"बहार आई -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
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झुक झूम-झूमकर डाल-डाल डोली, | झुक झूम-झूमकर डाल-डाल डोली, | ||
मायावी घूँघट उठते ही क्षण में | मायावी घूँघट उठते ही क्षण में | ||
रुक गया समय, पिघली | रुक गया समय, पिघली दु:ख की बदली। | ||
तुम गए, गई झर मन की कली-कली॥ | तुम गए, गई झर मन की कली-कली॥ | ||
14:04, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
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तुम आए कण-कण पर बहार आई |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |