, मंगल, आर्द्रा<br />बंगला- 06
उसने जोर से आवाज लगाई- जबरा भूँकता रहा। उसके पास न आया। फिर खेत के चरे जाने की आहट मिली। अब वह अपने को धोखा न दे सका। उसे अपनी जगह से हिलना जहर लग रहा था। कैसा दमदाया हुआ बैठा था। इस जाडे-पाले में खेत में जाना, जानवरों के पीछे दौडना असहाय जान पडा। वह अपनी जगह से न हिला।
| घटनाएँ =
 
'''जन्म''' - [[स्वामी रामतीर्थ]], [[अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ]], [[कादर ख़ान]], [[त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल]], [[अदम गोंडवी]], [[डी. वाई. पाटिल]], [[ए. एस. किरण कुमार]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[दलीप सिंह]], [[ठाकुर प्यारेलाल सिंह]], [[जीवनानन्द दास]], [[विट्ठल भाई पटेल]]}}
 
| बुध4 ={{DATE
उसने जोर से आवाज-लगाई- हिलो!हिलो!हिलो!!!
| दिनांक =[[23 अक्टूबर|23]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=23102024
 
| तिथि सूचना =शाके 01 गते 08<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[सप्तमी]], [[पुनर्वसु नक्षत्र|पुनर्वसु]]<br />हि. 19, बुध, ज़िराअ<br />बंगला- 07
 
| घटनाएँ =
जबरा फिर से भूँक उठा। जानवर खेत चर रहे थे। फसल तैयार है। कैसी अच्छी खेती थी, पर ये दुष्ट जानवर उसका सर्वनाश किए डालते हैं!
'''जन्म''' - [[रानी चेन्नम्मा]], [[खंडू भाई देसाई]], [[भैरोंसिंह शेखावत]], [[देवेन वर्मा]], [[सुनील मित्तल]], [[रंजन सोढ़ी]], [[शोभा करंदलाजे]], [[अरविन्द अडिग]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[नेली सेनगुप्त]], [[जोगिन्दर सिंह]], [[भोलाशंकर व्यास]], [[मीनू मुमताज़]], [[सुनील गंगोपाध्याय]]}}
 
| गुरु4 ={{DATE
 
| दिनांक =[[24 अक्टूबर|24]]
हल्कू पक्का इरादा करके उठा और दो-तीन कदम चला, पर एकाएक हवा का ऐसा ठण्डा, चुभने वाला, बिच्छु के डंक का-सा झोंका लगा कि वह फिर बुझते हुए अलाव के पास आ बैठा और राख को कुरेदकर अपनी ठण्डी देह को गर्माने लगा।
| दिनांक/माह/वर्ष=24102024
 
| तिथि सूचना =शाके 02 गते 09<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[अष्टमी]], [[पुष्य नक्षत्र|पुष्य]]<br />हि. 20, जुमेरात, नस्त्रा<br />बंगला- 08
 
| घटनाएँ =[[अहोई अष्टमी]], [[राधाकुण्ड गोवर्धन|राधाकुण्ड स्नान, गोवर्धन]], [[कालाष्टमी]], [[विश्व पोलियो दिवस]]<br />
 
'''जन्म''' - [[लक्ष्मी सहगल]], [[कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन]], [[आर. के. लक्ष्मण]], [[जीवन (अभिनेता)|अभिनेता जीवन]], [[अशोक मेहता]], [[प्रेमनाथ डोगरा]]<br />
जबरा अपना गला फाडे डालता था, नीलगायें खेत का सफाया किए डालती थीं और हल्कू गर्म राख के पास शान्त बैठा हुआ था। अकर्मण्यता ने रस्सियों की भाँति उसे चारों तरफ से जकड रखा था।
'''मृत्यु''' - [[मन्ना डे]], [[इस्मत चुग़ताई]], [[रफ़ी अहमद क़िदवई]], [[गिरिजा देवी]], [[धरमपाल]], [[सीताराम केसरी]]}}
 
| शुक्र4 ={{DATE
 
| दिनांक =[[25 अक्टूबर|25]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=25102024
उसी राख के पास गर्म जमीन पर वह चादर ओढकर सो गया।
| तिथि सूचना =शाके 03 गते 10<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[नवमी]], [[पुष्य नक्षत्र|पुष्य]]<br />हि. 21, जुम्मा, नस्त्रा<br />बंगला- 09
 
| घटनाएँ =
 
'''जन्म''' - [[घनश्यामभाई ओझा]], [[मुकुंदी लाल श्रीवास्तव]], [[मृदुला गर्ग]], [[शारदा (गायिका)|शारदा]], [[गुरजीत कौर]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[निर्मल वर्मा]], [[साहिर लुधियानवी]], [[दिलीपभाई रमणभाई पारिख]], [[जसपाल भट्टी]], [[पाण्डुरंग शास्त्री अठावले]]}}
सबेरे जब उसकी नींद खुली, तब चारों तरफ धूप फैल गई थी और मुन्नी कह रही थी- क्या आज सोते ही रहोगे? तुम यहाँ आकर रम गए और उधर सारा खेत चौपट हो गया।
| शनि4 ={{DATE
 
| दिनांक =[[26 अक्टूबर|26]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=26102024
 
| तिथि सूचना =शाके 04 गते 11<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[दशमी]], [[आश्लेषा नक्षत्र|आश्लेषा]]<br />हि. 22, हफ़्ता, तर्फ़ा<br />बंगला- 10
हल्कू ने उठकर कहा- क्या तू खेत से होकर आ रही है?
| घटनाएँ =
 
'''जन्म''' - [[गणेशशंकर विद्यार्थी]], [[गोदावरीश मिश्र]], [[राम प्रकाश गुप्त]], [[प्रीति सिंह]], [[ठाकुर प्रसाद सिंह]], [[हृदयनाथ मंगेशकर‎‎]], [[वेमपति चिन्ना सत्यम]], [[मधुकर दिघे]], [[जेरेमी लालरिनुंगा]]<br /> 
 
'''मृत्यु''' - [[डी. वी. पलुस्कर]], [[डी. आर. बेंद्रे]], [[मन्मथनाथ गुप्त]], [[क्रांति त्रिवेदी]], [[बलराज भल्ला]]}}
 
| रवि5 ={{DATE
मुन्नी बोली- हाँऐ सारे खेत का सत्यानाश हो गया। भला, ऐसा भी कोई सोता है। तुम्हारे यहाँ मँडैया डालने से क्या हुआ?
| दिनांक =[[27 अक्टूबर|27]]
 
| दिनांक/माह/वर्ष=27102024
 
| तिथि सूचना =शाके 05 गते 12<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[एकादशी]], [[मघा नक्षत्र|मघा]]<br />हि. 23, इतवार, ज़ब्‌हा<br />बंगला- 11
 
| घटनाएँ =
हल्कू ने बहाना किया- मैं मरते-मरते बचा, तुझे अपने खेत की पडी है। पेट में ऐसा दर्द हुआ, ऐसा दर्द कि मैं ही जानता ँ!
'''जन्म''' - [[के. आर. नारायणन]], [[जतीन्द्रनाथ दास]], [[दिब्येन्दु बरुआ]], [[इरफ़ान पठान]], [[दत्ताजी राव गायकवाड़]], [[श्री श्रीवत्स गोस्वामी]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[प्रदीप कुमार]], [[डॉ. नगेन्द्र]], [[विजय मर्चेन्ट]], [[राजेन्द्र सिंह (ब्रिगेडियर)|ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह]], [[टी.एस.एस. राजन]], [[ब्रह्मबांधव उपाध्याय]], [[अकबर]], [[एस. एम. श्रीनागेश]]}}
 
| सोम5 ={{DATE
 
| दिनांक =[[28 अक्टूबर|28]]
दोनों फिर खेत के डाँड पर आए। देखा, सारा खेत रौंदा पडा हुआ है और जबरा मँडैया के नीचे चित लेटा है, मानो प्राण ही न हों।
| दिनांक/माह/वर्ष=28102024
 
| तिथि सूचना =शाके 06 गते 13<br />
 
| तिथि सूचना =शाके 06 गते 13<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[एकादशी]]/[[द्वादशी]], [[पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र|पूर्वाफाल्गुनी]]<br />हि. 24, पीर, ज़ुब्रा<br />बंगला- 12
 
| घटनाएँ =[[रमा एकादशी]]<br />
दोनों खेत की दशा देख रहे थे। मुन्नी के मुख पर उदासी छायी थी, पर हल्कू प्रसन्न था।
'''जन्म''' - [[अंजान (गीतकार)|गीतकार अंजान]], [[सिस्टर निवेदिता]], [[उर्जित पटेल]], [[अशोक चह्वाण]], [[अतुल प्रसाद सेन]]<br />
 
'''मृत्यु''' - [[श्रीलाल शुक्ल]], [[शशिकला काकोदकर]], [[माधवन कृष्णन नायर]], [[राजेंद्र यादव]], [[मैक्स मूलर]]}}
 
| मंगल5 ={{DATE
 
| दिनांक =[[29 अक्टूबर|29]]
मुन्नी ने चिन्तित होकर कहा- अब मजूरी करके मालगुजारी भरनी पडेगी।
| दिनांक/माह/वर्ष=29102024
 
| तिथि सूचना =शाके 07 गते 14<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[द्वादशी]], [[उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र|उत्तराफाल्गुनी]]<br />हि. 25, मंगल, सर्फ़ा<br />बंगला- 13
 
| घटनाएँ =[[धनतेरस]], [[धन्वन्तरि जयन्ती]], [[प्रदोष व्रत]], [[गोवत्स द्वादशी]], [[वसु बारस]]<br />
 
'''जन्म''' - [[विजेन्द्र कुमार सिंह]], [[देवुसिंह चौहान]]<br /> 
हल्कू ने प्रसन्न मुख से कहा- रात को ठण्ड में यहाँ सोना तो न पडेगा।
'''मृत्यु''' - [[कमलादेवी चट्टोपाध्याय]], [[वी. आर. खानोलकर]]}}
 
| बुध5 ={{DATE
{{Theme purple}}
| दिनांक =[[30 अक्टूबर|30]]
| दिनांक/माह/वर्ष=30102024
| तिथि सूचना =शाके 08 गते 15<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[त्रयोदशी]], [[हस्त नक्षत्र|हस्त]]<br />हि. 26, बुध, अव्वा<br />बंगला- 14
| घटनाएँ =
'''जन्म''' - [[होमी जहाँगीर भाभा]], [[सुकुमार राय]], [[भाई महावीर]], [[बरुन डे]], [[अभिजीत भट्टाचार्य]], [[प्रमोद महाजन]]<br />
'''मृत्यु''' - [[दयानंद सरस्वती]], [[वी शांताराम]], [[बेगम अख़्तर]], [[विनोद मेहरा]], [[रॉबिन शॉ]], [[ख़्वाजा खुर्शीद अनवर]], [[यूसुफ़ हुसैन]]}}
| गुरु5 ={{DATE
| दिनांक =[[31 अक्टूबर|31]]
| दिनांक/माह/वर्ष=31102024
| तिथि सूचना =शाके 09 गते 16<br />[[कृष्ण पक्ष]], [[चतुर्दशी]], [[चित्रा नक्षत्र|चित्रा]]<br />हि. 27, जुमेरात, सिमाक<br />बंगला- 15
| घटनाएँ =[[नरक चतुर्दशी]], [[राष्ट्रीय एकता दिवस]]<br />
'''जन्म''' - [[सरदार पटेल]], [[नरेन्द्र देव]], [[जी. माधवन नायर]], [[नरिंदर सिंह कपानी]], [[सर्बानन्द सोनोवाल]], [[देबदीप मुखोपाध्याय]]<br />
'''मृत्यु''' - [[सचिन देव बर्मन]], [[इंदिरा गाँधी]], [[अमृता प्रीतम]], [[पी. लीला]], [[ब्रज कुमार नेहरू]]}}
}}
{{Month-Festival
| प्रमुख घटनाएँ =
*01 [[अन्तरराष्ट्रीय कॉफ़ी दिवस]], [[अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस]]
*02 [[गाँधी जयन्ती]], [[अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस]], [[वन्यजीव सप्ताह|वन्यजीव सप्ताह (02-08)]], [[विश्व आवास दिवस]]
*04 [[विश्व पशु कल्याण दिवस]]
*05 [[अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस]]
*08 [[भारतीय वायु सेना|वायु सेना दिवस]]
*09 [[विश्व डाक दिवस]]
*10 [[विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस]]
*12 [[विश्व दृष्टि दिवस]]
*16 [[विश्व खाद्य दिवस]]
*17 [[विश्व आघात दिवस]]
*20 [[विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस]]
*21 [[आज़ाद हिन्द फ़ौज स्थापना दिवस]], [[विश्व आयोडीन अल्पता दिवस]], [[पुलिस स्मृति दिवस]]
*24 [[विश्व पोलियो दिवस]]
*31 [[राष्ट्रीय एकता दिवस]]
| व्रत-उत्सव =
*2 [[सर्वपितृ अमावस्या]], [[शनि अमावस्या]], [[मातामह श्राद्ध]], [[पितृ विसर्जन]], [[पितृ पक्ष|पितृ पक्ष समाप्त]]
*3 [[नवरात्र|शारदीय नवरात्र प्रारम्भ]], [[महाराजा अग्रसेन|अग्रसेन जयंती]]
*9 [[स्कन्द षष्ठी]]
*11 [[दुर्गाष्टमी]], [[महानवमी]]
*12 [[महा नवमी]], [[दुर्गा नवमी]], [[नवरात्र|शारदीय नवरात्र समाप्त]]
*13 [[विजयादशमी|विजयादशमी (दशहरा)]], [[शमी पूजा]], [[पापांकुशा एकादशी]], [[भरत मिलाप]], [[मध्वाचार्य|मध्वाचार्य जयंती]]
*15 [[प्रदोष व्रत]]
*16 [[शरद पूर्णिमा]], [[पौर्णमासी व्रत]], [[कार्तिक स्नान|कार्तिक स्नान प्रारम्भ]]
*17 [[तुला संक्रान्ति]], [[वाल्मीकि|वाल्मीकि जयंती]]
*20 [[करवा चौथ]]
*24 [[अहोई अष्टमी]], [[राधाकुण्ड गोवर्धन|राधाकुण्ड स्नान,गोवर्धन]], [[कालाष्टमी]]
*28 [[रमा एकादशी]]
*29 [[धनतेरस]], [[धन्वन्तरि जयन्ती]], [[यम दीपम]], [[प्रदोष व्रत]], [[गोवत्स द्वादशी]], [[वसु बारस]]
*31 [[नरक चतुर्दशी]]
| जन्म दिवस =
*01 [[रामनाथ कोविंद]], [[सचिन देव बर्मन]]
*02 [[लाल बहादुर शास्त्री]], [[महात्मा गाँधी]]
*04 [[रामचन्द्र शुक्ल]]
*09 [[अमजद अली ख़ाँ]]
*07 [[दुर्गा भाभी]]
*11 [[जयप्रकाश नारायण]], [[अमिताभ बच्चन]]
*13 [[सी. के. नायडू]], [[अशोक कुमार]]
*14 [[लाला हरदयाल]]
*15 [[अब्दुल कलाम]]
*17 [[सर सैयद अहमद ख़ाँ]], [[स्मिता पाटिल]]
*18 [[इब्राहिम अल्काज़ी]], [[ओम पुरी]]
*20 [[वीरेन्द्र सहवाग]]
*22 [[अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ]]
*23 [[भैरोंसिंह शेखावत]]
*25 [[घनश्यामभाई ओझा]]
*27 [[के. आर. नारायणन]]
*30 [[होमी जहाँगीर भाभा]]
*31 [[सरदार पटेल]], [[जी. माधवन नायर]]
| मृत्यु दिवस =
*02 [[राजा रवि वर्मा]]
*07 [[गुरु गोबिन्द सिंह]]
*08 [[ प्रेमचंद]], [[जयप्रकाश नारायण]], [[रामविलास पासवान]]
*09 [[कांशी राम]], [[रवीन्द्र जैन]]
*10 [[जगजीत सिंह]]
*12 [[राम मनोहर लोहिया]]
*13 [[किशोर कुमार]]
*15 [[सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला']],  [[दुर्गा भाभी]]
*21 [[यश चोपड़ा]]
*24 [[मन्ना डे]]
*25 [[साहिर लुधियानवी]]
*29 [[कमलादेवी चट्टोपाध्याय]]
*30 [[वी शांताराम]]
*31 [[दयानंद सरस्वती]], [[इंदिरा गाँधी]]
}}
{{माह क्रम |पिछला=[[सितम्बर 2024]]|अगला=[[नवम्बर 2024]]}}
[[Category:अगस्त]][[Category:भारतकोश कॅलण्डर]][[Category:कैलंडर]][[Category:2024]]
__INDEX__

06:15, 8 अगस्त 2024 के समय का अवतरण


सितम्बर 2024 Asha4 नवम्बर 2024


राष्ट्रीय शाके- 1946
राष्ट्रीय आश्विन 9 से राष्ट्रीय कार्तिक 14 तक
विक्रम संवत- 2081
आश्विन वदी 14 से कार्तिक वदी 14 तक
अक्टूबर 2024 इस्लामी हिजरी- 1446
रबीउल अव्वल 27 से रबीउल आख़िर 27 तक
बंगला संवत- 1431
बंग आश्विन 16 से बंग कार्तिक 15 तक
मंगल
बुध
गुरु
शुक्र
शनि
रवि
सोम
मंगल
बुध
गुरु
शुक्र
शनि
रवि
सोम
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