"दो गुलाब के फूल छू गए जब से होठ अपावन मेरे -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
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तारों वाला नील दुशाला | तारों वाला नील दुशाला | ||
हस्तामलक हुए सुख सारे | हस्तामलक हुए सुख सारे दु:ख के ऐसे ढहे कगारे | ||
व्यंग्य-वचन लगता था जो कल वह अब अभिनन्दन लगता है। | व्यंग्य-वचन लगता था जो कल वह अब अभिनन्दन लगता है। | ||
14:03, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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दो गुलाब के फूल छू गए जब से होठ अपावन मेरे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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