"बाल गंगाधर खेर": अवतरणों में अंतर
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05:57, 24 अगस्त 2022 के समय का अवतरण
बाल गंगाधर खेर
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पूरा नाम | बालासाहब गंगाधर खेर |
जन्म | 24 अगस्त, 1888 |
जन्म भूमि | रत्नागिरी, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 8 मार्च, 1957 |
मृत्यु स्थान | पुणे, महाराष्ट्र |
नागरिकता | भारतीय |
जेल यात्रा | 1930 से 1945 के बीच चार बार जेल गए। |
पुरस्कार-उपाधि | पद्मविभूषण, 1954 |
दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
अन्य जानकारी | बाल गंगाधर खेर 1937 से 1939 तक और फिर 1946 से 1952 तक मुम्बई प्रांत के मुख्यमंत्री रहे। इस बीच वे संविधान सभा के सदस्य भी थे। |
बालासाहब गंगाधर खेर (अंग्रेज़ी: Bal Gangadhar Kher; जन्म: 24 अगस्त, 1888, रत्नागिरि; मृत्यु: 8 मार्च, 1957, महाराष्ट्र) भारत के प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेताओं में से एक थे। वे दो बार महाराष्ट्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने। एक वकील और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में वे जाने जाते थे। गंगाधर खेर 1952 से 1954 तक ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त भी रहे। उन्हें भारत सरकार द्वारा सन 1954 में 'पद्मविभूषण' की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
जन्म तथा शिक्षा
बालासाहब गंगाधर खेर का जन्म 24 अगस्त, 1888 ई. को रत्नागिरि में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने वर्ष 1908 में क़ानून की शिक्षा पूरी की थी। इसके बाद 1912 से 1918 तक उन्होंने हाईकोर्ट के न्यायाधीश फ्रेंक बीमन के सहायक के रूप में कार्य किया, जिनकी नेत्र ज्योति कमज़ोर हो गई थी, जिस कारण वे ठीक से देख नहीं पाते थे।
राजनीति
राजनीतिक दृष्टि से आरम्भ में गंगाधर खेर नरम विचारों के व्यक्ति थे। 1923 में 'स्वराज्य पार्टी' बनने पर वे उसकी मुम्बई शाखा के सचिव रहे। लेकिन राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 'डांडी यात्रा' के बाद उनकी मानसिकता में परिवर्तन आया। वे आंदोलन में सम्मिलित हुए और 1930 से 1945 के बीच चार बार जेल गए।
मुख्यमंत्री पद
अपनी योग्यता के बल पर गंगाधर खेर का कांग्रेस में महत्त्वपूर्ण स्थान बन गया था। सन 1937 के चुनाव में वे मुम्बई विधान सभा के सदस्य चुने गए। उस समय मुम्बई प्रांत में गुजरात और सिंध भी सम्मिलित थे। सर्वसम्मति से खेर को कांग्रेस विधान मंडल दल का नेता चुना गया। वे 1937 से 1939 तक और फिर 1946 से 1952 तक मुम्बई प्रांत के मुख्यमंत्री रहे। इस बीच वे संविधान सभा के सदस्य भी थे। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में बालासाहब गंगाधर खेर ने लोक कल्याण के अनेक कार्य किए। वे किसानों और मज़दूरों के सच्चे हितैषी थे। बुनियादी शिक्षा का उन्होंने सदैव समर्थन किया। नासिक के मंदिर प्रवेश सत्याग्रह में डॉ. भीमराव अम्बेडकर के साथ गंगाधर खेर भी सम्मिलित थे।
उच्चायुक्त
वर्ष 1952 से 1954 तक गंगाधर खेर ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त भी रहे। 'राजकीय भाषा आयोग' की अध्यक्षता के साथ-साथ 1956 में गंगाधर खेर को 'गाँधी स्मारक निधि' का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया।
पुरस्कार व सम्मान
सन 1954 में भारत सरकार द्वारा उन्हें 'पद्मविभूषण' से सम्मानित किया गया था।
निधन
देश के लिए अपनी बहुमूल्य सेवाएँ देने वाले बालासाहब गंगाधर खेर का 8 मार्च, 1957 में पुणे में देहांत हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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