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==अकबर का साम्राज्य विस्तार==
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
[[चित्र:Humayun-Babur-Jahangir-Akbar.jpg|thumb|250px|right|[[हुमायूँ]], [[बाबर]], [[जहाँगीर]] और अकबर]]
{{इतिहास सामान्य ज्ञान नोट}}
'''जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर''' [[भारत]] का महानतम मुग़ल शंहशाह बादशाह था। जिसने मुग़ल शक्ति का भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में विस्तार किया। [[अकबर]] को अकबर-ऐ-आज़म, शहंशाह अकबर तथा महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है।
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
{| class="bharattable-green" border="1" style="margin:5px; float:right"
{| class="bharattable-green" width="100%"
|+ अकबर के कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य
! वर्ष
! कार्य
|-
|-
| 1562 ई.
| valign="top"|
|दास प्रथा का अन्त
{| width="100%"
|-
|
| 1562 ई.
<quiz display=simple>
| अकबर की ‘हरमदल’ से मुक्ति
{'पेरिप्लस मैरिस एरिथ्रियन सी' के लेखक को पादौक के रूप में ज्ञात बन्दरगाह कौन-सा था?(यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-757
|-
|type="()"}
| 1563 ई.
+[[अरिकमेडु]]
| तीर्थ यात्रा कर समाप्त
-[[ताम्रलिप्ति]]
|-
-कोकाई
| 1564 ई.
-बारबैरिकम
| [[जज़िया कर]] समाप्त
|-
{ईसा की प्रारंभिक शताब्दियों में भारतीय और पश्चिमी व्यापारियों का सबसे बड़ा व्यापारिसंगम-स्थल कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-758
| 1565 ई.
|type="()"}
| धर्म परिवर्तन पर पाबंदी
-देडेसिया
|-
+एलेक्जेंड्रिया या सिकन्दरिया
| 1571 ई.
-तक्षशिला
| [[फ़तेहपुर सीकरी]] की स्थापना
-पालमायरा
|-
 
| 1571 ई.
{[[भारत]] में हिन्द-यूनानी शासन की स्थापना से पूर्व सिक्कों का प्रसारण किसके द्वारा किया जाता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-759
| राजधानी [[आगरा]] से फ़तेहपुर सीकरी स्थानान्तरित
|type="()"}
|-
-शासकों
| 1575 ई.
-व्यक्तिगत व्यापारियों
| इबादत खाने की स्थापना
-व्यापारिक निगमों
|-
+उपर्युक्त सभी
| 1578 ई.
| इबादत खाने में सभी धर्मों का प्रवेश
{सर्वाधिक संख्या में रोमन सिक्के कहाँ से पाए गए हैं? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-760
|-
|type="()"}
| 1579 ई.
-[[केरल]]
| ‘मज़हर’ की घोषणा
-[[तमिलनाडु]]
|-
+उपर्युक्त दोनों
| 1582 ई.
-[[पश्चिम बंगाल|पश्चिमी बंगाल]]
| [[दीन--इलाही]]की घोषणा
|-
{वह कौन प्रथम भारतीय शासक था, जिसने रोमन मुद्रा प्रणाली के अनुरूप अपने सिक्कों का प्रसारण किया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-761
| 1582 ई.
|type="()"}
| [[सूर्य]] पूजा व [[अग्नि]] पूजा का प्रचलन कराया
-शुंग
|-
-हिन्द-यूनानी
| 1583 ई.
+[[कुषाण]]
| इलाही संवत् की स्थापना
-[[गुप्तवंश]]
|}
अकबर का साम्राज्य विस्तार दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता हैं-<br />
{[[उत्तर भारत]] के किस नगर को सर्वोत्तम रेशम उत्पादन केन्द्र माना जाता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-762
#उत्तर भारत की विजय और
|type="()"}
#दक्षिण भारत की विजय
-[[तक्षशिला]]
==उत्तर भारत की विजय==
-[[पाटलिपुत्र]]
[[पानीपत युद्ध]] के बाद 1559 ई. में अकबर ने [[ग्वालियर]] पर, 1560 ई. में उसके सेनापति जमाल ख़ाँ ने [[जौनपुर]] पर तथा 1561 ई. में [[आसफ ख़ाँ]] ने [[चुनार क़िला|चुनार के क़िले]] पर अधिकार कर लिया।
-[[कौशाम्बी]]
+[[वाराणसी]]
{एक प्राचीन भारतीय राजवंश के शासकों ने उसके साम्राज्य में निवास करने वाले विभिन्न [[धर्म|धर्मों]] के लोगों द्वरापूजित 35 [[देवी]]-[[देवता|देवताओं]] की आकृतियों को अपने सिक्के पर अंकित कराया। उक्त राजवंश था: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-763
|type="()"}
-[[मौर्य वंश|मौर्य]]
-शक
+[[कुषाण वंश|कुषाण]]
-[[गुप्त राजवंश|गुप्त]]
{[[भारत]] और पश्चिम एशिया के मध्य मुख्यत: स्थल मार्ग कहाँ से गुजरता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-764
|type="()"}
+[[खैबर दर्रा]] और [[काबुल]]
-खैबर और [[बोलन दर्रा]]
-[[तक्षशिला]], [[पेशावर]] और [[काबुल]]
-[[काबुल]] और [[बामियान]]
{[[मौर्योत्तर काल]] में [[पश्चिम भारत]] में व्यापार का सबसे महत्त्वपूर्ण केन्द्र कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-765
|type="()"}
-सुपरिक
-कल्याण
-[[चोल]]
+[[भरुकच्छ]]
{'सिन्ध-सौवीर' प्राचीन [[भारत]] में किसलिए प्रसिद्ध था?(यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-766
|type="()"}
-उत्तम तलवारों एवं कटारों के उत्पादन
+घोड़ों एवं खच्चरों के व्यापार
-ऊनी वस्त्र उद्योग
-चमड़े की वस्तुओं के उत्पादन
 
 
 
{पतंजली के अनुसार [[मथुरा]] वस्त्र उद्योग का मुख्य केन्द्र था, कपड़े की निम्नलिखित कौन-सी किस्म वहाँ उत्पादित होती थी? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-767
|type="()"}
-दुकूल
+सटक
-क्षौम
-चीनांसुक
{सर्वप्रथम किस गुप्त सम्राट के समय के अभिलेख उत्तरी बंगाल से मिले थे? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-943
|type="()"}
-[[चंद्रगुप्त प्रथम]]
-[[चंद्रगुप्त द्वितीय]]
+[[कुमारगुप्त प्रथम]]
-[[समुद्रगुप्त]]
{[[गुप्त काल|गुप्तकालीन]] जनपदों की सूची में प्रथम जनपद का सम्मान निम्न में से किसे दिया गया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-944
|type="()"}
+[[मालवा]]
-[[मगध]]
-[[प्रयाग]]
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
{गुप्त संवत् (319-320) को प्रारंभ करने का श्रेय किसे दिया जाता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-945
|type="()"}
-श्रीगुप्त
+[[चंद्रगुप्त प्रथम]]
-[[समुद्रगुप्त]]
-कुमारगुप्त
{[[हरिषेण]] किस शासक का दरबारी [[कवि]] था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-946
|type="()"}
+[[समुद्रगुप्त]]
-[[अशोक]]
-[[कनिष्क]]
-[[चंद्रगुप्त द्वितीय]]
{[[गुप्त काल]] को [[प्राचीन भारत]] का क्लासिकल युग क्यों कहा जाता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-947
|type="()"}
-व्यापार में अभूतपूर्ण प्रगति के कारण।
+[[कला]] एवं [[साहित्य]] के क्षेत्र के अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचने के कारण।
-प्रचुर मात्रा में स्वर्ण सिक्के चिलाये जाने के कारण
-उपर्युक्त सभी के कारण
 
{धन्वंतरी निम्न में से किसके कारण प्रसिद्ध थे: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-948
|type="()"}
-गणितज्ञ होने के कारण
+[[आयुर्वेद]] के विद्वान एवं चिकित्सक होने के कारण
-[[ज्योतिष]] का प्रसिद्ध विद्वान के कारण
-प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ होने के कारण
 
{[[गुप्त काल]] का प्रसिद्ध खगोलशास्त्री कौन था?  (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-949
|type="()"}
-[[भास्कराचार्य]]
-[[वराहमिहिर]]
+[[आर्यभट्ट]]
-[[ब्रह्मगुप्त]]
{[[गुप्त काल]] में [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] की [[काँस्य]] निर्मित प्रतिमा कहाँ से प्राप्त हुई है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-950
|type="()"}
+[[सुल्तानगंज]]
-[[बोधगया]]
-[[अजंता]]
-[[मथुरा]]
{[[सती प्रथा]] का पहला उल्लेख कहाँ से मिलता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-951
|type="()"}
-भीतरगांव लेख से
-विलसंड स्तंभलेख से
+एरण अभिलेख से
-भितरी स्तंभलेख से
 
 
 
{[[गुप्त वंश]] के किस शासक ने हूणों को परास्त किया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-652
|type="()"}
+[[स्कन्दगुप्त]]
-[[चंद्रगुप्त द्वितीय]]
-[[समुद्रगुप्त]]
-[[रामगुप्त]]
{शतपथ ब्राह्मण में शिव को निम्नलिखित में से किस नाम से जाना जाता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-860
|type="()"}
-गिरित्र
-कपर्दिन
+सहस्त्राक्ष
-शतरुद्रिय
{[[कालिदास]] के किस [[ग्रंथ]] में प्रत्यभिज्ञा दर्शन का निरूपण हुआ था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-861
|type="()"}
-[[रघुवंश]]
-[[कुमारसम्भव]]
+[[अभिज्ञान शाकुंतलम्|अभिज्ञान शाकुंतलम]]
-[[मेघदूत]]
 
{निम्नलिखित में से कौन-सा स्थल 'त्रिमूर्ति' के लिए विख्यात है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-862
|type="()"}
-[[अजंता]]
-[[एलोरा]]
+एलिफेण्टा
-इनमें से कोई नहीं
{[[संगम युग]] में प्रांतों को मंडलम में विभाजित किया गया था और मंडलम का भी उपविभाजन निम्नलिखित में से किसमें हुआ था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-863
|type="()"}
+नाडु
-कुर्रम
-कोट्टम
-उर
{निम्नलिखित में से कौन-सी रचना संगम-युगीन मदुराई नगर का सुन्दर वर्णन प्रस्तुत करती है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-864
|type="()"}
+मणिमेकलै
-[[शिलप्पादिकारम]]
-कुराल अथवा तिरुकुराल
-पत्तप्पाट्टु
{[[संगम युग]] में 'वरियम' शब्द किसका सूचक था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-865
|type="()"}
-[[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को अनुदान में दिए गए राजस्व मुक्त ग्राम।
+राजस्व प्रदान करने वाली क्षेत्रीय इकाई।
-भू-राजस्व वसूल करने वाला प्रभारी अधिकारी।
-ग्रामसभाओं की प्रबंधक समिति।
 
{निम्नलिखित में से कौन-सा क्षेत्र राज्य की आय का एक स्त्रोत नहीं था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-866
|type="()"}
-राजकीय सम्पत्ति तथा राजकोष
-राज्य व्यापार
-मार्ग-शुल्क और सीमा-शुल्क
+दीवानी मुकदमों पर (स्टाम्प) न्याय-शुल्क
 
{[[संगम युग]] में [[भारत]] द्वारा आयातित सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण वस्तु क्या थी? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-867
|type="()"}
+[[सोना]] और [[चाँदी]]
-मृदभाण्ड एवं काँच के बर्तन
-[[मदिरा]] एवं दासियाँ
-[[घोड़ा|घोड़े]]
{निम्नलिखित में कौन-सा राजवंश [[संगम युग|परवर्ती संगम युग]] में चेर राजाओं के साथ निरंतर युद्ध में लगा रहा? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-868
|type="()"}
-[[चोल राजवंश|चोल]]
+[[पाण्ड्य राजवंश|पाण्ड्य]]
-[[इक्ष्वाकु वंश|इक्ष्वाकु]]
-[[पल्लव]]
 
 
 
{[[संगम युग]] में 'कोडै' क्या था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-913
|type="()"}
+उपहार प्रदान करने वाली संस्था
-ऊँची भूमि
-रमणीय पर्वतीय स्थल
-जनसभा
 
{[[संगम युग]] में विनिमय की दर निश्चित नहीं थी, परंतु दो वस्तुओं का आपसी विनियम बराबर मात्रा में होता था, वे वस्तुएँ थी: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-914
|type="()"}
-[[मछली]] और [[नमक]]
-[[धान]] और [[मछली]]
-[[दाल]] और [[नमक]]
+[[धान]] और [[नमक]]
{आरम्भिक तमिल लेखों पर किन [[भाषा|भाषाओं]] का प्रभाव नहीं था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-915
|type="()"}
-[[संस्कृत]]
-[[प्राकृत]]
-[[पालि]]
+[[कन्नड़]]
{[[संगम युग]] में 'वेत्वी' का अर्थ था: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-916
|type="()"}
-पशुओं की चोरी
-पशुओं के लिए युद्ध
+[[गाय]] का हरण
-गाय के लिए युद्ध
{[[संगम युग]] में संगम [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में वर्णित नगर 'वसव समुद्र' हैं: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-917
|type="()"}
+[[मद्रास]]
-[[मदुरै]]
-कावेरीपट्टनम
-मुसिरी
 
{[[तमिल]] [[काव्य]] में आगम वर्ग की कविताएँ: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-918
|type="()"}
-प्रेम संबंधी है।
-राजाओं की प्रशंसा में हैं।
-[[प्रकृति]] की प्रशंसा हैं।
+[[शिव|भगवान शिव]] की प्रशंसा में हैं।
{[[गुप्त]] किसके सामंत थे? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-919
|type="()"}
-[[मौर्य वंश|मौर्यों के]]
+[[कुषाण वंश|कुषाणों के]]
-[[सातवाहन वंश|सातवाहनों के]]
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
{[[गुप्त वंश]] का संस्थापक कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-920
|type="()"}
-[[घटोत्कच गुप्त|घटोत्कचगुप्त]]
-[[चंद्रगुप्त प्रथम|चंद्रगुप्त प्रथम ने]]
+[[श्रीगुप्त]]
-[[रामगुप्त]]
{[[गुप्त वंश]] के किस शासन ने सर्वप्रथम महाधिराज की उपाधि धारण की? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-921
|type="()"}
-[[श्रीगुप्त |श्रीगुप्त ने]]
+[[चंद्रगुप्त प्रथम|चंद्रगुप्त प्रथम ने]]
-[[घटोत्कच गुप्त|घटोत्कचगुप्त]]
-[[समुद्रगुप्त|समुद्रगुप्त ने]]
{मेहरौली का स्तम्भ लेख किस शासक से संबंधित है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-923
|type="()"}
+[[चंद्रगुप्त द्वितीय]]
-[[चंद्रगुप्त मौर्य]]
-[[अशोक]]
-[[समुद्रगुप्त]]
 
 
 
{[[गुप्तोत्तर काल]] के बारे में निम्न में से क्या तात्पर्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1000
|type="()"}
-इस [[काल]] में गाँव भी अपनी मुद्रा जारी करने लगे।
-ग्रामीण समुदायों के भूमि संबंधी अधिकारों का ह्रास हुआ।
-एक नये भूमिधर वर्ग का उदय हुआ एवं व्यापार का पतन हुआ।
+राष्ट्रकूटों ने सैनिकों को भूमि अनुदान नहीं दिया।
{किस इतिहासकार ने [[गुप्तोत्तर काल|गुप्तोत्तरकालीन]] सामाजिक, आर्थिक संगठन एवं संरचना के लिए सामंतवाद शब्द का प्रयोग किया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1001
|type="()"}
-[[ए. एस. अल्तेकर]]
+[[आर. एस. शर्मा]]
-[[के. पी. जायसवाल]]
-इनमें से कोई नहीं
{[[गुप्तोत्तर काल|गुप्तोत्तरकालीन]] भूमि व्यवस्था के बारे में कौन-सा कथन सत्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1002
|type="()"}
-अर्थव्यवस्था कृषि मूलक थी।
-राज सत्ता भू-सम्पत्ति से घनिष्ठ रूप से संबद्ध हो गयी।
-अभिलेखों में सामूहिक स्वामित्व के साक्ष्य प्राप्त होते हैं।
+उपर्युक्त सभी
 
{[[गुप्त काल]] के 18 करों में वह प्रमुख कर कौन-सा था, जो 16 से 25 प्रतिशत तक वसूला जाता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1003
|type="()"}
-भोग
-भूतवातप्रत्याय
+उद्रंग
-प्रणय


==मालवा विजय==
{[[गुप्त काल|गुप्तकालीन]] [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में प्रयुक्त "आभ्यांतर सिद्ध" से ध्वनित होता है: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1004
यहाँ के शासक बाज बहादुर को 1561 ई. में अदहम ख़ाँ के नेतृत्व में मुग़ल सेना ने परास्त कर दिया। [[29 मार्च]], 1561 ई. को [[मालवा]] की राजधानी ‘सारंगपुर’ पर मुग़ल सेनाओं ने अधिकार कर लिया। अकबर ने अदहम ख़ाँ को वहाँ की सूबेदारी सौंपी। 1562 ई. में पीर मुहम्मद मालवा का सूबेदार बना। यह एक अत्याचारी प्रवृति का व्यक्ति था। बाज बहादुर ने दक्षिण के शासकों के सहयोग से पुनः मालवा पर अधिकार कर लिया। पीर मुहम्मद भागते समय [[नर्मदा नदी]] में डूब कर मर गया। इस बार अकबर ने अब्दुल्ला ख़ाँ उजबेग को बाज बहादुर को परास्त करने के लिए भेजा। बाज बहादुर ने पराजित होकर अकबर की अधीनता स्वीकार कर अकबर के दरबार में द्वि-हज़ारी मनसब प्राप्त किया। 1564 ई. में अकबर ने गोंडवाना विजय हेतु ‘आसफ ख़ाँ’ को भेजा। तत्कालीन गोंडवाना राज्य की शासिका व [[महोबा उत्तर प्रदेश|महोबा]] की चन्देल राजकुमारी ‘रानी [[दुर्गावती]]’, जो अपने अल्पायु पुत्र ‘वीरनारायण’ की संरक्षिका के रूप में शासन कर रही थी, ने आसफ ख़ाँ के नेतृत्व वाली मुग़ल सेना का डट कर मुकाबला किया। अन्ततः माँ और पुत्र दोनों वीरगति को प्राप्त हुए। 1564 ई. में गोंडवाना मुग़ल साम्राज्य के अधीन हो गया।
|type="()"}
==राजस्थान विजय==
+फौजदारी एवं दीवानी मामले
[[राजस्थान]] के [[राजपूत]] शासक अपने पराक्रम, आत्मम्मान एवं स्वतन्त्रता के लिए प्रसिद्ध थे। अकबर ने राजपूतों के प्रति विशेष नीति अपनाते हुए उन राजपूत शासकों से मित्रता एवं वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किये, जिन्होंने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली। किन्तु जिन्होंने अधीनता स्वीकार नहीं की, उनसे युद्ध के द्वारा अधीनता स्वीकार करवाने का प्रयत्न किया।<br />
-सामंतों की कार्य प्रणाली
*'''आमेर (जयपुर)''' - 1562 ई. में अकबर द्वारा [[अजमेर]] की शेख [[मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह|मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह]] की यात्रा के समय उसकी मुलाकात आमेर के शासक राजा [[भारमल]] से हुई। भारमल प्रथम राजपूत शासक था, जिसने स्वेच्छा से अकबर की अधीनता स्वीकार की। कालान्तर में भारमल या बिहारीमल की पुत्री से अकबर ने विवाह कर लिया, जिससे [[जहाँगीर]] पैदा हुआ। अकबर ने भारमल के पुत्र ([[दत्तक पुत्र|दत्तक]]) भगवानदास एवं पौत्र [[मानसिंह]] को उच्च मनसब प्रदान किया।
-दो सामंतों के मध्य विवाद
*'''मेड़ता''' - यहाँ का शासक जयमल [[मेवाड़]] के राजा उदयसिंह का सामन्त था। मेड़ता पर आक्रमण के समय [[मुग़ल]] सेना का नेतृत्व सरफ़ुद्दीन कर रहा था। उसने जयमल एवं देवदास से मेड़ता को छीनकर 1562 ई. में मुग़लों के अधीन कर दिया।
-इनमें से कोई नहीं
*'''मेवाड़''' - ‘[[मेवाड़]]’ राजस्थान का एक मात्र ऐसा राज्य था, जहाँ के राजपूत शासकों ने मुग़ल शासन का सदैव विरोध किया। अकबर का समकालीन मेवाड़ शासक सिसोदिया वंश का राणा उदयसिंह था, जिसने मुग़ल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। अकबर ने मेवाड़ को अपने अधीन करने के लिए 1567 ई. में [[चित्तौड़]] के क़िले पर आक्रमण कर दिया। उदयसिंह क़िले की सुरक्षा का भार जयमल एवं फत्ता ([[फ़तेह सिंह]]) को सौंप कर समीप की पहाड़ियों में खो गया। इन दो वीरों ने बड़ी बहादुरी से मुग़ल सेना का मुकाबला किया अन्त में दोनों युद्ध क्षेत्र में वीरगति को प्राप्त हुए। अकबर ने क़िले पर अधिकार के बाद लगभग 30,000 [[राजपूत|राजपूतों]] का कत्ल करवा दिया। यह नरसंहार अकबर के नाम पर एक बड़े धब्बे के रूप में माना गया, जिसे मिटाने के लिए अकबर ने [[आगरा]] क़िले के दरवाज़े पर जयमल एवं फत्ता की वीरता की स्मृति में उनकी प्रस्तर मूर्तियाँ स्थापित करवायीं। 1568 ई. में मुग़ल सेना ने मेवाड़ की राजधानी एवं चित्तौड़ के क़िले पर अधिकार कर लिया। अकबर ने चित्तौड़ की विजय के स्मृतिस्वरूप वहाँ की महामाता मंदिर से विशाल झाड़फानूस [[अवशेष]] आगरा ले आया।
*'''रणथंभौर विजय''' - [[रणथंभौर]] के शासक [[बूँदी]] के हाड़ा राजपूत सुरजन राय से अकबर ने 18 मार्च, 1569 ई. में दुर्ग को अपने क़ब्ज़े में ले लिया।
*'''कालिंजर विजय''' - [[उत्तर प्रदेश]] के [[बांदा]] ज़िले में स्थित यह क़िला अभेद्य माना जाता था। इस पर [[रीवा]] के राजा रामचन्द्र का अधिकार था। मुग़ल सेना ने मजनू ख़ाँ के नेतृत्व में आक्रमण कर [[कालिंजर]] पर अधिकार कर लिया। राजा रामचन्द्र को [[इलाहाबाद]] के समीप एक जागीर दे दी गयी।


1570 ई. में [[मारवाड़]] के शासक रामचन्द्र सेन, [[बीकानेर]] के शासक कल्याणमल एवं [[जैसलमेर]] के शासक रावल हरराय ने अकबर की अधीनता स्वीकार की। इस प्रकार 1570 ई. तक [[मेवाड़]] के कुछ भागों को छोड़कर शेष राजस्थान के शासकों ने मुग़ल अधीनता स्वीकार कर ली। अधीनता स्वीकार करने वाले राज्यों में कुछ अन्य थे- [[डूंगरपुर]], बांसवाड़ा एवं प्रतापगढ़।
{निम्नलिखित [[ग्रंथ|ग्रंथों]] में से किसके [[गुप्तोत्तर काल|गुप्तोत्तरकालीन]] भू-राजस्व व्यवस्था पर प्रकाश नहीं पड़ता: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1005
==गुजरात विजय (1572-73 ई.)==
|type="()"}
'''गुजरात एक समृद्ध, उन्नतिशील एवं व्यापारिक केन्द्र''' के रूप में प्रसिद्ध था। इसलिए अकबर इसे अपने अधिकार में करने हेतु उत्सुक था। [[सितम्बर]] 1572 ई. में अकबर ने स्वयं ही [[गुजरात]] को जीतने के लिए प्रस्थान किया। उस समय गुजरात का शासक मुजफ्फर ख़ाँ तृतीय था। लगभग डेढ़ महीने के संघर्ष के बाद [[26 फ़रवरी]], 1573 ई. तक अकबर ने [[सूरत]], [[अहमदाबाद]] एवं कैम्बे पर अधिकार कर लिया। अकबर ‘ख़ाने आजम’ मिर्ज़ा अजीज कोका को गुजरात का गर्वनर नियुक्त कर वापस आगरा आ गया, किन्तु उसके आगरा पहुँचते ही सूचना मिली कि, गुजरात में मुहम्मद हुसैन मिर्ज़ा ने विद्रोह कर दिया है। अतः तुरन्त ही अकबर ने गुजरात की ओर मुड़कर 2 सितम्बर, 1573 ई. को विद्रोह को कुचल दिया। अकबर के इस अभियान को स्म्थि ने ‘संसार के इतिहास का सर्वाधिक द्रुतगामी आक्रमण’ कहा है। इस प्रकार गुजरात अकबर के साम्राज्य का एक पक्का अंग बन गया। उसके वित्त तथा राजस्व का पुनर्सगंठन [[टोडरमल]] ने किया, जिसका कार्य उस प्रान्त में सिहाबुद्दीन अहमद ने 1573 ई. से 1584 ई. तक किया। गुजरात में ही अकबर सर्वप्रथम [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] से मिला और यहीं पर उसने पहली बार [[समुद्र]] को देखा। [[गुजरात]] को जीतने के बाद अकबर ने पूरे [[उत्तर भारत]] में ‘करोड़ी’ नाम के एक अधिकारी की नियुक्ति की। इस अधिकारी को अपने क्षेत्र से एक करोड़ दाम वसूल करना होता था। ‘करोड़ी’ की सहायता के लिए ‘आमिल’ नियुक्त किये गए। ये क़ानूनगों द्वारा बताये गये आंकड़े की भी जाँच करते थे। वास्तविक उत्पादन, स्थानीय क़ीमतें, उत्पादकता आदि पर उनकी सूचना के आधार पर अकबर ने 1580 ई. में 'दहसाला' नाम की नवीन प्रणाली को प्रारम्भ किया।
-[[हर्षचरति |हर्षचरति]]
{{seealso|मुग़लकालीन राजस्व प्रणाली|मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला}}
-अपराजितापृच्छा
-राजतरंगिणी
+काव्यादर्श


==बिहार एवं बंगाल पर विजय (1574-1576 ई.)==
{[[गुप्त काल|गुप्तकालीन]] भू-माप के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1006
[[बिहार]] एवं [[बंगाल]] पर सुलेमान कर्रानी अकबर की अधीनता में शासन करता था। कर्रानी की मृत्यु के बाद उसके पुत्र दाऊद ने अपनी स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी। अकबर ने मुनअम ख़ाँ के नेतृत्व में मुग़ल सेना को दाऊद को पराजित करने के लिए भेजा, साथ ही मुनअम ख़ाँ की सहायता हेतु खुद भी गया। 1574 ई. में दाऊद बिहार से बंगाल भाग गया। अकबर ने बंगाल विजय का सम्पूर्ण दायित्व मुनअम ख़ाँ को सौंप दिया और वापस [[फ़तेहपुर सीकरी]] आ गया। मुनअम ख़ाँ ने बंगाल पहुँचकर दाऊद को सुवर्ण रेखा नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित ‘तुकराई’ नामक स्थान पर [[3 मार्च]], 1575 ई. को परास्त किया। दाऊद की मृत्यु जुलाई, 1576 ई.में हो गई। इस तरह से बंगाल एवं बिहार पर मुग़लों का अधिकार हो गया।
|type="()"}
==हल्दीघाटी का युद्ध (18 जून, 1576 ई.)==
-गुप्त काल में भूमि 'हस्त' से नापी जाती थी।
उदय सिंह की मृत्यु के बाद मेवाड़ का शासक [[महाराणा प्रताप]] हुआ। अकबर ने मेवाड़ को पूर्णरूप से जीतने के लिए [[अप्रैल]], 1576 ई. में आमेर के राजा [[मानसिंह]] एवं आसफ ख़ाँ के नेतृत्व में मुग़ल सेना को आक्रमण के लिए भेजा। दोनों सेनाओं के मध्य गोगुडा के निकट [[अरावली पर्वतश्रेणी|अरावली पहाड़ी]] की ‘हल्दी घाटी’ शाखा के मध्य हुआ। इस युद्ध में राणाप्रताप पराजित हुए। उनकी जान झाला के नायक की निःस्वार्थ भक्ति के कारण बच सकी, क्योंकि उसने अपने को राणा घोषित कर शाही दल के आक्रमण को अपने ऊपर ले लिया था। राणा ने चेतक पर सवार होकर पहाड़ियों की ओर भाग कर आश्रय लिया। यह अभियान भी मेवाड़ पर पूर्ण अधिकार के बिना ही समाप्त हो गया। 1597 ई. में [[राणा प्रताप]] की मृत्यु के बाद उनका पुत्र अमर सिंह उत्तराधिकारी हुआ। उसके शासन काल 1599 ई. में मानसिंह के नेतृत्व में एक बार फिर मुग़ल सेना ने आक्रमण किया। अमर सिंह की पराजय के बाद भी मेवाड़ अभियान अधूरा रहा, जिसे बाद में [[जहाँगीर]] ने पूरा किया।
-हस्त से बड़ी इकाई धनु थी।
==काबुल विजय (1581 ई.)==
-भूमि माप हेतु सरकंडों का उपयोग किया जाता था।
मिर्ज़ा हकीम, जो रिश्ते में अकबर का सौतेला भाई था, ‘[[काबुल]]’ पर स्वतन्त्र शासक के रूप में शासन कर रहा था। सम्राट बनने की महत्वाकांक्षा में उसने [[पंजाब]] पर आक्रमण किया। उसके विद्रोह को कुचलने के लिए अकबर ने [[8 फ़रवरी]], 1581 ई. को एक बृहद सेना के साथ [[अफ़ग़ानिस्तान]] की ओर प्रस्थान किया। अकबर के आने का समाचार सुनकर मिर्ज़ा हाकिम काबुल की ओर वापस हो गया। [[10 अगस्त]] 1581 ई. को अकबर ने मिर्ज़ा की बहन बख्तुन्निसा बेगम को काबुल की सूबेदारी सौंपी। कालान्तर में अकबर ने काबुल को साम्राज्य में मिला कर मानसिंह को सूबेदार बनाया।
+उपयुक्त सभी
==कश्मीर विजय (1585-1586 ई.)==
{| class="bharattable-green" border="1" style="margin:5px; float:right"
|+ अकबर द्वारा जीते गए राज्य
! राज्य
! शासक
! वर्ष
! मुग़ल सेनापति
|-
| [[मालवा]]
| बाज बहादुर
| 1561 ई.
| अदमह ख़ाँ, पीर मुहम्मद
|-
| मालवा
| -
| 5262 ई.
| अब्दुल्ला ख़ाँ
|-
| [[चुनार]]
| -
| 1561 ई.
| [[आसफ़ ख़ाँ]]
|-
| गोंडवाना
| वीरनारायण एवं दुर्गावती
| 1564 ई.
| आसफ़ ख़ाँ
|-
| [[आमेर]]
| भारमल
| 1562 ई.
| स्वयं अधीनता स्वीकार की
|-
| [[मेड़ता]]
| जयमल
| 1562 ई.
| सरफ़ुद्दीन
|-
| [[मेवाड़]]
| [[राणा उदयसिंह|उदयसिंह]]
| 1568 ई.
| स्वयं अकबर
|-
| मेवाड़
| [[राणा प्रताप]]
| 1576 ई.
| [[मानसिंह]], आसफ़ ख़ाँ
|-
| [[रणथम्भौर]]
| सुरजन हाड़ा
| 1569 ई.
| भगवानदास, अकबर
|-
| [[कालिंजर]]
| रामचन्द्र
| 1569 ई.
| मजनू ख़ाँ काकशाह
|-
| [[मारवाड़]]
| राव चन्द्रसेन
| 1570 ई.
| स्वेच्छा से अधीनता स्वीकार की
|-
| [[गुजरात]]
| मुजफ़्फ़र ख़ाँ तृतीय
| 1571 ई.
| ख़ानकला, ख़ाने आजम
|-
| [[बिहार]]-[[बंगाल]]
| दाऊद ख़ाँ
| 1574-1576
| मुनअम ख़ाँ ख़ानख़ाना
|-
| [[काबुल]]
| हकीम मिर्ज़ा
| 1581 ई.
| [[मानसिंह]] एवं अकबर
|-
| [[कश्मीर]]
| यूसुफ़ व याकूब ख़ाँ
| 1586 ई.
| भगवानदास, [[कासिम ख़ाँ]]
|-
| [[सिंध]]
| जानी बेग
| 1591 ई.
| [[रहीम|अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना]]
|-
| [[उड़ीसा]]
| निसार ख़ाँ
| 1590-1591 ई.
| [[मानसिंह]]
|-
| [[बलूचिस्तान]]
| पन्नी अफ़ग़ान
| 1595 ई.
| मीर मासूम
|-
| [[कंधार]]
| मुजफ़्फ़र हुसैन मिर्ज़ा
| 1595 ई.
| शाहबेग
|-
| [[ख़ानदेश]]
| अली ख़ाँ
| 1591 ई.
| स्वेच्छा से अधीनता स्वीकार की
|-
| [[दौलताबाद]]
| [[चाँदबीबी]]
| 1599 ई.
| मुराद, [[रहीम]], [[अबुल फ़ज़ल]] एवं अकबर
|-
| [[अहमदनगर]]
| बहादुरशाह, चाँदबीबी
| 1600 ई.
| -
|-
| [[असीरगढ़]]
| मीरन बहादुर
| 1601 ई.
| अकबर (अन्तिम अभियान)
|}
अकबर ने [[कश्मीर]] पर अधिकार करने के लिए भगवान दास एवं कासिम ख़ाँ के नेतृत्व में मुग़ल सेना को भेजा। मुग़ल सेना ने थोड़े से संघर्ष के बाद यहाँ के शासक ‘युसुफ ख़ाँ’ को बन्दी बना लिया। बाद में युसुफ ख़ाँ के लड़के ‘याकूब’ ने संघर्ष की शुरुआत की, किन्तु [[श्रीनगर]] में हुए विद्रोह के कारण उसे मुग़ल सेना के समक्ष आत्समर्पण करना पड़ा। 1586 ई. में कश्मीर का विलय मुग़ल साम्राज्य में हो गया।


==सिंध विजय (1591 ई.)==
{[[गुप्तत्तोर काल|गुप्तत्तोरकालीन]] करों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य हैं? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1007
अकबर ने [[रहीम|अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना]] को [[सिंध]] को जीतने का दायित्व सौंपा। 1591 ई. में सिंध के शासक जानीबेग एवं ख़ानख़ाना के मध्य कड़ा संघर्ष हुआ। अन्ततः सिंध पर मुग़लों का अधिकार हो गया।
|type="()"}
==उड़ीसा विजय (1590-1592 ई.)==
-परहीनक पशुओं द्वारा की गई हानि की क्षतिपूर्ति के रूप में लिया जाता था।
1590 ई. में राजा [[मानसिंह]] के नेतृत्व में मुग़ल सेना ने [[उड़ीसा]] के शासक निसार ख़ाँ पर आक्रमण कर आत्मसमर्पण के लिए विवश किया, परन्तु अन्तिम रूप से उड़ीसा को 1592 ई. में मुग़ल साम्राज्य के अधीन किया गया।
-राजकीय भूमि पर कृषि कर सीता कहलाता था।
==बलूचिस्तान विजय (1595 ई.)==
-अवल्गक सेनाभक्त की तरह का ही एक कर था।
मीर मासूम के नेतृत्व में मुग़ल सेनाओं ने 1595 ई. में [[बलूचिस्तान]] पर आक्रमण कर वहाँ के [[अफ़ग़ान|अफ़ग़ानों]] को हराकर उसे मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया।
+हलिराकर हलवाईयों पर लगने वाला कर था।
==कंधार विजय (1595 ई.)==
[[बैरम ख़ाँ]] के संरक्षण काल 1556-1560 ई. में [[कंधार]] मुग़लों के हाथ से निकल गया था। कंधार का सूबेदार मुजफ्फर हुसैन मिर्ज़ा कंधार को स्वेच्छा से मुग़ल सरदार शाहबेग को सौंपकर स्वयं अकबर का [[मनसबदार]] बन गया। इस तरह अकबर [[मेवाड़]] के अतिरिक्त सम्पूर्ण उत्तरी [[भारत]] पर अधिकार करने में सफल हुआ।


==अकबर की दक्षिण विजय==
{[[गुप्त काल]] में प्रशासनिक इकाइयों का सही क्रमागर स्तर निम्न में से कौन व्यक्त करता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1008
'''[[बहमनी राज्य]] के विखण्डन के उपरान्त बने''' राज्यों [[ख़ानदेश]], [[अहमदनगर]], [[बीजापुर]] एवं [[गोलकुण्डा]] को अकबर ने अपने अधीन करने के लिए 1591 ई. में एक दूतमण्डल को दक्षिण की ओर भेजा। मुग़ल सीमा के सर्वाधिक नज़दीक होने के कारण ‘ख़ानदेश’ ने मुग़ल अधिपत्य को स्वीकार कर लिया। ‘ख़ानदेश’ को [[दक्षिण भारत]] का ‘प्रवेश द्वार’ भी माना जाता है।
|type="()"}
==अहमदनगर विजय==
+भुक्ति, विषय, पेठ, ग्राम
1593 ई. में अकबर ने अहमदनगर पर आक्रमण हेतु अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना एवं मुराद को दक्षिण भेजा। 1594 ई. में यहाँ के शासक बुरहानुलमुल्क की मृत्यु के कारण अहमदनगर के क़िले का दायित्व [[बीजापुर]] के शासक [[अली आदिलशाह प्रथम]] की विधवा [[चाँदबीबी]] पर आ गया। चाँदबीबी ने इब्राहिम के अल्पायु पुत्र बहादुरशाह को सुल्तान घोषित किया एवं स्वयं उसकी संरक्षिका बन गई। 1595 ई. में मुग़ल आक्रमण का इसने लगभग 4 महीने तक डटकर सामना किया। अन्ततः दोनों पक्षों में 1596 ई. में समझौता हो गया। समझौते के अनुसार [[बरार]] मुग़लों को सौंप दिया गया एवं बुरहानुलमुल्क के पौत्र बहादुरशाह को अहमदनगर के शासक के रूप में मान्यता प्रदान कर दी गई। इसी युद्ध के दौरान मुग़ल सर्वप्रथम [[मराठा|मराठों]] के सम्पर्क में आये। कुछ दिन बाद चाँदबीबी ने अपने को अहमदनगर प्रशासन से अलग कर दिया। वहाँ के सरदारों ने संधि का उल्लंघन करते हुए बरार को पुनः प्राप्त करना चाहा। अकबर ने [[अबुल फ़ज़ल]] के साथ मुराद को अहमदनगर पर आक्रमण के लिए भेजा। 1597 ई. में मुराद की मृत्यु हो जाने के कारण [[अब्दुर्रहीम खान--खाना|अब्दुर्रहीम ख़ानखाना]] एवं [[शहज़ादा दानियाल]] को आक्रमण के लिए भेजा। अकबर ने भी दक्षिण की ओर प्रस्थान किया। मुग़ल सेना ने 1599 ई. में [[दौलताबाद]] एवं 1600 ई. में अहमदनगर क़िले पर अधिकार कर लिया। चाँदबीबी ने आत्महत्या कर ली।
-विषय, भुक्ति, पेठ, ग्राम
{{दाँयाबक्सा|पाठ=सभी धर्मों के सार संग्रह के रूप में अकबर ने 1582 ई. में [[दीन-ए-इलाही]] (तौहीद-ए-इलाही) या दैवी एकेश्वरवाद नामक धर्म का प्रवर्तन किया तथा उसे राजकीय धर्म घोषित कर दिया। इस धर्म का प्रधान [[पुरोहित]] [[अबुल फ़ज़ल]] था।|विचारक=}}
-पेठ, विषय, भुक्ति, ग्राम
==असीरगढ़ विजय==
-भुक्ति, पेठ, वुषय, ग्राम
ख़ानदेश की राजधानी [[बुरहानपुर]] पर स्वयं अकबर ने 1599 ई. में आक्रमण किया। इस समय वहाँ का शासक मीरन बहादुर था। उसने अपने को [[असीरगढ़]] के क़िले में सुरक्षित कर लिया। अकबर ने असीरगढ़ के क़िले का घेराव कर उसके दरवाज़े को ‘सोने की चाभी’ से खोला अर्थात अकबर ने दिल खोलकर ख़ानदेश के अधिकारियों को रुपये बांटे और उन्हें कपटपूर्वक अपनी ओर मिला लिया। [[21 दिसम्बर]], 1600 ई. को मीरन बहादुर ने अकबर के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, परन्तु अकबर ने अन्तिम रूप से इस [[दुर्ग]] को अपने क़ब्ज़े में 6 जनवरी 1601 ई. को किया। असीरगढ़ की विजय अकबर की अन्तिम विजय थी। मीरन बहादुर को बन्दी बना कर [[ग्वालियर]] के क़िले में क़ैद कर लिया गया। 4000 अशर्फ़ियाँ उसके वार्षिक निर्वाह के लिए निश्चित की गयीं। इन विजयों के पश्चात् अकबर ने दक्षिण के सम्राट की उपाधि धारण की।


अकबर ने [[बरार]], [[अहमदनगर]] एवं [[ख़ानदेश]] की सूबेदारी शाहज़ादा दानियाल को प्रदान कर दी। [[बीजापुर]] एवं [[गोलकुण्डा]] पर अकबर अधिकार नहीं कर सका। इस तरह अकबर का साम्राज्य [[कंधार]] एवं [[काबुल]] से लेकर [[बंगाल]] तक और [[कश्मीर]] से लेकर [[बरार]] तक फैला था।
{[[गुप्त काल]] में बड़े पैमाने पर जारी सोने के सिक्के का वास्तविक स्त्रोत निम्न में से क्या है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1010
|type="()"}
-रोम के साथ जारी लाभदायक व्यापार
-कोलार की खान पर अधिकार
+पूर्ववर्ती युग के व्यापार से संचित स्वर्ग
-शकों से छीना गया मुद्रा भण्डार
</quiz>
|}
|}

06:34, 23 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान


इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश

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1 'पेरिप्लस मैरिस एरिथ्रियन सी' के लेखक को पादौक के रूप में ज्ञात बन्दरगाह कौन-सा था?(यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-757

अरिकमेडु
ताम्रलिप्ति
कोकाई
बारबैरिकम

2 ईसा की प्रारंभिक शताब्दियों में भारतीय और पश्चिमी व्यापारियों का सबसे बड़ा व्यापारिसंगम-स्थल कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-758

देडेसिया
एलेक्जेंड्रिया या सिकन्दरिया
तक्षशिला
पालमायरा

3 भारत में हिन्द-यूनानी शासन की स्थापना से पूर्व सिक्कों का प्रसारण किसके द्वारा किया जाता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-759

शासकों
व्यक्तिगत व्यापारियों
व्यापारिक निगमों
उपर्युक्त सभी

4 सर्वाधिक संख्या में रोमन सिक्के कहाँ से पाए गए हैं? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-760

केरल
तमिलनाडु
उपर्युक्त दोनों
पश्चिमी बंगाल

5 वह कौन प्रथम भारतीय शासक था, जिसने रोमन मुद्रा प्रणाली के अनुरूप अपने सिक्कों का प्रसारण किया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-761

शुंग
हिन्द-यूनानी
कुषाण
गुप्तवंश

6 उत्तर भारत के किस नगर को सर्वोत्तम रेशम उत्पादन केन्द्र माना जाता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-762

तक्षशिला
पाटलिपुत्र
कौशाम्बी
वाराणसी

7 एक प्राचीन भारतीय राजवंश के शासकों ने उसके साम्राज्य में निवास करने वाले विभिन्न धर्मों के लोगों द्वरापूजित 35 देवी-देवताओं की आकृतियों को अपने सिक्के पर अंकित कराया। उक्त राजवंश था: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-218,प्रश्न-763

मौर्य
शक
कुषाण
गुप्त

8 भारत और पश्चिम एशिया के मध्य मुख्यत: स्थल मार्ग कहाँ से गुजरता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-764

खैबर दर्रा और काबुल
खैबर और बोलन दर्रा
तक्षशिला, पेशावर और काबुल
काबुल और बामियान

9 मौर्योत्तर काल में पश्चिम भारत में व्यापार का सबसे महत्त्वपूर्ण केन्द्र कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-765

सुपरिक
कल्याण
चोल
भरुकच्छ

10 'सिन्ध-सौवीर' प्राचीन भारत में किसलिए प्रसिद्ध था?(यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-766

उत्तम तलवारों एवं कटारों के उत्पादन
घोड़ों एवं खच्चरों के व्यापार
ऊनी वस्त्र उद्योग
चमड़े की वस्तुओं के उत्पादन

11 पतंजली के अनुसार मथुरा वस्त्र उद्योग का मुख्य केन्द्र था, कपड़े की निम्नलिखित कौन-सी किस्म वहाँ उत्पादित होती थी? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-219,प्रश्न-767

दुकूल
सटक
क्षौम
चीनांसुक

12 सर्वप्रथम किस गुप्त सम्राट के समय के अभिलेख उत्तरी बंगाल से मिले थे? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-943

चंद्रगुप्त प्रथम
चंद्रगुप्त द्वितीय
कुमारगुप्त प्रथम
समुद्रगुप्त

13 गुप्तकालीन जनपदों की सूची में प्रथम जनपद का सम्मान निम्न में से किसे दिया गया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-944

मालवा
मगध
प्रयाग
उपर्युक्त में से कोई नहीं

14 गुप्त संवत् (319-320) को प्रारंभ करने का श्रेय किसे दिया जाता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-945

श्रीगुप्त
चंद्रगुप्त प्रथम
समुद्रगुप्त
कुमारगुप्त

15 हरिषेण किस शासक का दरबारी कवि था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-946

समुद्रगुप्त
अशोक
कनिष्क
चंद्रगुप्त द्वितीय

16 गुप्त काल को प्राचीन भारत का क्लासिकल युग क्यों कहा जाता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-947

व्यापार में अभूतपूर्ण प्रगति के कारण।
कला एवं साहित्य के क्षेत्र के अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचने के कारण।
प्रचुर मात्रा में स्वर्ण सिक्के चिलाये जाने के कारण
उपर्युक्त सभी के कारण

17 धन्वंतरी निम्न में से किसके कारण प्रसिद्ध थे: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-948

गणितज्ञ होने के कारण
आयुर्वेद के विद्वान एवं चिकित्सक होने के कारण
ज्योतिष का प्रसिद्ध विद्वान के कारण
प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ होने के कारण

18 गुप्त काल का प्रसिद्ध खगोलशास्त्री कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-949

भास्कराचार्य
वराहमिहिर
आर्यभट्ट
ब्रह्मगुप्त

19 गुप्त काल में भगवान बुद्ध की काँस्य निर्मित प्रतिमा कहाँ से प्राप्त हुई है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-950

सुल्तानगंज
बोधगया
अजंता
मथुरा

20 सती प्रथा का पहला उल्लेख कहाँ से मिलता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-951

भीतरगांव लेख से
विलसंड स्तंभलेख से
एरण अभिलेख से
भितरी स्तंभलेख से

21 गुप्त वंश के किस शासक ने हूणों को परास्त किया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-230,प्रश्न-652

स्कन्दगुप्त
चंद्रगुप्त द्वितीय
समुद्रगुप्त
रामगुप्त

22 शतपथ ब्राह्मण में शिव को निम्नलिखित में से किस नाम से जाना जाता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-860

गिरित्र
कपर्दिन
सहस्त्राक्ष
शतरुद्रिय

23 कालिदास के किस ग्रंथ में प्रत्यभिज्ञा दर्शन का निरूपण हुआ था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-861

रघुवंश
कुमारसम्भव
अभिज्ञान शाकुंतलम
मेघदूत

24 निम्नलिखित में से कौन-सा स्थल 'त्रिमूर्ति' के लिए विख्यात है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-862

अजंता
एलोरा
एलिफेण्टा
इनमें से कोई नहीं

25 संगम युग में प्रांतों को मंडलम में विभाजित किया गया था और मंडलम का भी उपविभाजन निम्नलिखित में से किसमें हुआ था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-863

नाडु
कुर्रम
कोट्टम
उर

26 निम्नलिखित में से कौन-सी रचना संगम-युगीन मदुराई नगर का सुन्दर वर्णन प्रस्तुत करती है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-864

मणिमेकलै
शिलप्पादिकारम
कुराल अथवा तिरुकुराल
पत्तप्पाट्टु

27 संगम युग में 'वरियम' शब्द किसका सूचक था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-865

ब्राह्मणों को अनुदान में दिए गए राजस्व मुक्त ग्राम।
राजस्व प्रदान करने वाली क्षेत्रीय इकाई।
भू-राजस्व वसूल करने वाला प्रभारी अधिकारी।
ग्रामसभाओं की प्रबंधक समिति।

28 निम्नलिखित में से कौन-सा क्षेत्र राज्य की आय का एक स्त्रोत नहीं था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-866

राजकीय सम्पत्ति तथा राजकोष
राज्य व्यापार
मार्ग-शुल्क और सीमा-शुल्क
दीवानी मुकदमों पर (स्टाम्प) न्याय-शुल्क

29 संगम युग में भारत द्वारा आयातित सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण वस्तु क्या थी? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-867

सोना और चाँदी
मृदभाण्ड एवं काँच के बर्तन
मदिरा एवं दासियाँ
घोड़े

30 निम्नलिखित में कौन-सा राजवंश परवर्ती संगम युग में चेर राजाओं के साथ निरंतर युद्ध में लगा रहा? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-225,प्रश्न-868

चोल
पाण्ड्य
इक्ष्वाकु
पल्लव

31 संगम युग में 'कोडै' क्या था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-913

उपहार प्रदान करने वाली संस्था
ऊँची भूमि
रमणीय पर्वतीय स्थल
जनसभा

32 संगम युग में विनिमय की दर निश्चित नहीं थी, परंतु दो वस्तुओं का आपसी विनियम बराबर मात्रा में होता था, वे वस्तुएँ थी: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-914

मछली और नमक
धान और मछली
दाल और नमक
धान और नमक

33 आरम्भिक तमिल लेखों पर किन भाषाओं का प्रभाव नहीं था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-915

संस्कृत
प्राकृत
पालि
कन्नड़

34 संगम युग में 'वेत्वी' का अर्थ था: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-916

पशुओं की चोरी
पशुओं के लिए युद्ध
गाय का हरण
गाय के लिए युद्ध

35 संगम युग में संगम ग्रंथों में वर्णित नगर 'वसव समुद्र' हैं: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-917

मद्रास
मदुरै
कावेरीपट्टनम
मुसिरी

36 तमिल काव्य में आगम वर्ग की कविताएँ: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-918

प्रेम संबंधी है।
राजाओं की प्रशंसा में हैं।
प्रकृति की प्रशंसा हैं।
भगवान शिव की प्रशंसा में हैं।

37 गुप्त किसके सामंत थे? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-919

मौर्यों के
कुषाणों के
सातवाहनों के
उपर्युक्त में से कोई नहीं

38 गुप्त वंश का संस्थापक कौन था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-920

घटोत्कचगुप्त
चंद्रगुप्त प्रथम ने
श्रीगुप्त
रामगुप्त

39 गुप्त वंश के किस शासन ने सर्वप्रथम महाधिराज की उपाधि धारण की? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-921

श्रीगुप्त ने
चंद्रगुप्त प्रथम ने
घटोत्कचगुप्त
समुद्रगुप्त ने

40 मेहरौली का स्तम्भ लेख किस शासक से संबंधित है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-228,प्रश्न-923

चंद्रगुप्त द्वितीय
चंद्रगुप्त मौर्य
अशोक
समुद्रगुप्त

41 गुप्तोत्तर काल के बारे में निम्न में से क्या तात्पर्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1000

इस काल में गाँव भी अपनी मुद्रा जारी करने लगे।
ग्रामीण समुदायों के भूमि संबंधी अधिकारों का ह्रास हुआ।
एक नये भूमिधर वर्ग का उदय हुआ एवं व्यापार का पतन हुआ।
राष्ट्रकूटों ने सैनिकों को भूमि अनुदान नहीं दिया।

42 किस इतिहासकार ने गुप्तोत्तरकालीन सामाजिक, आर्थिक संगठन एवं संरचना के लिए सामंतवाद शब्द का प्रयोग किया? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1001

ए. एस. अल्तेकर
आर. एस. शर्मा
के. पी. जायसवाल
इनमें से कोई नहीं

43 गुप्तोत्तरकालीन भूमि व्यवस्था के बारे में कौन-सा कथन सत्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1002

अर्थव्यवस्था कृषि मूलक थी।
राज सत्ता भू-सम्पत्ति से घनिष्ठ रूप से संबद्ध हो गयी।
अभिलेखों में सामूहिक स्वामित्व के साक्ष्य प्राप्त होते हैं।
उपर्युक्त सभी

44 गुप्त काल के 18 करों में वह प्रमुख कर कौन-सा था, जो 16 से 25 प्रतिशत तक वसूला जाता था? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1003

भोग
भूतवातप्रत्याय
उद्रंग
प्रणय

45 गुप्तकालीन ग्रंथों में प्रयुक्त "आभ्यांतर सिद्ध" से ध्वनित होता है: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1004

फौजदारी एवं दीवानी मामले
सामंतों की कार्य प्रणाली
दो सामंतों के मध्य विवाद
इनमें से कोई नहीं

46 निम्नलिखित ग्रंथों में से किसके गुप्तोत्तरकालीन भू-राजस्व व्यवस्था पर प्रकाश नहीं पड़ता: (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1005

हर्षचरति
अपराजितापृच्छा
राजतरंगिणी
काव्यादर्श

47 गुप्तकालीन भू-माप के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1006

गुप्त काल में भूमि 'हस्त' से नापी जाती थी।
हस्त से बड़ी इकाई धनु थी।
भूमि माप हेतु सरकंडों का उपयोग किया जाता था।
उपयुक्त सभी

48 गुप्तत्तोरकालीन करों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य हैं? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1007

परहीनक पशुओं द्वारा की गई हानि की क्षतिपूर्ति के रूप में लिया जाता था।
राजकीय भूमि पर कृषि कर सीता कहलाता था।
अवल्गक सेनाभक्त की तरह का ही एक कर था।
हलिराकर हलवाईयों पर लगने वाला कर था।

49 गुप्त काल में प्रशासनिक इकाइयों का सही क्रमागर स्तर निम्न में से कौन व्यक्त करता है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1008

भुक्ति, विषय, पेठ, ग्राम
विषय, भुक्ति, पेठ, ग्राम
पेठ, विषय, भुक्ति, ग्राम
भुक्ति, पेठ, वुषय, ग्राम

50 गुप्त काल में बड़े पैमाने पर जारी सोने के सिक्के का वास्तविक स्त्रोत निम्न में से क्या है? (यूजीसी इतिहास,पृ.सं.-234,प्रश्न-1010

रोम के साथ जारी लाभदायक व्यापार
कोलार की खान पर अधिकार
पूर्ववर्ती युग के व्यापार से संचित स्वर्ग
शकों से छीना गया मुद्रा भण्डार