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'''पी. लीला''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Porayath Leela'' जन्म- [[19 मई]], [[1934]]; मृत्यु- [[31 अक्टूबर]], [[2005]]) भारतीय तमिल सिनेमा की प्रसिद्ध पार्श्वगायिका थीं। पार्श्वगायिका के साथ ही वह बेहतरीन संगीत निर्देशक भी थीं। पाँच दशक से अधिक अपने लम्बे कॅरियर में पी. लीला ने कई शीर्ष संगीत निर्देशकों के साथ काम किया और विभिन्न भाषाओं में 1500 से अधिक गाने गाये। [[भारत सरकार]] द्वारा पी. लीला को [[2006]] में कला के क्षेत्र में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था।
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}}'''पी. लीला''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Porayath Leela'' जन्म- [[19 मई]], [[1934]]; मृत्यु- [[31 अक्टूबर]], [[2005]]) भारतीय तमिल सिनेमा की प्रसिद्ध पार्श्वगायिका थीं। पार्श्वगायिका के साथ ही वह बेहतरीन संगीत निर्देशक भी थीं। पाँच दशक से अधिक अपने लम्बे कॅरियर में पी. लीला ने कई शीर्ष संगीत निर्देशकों के साथ काम किया और विभिन्न भाषाओं में 1500 से अधिक गाने गाये। [[भारत सरकार]] द्वारा पी. लीला को [[2006]] में कला के क्षेत्र में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था।


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पी. लीला
पी. लीला
पी. लीला
पूरा नाम पी. लीला
जन्म 19 मई, 1934
जन्म भूमि चित्तूर, पलक्कड
मृत्यु 31 अक्टूबर, 2005
मृत्यु स्थान चेन्नई
कर्म भूमि तमिल सिनेमा
कर्म-क्षेत्र पार्श्वगायिका व संगीत निर्देशक
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण, 2006
नागरिकता भारतीय
सक्रिय वर्ष 1948–2005
अन्य जानकारी पी. लीला ने नारायणीयम और भगवान गुरुवायुरप्पन के गीतों के गायन के साथ एक भक्ति गायिका के रूप में अमिट छाप छोड़ी।

पी. लीला (अंग्रेज़ी: Porayath Leela जन्म- 19 मई, 1934; मृत्यु- 31 अक्टूबर, 2005) भारतीय तमिल सिनेमा की प्रसिद्ध पार्श्वगायिका थीं। पार्श्वगायिका के साथ ही वह बेहतरीन संगीत निर्देशक भी थीं। पाँच दशक से अधिक अपने लम्बे कॅरियर में पी. लीला ने कई शीर्ष संगीत निर्देशकों के साथ काम किया और विभिन्न भाषाओं में 1500 से अधिक गाने गाये। भारत सरकार द्वारा पी. लीला को 2006 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

  • पलक्कड़ जिले के चित्तूर में संगीत में गहरी रुचि रखने वाले माता-पिता के घर जन्मी पी. लीला ने अपना फिल्मी कॅरियर शुरू करने से पहले शास्त्रीय संगीत में गहन प्रशिक्षण लिया था।
  • उनका पहला गाना 1943 में तमिल फिल्म 'कंकनम' के लिए था, जब वह सिर्फ 13 साल की थीं। यह एक मंगलाचरण गीत था, जिसकी शुरुआत 'श्रीवर लक्ष्मी...' से हुई थी, जिसे एचआर पद्मनाभ शास्त्री ने संगीतबद्ध किया था।
  • पी. लीला ने नारायणीयम और भगवान गुरुवायुरप्पन के गीतों के गायन के साथ एक भक्ति गायिका के रूप में अमिट छाप छोड़ी।
  • उनके द्वारा गाया गया 'वकाचारथु'हर सुबह गुरुवायुर मंदिर में बजाया जाता है।
  • 1948 में रिलीज़ 'निर्मला' के साथ अपनी मातृभाषा मलयालम में आने से पहले उन्होंने पहली प्रस्तुति के बाद तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में कई गाने गाए।
  • पी. लीला को कई सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें 1969 में केरल सरकार का पहला सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका का पुरस्कार शामिल था।
  • साल 2006 में भारत सरकार ने उन्हें कला के क्षेत्र में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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