"विशेषण": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('विशेषण की परिभाषा- संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की वि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(5 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 20 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
विशेषण की परिभाषा- संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द ‘विशेषण’ कहलाते हैं। जैसे-बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि।
[[संज्ञा (व्याकरण)|संज्ञा]] अथवा [[सर्वनाम]] शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द ‘विशेषण’ कहलाते हैं। <br />
विशेष्य- जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाए वह विशेष्य कहलाता है। यथा- गीता सुन्दर है। इसमें ‘सुन्दर’ विशेषण है और ‘गीता’ विशेष्य है। विशेषण शब्द विशेष्य से पूर्व भी आते हैं और उसके बाद भी।
जैसे - बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि।<br />
पूर्व में, जैसे- (1) थोड़ा-सा जल लाओ। (2) एक मीटर कपड़ा ले आना।
{{tocright}}
बाद में, जैसे- (1) यह रास्ता लंबा है। (2) खीरा कड़वा है।
*विशेषण [[सार्थक शब्द (व्याकरण)|सार्थक शब्दों]] के आठ भेदों में एक भेद है।
विशेषण के भेद- विशेषण के चार भेद हैं-
*[[व्याकरण (व्यावहारिक)|व्याकरण]] में विशेषण एक [[विकारी शब्द]] है।
1. गुणवाचक।
==विशेष्य==
2. परिमाणवाचक।
जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाए वह विशेष्य कहलाता है। <br />
3. संख्यावाचक।
 
4. संकेतवाचक अथवा सार्वनामिक।
*यथा- गीता सुन्दर है। इसमें ‘सुन्दर’ विशेषण है और ‘गीता’ विशेष्य है।  
1. गुणवाचक विशेषण
*विशेषण शब्द विशेष्य से पूर्व भी आते हैं और उसके बाद भी।
जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के गुण-दोष का बोध हो वे गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-
*पूर्व में, जैसे-  
(1) भाव- अच्छा, बुरा, कायर, वीर, डरपोक आदि।
#थोड़ा-सा जल लाओ।  
(2) रंग- लाल, हरा, पीला, सफेद, काला, चमकीला, फीका आदि।
#एक मीटर कपड़ा ले आना।
(3) दशा- पतला, मोटा, सूखा, गाढ़ा, पिघला, भारी, गीला, गरीब, अमीर, रोगी, स्वस्थ, पालतू आदि।
*बाद में, जैसे-  
(4) आकार- गोल, सुडौल, नुकीला, समान, पोला आदि।
#यह रास्ता लंबा है।  
(5) समय- अगला, पिछला, दोपहर, संध्या, सवेरा आदि।
#खीरा कड़वा है।
(6) स्थान- भीतरी, बाहरी, पंजाबी, जापानी, पुराना, ताजा, आगामी आदि।
==विशेषण के भेद==
(7) गुण- भला, बुरा, सुन्दर, मीठा, खट्टा, दानी,सच, झूठ, सीधा आदि।
विशेषण के चार भेद हैं-
(8) दिशा- उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी आदि।
#गुणवाचक।
2. परिमाणवाचक विशेषण
#परिमाणवाचक।
जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा अथवा नाप-तोल का ज्ञान हो वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
#संख्यावाचक।
परिमाणवाचक विशेषण के दो उपभेद है-
#संकेतवाचक अथवा सार्वनामिक।
(1) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से वस्तु की निश्चित मात्रा का ज्ञान हो। जैसे-
==गुणवाचक विशेषण==
*जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के गुण-दोष का बोध हो वे गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-
{| class="bharattable" style="text-align:center"
|-
!क्रम 
!विशेषण
!संज्ञा अथवा सर्वनाम
|-
|1-         
|भाव            
|अच्छा, बुरा, कायर, वीर, डरपोक आदि।            
|-
|2-      
|रंग            
|लाल, हरा, पीला, सफ़ेद, काला, चमकीला, फीका आदि।              
|-
|3-     
|दशा                  
|पतला, मोटा, सूखा, गाढ़ा, पिघला, भारी, गीला, ग़रीब, अमीर, रोगी, स्वस्थ, पालतू आदि।          
|-
|4-       
|आकार                
|गोल, सुडौल, नुकीला, समान, पोला आदि।    
|-
|5-   
|समय                  
|अगला, पिछला, दोपहर, संध्या, सवेरा आदि।          
|-
|6-         
|स्थान                    
|भीतरी, बाहरी, पंजाबी, जापानी, पुराना, ताजा, आगामी आदि।
|-
|7-         
|गुण            
|भला, बुरा, सुन्दर, मीठा, खट्टा, दानी,सच, झूठ, सीधा आदि।        
|-
|8-      
|दिशा            
|उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी आदि।
|}
==परिमाणवाचक विशेषण==
*जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा अथवा नाप-तोल का ज्ञान हो वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
*परिमाणवाचक विशेषण के दो उपभेद है-
#निश्चित परिमाणवाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से वस्तु की निश्चित मात्रा का ज्ञान हो। जैसे-
(क) मेरे सूट में साढ़े तीन मीटर कपड़ा लगेगा।
(क) मेरे सूट में साढ़े तीन मीटर कपड़ा लगेगा।
(ख) दस किलो चीनी ले आओ।
(ख) दस किलो चीनी ले आओ।
(ग) दो लिटर दूध गरम करो।
(ग) दो लिटर दूध गरम करो।
(2) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से वस्तु की अनिश्चित मात्रा का ज्ञान हो। जैसे-
#अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से वस्तु की अनिश्चित मात्रा का ज्ञान हो। जैसे-
(क) थोड़ी-सी नमकीन वस्तु ले आओ।
(क) थोड़ी-सी नमकीन वस्तु ले आओ।
(ख) कुछ आम दे दो।
(ख) कुछ आम दे दो।
(ग) थोड़ा-सा दूध गरम कर दो।
(ग) थोड़ा-सा दूध गरम कर दो।
3. संख्यावाचक विशेषण
==संख्यावाचक विशेषण==
जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध हो वे संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-एक, दो, द्वितीय, दुगुना, चौगुना, पाँचों आदि।
*जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध हो वे संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे - एक, दो, द्वितीय, दुगुना, चौगुना, पाँचों आदि।
संख्यावाचक विशेषण के दो उपभेद हैं-
*संख्यावाचक विशेषण के दो उपभेद हैं-<br />
(1) निश्चित संख्यावाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध हो। जैसे-दो पुस्तकें मेरे लिए ले आना।
 
निश्चित संख्यावाचक के निम्नलिखित चार भेद हैं-
'''निश्चित संख्यावाचक विशेषण''' <br />
(क) गणवाचक- जिन शब्दों के द्वारा गिनती का बोध हो। जैसे-
 
(1) एक लड़का स्कूल जा रहा है।
जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध हो। जैसे - दो पुस्तकें मेरे लिए ले आना।<br />
(2) पच्चीस रुपये दीजिए।
 
(3) कल मेरे यहाँ दो मित्र आएँगे।
'''निश्चित संख्यावाचक के निम्नलिखित चार भेद हैं''' -<br />
(4) चार आम लाओ।
 
(ख) क्रमवाचक- जिन शब्दों के द्वारा संख्या के क्रम का बोध हो। जैसे-
(क) '''गणवाचक''' - जिन शब्दों के द्वारा गिनती का बोध हो। जैसे-
(1) पहला लड़का यहाँ आए।
 
(2) दूसरा लड़का वहाँ बैठे।
(1) एक लड़का स्कूल जा रहा है।<br />
(3) राम कक्षा में प्रथम रहा।
(2) पच्चीस रुपये दीजिए।<br />
(4) श्याम द्वितीय श्रेणी में पास हुआ है।
(3) कल मेरे यहाँ दो मित्र आएँगे।<br />
(ग) आवृत्तिवाचक- जिन शब्दों के द्वारा केवल आवृत्ति का बोध हो। जैसे-
(4) चार आम लाओ।<br />
(1) मोहन तुमसे चौगुना काम करता है।
 
(2) गोपाल तुमसे दुगुना मोटा है।
(ख) '''क्रमवाचक''' - जिन शब्दों के द्वारा संख्या के क्रम का बोध हो। जैसे-
(घ) समुदायवाचक- जिन शब्दों के द्वारा केवल सामूहिक संख्या का बोध हो। जैसे-
 
(1) तुम तीनों को जाना पड़ेगा।
(1) पहला लड़का यहाँ आए।<br />
(2) यहाँ से चारों चले जाओ।
(2) दूसरा लड़का वहाँ बैठे।<br />
(2) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध न हो। जैसे-कुछ बच्चे पार्क में खेल रहे हैं।
(3) राम कक्षा में प्रथम रहा।<br />
4. संकेतवाचक (निर्देशक) विशेषण
(4) श्याम द्वितीय श्रेणी में पास हुआ है।<br />
जो सर्वनाम संकेत द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं वे संकेतवाचक विशेषण कहलाते हैं।
 
विशेष-क्योंकि संकेतवाचक विशेषण सर्वनाम शब्दों से बनते हैं, अतः ये सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। इन्हें निर्देशक भी कहते हैं।
(ग) '''आवृत्तिवाचक''' - जिन शब्दों के द्वारा केवल आवृत्ति का बोध हो। जैसे-<br />
(1) परिमाणवाचक विशेषण और संख्यावाचक विशेषण में अंतर- जिन वस्तुओं की नाप-तोल की जा सके उनके वाचक शब्द परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-‘कुछ दूध लाओ’। इसमें ‘कुछ’ शब्द तोल के लिए आया है। इसलिए यह परिमाणवाचक विशेषण है। 2.जिन वस्तुओं की गिनती की जा सके उनके वाचक शब्द संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-कुछ बच्चे इधर आओ। यहाँ पर ‘कुछ’ बच्चों की गिनती के लिए आया है। इसलिए यह संख्यावाचक विशेषण है। परिमाणवाचक विशेषणों के बाद द्रव्य अथवा पदार्थवाचक संज्ञाएँ आएँगी जबकि संख्यावाचक विशेषणों के बाद जातिवाचक संज्ञाएँ आती हैं।
(1) मोहन तुमसे चौगुना काम करता है।<br />
(2) सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर- जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा शब्द के स्थान पर हो उसे सर्वनाम कहते हैं। जैसे-वह मुंबई गया। इस वाक्य में वह सर्वनाम है। जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा से पूर्व अथवा बाद में विशेषण के रूप में किया गया हो उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे-वह रथ आ रहा है। इसमें वह शब्द रथ का विशेषण है। अतः यह सार्वनामिक विशेषण है।
(2) गोपाल तुमसे दुगुना मोटा है।<br />
विशेषण की अवस्थाएँ
 
विशेषण शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं। विशेषता बताई जाने वाली वस्तुओं के गुण-दोष कम-ज्यादा होते हैं। गुण-दोषों के इस कम-ज्यादा होने को तुलनात्मक ढंग से ही जाना जा सकता है। तुलना की दृष्टि से विशेषणों की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ होती हैं-
(घ) '''समुदायवाचक''' - जिन शब्दों के द्वारा केवल सामूहिक संख्या का बोध हो। जैसे-<br />
(1) मूलावस्था
(1) तुम तीनों को जाना पड़ेगा।<br />
(2) उत्तरावस्था
(2) यहाँ से चारों चले जाओ।<br />
(3) उत्तमावस्था
 
(1) मूलावस्था
==अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण==
मूलावस्था में विशेषण का तुलनात्मक रूप नहीं होता है। वह केवल सामान्य विशेषता ही प्रकट करता है। जैसे- 1.सावित्री सुंदर लड़की है। 2.सुरेश अच्छा लड़का है। 3.सूर्य तेजस्वी है।
*जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध न हो। जैसे-कुछ बच्चे पार्क में खेल रहे हैं।
(2) उत्तरावस्था
==संकेतवाचक विशेषण==
जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के गुण-दोषों की तुलना की जाती है तब विशेषण उत्तरावस्था में प्रयुक्त होता है। जैसे- 1.रवीन्द्र चेतन से अधिक बुद्धिमान है। 2.सविता रमा की अपेक्षा अधिक सुन्दर है।
*जो सर्वनाम संकेत द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं वे संकेतवाचक विशेषण कहलाते हैं।<br />
(3) उत्तमावस्था
'''विशेष''' - क्योंकि संकेतवाचक विशेषण सर्वनाम शब्दों से बनते हैं, अतः ये सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। इन्हें निर्देशक भी कहते हैं।<br />
उत्तमावस्था में दो से अधिक व्यक्तियों एवं वस्तुओं की तुलना करके किसी एक को सबसे अधिक अथवा सबसे कम बताया गया है। जैसे- 1.पंजाब में अधिकतम अन्न होता है। 2.संदीप निकृष्टतम बालक है।
==परिमाणवाचक और संख्यावाचक विशेषण में अंतर==
विशेष-केवल गुणवाचक एवं अनिश्चित संख्यावाचक तथा निश्चित परिमाणवाचक विशेषणों की ही ये तुलनात्मक अवस्थाएँ होती हैं, अन्य विशेषणों की नहीं।
*जिन वस्तुओं की नाप-तोल की जा सके उनके वाचक शब्द परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-‘कुछ दूध लाओ’। इसमें ‘कुछ’ शब्द तोल के लिए आया है। इसलिए यह परिमाणवाचक विशेषण है।  
अवस्थाओं के रूप-
*जिन वस्तुओं की गिनती की जा सके उनके वाचक शब्द संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-कुछ बच्चे इधर आओ। यहाँ पर ‘कुछ’ बच्चों की गिनती के लिए आया है। इसलिए यह संख्यावाचक विशेषण है। परिमाणवाचक विशेषणों के बाद द्रव्य अथवा पदार्थवाचक संज्ञाएँ आएँगी जबकि संख्यावाचक विशेषणों के बाद जातिवाचक संज्ञाएँ आती हैं।
(1) अधिक और सबसे अधिक शब्दों का प्रयोग करके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था के रूप बनाए जा सकते हैं। जैसे-
 
मूलावस्था उत्तरावस्था उत्तमावस्था
==सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर==
अच्छी अधिक अच्छी सबसे अच्छी
जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा शब्द के स्थान पर हो उसे सर्वनाम कहते हैं। जैसे-वह मुंबई गया। इस वाक्य में वह सर्वनाम है। जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा से पूर्व अथवा बाद में विशेषण के रूप में किया गया हो उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे-वह रथ आ रहा है। इसमें वह शब्द रथ का विशेषण है। अतः यह सार्वनामिक विशेषण है।
चतुर अधिक चतुर सबसे अधिक चतुर
==विशेषण की अवस्थाएँ==
बुद्धिमान अधिक बुद्धिमान सबसे अधिक बुद्धिमान
विशेषण शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं। विशेषता बताई जाने वाली वस्तुओं के गुण-दोष कम-ज़्यादा होते हैं। गुण-दोषों के इस कम-ज़्यादा होने को तुलनात्मक ढंग से ही जाना जा सकता है। तुलना की दृष्टि से विशेषणों की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ होती हैं-
बलवान अधिक बलवान सबसे अधिक बलवान
#मूलावस्था
#उत्तरावस्था
#उत्तमावस्था<br />
'''मूलावस्था'''<br />
मूलावस्था में विशेषण का तुलनात्मक रूप नहीं होता है। वह केवल सामान्य विशेषता ही प्रकट करता है। जैसे-  
#सावित्री सुंदर लड़की है।  
#सुरेश अच्छा लड़का है।  
#सूर्य तेजस्वी है।<br />
'''उत्तरावस्था'''<br />
जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के गुण-दोषों की तुलना की जाती है तब विशेषण उत्तरावस्था में प्रयुक्त होता है। जैसे-  
#रवीन्द्र चेतन से अधिक बुद्धिमान है।  
#सविता रमा की अपेक्षा अधिक सुन्दर है।<br />
'''उत्तमावस्था'''<br />
उत्तमावस्था में दो से अधिक व्यक्तियों एवं वस्तुओं की तुलना करके किसी एक को सबसे अधिक अथवा सबसे कम बताया गया है। जैसे-  
#[[पंजाब]] में अधिकतम अन्न होता है।  
#संदीप निकृष्टतम बालक है।<br />
'''विशेष''' - केवल गुणवाचक एवं अनिश्चित संख्यावाचक तथा निश्चित परिमाणवाचक विशेषणों की ही ये तुलनात्मक अवस्थाएँ होती हैं, अन्य विशेषणों की नहीं।
==अवस्थाओं के रूप==
*अधिक और सबसे अधिक शब्दों का प्रयोग करके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था के रूप बनाए जा सकते हैं। जैसे-
 
{| class="bharattable" style="text-align:center"
|-
!मूलावस्था  
!उत्तरावस्था
!उत्तमावस्था
|-
|अच्छी            
|अधिक अच्छी            
|सबसे अच्छी              
|-
|चतुर      
|अधिक चतुर              
|सबसे अधिक चतुर          
|-
|बुद्धिमान      
|अधिक बुद्धिमान                
|सबसे अधिक बुद्धिमान            
|-
|बलवान        
|अधिक बलवान                
|सबसे अधिक बलवान
|}
 
इसी प्रकार दूसरे विशेषण शब्दों के रूप भी बनाए जा सकते हैं।
इसी प्रकार दूसरे विशेषण शब्दों के रूप भी बनाए जा सकते हैं।
(2) तत्सम शब्दों में मूलावस्था में विशेषण का मूल रूप, उत्तरावस्था में ‘तर’ और उत्तमावस्था में ‘तम’ का प्रयोग होता है। जैसे-
*तत्सम शब्दों में मूलावस्था में विशेषण का मूल रूप, उत्तरावस्था में ‘तर’ और उत्तमावस्था में ‘तम’ का प्रयोग होता है। जैसे-
{| class="wikitable" style="text-align:center"
 
{| class="bharattable" style="text-align:center"
|-
|-
!मूलावस्था     
!मूलावस्था     
पंक्ति 127: पंक्ति 213:
|मधुतरतम  
|मधुतरतम  
|}
|}
==विशेषणों की रचना==
==विशेषणों की रचना==
*कुछ शब्द मूलरूप में ही विशेषण होते हैं, किन्तु कुछ विशेषण शब्दों की रचना [[संज्ञा]], [[सर्वनाम]] एवं [[क्रिया]] शब्दों से की जाती है-
*कुछ शब्द मूलरूप में ही विशेषण होते हैं, किन्तु कुछ विशेषण शब्दों की रचना [[संज्ञा (व्याकरण)|संज्ञा]], [[सर्वनाम]] एवं [[क्रिया]] शब्दों से की जाती है-
(1) संज्ञा से विशेषण बनाना
{|
{| class="wikitable" style="text-align:center"
|-valign="top"
|
{| class="bharattable-purple" border="1"
|-valign="top"
|
{|
|+(1) संज्ञा से विशेषण बनाना
|-
|-
!प्रत्यय     
!प्रत्यय     
पंक्ति 136: पंक्ति 229:
!विशेषण  
!विशेषण  
|-
|-
|क           
| rowspan="8"|क           
|अंश               
|अंश               
|आंशिक               
|आंशिक               
|-
|-  
|+      
|धर्म           
|धर्म           
|धार्मिक                 
|धार्मिक                 
|-
|-  
| +     
|अलंकार                   
|अलंकार                   
|आलंकारिक             
|आलंकारिक             
|-
|-      
|+         
|नीति                 
|नीति                 
|नैतिक     
|नैतिक     
|-
|-
|+ 
| अर्थ                     
| अर्थ                     
|आर्थिक             
|आर्थिक             
|-
|-        
|+         
|दिन                     
|दिन                     
|दैनिक                   
|दैनिक                   
|-
|-    
|+         
|इतिहास               
|इतिहास               
|ऐतिहासिक     
|ऐतिहासिक     
|-
|-    
|+       
|देव       
|देव       
|दैविक   
|दैविक   
|-
|-
| इत           
| rowspan="6"|इत           
|अंक  
|अंक  
|अंकित           
|अंकित           
|-
|-
|+
|कुसुम
|कुसुम
|कुसुमित
|कुसुमित
|-
|-
|+
|सुरभि
|सुरभि
|सुरभित  
|सुरभित  
|-
|-  
|+       
|ध्वनि   
|ध्वनि   
|ध्वनित       
|ध्वनित       
|-
|-
|+
|क्षुधा
|क्षुधा
|क्षुधित  
|क्षुधित  
|-
|-
|+
|तरंग
|तरंग
|तरंगित 
|तरंगित 
|-
|-
|इल
| rowspan="4"|इल
|जटा
|जटा
|जटिल
|जटिल
|-
|-
|+
|पंक
|पंक
|पंकिल
|पंकिल
|-
|-  
|+       
|फेन  
|फेन  
|फेनिल       
|फेनिल       
|-
|-
|+
|उर्मि
|उर्मि
|उर्मिल        
|उर्मिल  
|-
|-
|इम       
| rowspan="2"|इम       
|स्वर्ण  
|स्वर्ण  
|स्वर्णिम       
|स्वर्णिम       
|-
|-
|+
|रक्त  
|रक्त  
|रक्तिम    
|रक्तिम  
|-
|-
|ई       
| rowspan="2"|ई       
|रोग  
|रोग  
|रोगी     
|रोगी     
|-
|-
|+
|भोग  
|भोग  
|भोगी        
|भोगी  
|-
|-
|ईन,ईण        
|ईन       
|कुल
|कुल
|कुलीन
|कुलीन      
|}
|
{| 
|-
|-
|+
!प्रत्यय   
!संज्ञा
!विशेषण
|-
|ईण
|ग्राम
|ग्राम
|ग्रामीण     
|ग्रामीण     
|-
|-
|ईय       
| rowspan="2"|ईय       
|आत्मा
|आत्मा
|आत्मीय
|आत्मीय
|-
|-
|+
|जाति
|जाति
|जातीय   
|जातीय   
|-
|-
|आलु         
| rowspan="2"|आलु         
|श्रद्धा
|श्रद्धा
|श्रद्धालु
|श्रद्धालु
|-
|-
|+
|ईर्ष्या
|ईर्ष्या
|ईर्ष्यालु     
|ईर्ष्यालु     
|-
|-
|वी         
| rowspan="2"|वी         
|मनस
|मनस
|मनस्वी
|मनस्वी
|-
|-
|+
|तपस
|तपस
|तपस्वी 
|तपस्वी 
|-
|-
|मय         
| rowspan="2"|मय         
|सुख
|सुख
|सुखमय
|सुखमय
|-
|-
|+
|दुख
|दुख
|दुखमय   
|दुखमय   
|-
|-
|वान         
| rowspan="2"|वान         
|रूप
|रूप
|रूपवान
|रूपवान
|-
|-
|+
|गुण
|गुण
|गुणवान   
|गुणवान   
|-
|-
|वती(स्त्री)       
| rowspan="2"|वती(स्त्री)       
|गुण
|गुण
|गुणवती
|गुणवती
|-
|-
|+
|पुत्र
|पुत्र
|पुत्रवती     
|पुत्रवती     
|-
|-
|मान       
|rowspan="2"|मान       
|बुद्धि
|बुद्धि
|बुद्धिमान
|बुद्धिमान
|-
|-
|+
|श्री  
|श्री  
|श्रीमान     
|श्रीमान     
|-
|-
| मती (स्त्री)       
| rowspan="2"|मती (स्त्री)       
|श्री  
|श्री  
|श्रीमती
|श्रीमती
|-
|-
|+
|बुद्धि  
|बुद्धि  
|बुद्धिमती     
|बुद्धिमती     
|-
|-
|रत       
| rowspan="2"|रत       
|धर्म
|धर्म
|धर्मरत
|धर्मरत
|-
|-
|+
|कर्म
|कर्म
|कर्मरत       
|कर्मरत       
|-
|-
|स्थ       
| rowspan="2"|स्थ       
|समीप
|समीप
|समीपस्थ
|समीपस्थ
|-
|-
|+
|देह
|देह
|देहस्थ   
|देहस्थ   
|-
|-
|निष्ठ   
| rowspan="2"|निष्ठ   
|धर्म  
|धर्म  
|धर्मनिष्ठ
|धर्मनिष्ठ
|-
|-
|+
|कर्म
|कर्म
|कर्मनिष्ठ
|कर्मनिष्ठ
|}
|}
(2) सर्वनाम से विशेषण बनाना
|}
{| class="wikitable" style="text-align:center"
|
{| class="bharattable-purple" border="1"
|-  
|
{|
|+(2) सर्वनाम से विशेषण बनाना
|-
|-
!सर्वनाम
!सर्वनाम
पंक्ति 334: पंक्ति 411:
|अलंकार                   
|अलंकार                   
|आलंकारिक             
|आलंकारिक             
|}  
|}  
(3) क्रिया से विशेषण बनाना
|-
{| class="wikitable" style="text-align:center"
|
{|
|+(3) क्रिया से विशेषण बनाना
|-
|-
!क्रिया
!क्रिया
पंक्ति 358: पंक्ति 437:
|पालना                 
|पालना                 
|पालने वाला             
|पालने वाला             
|}  
|}
 
|}
|}


[[Category:व्याकरण]]__INDEX__
==संबंधित लेख==
{{व्याकरण}}
[[Category:हिन्दी भाषा]][[Category:भाषा कोश]][[Category:व्याकरण]]
__INDEX__

09:14, 14 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण

संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द ‘विशेषण’ कहलाते हैं।
जैसे - बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि।

विशेष्य

जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाए वह विशेष्य कहलाता है।

  • यथा- गीता सुन्दर है। इसमें ‘सुन्दर’ विशेषण है और ‘गीता’ विशेष्य है।
  • विशेषण शब्द विशेष्य से पूर्व भी आते हैं और उसके बाद भी।
  • पूर्व में, जैसे-
  1. थोड़ा-सा जल लाओ।
  2. एक मीटर कपड़ा ले आना।
  • बाद में, जैसे-
  1. यह रास्ता लंबा है।
  2. खीरा कड़वा है।

विशेषण के भेद

विशेषण के चार भेद हैं-

  1. गुणवाचक।
  2. परिमाणवाचक।
  3. संख्यावाचक।
  4. संकेतवाचक अथवा सार्वनामिक।

गुणवाचक विशेषण

  • जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के गुण-दोष का बोध हो वे गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-
क्रम विशेषण संज्ञा अथवा सर्वनाम
1- भाव अच्छा, बुरा, कायर, वीर, डरपोक आदि।
2- रंग लाल, हरा, पीला, सफ़ेद, काला, चमकीला, फीका आदि।
3- दशा पतला, मोटा, सूखा, गाढ़ा, पिघला, भारी, गीला, ग़रीब, अमीर, रोगी, स्वस्थ, पालतू आदि।
4- आकार गोल, सुडौल, नुकीला, समान, पोला आदि।
5- समय अगला, पिछला, दोपहर, संध्या, सवेरा आदि।
6- स्थान भीतरी, बाहरी, पंजाबी, जापानी, पुराना, ताजा, आगामी आदि।
7- गुण भला, बुरा, सुन्दर, मीठा, खट्टा, दानी,सच, झूठ, सीधा आदि।
8- दिशा उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी आदि।

परिमाणवाचक विशेषण

  • जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा अथवा नाप-तोल का ज्ञान हो वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
  • परिमाणवाचक विशेषण के दो उपभेद है-
  1. निश्चित परिमाणवाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से वस्तु की निश्चित मात्रा का ज्ञान हो। जैसे-

(क) मेरे सूट में साढ़े तीन मीटर कपड़ा लगेगा। (ख) दस किलो चीनी ले आओ। (ग) दो लिटर दूध गरम करो।

  1. अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण- जिन विशेषण शब्दों से वस्तु की अनिश्चित मात्रा का ज्ञान हो। जैसे-

(क) थोड़ी-सी नमकीन वस्तु ले आओ। (ख) कुछ आम दे दो। (ग) थोड़ा-सा दूध गरम कर दो।

संख्यावाचक विशेषण

  • जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध हो वे संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे - एक, दो, द्वितीय, दुगुना, चौगुना, पाँचों आदि।
  • संख्यावाचक विशेषण के दो उपभेद हैं-

निश्चित संख्यावाचक विशेषण

जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध हो। जैसे - दो पुस्तकें मेरे लिए ले आना।

निश्चित संख्यावाचक के निम्नलिखित चार भेद हैं -

(क) गणवाचक - जिन शब्दों के द्वारा गिनती का बोध हो। जैसे-

(1) एक लड़का स्कूल जा रहा है।
(2) पच्चीस रुपये दीजिए।
(3) कल मेरे यहाँ दो मित्र आएँगे।
(4) चार आम लाओ।

(ख) क्रमवाचक - जिन शब्दों के द्वारा संख्या के क्रम का बोध हो। जैसे-

(1) पहला लड़का यहाँ आए।
(2) दूसरा लड़का वहाँ बैठे।
(3) राम कक्षा में प्रथम रहा।
(4) श्याम द्वितीय श्रेणी में पास हुआ है।

(ग) आवृत्तिवाचक - जिन शब्दों के द्वारा केवल आवृत्ति का बोध हो। जैसे-
(1) मोहन तुमसे चौगुना काम करता है।
(2) गोपाल तुमसे दुगुना मोटा है।

(घ) समुदायवाचक - जिन शब्दों के द्वारा केवल सामूहिक संख्या का बोध हो। जैसे-
(1) तुम तीनों को जाना पड़ेगा।
(2) यहाँ से चारों चले जाओ।

अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण

  • जिन विशेषण शब्दों से निश्चित संख्या का बोध न हो। जैसे-कुछ बच्चे पार्क में खेल रहे हैं।

संकेतवाचक विशेषण

  • जो सर्वनाम संकेत द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं वे संकेतवाचक विशेषण कहलाते हैं।

विशेष - क्योंकि संकेतवाचक विशेषण सर्वनाम शब्दों से बनते हैं, अतः ये सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। इन्हें निर्देशक भी कहते हैं।

परिमाणवाचक और संख्यावाचक विशेषण में अंतर

  • जिन वस्तुओं की नाप-तोल की जा सके उनके वाचक शब्द परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-‘कुछ दूध लाओ’। इसमें ‘कुछ’ शब्द तोल के लिए आया है। इसलिए यह परिमाणवाचक विशेषण है।
  • जिन वस्तुओं की गिनती की जा सके उनके वाचक शब्द संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-कुछ बच्चे इधर आओ। यहाँ पर ‘कुछ’ बच्चों की गिनती के लिए आया है। इसलिए यह संख्यावाचक विशेषण है। परिमाणवाचक विशेषणों के बाद द्रव्य अथवा पदार्थवाचक संज्ञाएँ आएँगी जबकि संख्यावाचक विशेषणों के बाद जातिवाचक संज्ञाएँ आती हैं।

सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर

जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा शब्द के स्थान पर हो उसे सर्वनाम कहते हैं। जैसे-वह मुंबई गया। इस वाक्य में वह सर्वनाम है। जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा से पूर्व अथवा बाद में विशेषण के रूप में किया गया हो उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे-वह रथ आ रहा है। इसमें वह शब्द रथ का विशेषण है। अतः यह सार्वनामिक विशेषण है।

विशेषण की अवस्थाएँ

विशेषण शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं। विशेषता बताई जाने वाली वस्तुओं के गुण-दोष कम-ज़्यादा होते हैं। गुण-दोषों के इस कम-ज़्यादा होने को तुलनात्मक ढंग से ही जाना जा सकता है। तुलना की दृष्टि से विशेषणों की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ होती हैं-

  1. मूलावस्था
  2. उत्तरावस्था
  3. उत्तमावस्था

मूलावस्था
मूलावस्था में विशेषण का तुलनात्मक रूप नहीं होता है। वह केवल सामान्य विशेषता ही प्रकट करता है। जैसे-

  1. सावित्री सुंदर लड़की है।
  2. सुरेश अच्छा लड़का है।
  3. सूर्य तेजस्वी है।

उत्तरावस्था
जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के गुण-दोषों की तुलना की जाती है तब विशेषण उत्तरावस्था में प्रयुक्त होता है। जैसे-

  1. रवीन्द्र चेतन से अधिक बुद्धिमान है।
  2. सविता रमा की अपेक्षा अधिक सुन्दर है।

उत्तमावस्था
उत्तमावस्था में दो से अधिक व्यक्तियों एवं वस्तुओं की तुलना करके किसी एक को सबसे अधिक अथवा सबसे कम बताया गया है। जैसे-

  1. पंजाब में अधिकतम अन्न होता है।
  2. संदीप निकृष्टतम बालक है।

विशेष - केवल गुणवाचक एवं अनिश्चित संख्यावाचक तथा निश्चित परिमाणवाचक विशेषणों की ही ये तुलनात्मक अवस्थाएँ होती हैं, अन्य विशेषणों की नहीं।

अवस्थाओं के रूप

  • अधिक और सबसे अधिक शब्दों का प्रयोग करके उत्तरावस्था और उत्तमावस्था के रूप बनाए जा सकते हैं। जैसे-
मूलावस्था उत्तरावस्था उत्तमावस्था
अच्छी अधिक अच्छी सबसे अच्छी
चतुर अधिक चतुर सबसे अधिक चतुर
बुद्धिमान अधिक बुद्धिमान सबसे अधिक बुद्धिमान
बलवान अधिक बलवान सबसे अधिक बलवान

इसी प्रकार दूसरे विशेषण शब्दों के रूप भी बनाए जा सकते हैं।

  • तत्सम शब्दों में मूलावस्था में विशेषण का मूल रूप, उत्तरावस्था में ‘तर’ और उत्तमावस्था में ‘तम’ का प्रयोग होता है। जैसे-
मूलावस्था उत्तरावस्था उत्तमावस्था
उच्च उच्चतर उच्चतम
कठोर कठोरतर कठोरतम
गुरु गुरुतर गुरुतम
महान महानतर,महत्तर महानतम,महत्तम
न्यून न्यूनतर न्यनूतम
लघु लघुतर लघुतम
तीव्र तीव्रतर तीव्रतम
विशाल विशालतर विशालतम
उत्कृष्ट उत्कृष्टर उत्कृटतम
सुंदर सुंदरतर सुंदरतम
मधुर मधुरतर मधुतरतम

विशेषणों की रचना

  • कुछ शब्द मूलरूप में ही विशेषण होते हैं, किन्तु कुछ विशेषण शब्दों की रचना संज्ञा, सर्वनाम एवं क्रिया शब्दों से की जाती है-
(1) संज्ञा से विशेषण बनाना
प्रत्यय संज्ञा विशेषण
अंश आंशिक
धर्म धार्मिक
अलंकार आलंकारिक
नीति नैतिक
अर्थ आर्थिक
दिन दैनिक
इतिहास ऐतिहासिक
देव दैविक
इत अंक अंकित
कुसुम कुसुमित
सुरभि सुरभित
ध्वनि ध्वनित
क्षुधा क्षुधित
तरंग तरंगित
इल जटा जटिल
पंक पंकिल
फेन फेनिल
उर्मि उर्मिल
इम स्वर्ण स्वर्णिम
रक्त रक्तिम
रोग रोगी
भोग भोगी
ईन कुल कुलीन
प्रत्यय संज्ञा विशेषण
ईण ग्राम ग्रामीण
ईय आत्मा आत्मीय
जाति जातीय
आलु श्रद्धा श्रद्धालु
ईर्ष्या ईर्ष्यालु
वी मनस मनस्वी
तपस तपस्वी
मय सुख सुखमय
दुख दुखमय
वान रूप रूपवान
गुण गुणवान
वती(स्त्री) गुण गुणवती
पुत्र पुत्रवती
मान बुद्धि बुद्धिमान
श्री श्रीमान
मती (स्त्री) श्री श्रीमती
बुद्धि बुद्धिमती
रत धर्म धर्मरत
कर्म कर्मरत
स्थ समीप समीपस्थ
देह देहस्थ
निष्ठ धर्म धर्मनिष्ठ
कर्म कर्मनिष्ठ
(2) सर्वनाम से विशेषण बनाना
सर्वनाम विशेषण
वह वैसा
यह ऐसा
अलंकार आलंकारिक
(3) क्रिया से विशेषण बनाना
क्रिया विशेषण
पत पतित
पूज पूजनीय
पठ पठित
वंद वंदनीय
भागना भागने वाला
पालना पालने वाला

संबंधित लेख