"जर्णा का अंग -कबीर": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Kabirdas-2.jpg |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
पंक्ति 10: पंक्ति 10:
|मृत्यु=1518 (लगभग)  
|मृत्यु=1518 (लगभग)  
|मृत्यु स्थान= [[मगहर]], [[उत्तर प्रदेश]]
|मृत्यु स्थान= [[मगहर]], [[उत्तर प्रदेश]]
|मुख्य रचनाएँ=साखी, सबद और रमैनी
|मुख्य रचनाएँ=[[साखी]], [[सबद]] और [[रमैनी]]
|यू-ट्यूब लिंक=
|यू-ट्यूब लिंक=
|शीर्षक 1=
|शीर्षक 1=
पंक्ति 31: पंक्ति 31:
{{Poemopen}}
{{Poemopen}}
<poem>
<poem>
भारी कहौं तो बहु डरौं, हलका कहूं तौ झूठ ।
भारी कहौं तो बहु डरौं, हलका कहूं तौ झूठ।
मैं का जाणौं राम कूं, नैनूं कबहूँ न दीठ ॥1॥
मैं का जाणौं राम कूं, नैनूं कबहूँ न दीठ॥1॥


दीठा है तो कस कहूँ, कह्या न को पतियाय ।
दीठा है तो कस कहूँ, कह्या न को पतियाय।
हरि जैसा है तैसा रहो, तू हरषि-हरषि गुण गाइ ॥2॥
हरि जैसा है तैसा रहो, तू हरषि-हरषि गुण गाइ॥2॥


पहुँचेंगे तब कहैंगे ,उमड़ैंगे उस ठांइ ।
पहुँचेंगे तब कहैंगे, उमड़ैंगे उस ठांइ।
अजहूँ बेरा समंद मैं, बोलि बिगूचैं कांइ ॥3॥
अजहूँ बेरा समंद मैं, बोलि बिगूचैं कांइ॥3॥
</poem>
</poem>
{{Poemclose}}
{{Poemclose}}

12:53, 25 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

जर्णा का अंग -कबीर
संत कबीरदास
संत कबीरदास
कवि कबीर
जन्म 1398 (लगभग)
जन्म स्थान लहरतारा ताल, काशी
मृत्यु 1518 (लगभग)
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ साखी, सबद और रमैनी
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कबीर की रचनाएँ

भारी कहौं तो बहु डरौं, हलका कहूं तौ झूठ।
मैं का जाणौं राम कूं, नैनूं कबहूँ न दीठ॥1॥

दीठा है तो कस कहूँ, कह्या न को पतियाय।
हरि जैसा है तैसा रहो, तू हरषि-हरषि गुण गाइ॥2॥

पहुँचेंगे तब कहैंगे, उमड़ैंगे उस ठांइ।
अजहूँ बेरा समंद मैं, बोलि बिगूचैं कांइ॥3॥















संबंधित लेख