"भारत की कृषि": अवतरणों में अंतर
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*[[आंध्र प्रदेश]] में नागरिकों का मुख्य व्यवसाय खेती है, इसके लगभग 62 प्रतिशत हिस्से में खेती होती है। | |||
*आंध्र प्रदेश की मुख्य फ़सल [[चावल]] है और यहाँ के लोगों का मुख्य आहार भी [[चावल]] ही है। | |||
*राज्य के कुल अनाज के उत्पादन का 77 प्रतिशत भाग चावल ही है। | |||
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{{main|ओडिशा की कृषि}} | {{main|ओडिशा की कृषि}} | ||
[[ओडिशा]] राज्य की अर्थव्यवस्था में [[कृषि]] की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इससे राज्य के कुल उत्पाद का 28 प्रतिशत प्राप्त होता है और जनसंख्या का 65 प्रतिशत भाग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्य में लगा हुआ है। चावल उड़ीसा की मुख्य फ़सल है। 2004 - 2005 में 65.37 लाख मी. टन चावल का उत्पादन हुआ। गन्ने की खेती भी किसान करते हैं। | |||
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{{main|कर्नाटक की कृषि}} | {{main|कर्नाटक की कृषि}} | ||
[[कर्नाटक]] राज्य में लगभग 66 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है और 55.60 प्रतिशत जनता [[कृषि]] और इससे जुडे रोज़गारों में लगी है। राज्य की 60 प्रतिशत, लगभग 114 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। कुल कृषि योग्य भूमि के 72 प्रतिशत भाग में अच्छी वर्षा होती है, बाक़ी लगभग 28 प्रतिशत भूमि में सिंचाई की व्यवस्था है। | |||
==केरल की कृषि== | ==केरल की कृषि== | ||
{{main|केरल की कृषि}} | {{main|केरल की कृषि}} | ||
[[केरल]] राज्य में [[कृषि]] की विशेषता है कि यहाँ व्यापारिक फ़सलें अधिक उगाई जाती हैं। राज्य के लगभग 50 प्रतिशत नागरिक कृषि पर निर्भर है। नारियल, रबड, काली मिर्च, अदरक, [[चाय]], [[इलायची]], काजू तथा कॉफी आदि का उत्पादन केरल में प्रमुख रूप से होता है। दूसरी फ़सलों में सुपारी, [[केला]], अदरक तथा हल्दी आदि हैं। केरल राज्य में जायफल, दालचीनी, लौंग आदि मसालों के वृक्ष भी उगाए जाते हैं। चावल तथा टैपियोका केरल की मुख्य खाद्य फ़सलें हैं। | |||
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{{main|गुजरात की कृषि}} | {{main|गुजरात की कृषि}} | ||
*[[गुजरात]] कपास, तंबाकू और मूंगफली का उत्पादन करने वाला देश का प्रमुख राज्य है। | |||
*यह कपड़ा, तेल और साबुन जैसे महत्त्वपूर्ण उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध करता है। | |||
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{{main|गोवा की कृषि}} | {{main|गोवा की कृषि}} | ||
[[गोवा]] के [[कृषि]] उत्पादों में मुख्य खाद्य फ़सल चावल है। इसके अतिरिक्त दालें, रागी और अन्य खाद्य फ़सलें भी उगाई जाती हैं। नारियल, काजू, सुपारी तथा गन्ने जैसी नकदी फ़सलों के साथ-साथ यहाँ अनन्नास, [[आम]] और केला भी होता है। राज्य में 1,424 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में घने वन हैं। | |||
==छत्तीसगढ़ की कृषि== | ==छत्तीसगढ़ की कृषि== | ||
{{main|छत्तीसगढ़ की कृषि}} | {{main|छत्तीसगढ़ की कृषि}} | ||
*[[छत्तीसगढ़]] राज्य में 80 प्रतिशत आबादी कृषि और उससे जुडी गतिविधियों में लगी है। | |||
*137.9 लाख हेक्टेयर भौगोलिक क्षेत्र में से कुल कृषि क्षेत्र कुल क्षेत्र का लगभग 35 प्रतिशत है। | |||
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[[जम्मू और कश्मीर]] राज्य की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या [[कृषि]] पर निर्भर है। धान, [[गेहूँ]] और मक्का यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं। कुछ भागों में जौ, बाजरा और ज्वार उगाई जाती है। [[लद्दाख]] में चने की खेती होती है। फलोद्यानों का क्षेत्रफल 242 लाख हेक्टेयर है। राज्य में 2000 करोड़ रुपये के फलों का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है जिसमें अखरोट निर्यात के 120 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। | |||
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*[[तमिलनाडु]] में मुख्य व्यवसाय कृषि है। | |||
*राज्य में 2007-08 में कुल खेती योग्य क्षेत्र 56.10 मिलियन हेक्टेयर था। | |||
*प्रमुख खाद्यान्न फ़सलें चावल, ज्वार और दालें हैं। | |||
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*[[नागालैंड]] मूलत: [[कृषि]] प्रधान राज्य है। लगभग 70 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर है। | |||
*राज्य में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। | |||
*[[चावल]] यहाँ का मुख्य भोजन है। | |||
==पंजाब की कृषि== | ==पंजाब की कृषि== | ||
{{main|पंजाब की कृषि}} | {{main|पंजाब की कृषि}} | ||
[[पंजाब]] कृषि प्रधान राज्य है। पंजाब की भूमि बहुत ही उपजाऊ है। यहाँ गेंहू और चावल की फ़सल मुख्य रूप से होती है्। पंजाब राज्य में दिश के भौगोलिक क्षेत्र के सिर्फ़ 1.5 प्रतिशत भाग में देश के [[गेहूँ]] के उत्पादन का 22 प्रतिशत, चावल का 12 प्रतिशत और कपास की भी 12 प्रतिशत पैदावार का उत्पादन करता है। आजकल पंजाब में फ़सल गहनता 186 प्रतिशत से भी अधिक है। | |||
==पश्चिम बंगाल की कृषि== | ==पश्चिम बंगाल की कृषि== | ||
{{main|पश्चिम बंगाल की कृषि}} | {{main|पश्चिम बंगाल की कृषि}} | ||
[[पश्चिम बंगाल]] राज्य की आर्थिक व्यवस्था में [[कृषि]] की महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य के चार में से तीन व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्यों में लगे हैं। वर्ष [[2006]]-07 में राज्य में कुल खाद्य उत्पादन 15820 हज़ार टन था जिसमें से [[चावल]] का उत्पादन 14745.9 हज़ार टन, [[गेहूँ]] और दलहनों का उत्पादन क्रमश: 799.9 हज़ार टन और 154.4 हज़ार टन रहा। इसी अवधि में तिलहनों का उत्पादन 645.4 हज़ार टन और आलू का 5052 हज़ार टन हुआ। 2006-07 में पटसन का उत्पादन 8411.5 हज़ार गांठें रहा। पटसन, कपास और [[काग़ज़]] की मिलों का प्रमुख केंद [[भाटपारा]] है। | |||
==बिहार की कृषि== | ==बिहार की कृषि== | ||
{{main|बिहार की कृषि}} | {{main|बिहार की कृषि}} | ||
बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। बिहार का कुल भौगोलिक क्षेत्र लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर है जिसमें से केवल 56.03 लाख हेक्टेयर पर ही खेती होती है। राज्य में लगभग 79.46 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। विभिन्न साधनों द्वारा कुल 43.86 लाख हेक्टेयर भूमि पर ही सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हैं जबकि लगभग 33.51 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। | |||
==मणिपुर की कृषि== | ==मणिपुर की कृषि== | ||
{{main|मणिपुर की कृषि}} | {{main|मणिपुर की कृषि}} | ||
कृषि [[मणिपुर]] राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। 70 प्रतिशत लोग कृषि पर ही निर्भर हैं। राज्य में कृषि कुल क्षेत्र 10.48 प्रतिशत ही है। कुल कृषि क्षेत्र का 13.24 प्रतिशत क्षेत्र, लगभग 30,980 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र है। राज्य में अन्न उत्पादन मामूली सा कम है लेकिन तिलहन और दलहन का उत्पादन बहुत ही कम होता है। | |||
==मध्य प्रदेश की कृषि== | ==मध्य प्रदेश की कृषि== | ||
{{main|मध्य प्रदेश की कृषि}} | {{main|मध्य प्रदेश की कृषि}} | ||
[[मध्य प्रदेश]] राज्य [[राजस्थान]] और [[उत्तर प्रदेश]] के साथ मिलकर 'चंबल' राज्य की उत्तरी सीमा बनाता है। इसकी घाटी की भूमि ऊबड़ - खाबड़ है। मध्य प्रदेश की मिट्टी को दो भागों में बाँटा जा सकता है- | |||
#काली मिट्टी- यह मालवा के पठार के दक्षिणी भाग, नर्मदा घाटी और सतपुड़ा के कुछ भागों में मिलती है। इसमें चिकनी मिट्टी का कुछ अंश रहता है, भारी वर्षा या बाढ़ के पानी से सिंचाई से काली मिट्टी जलावरुद्ध हो जाती है। | |||
#लाल-पीली मिट्टी- इसमें कुछ मात्रा बालू की रहती है। यह शेष मध्य प्रदेश में पाई जाती है। | |||
==महाराष्ट्र की कृषि== | ==महाराष्ट्र की कृषि== | ||
{{main|महाराष्ट्र की कृषि}} | {{main|महाराष्ट्र की कृषि}} | ||
[[महाराष्ट्र]] के लगभग 65 प्रतिशत श्रमिक कृषि तथा संबंधित गतिविधियों पर निर्भर है। यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं- धान, ज्वार, बाजरा, [[गेहूँ]], तूर (अरहर), उडद, चना और दलहन। यह राज्य तिलहनों का प्रमुख उत्पादक है और [[मूँगफली]], [[सूरजमुखी]], सोयाबीन प्रमुख तिलहनी फ़सलें है। महत्वपूर्ण नकदी फ़सलें है [[कपास]], [[गन्ना]], [[हल्दी]] और सब्जियाँ। | |||
==मिज़ोरम की कृषि== | ==मिज़ोरम की कृषि== | ||
{{main|मिज़ोरम की कृषि}} | {{main|मिज़ोरम की कृषि}} | ||
*[[मिज़ोरम]] प्रदेश के लगभग 80 प्रतिशत लोग कृषि कार्यों में लगे हुए हैं। कृषि की मुख्य प्रणाली झूम या स्थानांतरित कृषि है। अनुमानत: 21 लाख हेक्टेयर भूमि में से 6.30 लाख हेक्टेयर भूमि बागवानी के लिए उपलब्ध है। | |||
*वर्तमान में 4127.6 हेक्टेरयर भूमि पर ही विभिन्न फ़सलों की बागवानी की जा रही है, जो कि अनुमानित संभावित क्षेत्र का 6.55 प्रतिशत मात्र है। | |||
==मेघालय की कृषि== | ==मेघालय की कृषि== | ||
{{main|मेघालय की कृषि}} | {{main|मेघालय की कृषि}} | ||
*[[मेघालय]] प्रधानत: कृषि प्रधान राज्य है। | |||
*यहाँ की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या मुख्य रूप से खेती पर ही निर्भर है। | |||
*यहाँ की मिट्टी और जलवायु बाग़वानी के अनुकूल है। | |||
*शीतोष्ण, उष्णोष्ण और उष्ण कटिबंधिय फलों और सब्जियों के उत्पादन की भी यहाँ पर अपार संभावनाएं हैं। | |||
==राजस्थान की कृषि== | ==राजस्थान की कृषि== | ||
{{main|राजस्थान की कृषि}} | {{main|राजस्थान की कृषि}} | ||
*[[राजस्थान]] राज्य में वर्ष 2006-07 में कुल [[कृषि]] योग्य क्षेत्र 217 लाख हेक्टेयर था और वर्ष (2007-08) में अनुमानित खाद्यान उत्पादन 155.10 लाख टन रहा। | |||
*राज्य की मुख्य फ़सलें हैं- [[चावल]], जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का, चना, [[गेहूँ]], तिलहन, दालें [[कपास]] और [[तंबाकू]]। | |||
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{{main|सिक्किम की कृषि}} | {{main|सिक्किम की कृषि}} | ||
*तीस्ता नदी को सिक्किम की जीवन रेखा कहा जाता है। | |||
*[[सिक्किम]] मूलत: कृषि प्रधान है। राज्य की 64 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या जीवनयापन के लिए कृषि पर ही निर्भर है। | |||
==हरियाणा की कृषि== | ==हरियाणा की कृषि== | ||
{{main|हरियाणा की कृषि}} | {{main|हरियाणा की कृषि}} | ||
[[कृषि]] की दृष्टि से [[हरियाणा]] एक समृद्ध राज्य है और यह केंद्रीय भंडार (अतिरिक्त खाद्यान्न की राष्ट्रीय संग्रहण प्रणाली) में बड़ी मात्रा में गेहूं और चावल देता है। हरियाणा में 65 प्रतिशत से भी अधिक लोगों की जीविका का आधार कृषि है। राज्य के घरेलू उत्पादन में 26.4 प्रतिशत योगदान कृषि का है। खाद्यान्न की उत्पादन क्षमता, जो के राज्य निर्माण के समय 25.92 लाख टन थी। आज का सकल कृषि उत्पादन इससे कहीं अधिक है। मुख्य फ़सलों का उत्पादन पहले से बहुत बढ़ गया है। | |||
==हिमाचल प्रदेश की कृषि== | ==हिमाचल प्रदेश की कृषि== | ||
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[[हिमाचल प्रदेश]] का प्रमुख व्यवसाय [[कृषि]] है। कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कृषि से 69 प्रतिशत कामकाजी नागरिकों को सीधा काम मिलता है। कृषि और उसके सहायक क्षेत्र से प्राप्त आय प्रदेश के कुल घरेलू उत्पादन का 22.1 प्रतिशत है। कुल भूमि क्षेत्र 55.673 लाख हेक्टेयर में से 9.79 लाख हेक्टेयर भूमि के स्वामी 9.14 लाख किसान हैं। | |||
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07:03, 6 जून 2011 का अवतरण
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फ़सल/फ़सल समूह | राज्य | उत्पादन (मिलियन टन) | देश के कुल उत्पादन का प्रतिशत |
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कृषि खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य और अन्य सामान के उत्पादन से सम्बंधित व्यवसाय है। कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों एवं प्रयासों से कृषि को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में गरिमापूर्ण दर्जा मिला है। कृषि क्षेत्रों में लगभग 64% श्रमिकों को रोजगार मिला हुआ है। 1950-51 में कुल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिस्सा 59.2% था जो घटकर 1982-83 में 36.4% और 1990-91 में 34.9% तथा 2001-2002 में 25% रह गया। यह 2006-07 की अवधि के दौरान औसत आधार पर घटकर 18.5% रह गया। दसवीं योजना (2002-2007) के दौरान समग्र सकल घरेलू उत्पाद की औसत वार्षिक वृद्धि पद 7.6% थी जबकि इस दौरान कृषि तथा सम्बद्ध क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर 2.3% रही। 2001-02 से प्रारंभ हुई नव सहस्त्राब्दी के प्रथम 6 वर्षों में 3.0% की वार्षिक सामान्य औसत वृद्धि दर 2003-04 में 10% और 2005-06 में 6% की रही।
भारतीय कृषि की विशेषताएँ
भारतीय कृषि की प्रमुख विशेषतायें इस प्रकार हैं-
- भारतीय कृषि का अधिकांश भाग सिचाई के लिए मानसून पर निर्भर करता है।
- भारतीय कृषि की महत्त्वपूर्ण विशेषता जोत इकाइयों की अधिकता एवं उनके आकार का कम होना है।
- भारतीय कृषि में जोत के अन्तर्गत कुल क्षेत्रफल खण्डों में विभक्त है तथा सभी खण्ड दूरी पर स्थित हैं।
- भूमि पर प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से जनसंख्या का अधिक भार है।
- कृषि उत्पादन मुख्यतया प्रकृति पर निर्भर रहता है।
- भारतीय कृषक ग़रीबी के कारण खेती में पूँजी निवेश कम करता है।
- खाद्यान्न उत्पादन को प्राथमिकता दी जाती है।
- कृषि जीविकोपार्जन की साधन मानी जाती हें
- भारतीय कृषि में अधिकांश कृषि कार्य पशुओं पर निर्भर करता है।
असम की कृषि
धान की खेती |
गेहूँ की कटाई |
चावल की फ़सल |
गन्ने की फ़सल |
चाय का बाग़ान |
अनाज बरसाती महिला |
- असम राज्य एक कृषि प्रधान राज्य है।
- कृषि यहाँ की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है।
- चावल इस राज्य की मुख्य खाद्य फ़सल है और जूट, चाय, कपास, तिलहन, गन्ना और आलू आदि यहाँ की नकदी फ़सलें हैं।
आंध्र प्रदेश की कृषि
- आंध्र प्रदेश में नागरिकों का मुख्य व्यवसाय खेती है, इसके लगभग 62 प्रतिशत हिस्से में खेती होती है।
- आंध्र प्रदेश की मुख्य फ़सल चावल है और यहाँ के लोगों का मुख्य आहार भी चावल ही है।
- राज्य के कुल अनाज के उत्पादन का 77 प्रतिशत भाग चावल ही है।
ओडिशा की कृषि
ओडिशा राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इससे राज्य के कुल उत्पाद का 28 प्रतिशत प्राप्त होता है और जनसंख्या का 65 प्रतिशत भाग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्य में लगा हुआ है। चावल उड़ीसा की मुख्य फ़सल है। 2004 - 2005 में 65.37 लाख मी. टन चावल का उत्पादन हुआ। गन्ने की खेती भी किसान करते हैं।
कर्नाटक की कृषि
कर्नाटक राज्य में लगभग 66 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है और 55.60 प्रतिशत जनता कृषि और इससे जुडे रोज़गारों में लगी है। राज्य की 60 प्रतिशत, लगभग 114 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। कुल कृषि योग्य भूमि के 72 प्रतिशत भाग में अच्छी वर्षा होती है, बाक़ी लगभग 28 प्रतिशत भूमि में सिंचाई की व्यवस्था है।
केरल की कृषि
केरल राज्य में कृषि की विशेषता है कि यहाँ व्यापारिक फ़सलें अधिक उगाई जाती हैं। राज्य के लगभग 50 प्रतिशत नागरिक कृषि पर निर्भर है। नारियल, रबड, काली मिर्च, अदरक, चाय, इलायची, काजू तथा कॉफी आदि का उत्पादन केरल में प्रमुख रूप से होता है। दूसरी फ़सलों में सुपारी, केला, अदरक तथा हल्दी आदि हैं। केरल राज्य में जायफल, दालचीनी, लौंग आदि मसालों के वृक्ष भी उगाए जाते हैं। चावल तथा टैपियोका केरल की मुख्य खाद्य फ़सलें हैं।
गुजरात की कृषि
- गुजरात कपास, तंबाकू और मूंगफली का उत्पादन करने वाला देश का प्रमुख राज्य है।
- यह कपड़ा, तेल और साबुन जैसे महत्त्वपूर्ण उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध करता है।
गोवा की कृषि
गोवा के कृषि उत्पादों में मुख्य खाद्य फ़सल चावल है। इसके अतिरिक्त दालें, रागी और अन्य खाद्य फ़सलें भी उगाई जाती हैं। नारियल, काजू, सुपारी तथा गन्ने जैसी नकदी फ़सलों के साथ-साथ यहाँ अनन्नास, आम और केला भी होता है। राज्य में 1,424 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में घने वन हैं।
छत्तीसगढ़ की कृषि
- छत्तीसगढ़ राज्य में 80 प्रतिशत आबादी कृषि और उससे जुडी गतिविधियों में लगी है।
- 137.9 लाख हेक्टेयर भौगोलिक क्षेत्र में से कुल कृषि क्षेत्र कुल क्षेत्र का लगभग 35 प्रतिशत है।
जम्मू और कश्मीर की कृषि
जम्मू और कश्मीर राज्य की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। धान, गेहूँ और मक्का यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं। कुछ भागों में जौ, बाजरा और ज्वार उगाई जाती है। लद्दाख में चने की खेती होती है। फलोद्यानों का क्षेत्रफल 242 लाख हेक्टेयर है। राज्य में 2000 करोड़ रुपये के फलों का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है जिसमें अखरोट निर्यात के 120 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
तमिलनाडु की कृषि
- तमिलनाडु में मुख्य व्यवसाय कृषि है।
- राज्य में 2007-08 में कुल खेती योग्य क्षेत्र 56.10 मिलियन हेक्टेयर था।
- प्रमुख खाद्यान्न फ़सलें चावल, ज्वार और दालें हैं।
नागालैंड की कृषि
- नागालैंड मूलत: कृषि प्रधान राज्य है। लगभग 70 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर है।
- राज्य में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है।
- चावल यहाँ का मुख्य भोजन है।
पंजाब की कृषि
पंजाब कृषि प्रधान राज्य है। पंजाब की भूमि बहुत ही उपजाऊ है। यहाँ गेंहू और चावल की फ़सल मुख्य रूप से होती है्। पंजाब राज्य में दिश के भौगोलिक क्षेत्र के सिर्फ़ 1.5 प्रतिशत भाग में देश के गेहूँ के उत्पादन का 22 प्रतिशत, चावल का 12 प्रतिशत और कपास की भी 12 प्रतिशत पैदावार का उत्पादन करता है। आजकल पंजाब में फ़सल गहनता 186 प्रतिशत से भी अधिक है।
पश्चिम बंगाल की कृषि
पश्चिम बंगाल राज्य की आर्थिक व्यवस्था में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है। राज्य के चार में से तीन व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्यों में लगे हैं। वर्ष 2006-07 में राज्य में कुल खाद्य उत्पादन 15820 हज़ार टन था जिसमें से चावल का उत्पादन 14745.9 हज़ार टन, गेहूँ और दलहनों का उत्पादन क्रमश: 799.9 हज़ार टन और 154.4 हज़ार टन रहा। इसी अवधि में तिलहनों का उत्पादन 645.4 हज़ार टन और आलू का 5052 हज़ार टन हुआ। 2006-07 में पटसन का उत्पादन 8411.5 हज़ार गांठें रहा। पटसन, कपास और काग़ज़ की मिलों का प्रमुख केंद भाटपारा है।
बिहार की कृषि
बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। बिहार का कुल भौगोलिक क्षेत्र लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर है जिसमें से केवल 56.03 लाख हेक्टेयर पर ही खेती होती है। राज्य में लगभग 79.46 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। विभिन्न साधनों द्वारा कुल 43.86 लाख हेक्टेयर भूमि पर ही सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हैं जबकि लगभग 33.51 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है।
मणिपुर की कृषि
कृषि मणिपुर राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। 70 प्रतिशत लोग कृषि पर ही निर्भर हैं। राज्य में कृषि कुल क्षेत्र 10.48 प्रतिशत ही है। कुल कृषि क्षेत्र का 13.24 प्रतिशत क्षेत्र, लगभग 30,980 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र है। राज्य में अन्न उत्पादन मामूली सा कम है लेकिन तिलहन और दलहन का उत्पादन बहुत ही कम होता है।
मध्य प्रदेश की कृषि
मध्य प्रदेश राज्य राजस्थान और उत्तर प्रदेश के साथ मिलकर 'चंबल' राज्य की उत्तरी सीमा बनाता है। इसकी घाटी की भूमि ऊबड़ - खाबड़ है। मध्य प्रदेश की मिट्टी को दो भागों में बाँटा जा सकता है-
- काली मिट्टी- यह मालवा के पठार के दक्षिणी भाग, नर्मदा घाटी और सतपुड़ा के कुछ भागों में मिलती है। इसमें चिकनी मिट्टी का कुछ अंश रहता है, भारी वर्षा या बाढ़ के पानी से सिंचाई से काली मिट्टी जलावरुद्ध हो जाती है।
- लाल-पीली मिट्टी- इसमें कुछ मात्रा बालू की रहती है। यह शेष मध्य प्रदेश में पाई जाती है।
महाराष्ट्र की कृषि
महाराष्ट्र के लगभग 65 प्रतिशत श्रमिक कृषि तथा संबंधित गतिविधियों पर निर्भर है। यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं- धान, ज्वार, बाजरा, गेहूँ, तूर (अरहर), उडद, चना और दलहन। यह राज्य तिलहनों का प्रमुख उत्पादक है और मूँगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन प्रमुख तिलहनी फ़सलें है। महत्वपूर्ण नकदी फ़सलें है कपास, गन्ना, हल्दी और सब्जियाँ।
मिज़ोरम की कृषि
- मिज़ोरम प्रदेश के लगभग 80 प्रतिशत लोग कृषि कार्यों में लगे हुए हैं। कृषि की मुख्य प्रणाली झूम या स्थानांतरित कृषि है। अनुमानत: 21 लाख हेक्टेयर भूमि में से 6.30 लाख हेक्टेयर भूमि बागवानी के लिए उपलब्ध है।
- वर्तमान में 4127.6 हेक्टेरयर भूमि पर ही विभिन्न फ़सलों की बागवानी की जा रही है, जो कि अनुमानित संभावित क्षेत्र का 6.55 प्रतिशत मात्र है।
मेघालय की कृषि
- मेघालय प्रधानत: कृषि प्रधान राज्य है।
- यहाँ की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या मुख्य रूप से खेती पर ही निर्भर है।
- यहाँ की मिट्टी और जलवायु बाग़वानी के अनुकूल है।
- शीतोष्ण, उष्णोष्ण और उष्ण कटिबंधिय फलों और सब्जियों के उत्पादन की भी यहाँ पर अपार संभावनाएं हैं।
राजस्थान की कृषि
- राजस्थान राज्य में वर्ष 2006-07 में कुल कृषि योग्य क्षेत्र 217 लाख हेक्टेयर था और वर्ष (2007-08) में अनुमानित खाद्यान उत्पादन 155.10 लाख टन रहा।
- राज्य की मुख्य फ़सलें हैं- चावल, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का, चना, गेहूँ, तिलहन, दालें कपास और तंबाकू।
सिक्किम की कृषि
- तीस्ता नदी को सिक्किम की जीवन रेखा कहा जाता है।
- सिक्किम मूलत: कृषि प्रधान है। राज्य की 64 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या जीवनयापन के लिए कृषि पर ही निर्भर है।
हरियाणा की कृषि
कृषि की दृष्टि से हरियाणा एक समृद्ध राज्य है और यह केंद्रीय भंडार (अतिरिक्त खाद्यान्न की राष्ट्रीय संग्रहण प्रणाली) में बड़ी मात्रा में गेहूं और चावल देता है। हरियाणा में 65 प्रतिशत से भी अधिक लोगों की जीविका का आधार कृषि है। राज्य के घरेलू उत्पादन में 26.4 प्रतिशत योगदान कृषि का है। खाद्यान्न की उत्पादन क्षमता, जो के राज्य निर्माण के समय 25.92 लाख टन थी। आज का सकल कृषि उत्पादन इससे कहीं अधिक है। मुख्य फ़सलों का उत्पादन पहले से बहुत बढ़ गया है।
हिमाचल प्रदेश की कृषि
हिमाचल प्रदेश का प्रमुख व्यवसाय कृषि है। कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कृषि से 69 प्रतिशत कामकाजी नागरिकों को सीधा काम मिलता है। कृषि और उसके सहायक क्षेत्र से प्राप्त आय प्रदेश के कुल घरेलू उत्पादन का 22.1 प्रतिशत है। कुल भूमि क्षेत्र 55.673 लाख हेक्टेयर में से 9.79 लाख हेक्टेयर भूमि के स्वामी 9.14 लाख किसान हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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