"पद गावै लौंलीन ह्वै -कबीर": अवतरणों में अंतर
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[[कबीरदास]] कहते हैं कि हे मानव! यदि संशय का बंधन नहीं कटा तो सर्वथा प्रभु में लीन होकर पद गाने से कुछ भी लाभ नहीं हो सकता। विश्वास-रहित सारी साधना वैसे ही व्यर्थ है जैसे बिना अन्नकण के थोथे तुष ( | [[कबीरदास]] कहते हैं कि हे मानव! यदि संशय का बंधन नहीं कटा तो सर्वथा प्रभु में लीन होकर पद गाने से कुछ भी लाभ नहीं हो सकता। विश्वास-रहित सारी साधना वैसे ही व्यर्थ है जैसे बिना अन्नकण के थोथे तुष (ख़ाली सूप) को पछोरना। | ||
11:17, 5 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
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पद गावै लौंलीन ह्वै, कटी न संसै पास। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! यदि संशय का बंधन नहीं कटा तो सर्वथा प्रभु में लीन होकर पद गाने से कुछ भी लाभ नहीं हो सकता। विश्वास-रहित सारी साधना वैसे ही व्यर्थ है जैसे बिना अन्नकण के थोथे तुष (ख़ाली सूप) को पछोरना।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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