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'''असितभैरव''' का उल्लेख पौराणिक [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] में हुआ है। महाभारत के उल्लेखानुसार यह [[श्रीकृष्ण]] के दाहिने नेत्र से प्रकट हुए थे, जो आठ [[भैरव|भैरवों]] में से एक थे।<ref> {{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ब्रह्मवैवर्त पुराण|लेखक=|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=गोविन्द भवन कार्यालय, गीताप्रेस गोरखपुर|संकलन=भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन=|पृष्ठ संख्या=36|url=}}</ref>
'''असितभैरव''' का उल्लेख [[हिन्दू]] [[ग्रन्थ|धार्मिक ग्रन्थों]] में मिलता है। [[ब्रह्मवैवर्त पुराण]] के उल्लेखानुसार यह [[श्रीकृष्ण]] के दाहिने नेत्र से प्रकट हुए थे, जो आठ [[भैरव|भैरवों]] में से एक थे।<ref> {{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ब्रह्मवैवर्त पुराण|लेखक=|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=गोविन्द भवन कार्यालय, गीताप्रेस गोरखपुर|संकलन=भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन=|पृष्ठ संख्या=36|url=}}</ref>
*भैरव [[शिव]] के समान ही तेजस्वी थे। भैरव के आठ रूप माने गये हैं, जो कि निम्न हैं-  
*भैरव [[शिव]] के समान ही तेजस्वी थे। भैरव के आठ रूप माने गये हैं, जो कि निम्न हैं-  
#[[रुरुभैरव]]
#[[रुरुभैरव]]
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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08:30, 12 मई 2016 के समय का अवतरण

असितभैरव का उल्लेख हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों में मिलता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के उल्लेखानुसार यह श्रीकृष्ण के दाहिने नेत्र से प्रकट हुए थे, जो आठ भैरवों में से एक थे।[1]

  • भैरव शिव के समान ही तेजस्वी थे। भैरव के आठ रूप माने गये हैं, जो कि निम्न हैं-
  1. रुरुभैरव
  2. संहारभैरव
  3. कालभैरव
  4. असितभैरव
  5. क्रोधभैरव
  6. भीषणभैरव
  7. महाभैरव
  8. खटवांगभैरव


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ब्रह्मवैवर्त पुराण |प्रकाशक: गोविन्द भवन कार्यालय, गीताप्रेस गोरखपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 36 |

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