"यौवन का पागलपन -माखन लाल चतुर्वेदी": अवतरणों में अंतर
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सपना है, जादू है, छल है ऐसा | सपना है, जादू है, छल है ऐसा | ||
पानी पर बनती-मिटती रेखा-सा, | पानी पर बनती-मिटती रेखा-सा, | ||
मिट-मिटकर | मिट-मिटकर दुनिया देखे रोज़ तमाशा। | ||
यह गुदगुदी, यही बीमारी, | यह गुदगुदी, यही बीमारी, |
10:12, 8 जुलाई 2012 का अवतरण
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हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया। |
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