"मुलायम सिंह यादव": अवतरणों में अंतर

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{{लेख विस्तार}}
{{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ
[[चित्र:मुलायम सिंह यादव.jpg|thumb|मुलायम सिंह यादव]]
|चित्र=Mulayam-Singh-Yadav.jpg
'''मुलायम सिंह यादव''' (जन्म- [[22 नवम्बर]], [[1939]]) एक प्रसिद्ध राजनेता और [[उत्तर प्रदेश]] के भूतपूर्व [[मुख्यमंत्री]] हैं। वे जनता के बीच 'धरतीपुत्र' के नाम से भी जाने जाते हैं। मुलायम सिंह तीन बार, [[1989]] से [[1991]] तक, [[1993]] से [[1995]] तक और [[2003]] से [[2007]] तक, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की गरिमा बढ़ा चुके हैं। वे केंन्द्र सरकार में एक बार रक्षामंत्री के पद को भी सुशोभित कर चुके हैं। [[भारत]] की 'समाजवादी पार्टी' के वे अध्यक्ष हैं।
|चित्र का नाम=मुलायम सिंह यादव
==जीवन परिचय==
|पूरा नाम=मुलायम सिंह यादव
[[नवम्बर]], 1939 को [[इटावा ज़िला]], सैफई गाँव के एक किसान परिवार में मुलायम सिंह यादव का जन्म हुआ था। उनकी [[माता]] का नाम 'मूर्ती देवी' व [[पिता]] 'सुधर सिंह' थे। मुलायम सिंह अपने पाँच भाई-बहनों में रतन सिंह से छोटे व अभयराम सिंह, शिवपाल सिंह यादव, रामगोपाल सिंह यादव और कमला देवी से बड़े हैं। मुलायम सिंह के पिता उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे। राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एम.ए.) और जैन इन्टर कालेज, करहल ([[मैनपुरी]]) से बी. टी. कि डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने कुछ दिनों तक इन्टर कालेज में अध्यापन कार्य भी किया।
|अन्य नाम=
|जन्म=[[22 नवम्बर]], [[1939]]
|जन्म भूमि=सैफई गाँव, [[इटावा]], [[उत्तर प्रदेश]]
|मृत्यु=[[10 अक्टूबर]], [[2022]]
|मृत्यु स्थान=गुरुग्राम, [[हरियाणा]]
|मृत्यु कारण=
|अभिभावक=सुधर सिंह ([[पिता]]), मूर्ति देवी ([[माता]]),
|पति/पत्नी=स्व. मालती देवी (प्रथम पत्नी), साधना गुप्ता
|संतान=[[अखिलेश यादव]], प्रतीक यादव
|स्मारक=
|क़ब्र=
|नागरिकता=भारतीय
|प्रसिद्धि='किसान नेता' और 'धरतीपुत्र' के नाम से प्रसिद्ध
|पार्टी='[[समाजवादी पार्टी]]'
|पद=पूर्व [[मुख्यमंत्री]], [[उत्तर प्रदेश]] (तीन बार)
|भाषा=
|जेल यात्रा=आपात काल में 19 [[माह]] जेल में रहे।
|कार्य काल='''मुख्यमंत्री'''- [[5 दिसम्बर]], [[1989]] से [[24 जनवरी]], [[1991]]; 5 दिसम्बर, [[1993]] से [[3 जून]], [[1995]] और [[29 अगस्त]], [[2003]] से [[11 मई]], [[2007]]<br />
'''रक्षामंत्री'''- [[1996]] से [[1998]]
|विद्यालय='आगरा विश्वविद्यालय', जैन इन्टर कालेज ([[मैनपुरी]])
|शिक्षा=एम.ए., बी.टी.
|पुरस्कार-उपाधि=[[पद्म विभूषण (2023)|पद्म विभूषण, 2023]]
|विशेष योगदान=
|संबंधित लेख=
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|अन्य जानकारी=वर्ष [[1954]] में मात्र 15 वर्ष की आयु में महान् समाजवादी नेता [[डॉ. राम मनोहर लोहिया]] के आह्वान पर 'नहर रेट आन्दोलन' में भाग लिया और पहली बार जेल गए।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन={{अद्यतन|12:39, 8 जुलाई 2023 (IST)}}
}}'''मुलायम सिंह यादव''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mulayam Singh Yadav'', जन्म- [[22 नवम्बर]], [[1939]]; मृत्यु- [[10 अक्टूबर]], [[2022]]) प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ, समाजवादी नेता और [[उत्तर प्रदेश]] के भूतपूर्व [[मुख्यमंत्री]] थे। वे एक किसान नेता और जनता के बीच 'नेताजी' तथा 'धरतीपुत्र' के नाम से भी जाने जाते थे। मुलायम सिंह यादव तीन बार- [[1989]] से [[1991]] तक, [[1993]] से [[1995]] तक और फिर [[2003]] से [[2007]] तक, [[उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री]] पद की गरिमा बढ़ा चुके थे। केंन्द्र सरकार में एक बार रक्षामंत्री के पद को भी सुशोभित किया। [[भारत]] की [[समाजवादी पार्टी]] के वे अध्यक्ष थे। मुलायम सिंह यादव के विषय में [[चौधरी चरण सिंह]] कहते थे- "यह छोटे कद का बड़ा नेता है।" कालांतर में उसी छोटे कद के बड़े नेता ने चौधरी चरण सिंह की पूरी राजनीतिक विरासत पर क़ब्ज़ा कर लिया और उनके बेटे [[अजित सिंह]] को सियासत के हाशिये पर पहुँचा दिया।<ref name="ab">{{cite web |url=http://www.tehelkahindi.com/rajyavar/%E0%A4%89%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%B0-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6/1445.html |title=मुलायम सिंह यादव: मैं हूँ और नहीं भी|accessmonthday=4 दिसम्बर|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
==परिचय==
[[नवम्बर]], 1939 को [[इटावा ज़िला]], सैफई गाँव के एक किसान [[परिवार]] में मुलायम सिंह यादव का जन्म हुआ था। उनकी [[माता]] का नाम 'मूर्ति देवी' व [[पिता]] 'सुधर सिंह' थे। मुलायम सिंह अपने पाँच भाई-बहनों में रतन सिंह से छोटे व अभयराम सिंह, शिवपाल सिंह यादव, रामगोपाल सिंह यादव और कमला देवी से बड़े हैं। मुलायम सिंह के पिता उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे। राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एम.ए.) और जैन इन्टर कालेज, करहल ([[मैनपुरी]]) से बी. टी. कि डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने कुछ दिनों तक इन्टर कॉलेज में अध्यापन कार्य भी किया।
====विवाह====
====विवाह====
मुलायम सिंह जी का प्रथम [[विवाह]] मालती देवी के साथ हुआ था। उनके पुत्र [[अखिलेश यादव]] का जन्म इन्हीं के गर्भ से [[1 जुलाई]], [[1973]] को हुआ। लेकिन अखिलेश यादव के बाल्यकाल में ही मालती देवी का स्वर्गवास हो गया। इसके बाद मुलायम सिंह यादव का दूसरा विवाह साधना गुप्ता के साथ सम्पन्न हुआ। जिनसे इन्हें प्रतीक यादव के रूप में दूसरे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।  
मुलायम सिंह जी का प्रथम [[विवाह]] मालती देवी के साथ हुआ था। उनके पुत्र [[अखिलेश यादव]] का जन्म इन्हीं के गर्भ से [[1 जुलाई]], [[1973]] को हुआ। लेकिन अखिलेश यादव के बाल्यकाल में ही मालती देवी का स्वर्गवास हो गया। इसके बाद मुलायम सिंह यादव का दूसरा विवाह साधना गुप्ता के साथ सम्पन्न हुआ, जिनसे इन्हें प्रतीक यादव के रूप में दूसरे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।
==राजनीति में प्रवेश==
==राजनीति में प्रवेश==
'समाजवादी पार्टी' के नेता मुलायम सिंह यादव पिछले तीन दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात मुलायम सिंह ने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से ही अपना राजनीतिक सफर आरम्भ किया था। [[1967]] में वह पहली बार [[उत्तर प्रदेश]], विधान सभा के लिए चुने गए थे। शुरुआत से ही मुलायम सिंह यादव दलितों और पिछड़े वर्गों से जुड़े मुद्दे उठाते रहे और आज भी यह वर्ग उनका सबसे बड़ा आधार हैं। [[अयोध्या]] में बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर [[हिन्दू]] कट्टपंथी संगठनो के उनके मुखर विरोध ने मुलायम सिंह को [[मुस्लिम]] समुदाय में भी लोकप्रिय बना दिया। [[1992]] में बाबरी मस्जिद टूटने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति सांप्रदायिक आधार पर बँट गई और मुलायम सिंह को राज्य के मुस्लिमों का समर्थन हासिल हुआ। अल्पसंख्यकों के प्रति उनके रुझान को देखते हुए कहीं-कहीं उन पर "मौलाना मुलायम" का ठप्पा भी लगा। 1992 में उन्होंने जनता दल छोड़ कर समाजवादी पार्टी की स्थापना की और [[1993]] में वह उत्तर प्रदेश के [[मुख्यमंत्री]] बने, किंतु [[1995]] में 'बहुजन समाज पार्टी' के समर्थन वापस लेने से मुलायम सिंह सरकार गिर गई।
'समाजवादी पार्टी' के नेता मुलायम सिंह यादव पिछले तीन दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात् मुलायम सिंह ने नत्थूसिंह के परम्परागत [[विधान सभा]] क्षेत्र जसवन्त नगर से ही अपना राजनीतिक सफर आरम्भ किया था। मुलायम सिंह यादव जसवंत नगर और फिर [[इटावा]] की सहकारी बैंक के निदेशक चुने गए थे। [[विधायक]] का चुनाव भी 'सोशलिस्ट पार्टी' और फिर 'प्रजा सोशलिस्ट पार्टी' से लड़ा था। इसमें उन्होंने विजय भी प्राप्त की। उन्होंने स्कूल के अध्यापन कार्य से इस्तीफा दे दिया था। पहली बार मंत्री बनने के लिए मुलायम सिंह यादव को [[1977]] तक इंतज़ार करना पड़ा, जब [[कांग्रेस]] विरोधी लहर में उत्तर प्रदेश में भी जनता सरकार बनी थी। [[1980]] में भी कांग्रेस की सरकार में वे राज्य मंत्री रहे और फिर चौधरी चरण सिंह के लोकदल के अध्यक्ष बने और विधान सभा चुनाव हार गए। चौधरी साहब ने [[विधान परिषद]] में मनोनीत करवाया, जहाँ वे प्रतिपक्ष के नेता भी रहे।
====लोकप्रियता====
[[1967]] में मुलायम सिंह पहली बार [[उत्तर प्रदेश]], विधान सभा के लिए चुने गए थे। शुरुआत से ही मुलायम सिंह यादव दलितों और पिछड़े वर्गों से जुड़े मुद्दे उठाते रहे और आज भी यह वर्ग उनका सबसे बड़ा आधार हैं, जहाँ उन्हें बहुत लोकप्रियता प्राप्त है। [[अयोध्या]] में बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर [[हिन्दू]] कट्टपंथी संगठनो के उनके मुखर विरोध ने मुलायम सिंह को [[मुस्लिम]] समुदाय में भी लोकप्रिय बना दिया। [[1992]] में बाबरी मस्जिद टूटने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति सांप्रदायिक आधार पर बँट गई और मुलायम सिंह को राज्य के मुस्लिमों का समर्थन हासिल हुआ। अल्पसंख्यकों के प्रति उनके रुझान को देखते हुए कहीं-कहीं उन पर "मौलाना मुलायम" का ठप्पा भी लगा।<ref>{{cite web |url=http://www.bbc.co.uk/hindi/news/020223_mulayamprofile_sz.shtml |title=मुलायम सिंह यादव |accessmonthday=31 अगस्त |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
==मुख्यमंत्री==
सन [[1989]] में जब उत्तर प्रदेश सरकार का गठन होने वाला था, तब मुख्यमंत्री पद की दौड़ में दो नेता थे- मुलायम सिंह और अजित सिंह। मुलायम सिंह जनाधार वाले नेता थे, जबकि अजित सिंह [[अमेरिका]] से लौटे थे। [[वी. पी. सिंह]] हर हाल में अजित सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। मुलायम सिंह को यह मंजूर नहीं था। मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए [[गुजरात]] के समाजवादी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल को [[लखनऊ]] भेजा गया। वे उस समय उत्तर प्रदेश के [[जनता दल]] प्रभारी थे। वी. पी. सिंह का दबाव उनके ऊपर था कि अजित को फाइनल करें। यहाँ मुलायम सिंह यादव ने जबरदस्त राजनीतिक चातुर्य का प्रदर्शन किया। चिमनभाई पटेल ने लखनऊ से लौटते ही मुलायम सिंह के नाम पर ठप्पा लगा दिया।
 
वर्ष [[1993]] में मुलायम सिंह यादव ने '[[बहुजन समाज पार्टी]]' के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि यह मोर्चा जीता नहीं, लेकिन '[[भारतीय जनता पार्टी]]' भी सरकार बनाने से चूक गई। मुलायम सिंह यादव ने [[कांग्रेस]] और जनता दल दोनों का साथ लिया और फिर मुख्यमंत्री बन गए। [[जून]] [[1995]] तक वे [[मुख्यमंत्री]] रहे और उसके बाद कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया।
 
मुलायम सिंह यादव तीसरी बार [[2003]] में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और विधायक बनने के लिए उन्होंने [[2004]] की [[जनवरी]] में गुन्नौर सीट से चुनाव लड़ा था, जहाँ उन्होंने रिकॉर्ड बहुमत से विजय प्राप्त की थी। कुल डाले गए मतों में से 92 प्रतिशत मत उन्हें प्राप्त हुए थे, जो आज तक [[विधानसभा]] चुनाव का एक शानदार रिकॉर्ड है।<ref name="ac"/>
==प्रधानमंत्री पद के दावेदार==
[[1996]] में मुलायम सिंह यादव [[ग्यारहवीं लोकसभा सांसद|ग्यारहवीं लोकसभा]] के लिए [[मैनपुरी]] [[लोकसभा]] क्षेत्र से चुने गए थे और उस समय जो संयुक्त मोर्चा सरकार बनी थी, उसमें मुलायम सिंह भी शामिल थे और देश के रक्षामंत्री बने थे। यह सरकार बहुत लंबे समय तक चली नहीं। मुलायम सिंह यादव को [[प्रधानमंत्री]] बनाने की भी बात चली थी। प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वे सबसे आगे खड़े थे, किंतु उनके सजातियों ने उनका साथ नहीं दिया। [[लालू प्रसाद यादव]] और [[शरद यादव]] ने उनके इस इरादे पर पानी फेर दिया। इसके बाद चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल से [[लोकसभा]] में वापस लौटे। असल में वे [[कन्नौज]] भी जीते थे, किंतु वहाँ से उन्होंने अपने बेटे [[अखिलेश यादव]] को [[सांसद]] बनाया।<ref name="ac">{{cite web |url=http://yadukul.blogspot.in/2010/03/blog-post_02.html |title=मुलायम सिंह यादव|accessmonthday=4 दिसम्बर|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
====केंद्रीय राजनीति====
====केंद्रीय राजनीति====
केंद्रीय राजनीति में मुलायम सिंह का प्रवेश [[1996]] में हुआ, जब [[काँग्रेस]] पार्टी को हरा कर संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई। [[एच. डी. देवेगौडा]] के नेतृत्व वाली इस सरकार में वह रक्षामंत्री बनाए गए थे, किंतु यह सरकार भी ज़्यादा दिन चल नहीं पाई और तीन साल में [[भारत]] को दो [[प्रधानमंत्री]] देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई। '[[भारतीय जनता पार्टी]]' के साथ उनकी विमुखता से लगता था, वह काँग्रेस के नज़दीक होंगे, लेकिन [[1999]] में उनके समर्थन का आश्वासन ना मिलने पर काँग्रेस सरकार बनाने में असफल रही और दोनों पार्टियों के संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई। [[2002]] के [[उत्तर प्रदेश]] विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 391 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, जबकि 1996 के चुनाव में उसने केवल 281 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था।
केंद्रीय राजनीति में मुलायम सिंह का प्रवेश [[1996]] में हुआ, जब [[काँग्रेस]] पार्टी को हरा कर संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई। [[एच. डी. देवेगौडा]] के नेतृत्व वाली इस सरकार में वह रक्षामंत्री बनाए गए थे, किंतु यह सरकार भी ज़्यादा दिन चल नहीं पाई और तीन साल में [[भारत]] को दो [[प्रधानमंत्री]] देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई। '[[भारतीय जनता पार्टी]]' के साथ उनकी विमुखता से लगता था, वह काँग्रेस के नज़दीक होंगे, लेकिन [[1999]] में उनके समर्थन का आश्वासन ना मिलने पर काँग्रेस सरकार बनाने में असफल रही और दोनों पार्टियों के संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई। [[2002]] के [[उत्तर प्रदेश]] विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 391 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, जबकि 1996 के चुनाव में उसने केवल 281 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था।
====राजनैतिक दर्शन तथा विदेश यात्रा====
====राजनीतिक दर्शन तथा विदेश यात्रा====
मुलायम सिंह यादव की राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों में अटूट आस्था रही है। भारतीय भाषाओं, भारतीय संस्कृति और शोषित पीड़ित वर्गों के हितों के लिए उनका अनवरत संघर्ष जारी रहा है। उन्होंने [[ब्रिटेन]], [[रूस]], [[फ्रांस]], [[जर्मनी]], स्विटजरलैण्ड, पोलैंड और [[नेपाल]] आदि देशों की भी यात्राएँ की हैं।
मुलायम सिंह यादव की राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों में अटूट आस्था रही है। भारतीय भाषाओं, भारतीय संस्कृति और शोषित पीड़ित वर्गों के हितों के लिए उनका अनवरत संघर्ष जारी रहा है। उन्होंने [[ब्रिटेन]], [[रूस]], [[फ्रांस]], [[जर्मनी]], स्विटजरलैण्ड, पोलैंड और [[नेपाल]] आदि देशों की भी यात्राएँ की हैं।
==राजनीतिक सफर==
#वर्ष [[1954]] में मात्र 15 वर्ष की आयु में महान समाजवादी नेता [[डॉ. राम मनोहर लोहिया]] के आह्वान पर 'नहर रेट आन्दोलन' में भाग लिया और पहली बार जेल गए।
#वर्ष [[1967]] में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर प्रथम बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये।
#पुनः वर्ष [[1974]], [[1977]], [[1985]], [[1989]], [[1991]], [[1993]], [[1996]] और [[2004]] तथा [[2007]] में दस बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये।
#वर्ष [[1977]]-[[1978]] में श्री राम नरेश यादव और श्री बनारसी दास मंत्रिमण्डल में सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री बनाए गए।
#तीन बार उत्तर प्रदेश के [[मुख्यमंत्री]] रहे - वर्ष 1989 से 1991 तक, वर्ष 1993 से 1995 तक और वर्ष [[2003]] से [[2007]] तक।
#वर्ष [[1982]] से 1985 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य और नेता विरोधी दल रहे।
#वर्ष 1985 से [[1987]] तक [[उत्तर प्रदेश]] विधान सभा में नेता, विरोधी दल रहे। पुनः [[14 मई]], [[2007]] से [[26 मई]], [[2009]] तक उत्तर प्रदेश विधान सभा में नेता, विरोधी दल रहे।
#वर्ष 1996, [[1998]], [[1999]], [[2004]] और [[2009]] में [[लोकसभा]] के सदस्य चुने गये।
#[[प्रधानमंत्री]] श्री [[एच. डी. देवेगौडा]] और श्री [[इन्द्र कुमार गुजराल]] की सरकारों में 1996 से 1998 तक [[भारत]] के रक्षामंत्री का पदभार सम्भाला।
#मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में [[4 नवम्बर]] और [[5 नवम्बर]], 1992 को [[लखनऊ]] में समाजवादी पार्टी की स्थापना की गयी। भारत के राजनीतिक इतिहास की यह एक क्रान्तिकारी घटना थी, जब लगभग डेढ़-दो दशकों से मृतप्राय समाजवादी आन्दोलन को पुनर्जीवित किया गया।
#समाजवादी पार्टी की स्थापना से पूर्व मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश लोकदल और उत्तर प्रदेश जनता दल के अध्यक्ष रहे थे।
#आपात काल में मुलायम सिंह 19 माह जेल में भी रहे।
#[[अक्टूबर]], 1992 में [[देवरिया]] के रामकोला में [[गन्ना]] किसानों पर पुलिस फ़ायरिंग के ख़िलाफ़ चलाए गए किसान आन्दोलन सहित विभिन्न आन्दोलनों में 9 बार [[इटावा]], [[वाराणसी]] और फ़तेहगढ़ आदि जेलों में रहे।
==लोकसभा सदस्य==
==लोकसभा सदस्य==
{{दाँयाबक्सा|पाठ=
कहा जाता है कि मुलायम सिंह [[उत्तर प्रदेश]] की किसी भी जनसभा में कम से कम पचास लोगों को नाम लेकर मंच पर बुला सकते हैं। समाजवाद के [[फ़्राँसीसी]] पुरोधा 'कॉम डी सिमॉन' की अभिजात्यवर्गीय पृष्ठभूमि के विपरीत उनका भारतीय संस्करण केंद्रीय भारत के कभी निपट गाँव रहे सैंफई के अखाड़े में तैयार हुआ है। वहाँ उन्होंने पहलवानी के साथ ही राजनीति के पैंतरे भी सीखे।<ref name="ab"/>|विचारक=}}
[[लोकसभा]] से मुलायम सिंह यादव [[:श्रेणी:ग्यारहवीं लोकसभा सांसद|ग्यारहवीं]], [[:श्रेणी:बारहवीं लोकसभा सांसद|बारहवीं]], [[:श्रेणी:तेरहवीं लोकसभा सांसद|तेरहवीं]] और [[:श्रेणी:पंद्रहवीं लोकसभा सांसद|पंद्रहवीं]] लोकसभा के सदस्य चुने गये थे।
[[लोकसभा]] से मुलायम सिंह यादव [[:श्रेणी:ग्यारहवीं लोकसभा सांसद|ग्यारहवीं]], [[:श्रेणी:बारहवीं लोकसभा सांसद|बारहवीं]], [[:श्रेणी:तेरहवीं लोकसभा सांसद|तेरहवीं]] और [[:श्रेणी:पंद्रहवीं लोकसभा सांसद|पंद्रहवीं]] लोकसभा के सदस्य चुने गये थे।
====सदस्यता====
====सदस्यता====
पंक्ति 33: पंक्ति 64:
*विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद 1982-1985  
*विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद 1982-1985  
*विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान सभा 1985-1987
*विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान सभा 1985-1987
==केंद्रीय कैबिनेट मंत्री==
====केंद्रीय कैबिनेट मंत्री====
*मंत्री सहकारिता और पशुपालन 1977
*सहकारिता और पशुपालन मंत्री ([[1977]])
*रक्षा मंत्री 1996-1998  
*रक्षा मंत्री ([[1996]]-[[1998]])
====भाजपा से नजदीकी====
मुलायम सिंह यादव मीडिया को कोई भी ऐसा मौका नहीं देते, जिससे कि उनके ऊपर '[[भाजपा]]' के क़रीबी होने का आरोप लगे। जबकि राजनीतिक हलकों में यह बात मशहूर है कि [[अटल बिहारी वाजपेयी]] से उनके व्यक्तिगत रिश्ते बेहद मधुर थे। वर्ष [[2003]] में उन्होंने भाजपा के अप्रत्यक्ष सहयोग से ही प्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी। अब [[2012]] में उनका आकलन सच भी साबित हुआ। [[उत्तर प्रदेश]] में '[[समाजवादी पार्टी]]' को अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल हुई है। 45 [[मुस्लिम]] विधायक उनके दल में हैं।
====पुरस्कार व सम्मान====
पूर्व [[मुख्यमंत्री]] एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को [[28 मई]], 2012 को [[लंदन]] में 'अंतर्राष्ट्रीय जूरी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ़ जूरिस्ट की जारी विज्ञप्ति में हाईकोर्ट ऑफ़ लंदन के सेवानिवृत्त न्यायाधीश सर गाविन लाइटमैन ने बताया कि श्री यादव का इस पुरस्कार के लिये चयन बार और पीठ की प्रगति में बेझिझक योगदान देना है। उन्होंने कहा कि श्री यादव का विधि एवं न्याय क्षेत्र से जुड़े लोगों में भाईचारा पैदा करने में सहयोग दुनियाभर में लाजवाब है।
 
ज्ञातव्य है कि मुलायम सिंह यादव ने विधि क्षेत्र में ख़ासा योगदान दिया है। समाज में भाईचारे की भावना पैदाकर मुलायम सिंह यादव का लोगों को न्‍याय दिलाने में विशेष योगदान है। उन्होंने कई विधि विश्‍वविद्यालयों में भी महत्त्वपूर्ण योगदान किया है।
==मुलायम सिंह पर पुस्तकें==
मुलायम सिंह पर कई पुस्तकें भी लिखी जा चुकी हैं। इनमें पहली पुस्तक का नाम 'मुलायम सिंह यादव- चिन्तन और विचार' का है, जिसे अशोक कुमार शर्मा ने सम्पादित किया था। इसके अतिरिक्त राम सिंह तथा अंशुमान यादव द्वारा लिखी गयी 'मुलायम सिंह: ए पॉलिटिकल बायोग्राफ़ी' अब उनकी प्रमाणिक जीवनी है। [[लखनऊ]] की पत्रकार डॉ. नूतन ठाकुर ने भी मुलायम सिंह यादव के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व को रेखांकित करते हुए एक पुस्तक लिखने का कार्य किया है।
==राजनीतिक सफर==
{| width="100%" class="bharattable-pink"
|+राजनीतिक सफर<ref>{{cite web |url=http://uplegassembly.nic.in/Mulayam%20Singh.html |title= मुलायम सिंह यादव|accessmonthday= 31 अगस्त|accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल. |publisher= |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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!क्र.स.
!विवरण
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|1.
|वर्ष [[1954]] में मात्र 15 वर्ष की आयु में महान् समाजवादी नेता [[डॉ. राम मनोहर लोहिया]] के आह्वान पर 'नहर रेट आन्दोलन' में भाग लिया और पहली बार जेल गए।
|-
|2.
|वर्ष [[1967]] में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर प्रथम बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये।
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|3.
|पुनः वर्ष [[1974]], [[1977]], [[1985]], [[1989]], [[1991]], [[1993]], [[1996]] और [[2004]] तथा [[2007]] में दस बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये।
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|4.
|वर्ष [[1977]]-[[1978]] में [[राम नरेश यादव|श्री राम नरेश यादव]] और [[बनारसी दास|श्री बनारसी दास]] मंत्रिमण्डल में सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री बनाए गए।
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|5.
|तीन बार उत्तर प्रदेश के [[मुख्यमंत्री]] रहे - वर्ष 1989 से 1991 तक, वर्ष 1993 से 1995 तक और वर्ष [[2003]] से [[2007]] तक।
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|6.
|वर्ष [[1982]] से 1985 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य और नेता विरोधी दल रहे।
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|7.
|वर्ष 1985 से [[1987]] तक [[उत्तर प्रदेश]] विधान सभा में नेता, विरोधी दल रहे। पुनः [[14 मई]], [[2007]] से [[26 मई]], [[2009]] तक उत्तर प्रदेश विधान सभा में नेता, विरोधी दल रहे।
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|8.
|वर्ष 1996, [[1998]], [[1999]], [[2004]] और [[2009]] में [[लोकसभा]] के सदस्य चुने गये।
|-
|9.
|[[प्रधानमंत्री]] श्री [[एच. डी. देवेगौडा]] और श्री [[इन्द्र कुमार गुजराल]] की सरकारों में 1996 से 1998 तक [[भारत]] के रक्षामंत्री का पदभार सम्भाला।
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|मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में [[4 नवम्बर]] और [[5 नवम्बर]], 1992 को [[लखनऊ]] में समाजवादी पार्टी की स्थापना की गयी। भारत के राजनीतिक इतिहास की यह एक क्रान्तिकारी घटना थी, जब लगभग डेढ़-दो दशकों से मृतप्राय समाजवादी आन्दोलन को पुनर्जीवित किया गया।
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|समाजवादी पार्टी की स्थापना से पूर्व मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश लोकदल और उत्तर प्रदेश जनता दल के अध्यक्ष रहे थे।
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|आपात काल में मुलायम सिंह 19 [[माह]] जेल में भी रहे।
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|[[अक्टूबर]], 1992 में [[देवरिया]] के रामकोला में [[गन्ना]] किसानों पर पुलिस फ़ायरिंग के ख़िलाफ़ चलाए गए किसान आन्दोलन सहित विभिन्न आन्दोलनों में 9 बार [[इटावा]], [[वाराणसी]] और फ़तेहगढ़ आदि जेलों में रहे।
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मुलायम सिंह यादव स्वतंत्रता के बाद आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक न्याय के क्षेत्र में संघर्ष करने वाले [[चौधरी चरण सिंह]] के उत्तराधिकारी हैं। वे [[डॉ. भीमराव अम्बेडकर]] के भी उत्तराधिकारी हैं और खुले दिमाग के एक संघर्षशील समाजवादी कार्यकर्ता के रूप में [[राम मनोहर लोहिया]], [[जयप्रकाश नारायण]], [[आचार्य नरेन्द्र देव]], मधुलिमये और राज नारायण, इन सबके विचारों और राजनीतिक प्रयोगों और प्रयासों के उत्तराधिकारी हैं। डॉ. लोहिया के विचारों पर '[[समाजवादी पार्टी]]' का गठन करने वाले मुलायम सिंह यादव एक बार फिर से राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने के लिए कमर कस चुके हैं।<ref name="ab"/>
==मृत्यु==
[[उत्तर प्रदेश]] की राजनीति में विशेष स्थान रखने वाले भूतपूर्व [[मुख्यमंत्री]] व समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव का निधन [[10 अक्टूबर]], [[2022]] को गुरुग्राम, [[हरियाणा]] में हुआ।
 
समाजवादी पार्टी के संस्‍थापक और तीन बार [[उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री]] रहे मुलायम सिंह यादव को यूरिन संक्रमण, ब्‍लड प्रेशर की दिक्‍कत और सांस लेने में तकलीफ की वजह से [[2 अक्टूबर]], 2022 को मेदांता अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था। तभी से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। नौ दिन तक मेदांता के आईसीयू और क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) में जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहने के बाद नेताजी ने सोमवार के दिन सुबह 8:16 बजे अंतिम सांस ली। 82 साल की उम्र में सुबह के समय उनका निधन हुआ।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
;मुलायम सिंह पर पुस्तकें
*[http://www.flipkart.com/mulayam-singh-yadav-chintan-aur-vichar-8128811703/p/itmdytpffkvrbcez?pid=9788128811708 'मुलायम सिंह यादव- चिन्तन और विचार']
*[http://catalogue.nla.gov.au/Record/1620317 'मुलायम सिंह: ए पोलिटिकल बायोग्राफ़ी']
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
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07:09, 8 जुलाई 2023 के समय का अवतरण

मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव
पूरा नाम मुलायम सिंह यादव
जन्म 22 नवम्बर, 1939
जन्म भूमि सैफई गाँव, इटावा, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 10 अक्टूबर, 2022
मृत्यु स्थान गुरुग्राम, हरियाणा
अभिभावक सुधर सिंह (पिता), मूर्ति देवी (माता),
पति/पत्नी स्व. मालती देवी (प्रथम पत्नी), साधना गुप्ता
संतान अखिलेश यादव, प्रतीक यादव
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि 'किसान नेता' और 'धरतीपुत्र' के नाम से प्रसिद्ध
पार्टी 'समाजवादी पार्टी'
पद पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश (तीन बार)
कार्य काल मुख्यमंत्री- 5 दिसम्बर, 1989 से 24 जनवरी, 1991; 5 दिसम्बर, 1993 से 3 जून, 1995 और 29 अगस्त, 2003 से 11 मई, 2007

रक्षामंत्री- 1996 से 1998

शिक्षा एम.ए., बी.टी.
विद्यालय 'आगरा विश्वविद्यालय', जैन इन्टर कालेज (मैनपुरी)
जेल यात्रा आपात काल में 19 माह जेल में रहे।
पुरस्कार-उपाधि पद्म विभूषण, 2023
अन्य जानकारी वर्ष 1954 में मात्र 15 वर्ष की आयु में महान् समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर 'नहर रेट आन्दोलन' में भाग लिया और पहली बार जेल गए।
अद्यतन‎

मुलायम सिंह यादव (अंग्रेज़ी: Mulayam Singh Yadav, जन्म- 22 नवम्बर, 1939; मृत्यु- 10 अक्टूबर, 2022) प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ, समाजवादी नेता और उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे। वे एक किसान नेता और जनता के बीच 'नेताजी' तथा 'धरतीपुत्र' के नाम से भी जाने जाते थे। मुलायम सिंह यादव तीन बार- 1989 से 1991 तक, 1993 से 1995 तक और फिर 2003 से 2007 तक, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की गरिमा बढ़ा चुके थे। केंन्द्र सरकार में एक बार रक्षामंत्री के पद को भी सुशोभित किया। भारत की समाजवादी पार्टी के वे अध्यक्ष थे। मुलायम सिंह यादव के विषय में चौधरी चरण सिंह कहते थे- "यह छोटे कद का बड़ा नेता है।" कालांतर में उसी छोटे कद के बड़े नेता ने चौधरी चरण सिंह की पूरी राजनीतिक विरासत पर क़ब्ज़ा कर लिया और उनके बेटे अजित सिंह को सियासत के हाशिये पर पहुँचा दिया।[1]

परिचय

नवम्बर, 1939 को इटावा ज़िला, सैफई गाँव के एक किसान परिवार में मुलायम सिंह यादव का जन्म हुआ था। उनकी माता का नाम 'मूर्ति देवी' व पिता 'सुधर सिंह' थे। मुलायम सिंह अपने पाँच भाई-बहनों में रतन सिंह से छोटे व अभयराम सिंह, शिवपाल सिंह यादव, रामगोपाल सिंह यादव और कमला देवी से बड़े हैं। मुलायम सिंह के पिता उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे। राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एम.ए.) और जैन इन्टर कालेज, करहल (मैनपुरी) से बी. टी. कि डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने कुछ दिनों तक इन्टर कॉलेज में अध्यापन कार्य भी किया।

विवाह

मुलायम सिंह जी का प्रथम विवाह मालती देवी के साथ हुआ था। उनके पुत्र अखिलेश यादव का जन्म इन्हीं के गर्भ से 1 जुलाई, 1973 को हुआ। लेकिन अखिलेश यादव के बाल्यकाल में ही मालती देवी का स्वर्गवास हो गया। इसके बाद मुलायम सिंह यादव का दूसरा विवाह साधना गुप्ता के साथ सम्पन्न हुआ, जिनसे इन्हें प्रतीक यादव के रूप में दूसरे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

राजनीति में प्रवेश

'समाजवादी पार्टी' के नेता मुलायम सिंह यादव पिछले तीन दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात् मुलायम सिंह ने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से ही अपना राजनीतिक सफर आरम्भ किया था। मुलायम सिंह यादव जसवंत नगर और फिर इटावा की सहकारी बैंक के निदेशक चुने गए थे। विधायक का चुनाव भी 'सोशलिस्ट पार्टी' और फिर 'प्रजा सोशलिस्ट पार्टी' से लड़ा था। इसमें उन्होंने विजय भी प्राप्त की। उन्होंने स्कूल के अध्यापन कार्य से इस्तीफा दे दिया था। पहली बार मंत्री बनने के लिए मुलायम सिंह यादव को 1977 तक इंतज़ार करना पड़ा, जब कांग्रेस विरोधी लहर में उत्तर प्रदेश में भी जनता सरकार बनी थी। 1980 में भी कांग्रेस की सरकार में वे राज्य मंत्री रहे और फिर चौधरी चरण सिंह के लोकदल के अध्यक्ष बने और विधान सभा चुनाव हार गए। चौधरी साहब ने विधान परिषद में मनोनीत करवाया, जहाँ वे प्रतिपक्ष के नेता भी रहे।

लोकप्रियता

1967 में मुलायम सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश, विधान सभा के लिए चुने गए थे। शुरुआत से ही मुलायम सिंह यादव दलितों और पिछड़े वर्गों से जुड़े मुद्दे उठाते रहे और आज भी यह वर्ग उनका सबसे बड़ा आधार हैं, जहाँ उन्हें बहुत लोकप्रियता प्राप्त है। अयोध्या में बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर हिन्दू कट्टपंथी संगठनो के उनके मुखर विरोध ने मुलायम सिंह को मुस्लिम समुदाय में भी लोकप्रिय बना दिया। 1992 में बाबरी मस्जिद टूटने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति सांप्रदायिक आधार पर बँट गई और मुलायम सिंह को राज्य के मुस्लिमों का समर्थन हासिल हुआ। अल्पसंख्यकों के प्रति उनके रुझान को देखते हुए कहीं-कहीं उन पर "मौलाना मुलायम" का ठप्पा भी लगा।[2]

मुख्यमंत्री

सन 1989 में जब उत्तर प्रदेश सरकार का गठन होने वाला था, तब मुख्यमंत्री पद की दौड़ में दो नेता थे- मुलायम सिंह और अजित सिंह। मुलायम सिंह जनाधार वाले नेता थे, जबकि अजित सिंह अमेरिका से लौटे थे। वी. पी. सिंह हर हाल में अजित सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। मुलायम सिंह को यह मंजूर नहीं था। मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए गुजरात के समाजवादी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल को लखनऊ भेजा गया। वे उस समय उत्तर प्रदेश के जनता दल प्रभारी थे। वी. पी. सिंह का दबाव उनके ऊपर था कि अजित को फाइनल करें। यहाँ मुलायम सिंह यादव ने जबरदस्त राजनीतिक चातुर्य का प्रदर्शन किया। चिमनभाई पटेल ने लखनऊ से लौटते ही मुलायम सिंह के नाम पर ठप्पा लगा दिया।

वर्ष 1993 में मुलायम सिंह यादव ने 'बहुजन समाज पार्टी' के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि यह मोर्चा जीता नहीं, लेकिन 'भारतीय जनता पार्टी' भी सरकार बनाने से चूक गई। मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस और जनता दल दोनों का साथ लिया और फिर मुख्यमंत्री बन गए। जून 1995 तक वे मुख्यमंत्री रहे और उसके बाद कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया।

मुलायम सिंह यादव तीसरी बार 2003 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और विधायक बनने के लिए उन्होंने 2004 की जनवरी में गुन्नौर सीट से चुनाव लड़ा था, जहाँ उन्होंने रिकॉर्ड बहुमत से विजय प्राप्त की थी। कुल डाले गए मतों में से 92 प्रतिशत मत उन्हें प्राप्त हुए थे, जो आज तक विधानसभा चुनाव का एक शानदार रिकॉर्ड है।[3]

प्रधानमंत्री पद के दावेदार

1996 में मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं लोकसभा के लिए मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुने गए थे और उस समय जो संयुक्त मोर्चा सरकार बनी थी, उसमें मुलायम सिंह भी शामिल थे और देश के रक्षामंत्री बने थे। यह सरकार बहुत लंबे समय तक चली नहीं। मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने की भी बात चली थी। प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वे सबसे आगे खड़े थे, किंतु उनके सजातियों ने उनका साथ नहीं दिया। लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इस इरादे पर पानी फेर दिया। इसके बाद चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल से लोकसभा में वापस लौटे। असल में वे कन्नौज भी जीते थे, किंतु वहाँ से उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को सांसद बनाया।[3]

केंद्रीय राजनीति

केंद्रीय राजनीति में मुलायम सिंह का प्रवेश 1996 में हुआ, जब काँग्रेस पार्टी को हरा कर संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई। एच. डी. देवेगौडा के नेतृत्व वाली इस सरकार में वह रक्षामंत्री बनाए गए थे, किंतु यह सरकार भी ज़्यादा दिन चल नहीं पाई और तीन साल में भारत को दो प्रधानमंत्री देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई। 'भारतीय जनता पार्टी' के साथ उनकी विमुखता से लगता था, वह काँग्रेस के नज़दीक होंगे, लेकिन 1999 में उनके समर्थन का आश्वासन ना मिलने पर काँग्रेस सरकार बनाने में असफल रही और दोनों पार्टियों के संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई। 2002 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 391 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, जबकि 1996 के चुनाव में उसने केवल 281 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था।

राजनीतिक दर्शन तथा विदेश यात्रा

मुलायम सिंह यादव की राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों में अटूट आस्था रही है। भारतीय भाषाओं, भारतीय संस्कृति और शोषित पीड़ित वर्गों के हितों के लिए उनका अनवरत संघर्ष जारी रहा है। उन्होंने ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्विटजरलैण्ड, पोलैंड और नेपाल आदि देशों की भी यात्राएँ की हैं।

लोकसभा सदस्य

कहा जाता है कि मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश की किसी भी जनसभा में कम से कम पचास लोगों को नाम लेकर मंच पर बुला सकते हैं। समाजवाद के फ़्राँसीसी पुरोधा 'कॉम डी सिमॉन' की अभिजात्यवर्गीय पृष्ठभूमि के विपरीत उनका भारतीय संस्करण केंद्रीय भारत के कभी निपट गाँव रहे सैंफई के अखाड़े में तैयार हुआ है। वहाँ उन्होंने पहलवानी के साथ ही राजनीति के पैंतरे भी सीखे।[1]

लोकसभा से मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये थे।

सदस्यता

  • विधान परिषद 1982-1985
  • विधान सभा 1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 (आठ बार)
  • विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान परिषद 1982-1985
  • विपक्ष के नेता, उत्तर प्रदेश विधान सभा 1985-1987

केंद्रीय कैबिनेट मंत्री

  • सहकारिता और पशुपालन मंत्री (1977)
  • रक्षा मंत्री (1996-1998)

भाजपा से नजदीकी

मुलायम सिंह यादव मीडिया को कोई भी ऐसा मौका नहीं देते, जिससे कि उनके ऊपर 'भाजपा' के क़रीबी होने का आरोप लगे। जबकि राजनीतिक हलकों में यह बात मशहूर है कि अटल बिहारी वाजपेयी से उनके व्यक्तिगत रिश्ते बेहद मधुर थे। वर्ष 2003 में उन्होंने भाजपा के अप्रत्यक्ष सहयोग से ही प्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी। अब 2012 में उनका आकलन सच भी साबित हुआ। उत्तर प्रदेश में 'समाजवादी पार्टी' को अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल हुई है। 45 मुस्लिम विधायक उनके दल में हैं।

पुरस्कार व सम्मान

पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को 28 मई, 2012 को लंदन में 'अंतर्राष्ट्रीय जूरी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ़ जूरिस्ट की जारी विज्ञप्ति में हाईकोर्ट ऑफ़ लंदन के सेवानिवृत्त न्यायाधीश सर गाविन लाइटमैन ने बताया कि श्री यादव का इस पुरस्कार के लिये चयन बार और पीठ की प्रगति में बेझिझक योगदान देना है। उन्होंने कहा कि श्री यादव का विधि एवं न्याय क्षेत्र से जुड़े लोगों में भाईचारा पैदा करने में सहयोग दुनियाभर में लाजवाब है।

ज्ञातव्य है कि मुलायम सिंह यादव ने विधि क्षेत्र में ख़ासा योगदान दिया है। समाज में भाईचारे की भावना पैदाकर मुलायम सिंह यादव का लोगों को न्‍याय दिलाने में विशेष योगदान है। उन्होंने कई विधि विश्‍वविद्यालयों में भी महत्त्वपूर्ण योगदान किया है।

मुलायम सिंह पर पुस्तकें

मुलायम सिंह पर कई पुस्तकें भी लिखी जा चुकी हैं। इनमें पहली पुस्तक का नाम 'मुलायम सिंह यादव- चिन्तन और विचार' का है, जिसे अशोक कुमार शर्मा ने सम्पादित किया था। इसके अतिरिक्त राम सिंह तथा अंशुमान यादव द्वारा लिखी गयी 'मुलायम सिंह: ए पॉलिटिकल बायोग्राफ़ी' अब उनकी प्रमाणिक जीवनी है। लखनऊ की पत्रकार डॉ. नूतन ठाकुर ने भी मुलायम सिंह यादव के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व को रेखांकित करते हुए एक पुस्तक लिखने का कार्य किया है।

राजनीतिक सफर

राजनीतिक सफर[4]
क्र.स. विवरण
1. वर्ष 1954 में मात्र 15 वर्ष की आयु में महान् समाजवादी नेता डॉ. राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर 'नहर रेट आन्दोलन' में भाग लिया और पहली बार जेल गए।
2. वर्ष 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर प्रथम बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये।
3. पुनः वर्ष 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993, 1996 और 2004 तथा 2007 में दस बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गये।
4. वर्ष 1977-1978 में श्री राम नरेश यादव और श्री बनारसी दास मंत्रिमण्डल में सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री बनाए गए।
5. तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे - वर्ष 1989 से 1991 तक, वर्ष 1993 से 1995 तक और वर्ष 2003 से 2007 तक।
6. वर्ष 1982 से 1985 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य और नेता विरोधी दल रहे।
7. वर्ष 1985 से 1987 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा में नेता, विरोधी दल रहे। पुनः 14 मई, 2007 से 26 मई, 2009 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा में नेता, विरोधी दल रहे।
8. वर्ष 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में लोकसभा के सदस्य चुने गये।
9. प्रधानमंत्री श्री एच. डी. देवेगौडा और श्री इन्द्र कुमार गुजराल की सरकारों में 1996 से 1998 तक भारत के रक्षामंत्री का पदभार सम्भाला।
10. मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में 4 नवम्बर और 5 नवम्बर, 1992 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी की स्थापना की गयी। भारत के राजनीतिक इतिहास की यह एक क्रान्तिकारी घटना थी, जब लगभग डेढ़-दो दशकों से मृतप्राय समाजवादी आन्दोलन को पुनर्जीवित किया गया।
11. समाजवादी पार्टी की स्थापना से पूर्व मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश लोकदल और उत्तर प्रदेश जनता दल के अध्यक्ष रहे थे।
12. आपात काल में मुलायम सिंह 19 माह जेल में भी रहे।
13. अक्टूबर, 1992 में देवरिया के रामकोला में गन्ना किसानों पर पुलिस फ़ायरिंग के ख़िलाफ़ चलाए गए किसान आन्दोलन सहित विभिन्न आन्दोलनों में 9 बार इटावा, वाराणसी और फ़तेहगढ़ आदि जेलों में रहे।

मुलायम सिंह यादव स्वतंत्रता के बाद आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक न्याय के क्षेत्र में संघर्ष करने वाले चौधरी चरण सिंह के उत्तराधिकारी हैं। वे डॉ. भीमराव अम्बेडकर के भी उत्तराधिकारी हैं और खुले दिमाग के एक संघर्षशील समाजवादी कार्यकर्ता के रूप में राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, आचार्य नरेन्द्र देव, मधुलिमये और राज नारायण, इन सबके विचारों और राजनीतिक प्रयोगों और प्रयासों के उत्तराधिकारी हैं। डॉ. लोहिया के विचारों पर 'समाजवादी पार्टी' का गठन करने वाले मुलायम सिंह यादव एक बार फिर से राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने के लिए कमर कस चुके हैं।[1]

मृत्यु

उत्तर प्रदेश की राजनीति में विशेष स्थान रखने वाले भूतपूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव का निधन 10 अक्टूबर, 2022 को गुरुग्राम, हरियाणा में हुआ।

समाजवादी पार्टी के संस्‍थापक और तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव को यूरिन संक्रमण, ब्‍लड प्रेशर की दिक्‍कत और सांस लेने में तकलीफ की वजह से 2 अक्टूबर, 2022 को मेदांता अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था। तभी से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। नौ दिन तक मेदांता के आईसीयू और क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) में जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहने के बाद नेताजी ने सोमवार के दिन सुबह 8:16 बजे अंतिम सांस ली। 82 साल की उम्र में सुबह के समय उनका निधन हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 मुलायम सिंह यादव: मैं हूँ और नहीं भी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 4 दिसम्बर, 2012।
  2. मुलायम सिंह यादव (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 31 अगस्त, 2012।
  3. 3.0 3.1 मुलायम सिंह यादव (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 4 दिसम्बर, 2012।
  4. मुलायम सिंह यादव (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.)। । अभिगमन तिथि: 31 अगस्त, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

मुलायम सिंह पर पुस्तकें

संबंधित लेख

पंद्रहवीं लोकसभा सांसद