"ज़िन्दगी़ चार कविताएँ -कन्हैयालाल नंदन": अवतरणों में अंतर
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;एक | |||
रूप की जब उजास लगती है | रूप की जब उजास लगती है | ||
ज़िन्दगी | ज़िन्दगी | ||
आसपास लगती | आसपास लगती है। | ||
तुमसे मिलने की चाह | तुमसे मिलने की चाह | ||
कुछ ऐसे | कुछ ऐसे | ||
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प्यास लगती है। | प्यास लगती है। | ||
;दो | |||
न कुछ कहना | न कुछ कहना | ||
पंक्ति 49: | पंक्ति 49: | ||
कि जैसे | कि जैसे | ||
रौशनी की | रौशनी की | ||
एक अपनी धमक होती | एक अपनी धमक होती है। | ||
वो इस अंदाज़ से | वो इस अंदाज़ से | ||
मन की तहों में | मन की तहों में | ||
पंक्ति 59: | पंक्ति 59: | ||
शबनम पिरोती है। | शबनम पिरोती है। | ||
;तीन | |||
जैसे तारों के नर्म बिस्तर पर | जैसे तारों के नर्म बिस्तर पर | ||
पंक्ति 74: | पंक्ति 74: | ||
पर कुतरती है। | पर कुतरती है। | ||
;चार | |||
ज़िन्दगी की ये ज़िद है | ज़िन्दगी की ये ज़िद है | ||
पंक्ति 95: | पंक्ति 95: | ||
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==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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13:46, 25 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
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