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'''मनोज कुमार''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]: ''Manoj Kumar'', पूरा नाम: हरिकिशन गिरि गोस्वामी, जन्म: [[24 जुलाई]], [[1937]]) फ़िल्म जगत के प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, निर्माता व निर्देशक हैं। अपनी फ़िल्मों के जरिए मनोज कुमार ने लोगों को देशभक्ति की भावना का गहराई से एहसास कराया। मनोज कुमार शहीद-ए-आजम [[भगत सिंह]] से बेहद प्रभावित हैं और इसी भावना ने उन्हें 'शहीद' जैसी कालजई फ़िल्म में देश के इस अमर सपूत के किरदार को जीवंत करने की प्रेरणा दी थी। [[1992]] में मनोज कुमार को भारत सरकार द्वारा [[पद्मश्री]] से सम्मानित किया गया।  
'''मनोज कुमार''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]: ''Manoj Kumar'', पूरा नाम: हरिकिशन गिरि गोस्वामी, जन्म: [[24 जुलाई]], [[1937]]) फ़िल्म जगत् के प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, निर्माता व निर्देशक हैं। अपनी फ़िल्मों के जरिए मनोज कुमार ने लोगों को देशभक्ति की भावना का गहराई से एहसास कराया। मनोज कुमार 'शहीद-ए-आजम' [[भगत सिंह]] से बेहद प्रभावित हैं और इसी भावना ने उन्हें 'शहीद' जैसी कालजई फ़िल्म में देश के इस अमर सपूत के किरदार को जीवंत करने की प्रेरणा दी थी। [[1992]] में मनोज कुमार को [[भारत सरकार]] द्वारा '[[पद्मश्री]]' से सम्मानित किया गया।  
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
मनोज कुमार का जन्म [[24 जुलाई]] 1937 को [[पाकिस्तान]] के अबोटाबाद में हुआ था। उनका असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी है। देश के बंटवारे के बाद उनका परिवार [[राजस्थान]] के हनुमानगढ़ ज़िले में बस गया था। मनोज ने अपने करियर में शहीद, उपकार, पूरब और पश्चिम और '[[क्रांति (1981 फ़िल्म)|क्रांति]]' जैसी देशभक्ति पर आधारित अनेक बेजोड़ फ़िल्मों में काम किया। इसी वजह से उन्हें भारत कुमार भी कहा जाता है।
मनोज कुमार का जन्म [[24 जुलाई]] 1937 को [[पाकिस्तान]] के अबोटाबाद में हुआ था। उनका असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी है। देश के बंटवारे के बाद उनका परिवार [[राजस्थान]] के हनुमानगढ़ ज़िले में बस गया था। मनोज ने अपने करियर में शहीद, उपकार, पूरब और पश्चिम और '[[क्रांति (1981 फ़िल्म)|क्रांति]]' जैसी देशभक्ति पर आधारित अनेक बेजोड़ फ़िल्मों में काम किया। इसी वजह से उन्हें भारत कुमार भी कहा जाता है।
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उपकार खूब सराही गई और उसे सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ कथा और सर्वश्रेष्ठ संवाद श्रेणी में फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला था। फ़िल्म को द्वितीय सर्वश्रेष्ठ फ़ीचर फ़िल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार तथा सर्वश्रेष्ठ संवाद का बीएफजेए अवार्ड भी दिया गया।  
उपकार खूब सराही गई और उसे सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ कथा और सर्वश्रेष्ठ संवाद श्रेणी में फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला था। फ़िल्म को द्वितीय सर्वश्रेष्ठ फ़ीचर फ़िल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार तथा सर्वश्रेष्ठ संवाद का बीएफजेए अवार्ड भी दिया गया।  
====फ़िल्म शहीद ====
====फ़िल्म शहीद ====
मनोज को शहीद के लिए सर्वश्रेष्ठ कहानीकार का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था। मनोज कुमार ने शहीद फ़िल्म में [[भगत सिंह|सरदार भगत सिंह]] की भूमिका को जीकर उस किरदार के फ़िल्मी रूपांतरण को भी अमर बना दिया था।
मनोज को शहीद के लिए सर्वश्रेष्ठ कहानीकार का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था। मनोज कुमार ने शहीद फ़िल्म में [[भगत सिंह|सरदार भगत सिंह]] की भूमिका को जी कर उस किरदार के फ़िल्मी रूपांतरण को भी अमर बना दिया था।
==फ़िल्मी सफ़र==
==फ़िल्मी सफ़र==
मनोज कुमार [[दिलीप कुमार]] से बेहद प्रभावित थे और उन्होंने अपना नाम फ़िल्म शबनम में दिलीप के किरदार के नाम पर मनोज रख लिया था। मनोज कुमार ने वर्ष 1957 में बनी फ़िल्म फ़ैशन के जरिए बड़े पर्दे पर क़दम रखा। प्रमुख भूमिका की उनकी पहली फ़िल्म कांच की गुडि़या (1960) थी। उसके बाद उनकी दो और फ़िल्में पिया मिलन की आस और रेशमी रुमाल आई लेकिन उनकी पहली हिट फ़िल्म हरियाली और रास्ता (1962) थी। मनोज कुमार ने वो कौन थी, हिमालय की गोद में, गुमनाम, दो बदन, पत्थर के सनम, यादगार, शोर, सन्न्यासी, दस नम्बरी और क्लर्क जैसी अच्छी फ़िल्मों में काम किया। उनकी आखिरी फ़िल्म मैदान-ए-जंग (1995) थी। बतौर निर्देशक उन्होंने अपनी अंतिम फ़िल्म ‘जय हिंद’ 1999 में बनाई थी।<ref name="samay">{{cite web |url=http://www.samaylive.com/article-analysis-in-hindi/special-days-in-hindi/92080/%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%A8%20%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A5%87%20%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%9C%20%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0.html |title=हरिकिशन गिरी से मनोज कुमार |accessmonthday=[[14 जुलाई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल. |publisher=समय लाइव |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
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==प्रसिद्धि==
==प्रसिद्धि==
मनोज कुमार अपनी देशभक्तिपूर्ण फ़िल्मों की वजह से जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी फ़िल्मों में भारतीयता की खोज की। उन्होंने दर्शकों को देशप्रेम और देशभक्ति के बारे में बताया। उन्होंने आँसूतोड़ फ़िल्में बनाईं और मुनाफे से ज़्यादा अपना नाम कमाया जिसके कारण वे भारत कुमार कहलाए। फ़िल्म जगत में मनोज कुमार अपनी देशभक्तिपूर्ण फ़िल्मों के कारण जाने जाते हैं, अपने अभिनय के कारण नहीं।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/entertainment/film/article/0904/21/1090421035_1.htm |title=याद क्यों नहीं आते मनोज कुमार? |accessmonthday= [[14 जुलाई]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम. |publisher=वेब दुनिया |language=[[हिन्दी]] }} </ref>
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==पसंद-नापसंद==
==पसंद-नापसंद==
मनोज कुमार अकसर बंद गले के कपड़े पहनना पसंद करते हैं। फिर चाहे वह कुर्ता हो या शर्ट। इसके अलावा आप मनोज कुमार के एक हाथ को अकसर उनके अपने मुंह पर रखा पाएंगे। मनोज कुमार को फिल्मों में रोमांस के बजाय देशभक्ति फिल्में करना ज्यादा भाया। मनोज कुमार ने वर्ष [[1957]] में बनी फ़िल्म 'फ़ैशन' के जरिए बड़े पर्दे पर क़दम रखा। प्रमुख भूमिका की उनकी पहली फ़िल्म 'कांच की गुडि़या' (1960) थी। बाद में उनकी दो और फ़िल्में पिया मिलन की आस और रेशमी रुमाल आई लेकिन उनकी पहली हिट फ़िल्म 'हरियाली और रास्ता' (1962) थी। मनोज कुमार ने वो कौन थी, हिमालय की गोद में, गुमनाम, दो बदन, पत्थर के सनम, यादगार, शोर, सन्न्यासी, दस नम्बरी और क्लर्क जैसी अच्छी फ़िल्मों में काम किया। उनकी आखिरी फ़िल्म मैदान-ए-जंग (1995) थी। बतौर निर्देशक उन्होंने अपनी अंतिम फ़िल्म ‘जय हिंद’ [[1999]] में बनाई थी।
[[चित्र:Bollywood-with-Indira-Gandhi.jpg|thumb|350px|पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती [[इन्दिरा गाँधी]] एवं [[बॉलीवुड]] के कलाकारों के साथ मनोज कुमार]]
मनोज कुमार अकसर बंद गले के कपड़े पहनना पसंद करते हैं। फिर चाहे वह कुर्ता हो या शर्ट। इसके अलावा आप मनोज कुमार के एक हाथ को अकसर उनके अपने मुंह पर रखा पाएंगे। मनोज कुमार को फ़िल्मों में रोमांस के बजाय देशभक्ति फ़िल्में करना ज्यादा भाया। मनोज कुमार ने वर्ष [[1957]] में बनी फ़िल्म 'फ़ैशन' के जरिए बड़े पर्दे पर क़दम रखा। प्रमुख भूमिका की उनकी पहली फ़िल्म 'कांच की गुडि़या' (1960) थी। बाद में उनकी दो और फ़िल्में पिया मिलन की आस और रेशमी रुमाल आई लेकिन उनकी पहली हिट फ़िल्म 'हरियाली और रास्ता' (1962) थी। मनोज कुमार ने वो कौन थी, हिमालय की गोद में, गुमनाम, दो बदन, पत्थर के सनम, यादगार, शोर, संन्यासी, दस नम्बरी और क्लर्क जैसी अच्छी फ़िल्मों में काम किया। उनकी आखिरी फ़िल्म मैदान-ए-जंग ([[1995]]) थी। बतौर निर्देशक उन्होंने अपनी अंतिम फ़िल्म ‘जय हिंद’ [[1999]] में बनाई थी।
==वर्तमान में==
==वर्तमान में==
मनोज कुमार आज़ादी से पहले के क्रांतिकारियों पर आधारित फिल्म 'आख़िरी गोली' बना रहे हैं। मनोज कुमार के अनुसार, यह दो तरह के क्रांतिकारियों के दर्शन और सोच पर आधारित फिल्म है जिसकी कहानी उन्होंने स्वयं लिखी है। उपकार और क्रांति जैसी देशभक्तिपूर्ण फिल्मों में जानदार अभिनय से लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाले इस अभिनेता ने बताया कि इस फिल्म के लिए सभी नए कलाकार लिए गए हैं।
मनोज कुमार आज़ादी से पहले के क्रांतिकारियों पर आधारित फ़िल्म 'आख़िरी गोली' बना रहे हैं। मनोज कुमार के अनुसार, यह दो तरह के क्रांतिकारियों के दर्शन और सोच पर आधारित फ़िल्म है जिसकी कहानी उन्होंने स्वयं लिखी है। उपकार और क्रांति जैसी देशभक्तिपूर्ण फ़िल्मों में जानदार अभिनय से लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाले इस अभिनेता ने बताया कि इस फ़िल्म के लिए सभी नए कलाकार लिए गए हैं।
==पुरस्कार==
==पुरस्कार==
मनोज कुमार को वर्ष 1972 में फ़िल्म बेईमान के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और वर्ष 1975 में रोटी कपड़ा और मकान के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फ़िल्मफेयर अवार्ड दिया गया था। बाद में वर्ष 1992 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मनोज कुमार को फालके रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।<ref name="samay"/>
[[चित्र:Manoj-Kumar-Dada-Sahab-Falke-Award.jpg|thumb|मनोज कुमार को [[दादा साहब फाल्के पुरस्कार]] से सम्मानित करते हुए महामहिम राष्ट्रपति [[प्रणब मुखर्जी]]]] 
*1992- भारत सरकार द्वारा [[पद्मश्री]] पुरस्कार  
मनोज कुमार को वर्ष [[1972]] में फ़िल्म बेईमान के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और वर्ष [[1975]] में रोटी कपड़ा और मकान के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फ़िल्मफेयर अवार्ड दिया गया था। बाद में वर्ष [[1992]] में उन्हें [[पद्मश्री|पद्मश्री पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया। मनोज कुमार को फालके रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।<ref name="samay"/>
*1992- [[भारत सरकार]] द्वारा [[पद्मश्री]] पुरस्कार  
*1968- फ़िल्म 'उपकार' के लिए सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ कथा और सर्वश्रेष्ठ संवाद श्रेणी में फ़िल्मफेयर पुरस्कार
*1968- फ़िल्म 'उपकार' के लिए सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ कथा और सर्वश्रेष्ठ संवाद श्रेणी में फ़िल्मफेयर पुरस्कार
*1972 - फ़िल्म 'बेईमान' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफेयर पुरस्कार
*1972 - फ़िल्म 'बेईमान' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफेयर पुरस्कार
*1975 - फ़िल्म 'रोटी कपड़ा और मकान' के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फ़िल्मफेयर पुरस्कार  
*1975 - फ़िल्म 'रोटी कपड़ा और मकान' के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फ़िल्मफेयर पुरस्कार  
*1999 - लाइफ़ टाइम अचीवमेंट के लिए फ़िल्मफेयर पुरस्कार  
*1999 - लाइफ़ टाइम अचीवमेंट के लिए फ़िल्मफेयर पुरस्कार  
*2016- [[भारत सरकार]] द्वारा [[दादा साहब फाल्के पुरस्कार]] से सम्मानित।<ref>[http://khabar.ndtv.com/news/filmy/amitabh-bachchan-kangana-ranaut-collect-national-film-awards-1402377 मनोज कुमार को दादा साहब फाल्के अवॉर्ड (एनडीटीवी इंडिया)]</ref>


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==बाहरी कड़ियाँ==
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*[http://www.bollywoodblogmagazine.com/PageDetails.aspx?id=273&cat=Life%20and%20Journey%20of%20Superstar संस्कृति और देश प्रेम से प्रेरित थे मनोज कुमार ! ]
*[http://www.bollywoodblogmagazine.com/PageDetails.aspx?id=273&cat=Life%20and%20Journey%20of%20Superstar संस्कृति और देश प्रेम से प्रेरित थे मनोज कुमार ! ]
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/2009/12/091228_manoj_psa.shtml मनोज कुमार की 'आख़िरी गोली']  
*[http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/2009/12/091228_manoj_psa.shtml मनोज कुमार की 'आख़िरी गोली']  

11:30, 12 नवम्बर 2020 के समय का अवतरण

मनोज कुमार एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- मनोज कुमार (बहुविकल्पी)
मनोज कुमार
मनोज कुमार
मनोज कुमार
पूरा नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी
प्रसिद्ध नाम मनोज कुमार
अन्य नाम भारत कुमार
जन्म 24 जुलाई, 1937
जन्म भूमि अबोटाबाद (अब पाकिस्तान)
पति/पत्नी शशी गोस्वामी
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र फ़िल्म अभिनेता, निर्माता व निर्देशक
मुख्य फ़िल्में शहीद, उपकार, पूरब और पश्चिम, क्रांति, रोटी कपड़ा और मकान, हिमालय की गोद में, हरियाली और रास्ता, पत्थर के सनम, नीलकमल आदि।
शिक्षा स्नातक
विद्यालय हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय
पुरस्कार-उपाधि दादा साहब फाल्के पुरस्कार, पद्मश्री, फालके रत्न पुरस्कार, लाइफ़ टाइम अचीवमेंट फ़िल्मफेयर पुरस्कार
विशेष योगदान अपनी फ़िल्मों के जरिए मनोज कुमार ने लोगों को देशभक्ति की भावना का गहराई से एहसास कराया।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी देशभक्ति की फ़िल्में बनाने के कारण इनका नाम 'भारत कुमार' पड़ा
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मनोज कुमार (अंग्रेज़ी: Manoj Kumar, पूरा नाम: हरिकिशन गिरि गोस्वामी, जन्म: 24 जुलाई, 1937) फ़िल्म जगत् के प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता, निर्माता व निर्देशक हैं। अपनी फ़िल्मों के जरिए मनोज कुमार ने लोगों को देशभक्ति की भावना का गहराई से एहसास कराया। मनोज कुमार 'शहीद-ए-आजम' भगत सिंह से बेहद प्रभावित हैं और इसी भावना ने उन्हें 'शहीद' जैसी कालजई फ़िल्म में देश के इस अमर सपूत के किरदार को जीवंत करने की प्रेरणा दी थी। 1992 में मनोज कुमार को भारत सरकार द्वारा 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया।

जीवन परिचय

मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को पाकिस्तान के अबोटाबाद में हुआ था। उनका असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी है। देश के बंटवारे के बाद उनका परिवार राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में बस गया था। मनोज ने अपने करियर में शहीद, उपकार, पूरब और पश्चिम और 'क्रांति' जैसी देशभक्ति पर आधारित अनेक बेजोड़ फ़िल्मों में काम किया। इसी वजह से उन्हें भारत कुमार भी कहा जाता है।

निर्देशक

शहीद के दो साल बाद उन्होंने बतौर निर्देशक अपनी पहली फ़िल्म 'उपकार' का निर्माण किया। उसमें मनोज ने भारत नाम के किसान युवक का किरदार निभाया था जो परिस्थितिवश गांव की पगडंडियाँ छोड़कर मैदान-ए-जंग का सिपाही बन जाता है। जय जवान जय किसान के नारे पर आधारित वह फ़िल्म उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के विशेष आग्रह पर बनाई थी। उस फ़िल्म में गांव के आदमी के शहर की तरफ भागने, फिर वापस लौटने और उससे जुड़े सामाजिक रिश्तों की कहानी थी जिसमें उस वक्त के हालात को ज़्यादा से ज़्यादा समेटने की कोशिश की गई थी।

मनोज कुमार

फ़िल्म उपकार

उपकार खूब सराही गई और उसे सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ कथा और सर्वश्रेष्ठ संवाद श्रेणी में फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला था। फ़िल्म को द्वितीय सर्वश्रेष्ठ फ़ीचर फ़िल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार तथा सर्वश्रेष्ठ संवाद का बीएफजेए अवार्ड भी दिया गया।

फ़िल्म शहीद

मनोज को शहीद के लिए सर्वश्रेष्ठ कहानीकार का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था। मनोज कुमार ने शहीद फ़िल्म में सरदार भगत सिंह की भूमिका को जी कर उस किरदार के फ़िल्मी रूपांतरण को भी अमर बना दिया था।

फ़िल्मी सफ़र

मनोज कुमार

मनोज कुमार दिलीप कुमार से बेहद प्रभावित थे और उन्होंने अपना नाम फ़िल्म शबनम में दिलीप के किरदार के नाम पर मनोज रख लिया था। मनोज कुमार ने वर्ष 1957 में बनी फ़िल्म फ़ैशन के जरिए बड़े पर्दे पर क़दम रखा। प्रमुख भूमिका की उनकी पहली फ़िल्म कांच की गुडि़या (1960) थी। उसके बाद उनकी दो और फ़िल्में पिया मिलन की आस और रेशमी रुमाल आई लेकिन उनकी पहली हिट फ़िल्म हरियाली और रास्ता (1962) थी। मनोज कुमार ने वो कौन थी, हिमालय की गोद में, गुमनाम, दो बदन, पत्थर के सनम, यादगार, शोर, संन्यासी, दस नम्बरी और क्लर्क जैसी अच्छी फ़िल्मों में काम किया। उनकी आखिरी फ़िल्म मैदान-ए-जंग (1995) थी। बतौर निर्देशक उन्होंने अपनी अंतिम फ़िल्म ‘जय हिंद’ 1999 में बनाई थी।[1]

प्रसिद्धि

मनोज कुमार अपनी देशभक्तिपूर्ण फ़िल्मों की वजह से जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी फ़िल्मों में भारतीयता की खोज की। उन्होंने दर्शकों को देशप्रेम और देशभक्ति के बारे में बताया। उन्होंने आँसूतोड़ फ़िल्में बनाईं और मुनाफे से ज़्यादा अपना नाम कमाया जिसके कारण वे भारत कुमार कहलाए। फ़िल्म जगत् में मनोज कुमार अपनी देशभक्तिपूर्ण फ़िल्मों के कारण जाने जाते हैं, अपने अभिनय के कारण नहीं।[2]

प्रमुख फ़िल्में

मनोज कुमार की प्रमुख फ़िल्में
बतौर अभिनेता बतौर लेखक
वर्ष फ़िल्म वर्ष फ़िल्म वर्ष फ़िल्म
1995 मैदान-ए-जंग 1999 जय हिन्द 1967 उपकार
1989 देशवासी 1989 संतोष 1989 क्लर्क
1987 कलयुग और रामायण 1981 क्रांति 1987 कलयुग और रामायण
1979 जाट पंजाबी 1977 शिरडी के साईं बाबा 1981 क्रांति
1977 अमानत 1976 दस नम्बरी 1974 रोटी कपड़ा और मकान
1975 संन्यासी 1974 रोटी कपड़ा और मकान 1999 जय हिन्द
1972 बेईमान 1972 शोर 1972 शोर
1970 मेरा नाम जोकर 1970 पूरब और पश्चिम 1970 मेरा नाम जोकर
1970 यादगार 1970 पहचान 1970 पूरब और पश्चिम
1969 साजन 1968 नीलकमल 1970 यादगार
1968 आदमी 1967 अनीता बतौर निर्माता
1967 उपकार 1967 पत्थर के सनम 1999 जय हिन्द
1966 दो बदन 1966 पिकनिक 1989 क्लर्क
1966 सावन की घटा 1965 हिमालय की गोद में 1983 पेंटर बाबू
1965 पूनम की रात 1965 शहीद 1981 क्रांति
1965 बेदाग़ 1965 गुमनाम 1974 रोटी कपड़ा और मकान
1964 वो कौन थी 1964 अपने हुए पराये 1972 शोर
1964 फूलों की सेज 1963 घर बसा के देखो 1970 पूरब और पश्चिम
1963 गृहस्थी 1962 हरियाली और रास्ता बतौर निर्देशक
1962 माँ बेटा 1962 अपना बना के देखो 1999 जय हिन्द
1962 बनारसी ठग 1962 डॉक्टर विद्या 1989 क्लर्क
1962 नकली नवाब 1962 शादी 1981 क्रांति
1961 सुहाग सिन्दूर 1961 काँच की गुड़िया 1974 रोटी कपड़ा और मकान
1961 रेशमी रूमाल 1960 हनीमून 1972 शोर
1958 पंचायत 1958 सहारा 1970 पूरब और पश्चिम
1957 फैशन 1967 उपकार

पसंद-नापसंद

पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी एवं बॉलीवुड के कलाकारों के साथ मनोज कुमार

मनोज कुमार अकसर बंद गले के कपड़े पहनना पसंद करते हैं। फिर चाहे वह कुर्ता हो या शर्ट। इसके अलावा आप मनोज कुमार के एक हाथ को अकसर उनके अपने मुंह पर रखा पाएंगे। मनोज कुमार को फ़िल्मों में रोमांस के बजाय देशभक्ति फ़िल्में करना ज्यादा भाया। मनोज कुमार ने वर्ष 1957 में बनी फ़िल्म 'फ़ैशन' के जरिए बड़े पर्दे पर क़दम रखा। प्रमुख भूमिका की उनकी पहली फ़िल्म 'कांच की गुडि़या' (1960) थी। बाद में उनकी दो और फ़िल्में पिया मिलन की आस और रेशमी रुमाल आई लेकिन उनकी पहली हिट फ़िल्म 'हरियाली और रास्ता' (1962) थी। मनोज कुमार ने वो कौन थी, हिमालय की गोद में, गुमनाम, दो बदन, पत्थर के सनम, यादगार, शोर, संन्यासी, दस नम्बरी और क्लर्क जैसी अच्छी फ़िल्मों में काम किया। उनकी आखिरी फ़िल्म मैदान-ए-जंग (1995) थी। बतौर निर्देशक उन्होंने अपनी अंतिम फ़िल्म ‘जय हिंद’ 1999 में बनाई थी।

वर्तमान में

मनोज कुमार आज़ादी से पहले के क्रांतिकारियों पर आधारित फ़िल्म 'आख़िरी गोली' बना रहे हैं। मनोज कुमार के अनुसार, यह दो तरह के क्रांतिकारियों के दर्शन और सोच पर आधारित फ़िल्म है जिसकी कहानी उन्होंने स्वयं लिखी है। उपकार और क्रांति जैसी देशभक्तिपूर्ण फ़िल्मों में जानदार अभिनय से लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाले इस अभिनेता ने बताया कि इस फ़िल्म के लिए सभी नए कलाकार लिए गए हैं।

पुरस्कार

मनोज कुमार को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित करते हुए महामहिम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

मनोज कुमार को वर्ष 1972 में फ़िल्म बेईमान के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और वर्ष 1975 में रोटी कपड़ा और मकान के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फ़िल्मफेयर अवार्ड दिया गया था। बाद में वर्ष 1992 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मनोज कुमार को फालके रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।[1]

  • 1992- भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार
  • 1968- फ़िल्म 'उपकार' के लिए सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ कथा और सर्वश्रेष्ठ संवाद श्रेणी में फ़िल्मफेयर पुरस्कार
  • 1972 - फ़िल्म 'बेईमान' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफेयर पुरस्कार
  • 1975 - फ़िल्म 'रोटी कपड़ा और मकान' के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फ़िल्मफेयर पुरस्कार
  • 1999 - लाइफ़ टाइम अचीवमेंट के लिए फ़िल्मफेयर पुरस्कार
  • 2016- भारत सरकार द्वारा दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित।[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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