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बैडमिंटन रैकेट से खेला जाने वाला | बैडमिंटन रैकेट से खेला जाने वाला, एक अंतरराष्ट्रीय खेल है। बैडमिंटन महान उत्साह और रोमांच का खेल है, क्योंकि एक छोटी सी चिड़िया या शटलकॉक एक मैच में जीत या हार के बिंदु के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। बैडमिंटन खेल को '''पूना''' के नाम से भी जाना जाता है। बैडमिंटन दो प्रकार से खेला जाता है- | ||
*एकल बैडमिंटन | |||
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इन तीनों खेलों के लिए बैडमिंटन कोर्ट की नाप को चित्र में दिखाई गई 11/2 (4 सेंटीमीटर) [[सफ़ेद रंग]] या [[लाल रंग]] की रेखाओं से स्पष्ट किया जाता है। युगल खेल के लिए 'कोर्ट' का आकार 44 फुट X 20 फुट तथा एकल खेल के लिए 44 फुट X 17 फुट होता है। नैट के दोनों ओर 61/2 फुट 'शार्ट सर्विस' रेखा खींची जाती है। कोर्ट को दो समान भागों में बाँटने के लिए 'साइड लाइन' के समानांतर एक रेखा खींची जाती है। कोर्ट का बायाँ आधा भाग 'बाँयी सर्विस कोर्ट' तथा दायाँ आधा भाग 'दाँयी सर्विस कोर्ट' कहलाता है। पीछे की 'गैलरी' 21/2 फुट तथा 'साईड गैलरी' 11/2 फुट होती है। [[भारत]] में प्रतिभावान बैडमिंटन खिलाड़ियों में [[प्रकाश पादुकोण]], [[पुलेला गोपीचंद]], अभिन श्याम गुप्ता, निखिल कानितकर, सचिन राठी, अपर्णा पोपट, [[साइना नेहवाल]] और नेहा अटवाल प्रमुख हैं।<ref name="sw">{{cite web |url=http://hindi-sportsworld.blogspot.com/2010/08/blog-post_5111.html |title=बैडमिंटन में बुलंद भारत |accessmonthday=11 फ़रवरी |accessyear=2011 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=sports world |language=हिन्दी }}</ref> | |||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
बैडमिंटन खेल की शुरूआत 19वीं सदी में हुई। सन [[1860]] में यह खेल सर्वप्रथम ''बैडमिंटन हाउस'' में प्रस्तुत किया गया, जहाँ इस खेल को अधिकारिक रूप से बैडमिंटन का नाम दिया गया। सन [[1887]] तक यह खेल अंग्रेजों द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार [[इंग्लैंड]] में खेला जाता रहा। 'बैडमिंटन एसोशिएसन ऑफ़ इंग्लैंड' ने सन [[1893]] में बैडमिंटन खेलने के नियम बनाए, और सन [[1899]] में विश्व | बैडमिंटन खेल की शुरूआत 19वीं सदी में हुई। सन [[1860]] में यह खेल सर्वप्रथम ''बैडमिंटन हाउस'' में प्रस्तुत किया गया, जहाँ इस खेल को अधिकारिक रूप से 'बैडमिंटन' का नाम दिया गया। सन [[1887]] तक यह खेल अंग्रेजों द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार [[इंग्लैंड]] में खेला जाता रहा। 'बैडमिंटन एसोशिएसन ऑफ़ इंग्लैंड' ने सन [[1893]] में बैडमिंटन खेलने के नियम बनाए, और सन [[1899]] में विश्व की पहली बैडमिंटन चैम्पियनशिप ''ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप'' की शुरूआत की। 'अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन संघ' (विश्व बैडमिंटन संघ) की स्थापना [[1934]] में हुई। [[भारत]] इस संघ से [[1936]] में जुड़ा। भारत में बैडमिंटन का खेल बहुत लोकप्रिय है। बैडमिंटन खेल एक ऐसा खेल है जो हर उम्र के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। भारत में बैडमिंटन के कई महान एकल खिलाड़ी हुए हैं, लेकिन भारतीय बैडमिंटन को सही मायने में दुनिया के सामने लाने का श्रेय जाता है प्रकाश पादुकोण को जिन्होंने [[1981]] के 'क्वालालांपुर विश्व कप फाइनल' में [[चीन]] के सुपरस्टार 'हान जियान' को 15-0 से हराकर चीनियों के सपनो को ध्वस्त कर दिया था।<ref name="sw"></ref> | ||
==खेल के नियम== | ==खेल के नियम== | ||
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बैडमिंटन के नैट को तान कर रखने के लिए दो बल्लियाँ लगाई जाती है। ये बल्लियाँ फर्श से 5 फुट 1 इंच (1.55मीटर.) ऊँची होनी चाहिए। | बैडमिंटन के नैट को तान कर रखने के लिए दो बल्लियाँ लगाई जाती है। ये बल्लियाँ फर्श से 5 फुट 1 इंच (1.55मीटर.) ऊँची होनी चाहिए। | ||
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*बैडमिंटन का जाल अच्छा व रंगीन डोरी का बना | *बैडमिंटन का जाल अच्छा व रंगीन डोरी का बना होता है। जाल की जाली 3/4 से 1 होती है। जाल की चौड़ाई 2 फुट 6 इंच होनी चाहिए। | ||
* | *जाल का ऊपरी भाग केन्द्र में भूमि से 5 फुट तथा बल्लियों से 5 फुट 1 इंच ऊंचा होना चाहिए। | ||
*जाल के दोनों सिरों पर 3 दोहरी गोट | *जाल के दोनों सिरों पर 3" चौड़ी दोहरी गोट होनी चाहिए जिनके बीच डोरियाँ हों, जो जाल को बल्लियों पर कस कर ताने रखने के काम लाई जा सकें। | ||
==== शटलकॉक==== | ==== शटलकॉक==== | ||
*बैडमिंटन की शटलकॉक का वजन 73 ग्रेन (4.73 ग्राम) से 85 ग्रेन (5.50 ग्राम) हो। इसमें 1 से 11/2 के व्यास वाली कार्क में 14 से 16 तक | *बैडमिंटन की शटलकॉक का वजन 73 ग्रेन (4.73 ग्राम) से 85 ग्रेन (5.50 ग्राम) हो। इसमें 1 से 11/2 के व्यास वाली कार्क में 14 से 16 तक कसकर 'पंख' लगे हुए हों। | ||
* | *पंखों की लम्बाई 21/2 से 23/4 हो तथा ये 21/2 से 21/8 के दायरे में फैले हुए होने चाहिए। | ||
====खिलाड़ी==== | ====खिलाड़ी==== | ||
बैडमिंटन के युगल खेल के प्रत्येक पक्ष में दो खिलाड़ी तथा एकल खेल के प्रत्येक पक्ष में एक खिलाड़ी | बैडमिंटन के युगल खेल के प्रत्येक पक्ष में दो खिलाड़ी तथा एकल खेल के प्रत्येक पक्ष में एक खिलाड़ी होता है, मिश्रित युगल में प्रत्येक पक्ष में एक महिला और एक पुरुष होता है। खेल के शुरु में जो टीम पहले 'सर्विस' करेगी, इस टीम की साइड को इन साईड और विरोधी टीम की साईड को आऊट साईड कहते हैं। | ||
====टॉस==== | ====टॉस==== | ||
खेल प्रारम्भ होने से पहले दोनों पक्षों द्वारा टॉस किया | खेल प्रारम्भ होने से पहले दोनों पक्षों द्वारा टॉस किया जाता है। टॉस जीतने वाला पक्ष निम्नलिखित का चुनाव करेगा - | ||
1 पहले सर्विस करना | 1 पहले सर्विस करना | ||
2 पहले सर्विस न करना | 2 पहले सर्विस न करना | ||
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*बैडमिंटन खेल में पुरुषों के युगल और एकल खेल के लिए 15 या 21 अंको का खेल होता है। यदि 15 अंक वाले खेल में स्कोर दोनों पक्षों का 13 अंक बराबर (13 ऑल) हो जाए तो पहले 13 अंक बनाने वाले पक्ष को पाँच अंक पर खेल स्थिर (सैट) करने का अधिकार होता है। स्कोर (14-ऑल) होने पर पहले (14 ऑल) अंक बनाने वाला पक्ष 3 अंक पर खेल स्थिर (सैट) कर सकता है। | *बैडमिंटन खेल में पुरुषों के युगल और एकल खेल के लिए 15 या 21 अंको का खेल होता है। यदि 15 अंक वाले खेल में स्कोर दोनों पक्षों का 13 अंक बराबर (13 ऑल) हो जाए तो पहले 13 अंक बनाने वाले पक्ष को पाँच अंक पर खेल स्थिर (सैट) करने का अधिकार होता है। स्कोर (14-ऑल) होने पर पहले (14 ऑल) अंक बनाने वाला पक्ष 3 अंक पर खेल स्थिर (सैट) कर सकता है। | ||
*बैडमिंटन खेल के स्थिर होने पर पहले 5 अंक या 3 अंक बनाने वाला पक्ष खेल जीत जाएगा। प्रत्येक दिशा में 13 या 14 अंक समान होने पर ही अगली सर्विस से पहले खेल स्थिर होने की घोषणा अवश्य होनी चाहिये। इस प्रकार 21 अंक के खेल में 19 और 20 अंक पर खेल स्थिर होना चाहिए। | *बैडमिंटन खेल के स्थिर होने पर पहले 5 अंक या 3 अंक बनाने वाला पक्ष खेल जीत जाएगा। प्रत्येक दिशा में 13 या 14 अंक समान होने पर ही अगली सर्विस से पहले खेल स्थिर होने की घोषणा अवश्य होनी चाहिये। इस प्रकार 21 अंक के खेल में 19 और 20 अंक पर खेल स्थिर होना चाहिए। | ||
*महिलाओं के एकल खेल में 11 अंक होते है। सबसे पहले 9 अंक बनाने वाली | *महिलाओं के एकल खेल में 11 अंक होते है। सबसे पहले 9 अंक बनाने वाली खिलाड़ी 3 अंक पर खेल स्थिर (सैट) कर सकती है। 10 ऑल होने की दिशा में पहले 10 अंक बनाने वाले खिलाड़ी 2 अंक पर खेल स्थिर कर सकती है। | ||
====दिशाएँ बदलना==== | ====दिशाएँ बदलना==== | ||
*बैडमिंटन के पूर्व निर्णय के अनुसार विपक्षी दल तीन खेल खेलेंगे। तीनों में से दो खेल जीतने वाला विजेता कहलाएगा। | *बैडमिंटन के पूर्व निर्णय के अनुसार विपक्षी दल तीन खेल खेलेंगे। तीनों में से दो खेल जीतने वाला विजेता कहलाएगा। | ||
*खिलाड़ी दूसरा खेल आरम्भ होने से पहले दिशाएँ | *खिलाड़ी दूसरा खेल आरम्भ होने से पहले दिशाएँ बदलते हैं। यदि खेल के निर्णय के लिए तीसरा खेल आवश्यक हो तो उसमें भी दिशाएँ बदली जाती हैं। तीसरे खेल में खिलाड़ी निम्न प्रकार से दिशाएँ बदलते हैं - | ||
*15 अंकों वाले खेल में 8 पर। | *15 अंकों वाले खेल में 8 पर। | ||
* | *11 अंकों वाले खेल में 6 पर। | ||
*21 अंकों वाले खेल में 11 पर। | *21 अंकों वाले खेल में 11 पर। | ||
====युगल खेल==== | ====युगल खेल==== | ||
बैडमिंटन खेल में पहले सर्विस करने वाले पक्ष का निर्णय हो जाने पर दूसरे पक्ष के दायें अर्द्ध क्षेत्र का खिलाड़ी शुरु करेगा। वह दायें अर्द्ध क्षेत्र के विपक्षी को सर्विस देगा। यदि विपक्षी खिलाड़ी शटलकॉक के भूमि से स्पर्श करने से पहले उसे वापिस कर दे तो खेल आरम्भ करने वाला खिलाड़ी फिर उसे वापिस करेगा। इस प्रकार खेल तब तक जारी रहेगा जब तक कि फाऊल न हो जाए या शटलकॉक खेल में न रहे। सर्विस वापिस न होने अथवा विपक्षी द्वारा फाऊल होने की दशा में सर्विस करने वाला एक अंक जीत जाएगा। सर्विस करने वाले पक्ष के खिलाड़ी अपना | बैडमिंटन खेल में पहले सर्विस करने वाले पक्ष का निर्णय हो जाने पर दूसरे पक्ष के दायें अर्द्ध क्षेत्र का खिलाड़ी शुरु करेगा। वह दायें अर्द्ध क्षेत्र के विपक्षी को सर्विस देगा। यदि विपक्षी खिलाड़ी शटलकॉक के भूमि से स्पर्श करने से पहले उसे वापिस कर दे तो खेल आरम्भ करने वाला खिलाड़ी फिर उसे वापिस करेगा। इस प्रकार खेल तब तक जारी रहेगा जब तक कि 'फाऊल' न हो जाए या शटलकॉक खेल में न रहे। 'सर्विस' वापिस न होने अथवा विपक्षी द्वारा फाऊल होने की दशा में सर्विस करने वाला एक अंक जीत जाएगा। सर्विस करने वाले पक्ष के खिलाड़ी अपना क्षेत्र बदलेंगे। अब सर्विस करने वाला बायें अर्द्धक में रहेगा तथा सामने की ओर दायें अर्द्धक का खिलाड़ी सर्विस प्राप्त करेगा। प्रत्येक पारी के आरम्भ में प्रत्येक टीम पहली सर्विस दायें अर्द्ध क्षेत्र से करेगी। | ||
====एकल खेल के लिए==== | ====एकल खेल के लिए==== | ||
*बैडमिंटन का खिलाड़ी उसी दिशा में दायें | *बैडमिंटन का खिलाड़ी उसी दिशा में दायें क्षेत्र से सर्विस करेगा या प्राप्त करेगा जब स्कोर शून्य है या खेल में सम अंक प्राप्त किए गए हों। | ||
*बैडमिंटन के अंक विषम होने की दशा में सर्विस सदैव बायें | *बैडमिंटन के अंक विषम होने की दशा में सर्विस सदैव बायें क्षेत्र की ओर से प्राप्त की जाती है। | ||
*बैडमिंटन के अंक बन जाने पर दोनों खिलाड़ी बारी-बारी से | *बैडमिंटन के अंक बन जाने पर दोनों खिलाड़ी बारी-बारी से क्षेत्र बदलेंगे। | ||
====सर्विस सम्बन्धी अन्य नियम==== | ====सर्विस सम्बन्धी अन्य नियम==== | ||
*सर्विस वही खिलाड़ी प्राप्त करेगा जिसे सर्विस दी जाती है। यदि शटलकॉक दूसरे खिलाड़ी को स्पर्श कर जाए या वह उसे मार दे तो सर्विस करने वाले को अंक मिल जाता है। एक खिलाड़ी खेल में दो बार सर्विस प्राप्त नहीं कर सकता। | *सर्विस वही खिलाड़ी प्राप्त करेगा जिसे सर्विस दी जाती है। यदि शटलकॉक दूसरे खिलाड़ी को स्पर्श कर जाए या वह उसे मार दे तो सर्विस करने वाले को अंक मिल जाता है। एक खिलाड़ी खेल में दो बार सर्विस प्राप्त नहीं कर सकता। | ||
*पहली पारी में खेल आरम्भ करने वाला केवल एक खिलाड़ी सर्विस करेगा। आगे की पारियों में प्रत्येक खिलाड़ी सर्विस कर सकता है। खेल जीतने वाला पक्ष ही पहले सर्विस करेगा। जीते हुए पक्ष का कोई भी खिलाडी सर्विस कर सकता है और हारे हुए पक्ष का कोई भी खिलाड़ी इसे प्राप्त कर सकता है। | *पहली पारी में खेल आरम्भ करने वाला केवल एक खिलाड़ी सर्विस करेगा। आगे की पारियों में प्रत्येक खिलाड़ी सर्विस कर सकता है। खेल जीतने वाला पक्ष ही पहले सर्विस करेगा। जीते हुए पक्ष का कोई भी खिलाडी सर्विस कर सकता है और हारे हुए पक्ष का कोई भी खिलाड़ी इसे प्राप्त कर सकता है। | ||
*यदि कोई खिलाड़ी अपनी बारी के बिना या गलत | *यदि कोई खिलाड़ी अपनी बारी के बिना या गलत क्षेत्र से सर्विस कर दे और अंक जीत जाए तो वह सर्विस 'लैट' कहलाएगी। परंतु इस 'लैट' की माँग दूसरी सर्विस शुरु होने से पहले की जानी चाहिए। | ||
====साधारण नियम==== | ====साधारण नियम==== | ||
*सर्विस करने वाला या सर्विस प्राप्त करने वाले खिलाड़ी अपने-अपने | *सर्विस करने वाला या सर्विस प्राप्त करने वाले खिलाड़ी अपने-अपने क्षेत्र की सीमाओं में खड़े होगें तथा इनके दोनों पाँवों के कुछ अंग सर्विस प्राप्त होने तक भूमि से टिके रहेंगे। | ||
*सर्विस उस समय तक नहीं करनी चाहिए जब तक कि विपक्षी तैयार नहीं होता, परन्तु यदि विपक्षी सर्विस प्राप्त करने की चेष्टा करता है तो उसे तैयार माना जाएगा। | *सर्विस उस समय तक नहीं करनी चाहिए जब तक कि विपक्षी तैयार नहीं होता, परन्तु यदि विपक्षी सर्विस प्राप्त करने की चेष्टा करता है तो उसे तैयार माना जाएगा। | ||
====खेल में आराम==== | ====खेल में आराम==== | ||
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*यदि सर्विस करते समय खेल के समय शटलकॉक सीमाओं से बाहर निकल जाए, जाल के बीच या नीचे से निकल जाए या जाल न पार कर सके या किसी खिलाड़ी के किसी कपड़े या छाती से छू जाए। | *यदि सर्विस करते समय खेल के समय शटलकॉक सीमाओं से बाहर निकल जाए, जाल के बीच या नीचे से निकल जाए या जाल न पार कर सके या किसी खिलाड़ी के किसी कपड़े या छाती से छू जाए। | ||
*यदि खेल के समय जाल पर जाने पर पहले ही मारने वाले की ओर शटलकॉक टकरा जाए। | *यदि खेल के समय जाल पर जाने पर पहले ही मारने वाले की ओर शटलकॉक टकरा जाए। | ||
*जब शटलकॉक खेल में हो और खिलाड़ी रैकट शरीर या कपड़ों से जाल या बल्लियों को छू दे। | *जब शटलकॉक खेल में हो और खिलाड़ी का रैकट शरीर या कपड़ों से जाल या बल्लियों को छू दे। | ||
*शटलकॉक रैकट पर रुक जाए, कोई खिलाड़ी शटलकॉक को लगातार दो बार मार दे या पहले वह और बाद में उसका साथी बारी-बारी लगातार मार दे। | *शटलकॉक रैकट पर रुक जाए, कोई खिलाड़ी शटलकॉक को लगातार दो बार मार दे या पहले वह और बाद में उसका साथी बारी-बारी लगातार मार दे। | ||
*विपक्षी तैयार माना जाएगा यदि खेल के समय वह शटलकॉक को वापिस करता है या मारने की चेष्टा करता है भले ही वह क्षेत्र की सीमा के बाहर खड़ा हो या भीतर। | *विपक्षी तैयार माना जाएगा यदि खेल के समय वह शटलकॉक को वापिस करता है या मारने की चेष्टा करता है भले ही वह क्षेत्र की सीमा के बाहर खड़ा हो या भीतर। |
10:36, 11 फ़रवरी 2011 का अवतरण
बैडमिंटन रैकेट से खेला जाने वाला, एक अंतरराष्ट्रीय खेल है। बैडमिंटन महान उत्साह और रोमांच का खेल है, क्योंकि एक छोटी सी चिड़िया या शटलकॉक एक मैच में जीत या हार के बिंदु के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। बैडमिंटन खेल को पूना के नाम से भी जाना जाता है। बैडमिंटन दो प्रकार से खेला जाता है-
- एकल बैडमिंटन
- युगल बैडमिंटन
- मिश्रित युगल बैडमिंटन
इन तीनों खेलों के लिए बैडमिंटन कोर्ट की नाप को चित्र में दिखाई गई 11/2 (4 सेंटीमीटर) सफ़ेद रंग या लाल रंग की रेखाओं से स्पष्ट किया जाता है। युगल खेल के लिए 'कोर्ट' का आकार 44 फुट X 20 फुट तथा एकल खेल के लिए 44 फुट X 17 फुट होता है। नैट के दोनों ओर 61/2 फुट 'शार्ट सर्विस' रेखा खींची जाती है। कोर्ट को दो समान भागों में बाँटने के लिए 'साइड लाइन' के समानांतर एक रेखा खींची जाती है। कोर्ट का बायाँ आधा भाग 'बाँयी सर्विस कोर्ट' तथा दायाँ आधा भाग 'दाँयी सर्विस कोर्ट' कहलाता है। पीछे की 'गैलरी' 21/2 फुट तथा 'साईड गैलरी' 11/2 फुट होती है। भारत में प्रतिभावान बैडमिंटन खिलाड़ियों में प्रकाश पादुकोण, पुलेला गोपीचंद, अभिन श्याम गुप्ता, निखिल कानितकर, सचिन राठी, अपर्णा पोपट, साइना नेहवाल और नेहा अटवाल प्रमुख हैं।[1]
इतिहास
बैडमिंटन खेल की शुरूआत 19वीं सदी में हुई। सन 1860 में यह खेल सर्वप्रथम बैडमिंटन हाउस में प्रस्तुत किया गया, जहाँ इस खेल को अधिकारिक रूप से 'बैडमिंटन' का नाम दिया गया। सन 1887 तक यह खेल अंग्रेजों द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार इंग्लैंड में खेला जाता रहा। 'बैडमिंटन एसोशिएसन ऑफ़ इंग्लैंड' ने सन 1893 में बैडमिंटन खेलने के नियम बनाए, और सन 1899 में विश्व की पहली बैडमिंटन चैम्पियनशिप ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप की शुरूआत की। 'अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन संघ' (विश्व बैडमिंटन संघ) की स्थापना 1934 में हुई। भारत इस संघ से 1936 में जुड़ा। भारत में बैडमिंटन का खेल बहुत लोकप्रिय है। बैडमिंटन खेल एक ऐसा खेल है जो हर उम्र के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। भारत में बैडमिंटन के कई महान एकल खिलाड़ी हुए हैं, लेकिन भारतीय बैडमिंटन को सही मायने में दुनिया के सामने लाने का श्रेय जाता है प्रकाश पादुकोण को जिन्होंने 1981 के 'क्वालालांपुर विश्व कप फाइनल' में चीन के सुपरस्टार 'हान जियान' को 15-0 से हराकर चीनियों के सपनो को ध्वस्त कर दिया था।[1]
खेल के नियम
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- बैडमिंटन खेल को एक साथ चार खिलाड़ी खेल सकते हैं। आयताकार के अनुसार खेल के मैदान को बीचों-बीच एक जाल (नेट) द्वारा दो बराबर भागों में बांटा जाता है।
- प्रत्येक छोर पर खड़ा खिलाड़ी अपने रैकेट से शटलकॉक (चिड़िया) को मैदान के दूसरे ओर खड़े खिलाड़ी की ओर मारता है। दूसरी ओर खड़े खिलाड़ी को कॉक के बिना जमीन स्पर्श किए विरोधी खिलाड़ी की ओर मारना होता है।
- यदि कॉक किसी भी खिलाड़ी के पाले में या जाल (नेट) में उलझ जाती है तो विरोधी खिलाड़ी को अंक प्रदान किया जाता है। इस खेल में 14 अंक के तीन राउंड होते हैं। जो खिलाडी तीन में से दो राउंड (चक्र) जीतने में सफल होता है उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है।
बल्लियाँ
बैडमिंटन के नैट को तान कर रखने के लिए दो बल्लियाँ लगाई जाती है। ये बल्लियाँ फर्श से 5 फुट 1 इंच (1.55मीटर.) ऊँची होनी चाहिए।
जाल
- बैडमिंटन का जाल अच्छा व रंगीन डोरी का बना होता है। जाल की जाली 3/4 से 1 होती है। जाल की चौड़ाई 2 फुट 6 इंच होनी चाहिए।
- जाल का ऊपरी भाग केन्द्र में भूमि से 5 फुट तथा बल्लियों से 5 फुट 1 इंच ऊंचा होना चाहिए।
- जाल के दोनों सिरों पर 3" चौड़ी दोहरी गोट होनी चाहिए जिनके बीच डोरियाँ हों, जो जाल को बल्लियों पर कस कर ताने रखने के काम लाई जा सकें।
शटलकॉक
- बैडमिंटन की शटलकॉक का वजन 73 ग्रेन (4.73 ग्राम) से 85 ग्रेन (5.50 ग्राम) हो। इसमें 1 से 11/2 के व्यास वाली कार्क में 14 से 16 तक कसकर 'पंख' लगे हुए हों।
- पंखों की लम्बाई 21/2 से 23/4 हो तथा ये 21/2 से 21/8 के दायरे में फैले हुए होने चाहिए।
खिलाड़ी
बैडमिंटन के युगल खेल के प्रत्येक पक्ष में दो खिलाड़ी तथा एकल खेल के प्रत्येक पक्ष में एक खिलाड़ी होता है, मिश्रित युगल में प्रत्येक पक्ष में एक महिला और एक पुरुष होता है। खेल के शुरु में जो टीम पहले 'सर्विस' करेगी, इस टीम की साइड को इन साईड और विरोधी टीम की साईड को आऊट साईड कहते हैं।
टॉस
खेल प्रारम्भ होने से पहले दोनों पक्षों द्वारा टॉस किया जाता है। टॉस जीतने वाला पक्ष निम्नलिखित का चुनाव करेगा - 1 पहले सर्विस करना 2 पहले सर्विस न करना 3 दिशा का चुनाव करना शेष बातों का चुनाव टॉस हारने वाला पक्ष करेगा।
स्कोर
- बैडमिंटन खेल में पुरुषों के युगल और एकल खेल के लिए 15 या 21 अंको का खेल होता है। यदि 15 अंक वाले खेल में स्कोर दोनों पक्षों का 13 अंक बराबर (13 ऑल) हो जाए तो पहले 13 अंक बनाने वाले पक्ष को पाँच अंक पर खेल स्थिर (सैट) करने का अधिकार होता है। स्कोर (14-ऑल) होने पर पहले (14 ऑल) अंक बनाने वाला पक्ष 3 अंक पर खेल स्थिर (सैट) कर सकता है।
- बैडमिंटन खेल के स्थिर होने पर पहले 5 अंक या 3 अंक बनाने वाला पक्ष खेल जीत जाएगा। प्रत्येक दिशा में 13 या 14 अंक समान होने पर ही अगली सर्विस से पहले खेल स्थिर होने की घोषणा अवश्य होनी चाहिये। इस प्रकार 21 अंक के खेल में 19 और 20 अंक पर खेल स्थिर होना चाहिए।
- महिलाओं के एकल खेल में 11 अंक होते है। सबसे पहले 9 अंक बनाने वाली खिलाड़ी 3 अंक पर खेल स्थिर (सैट) कर सकती है। 10 ऑल होने की दिशा में पहले 10 अंक बनाने वाले खिलाड़ी 2 अंक पर खेल स्थिर कर सकती है।
दिशाएँ बदलना
- बैडमिंटन के पूर्व निर्णय के अनुसार विपक्षी दल तीन खेल खेलेंगे। तीनों में से दो खेल जीतने वाला विजेता कहलाएगा।
- खिलाड़ी दूसरा खेल आरम्भ होने से पहले दिशाएँ बदलते हैं। यदि खेल के निर्णय के लिए तीसरा खेल आवश्यक हो तो उसमें भी दिशाएँ बदली जाती हैं। तीसरे खेल में खिलाड़ी निम्न प्रकार से दिशाएँ बदलते हैं -
- 15 अंकों वाले खेल में 8 पर।
- 11 अंकों वाले खेल में 6 पर।
- 21 अंकों वाले खेल में 11 पर।
युगल खेल
बैडमिंटन खेल में पहले सर्विस करने वाले पक्ष का निर्णय हो जाने पर दूसरे पक्ष के दायें अर्द्ध क्षेत्र का खिलाड़ी शुरु करेगा। वह दायें अर्द्ध क्षेत्र के विपक्षी को सर्विस देगा। यदि विपक्षी खिलाड़ी शटलकॉक के भूमि से स्पर्श करने से पहले उसे वापिस कर दे तो खेल आरम्भ करने वाला खिलाड़ी फिर उसे वापिस करेगा। इस प्रकार खेल तब तक जारी रहेगा जब तक कि 'फाऊल' न हो जाए या शटलकॉक खेल में न रहे। 'सर्विस' वापिस न होने अथवा विपक्षी द्वारा फाऊल होने की दशा में सर्विस करने वाला एक अंक जीत जाएगा। सर्विस करने वाले पक्ष के खिलाड़ी अपना क्षेत्र बदलेंगे। अब सर्विस करने वाला बायें अर्द्धक में रहेगा तथा सामने की ओर दायें अर्द्धक का खिलाड़ी सर्विस प्राप्त करेगा। प्रत्येक पारी के आरम्भ में प्रत्येक टीम पहली सर्विस दायें अर्द्ध क्षेत्र से करेगी।
एकल खेल के लिए
- बैडमिंटन का खिलाड़ी उसी दिशा में दायें क्षेत्र से सर्विस करेगा या प्राप्त करेगा जब स्कोर शून्य है या खेल में सम अंक प्राप्त किए गए हों।
- बैडमिंटन के अंक विषम होने की दशा में सर्विस सदैव बायें क्षेत्र की ओर से प्राप्त की जाती है।
- बैडमिंटन के अंक बन जाने पर दोनों खिलाड़ी बारी-बारी से क्षेत्र बदलेंगे।
सर्विस सम्बन्धी अन्य नियम
- सर्विस वही खिलाड़ी प्राप्त करेगा जिसे सर्विस दी जाती है। यदि शटलकॉक दूसरे खिलाड़ी को स्पर्श कर जाए या वह उसे मार दे तो सर्विस करने वाले को अंक मिल जाता है। एक खिलाड़ी खेल में दो बार सर्विस प्राप्त नहीं कर सकता।
- पहली पारी में खेल आरम्भ करने वाला केवल एक खिलाड़ी सर्विस करेगा। आगे की पारियों में प्रत्येक खिलाड़ी सर्विस कर सकता है। खेल जीतने वाला पक्ष ही पहले सर्विस करेगा। जीते हुए पक्ष का कोई भी खिलाडी सर्विस कर सकता है और हारे हुए पक्ष का कोई भी खिलाड़ी इसे प्राप्त कर सकता है।
- यदि कोई खिलाड़ी अपनी बारी के बिना या गलत क्षेत्र से सर्विस कर दे और अंक जीत जाए तो वह सर्विस 'लैट' कहलाएगी। परंतु इस 'लैट' की माँग दूसरी सर्विस शुरु होने से पहले की जानी चाहिए।
साधारण नियम
- सर्विस करने वाला या सर्विस प्राप्त करने वाले खिलाड़ी अपने-अपने क्षेत्र की सीमाओं में खड़े होगें तथा इनके दोनों पाँवों के कुछ अंग सर्विस प्राप्त होने तक भूमि से टिके रहेंगे।
- सर्विस उस समय तक नहीं करनी चाहिए जब तक कि विपक्षी तैयार नहीं होता, परन्तु यदि विपक्षी सर्विस प्राप्त करने की चेष्टा करता है तो उसे तैयार माना जाएगा।
खेल में आराम
- यदि बैडमिंटन की दोनों टीमें सहमत हो तो खेल के मध्य में पाँच मिनट का आराम ले सकती हैं।
त्रुटियाँ
- खेल रहे पक्ष के खिलाड़ी द्वारा त्रुटि होने पर उस पक्ष का सर्विस करने वाला खिलाड़ी आऊट हो जाएगा। यदि विपक्षी त्रुटि करता है तो खेल रहे पक्ष को एक अंक प्राप्त होगा।
- यदि सर्विस करते समय शटलकॉक खिलाड़ी की कमर से ऊँची हो या रैकट का अगला सिरा शटलकॉक को मारते समय सर्विस करने वाले रैकट वाले हाथ से ऊँचा उठा हो।
- यदि सर्विस करते समय शटलकॉक गलत अर्द्धक्षेत्र में गिर जाए या छोटी सर्विस रेखा तक न पहुँचे या लम्बी सर्विस रेखा से पार जा गिरे या ठीक अर्द्धक्षेत्र की सीमा से बाहर जा गिरे।
- यदि सर्विस करते समय खिलाड़ी के पांव ठीक अर्द्धक्षेत्र में न हों।
- यदि खिलाड़ी सर्विस करने से पहले या सर्विस करते समय जान बूझ कर विपक्ष के रास्ते में रुकावट डाले।
- यदि सर्विस करते समय खेल के समय शटलकॉक सीमाओं से बाहर निकल जाए, जाल के बीच या नीचे से निकल जाए या जाल न पार कर सके या किसी खिलाड़ी के किसी कपड़े या छाती से छू जाए।
- यदि खेल के समय जाल पर जाने पर पहले ही मारने वाले की ओर शटलकॉक टकरा जाए।
- जब शटलकॉक खेल में हो और खिलाड़ी का रैकट शरीर या कपड़ों से जाल या बल्लियों को छू दे।
- शटलकॉक रैकट पर रुक जाए, कोई खिलाड़ी शटलकॉक को लगातार दो बार मार दे या पहले वह और बाद में उसका साथी बारी-बारी लगातार मार दे।
- विपक्षी तैयार माना जाएगा यदि खेल के समय वह शटलकॉक को वापिस करता है या मारने की चेष्टा करता है भले ही वह क्षेत्र की सीमा के बाहर खड़ा हो या भीतर।
- यदि कोई खिलाड़ी विरोधी खिलाड़ी की खेल में रुकावट डालता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 बैडमिंटन में बुलंद भारत (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) sports world। अभिगमन तिथि: 11 फ़रवरी, 2011।