"ख़्वाजा खुर्शीद अनवर": अवतरणों में अंतर
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खुर्शीद अनवर का जन्म 21 मार्च, 1912 को मियाँवाली, पंजाब (अब [[पाकिस्तान]]) में हुआ था। उनके नाना ख़ान बहादुर डॉ. शेख़ अट्टा मोहम्मद सिविल सर्जन | खुर्शीद अनवर का जन्म 21 मार्च, 1912 को मियाँवाली, पंजाब (अब [[पाकिस्तान]]) में हुआ था। उनके नाना ख़ान बहादुर डॉ. शेख़ अट्टा मोहम्मद सिविल सर्जन और उनके पिता ख़्वाजा फ़िरोज़ुद्दीन अहमद [[लाहौर]] के एक जानेमाने बैरिस्टर थे। [[1947]] में देश के विभाजन के बाद वह भारत से पाकिस्तान जा बसे। | ||
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खुर्शीद अनवर ने अपने संगीत जीवन की शुरुआत आल इण्डिया रेडियो के संगीत विभाग में प्रोड्यूसर-इन-चार्ज की हैसियत से की थी। फ़िल्मों में संगीत निर्देशक के रूप में पहली बार उन्हें पंजाबी फ़िल्म 'कुड़माई' में सन [[1941]] में संगीत देने का अवसर मिला जिसमें वास्ती, जगदीश, राधारानी, [[जीवन (अभिनेता)|जीवन]] आदि कलाकारों ने अभिनय किया था और निर्देशक थे जे. के. नन्दा। उनके मधुर संगीत से सजी पहली हिंदी फ़िल्म थी 'इशारा' जो सन [[1943]] में प्रदर्शित हुई थी। | |||
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ए. आर. कारदार की पंजाबी फ़िल्म 'कुड़माई' ([[1941]]) से शुरुआत करने के बाद खुर्शीद अनवर ने 'इशारा' ([[1943]]), 'परख' ([[1944]]), 'यतीम' ([[1945]]), 'आज और कल' ([[1947]]), 'पगडंडी' ([[1947]]) और 'परवाना' ([[1947]]) जैसी फ़िल्मों में संगीत दिया। स्वाधीनता मिलने के बाद [[1949]] में फिर उनके संगीत से सजी एक फ़िल्म आई 'सिंगार'। पाकिस्तान में खुर्शीद अनवर की जो फ़िल्में मशहूर हुईं थीं उनमें शामिल हैं- 'ज़हरे-इश्क़', ' | ए. आर. कारदार की पंजाबी फ़िल्म 'कुड़माई' ([[1941]]) से शुरुआत करने के बाद खुर्शीद अनवर ने 'इशारा' ([[1943]]), 'परख' ([[1944]]), 'यतीम' ([[1945]]), 'आज और कल' ([[1947]]), 'पगडंडी' ([[1947]]) और 'परवाना' ([[1947]]) जैसी फ़िल्मों में संगीत दिया। स्वाधीनता मिलने के बाद [[1949]] में फिर उनके संगीत से सजी एक फ़िल्म आई 'सिंगार'। [[पाकिस्तान]] में खुर्शीद अनवर की जो फ़िल्में मशहूर हुईं थीं उनमें शामिल हैं- 'ज़हरे-इश्क़', 'घूंघट', 'चिंगारी', 'इंतज़ार', 'कोयल', 'शौहर', 'चमेली', 'हीर रांझा' इत्यादि। | ||
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11:01, 5 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
ख़्वाजा खुर्शीद अनवर
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पूरा नाम | ख़्वाजा खुर्शीद अनवर |
जन्म | 21 मार्च, 1912 |
जन्म भूमि | पंजाब, (अब पाकिस्तान) |
मृत्यु | 30 अक्टूबर, 1984 |
मृत्यु स्थान | लाहौर |
अभिभावक | ख़्वाजा फ़िरोज़ुद्दीन अहमद |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | संगीतकार |
मुख्य फ़िल्में | कुड़माई, इशारा, सिंगार, परख, यतीम |
विषय | दर्शनशास्त्र |
शिक्षा | एम.ए |
विद्यालय | पंजाब विश्वविद्यालय |
अन्य जानकारी | खुर्शीद अनवर दर्शनशास्त्र में प्रथम श्रेणी आने के बाद प्रतिष्ठित ICS परीक्षा के लिखित चरण में शामिल हुए और सफल भी हुए। परंतु उसके साक्षात्कार चरण में शामिल न होकर संगीत के क्षेत्र को उन्होंने अपना कॅरियर चुना। |
अद्यतन | 18:20, 24 जून 2017 (IST)
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ख़्वाजा खुर्शीद अनवर (अंग्रेज़ी: Khwaja Khurshid Anwar, जन्म: 21 मार्च, 1912, पंजाब, मृत्य: 30 अक्टूबर, 1984, लाहौर) प्रसिद्ध संगीतकार थे, जिन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों में काफ़ी लोकप्रियता हासिल की थी।[1]
परिचय
खुर्शीद अनवर का जन्म 21 मार्च, 1912 को मियाँवाली, पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनके नाना ख़ान बहादुर डॉ. शेख़ अट्टा मोहम्मद सिविल सर्जन और उनके पिता ख़्वाजा फ़िरोज़ुद्दीन अहमद लाहौर के एक जानेमाने बैरिस्टर थे। 1947 में देश के विभाजन के बाद वह भारत से पाकिस्तान जा बसे।
कॅरियर
खुर्शीद अनवर ने अपने संगीत जीवन की शुरुआत आल इण्डिया रेडियो के संगीत विभाग में प्रोड्यूसर-इन-चार्ज की हैसियत से की थी। फ़िल्मों में संगीत निर्देशक के रूप में पहली बार उन्हें पंजाबी फ़िल्म 'कुड़माई' में सन 1941 में संगीत देने का अवसर मिला जिसमें वास्ती, जगदीश, राधारानी, जीवन आदि कलाकारों ने अभिनय किया था और निर्देशक थे जे. के. नन्दा। उनके मधुर संगीत से सजी पहली हिंदी फ़िल्म थी 'इशारा' जो सन 1943 में प्रदर्शित हुई थी।
प्रमुख फ़िल्में
ए. आर. कारदार की पंजाबी फ़िल्म 'कुड़माई' (1941) से शुरुआत करने के बाद खुर्शीद अनवर ने 'इशारा' (1943), 'परख' (1944), 'यतीम' (1945), 'आज और कल' (1947), 'पगडंडी' (1947) और 'परवाना' (1947) जैसी फ़िल्मों में संगीत दिया। स्वाधीनता मिलने के बाद 1949 में फिर उनके संगीत से सजी एक फ़िल्म आई 'सिंगार'। पाकिस्तान में खुर्शीद अनवर की जो फ़िल्में मशहूर हुईं थीं उनमें शामिल हैं- 'ज़हरे-इश्क़', 'घूंघट', 'चिंगारी', 'इंतज़ार', 'कोयल', 'शौहर', 'चमेली', 'हीर रांझा' इत्यादि।
निधन
भारत विभाजन के बाद विशुद्ध व्यावसायिकता को दृष्टिगत रखते हुए पाकिस्तान जा बसने वाले अपने समय के प्रसिद्ध संगीतकार खुर्शीद अनवर का 30 अक्टूबर, 1984 को लाहौर में दुखद निधन हो गया। वे लगभग 70 वर्ष के थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ "दिल आने के ढंग निराले हैं" - वाक़ई निराला था ख़ुर्शीद अनवर का संगीत जिनकी आज 101-वीं जयन्ती है! (हिंदी) radioplaybackindia.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 24 जून, 2017।
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