"कबीर सूता क्या करै -कबीर": अवतरणों में अंतर
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14:51, 11 जनवरी 2014 के समय का अवतरण
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कबीर सूता क्या करै, जागि न जपै मुरारि। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास जीव को चेतावनी देते हैं कि हे जीव ! तू अज्ञान-निद्रा में सोते हुए क्या कर रहा है? जग कर अर्थात् इस निद्रा को त्याग कर भगवान का स्मरण कर। एक दिन तो तुझे पैर फैलाकर चिर निन्द्रा में मग्न होना ही है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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