"तिमिर ढलेगा -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
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कात्या सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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यह जो रात चुरा बैठी है चांद सितारों की तरुणाई, | यह जो रात चुरा बैठी है चांद सितारों की तरुणाई, | ||
बस तब तक कर ले मनमानी जब तक कोई किरन न आई, | बस तब तक कर ले मनमानी जब तक कोई किरन न आई, | ||
खुलते ही पलकें फूलों की, बजते ही भ्रमरों की वंशी | खुलते ही पलकें फूलों की, बजते ही भ्रमरों की वंशी, | ||
छिन्न-भिन्न होगी यह स्याही जैसे तेज धार से काई, | छिन्न-भिन्न होगी यह स्याही जैसे तेज धार से काई, | ||
तम के पांव नहीं होते, वह चलता थाम ज्योति का अंचल | तम के पांव नहीं होते, वह चलता थाम ज्योति का अंचल | ||
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मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा! | मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा! | ||
सिर्फ भूमिका है बहार की यह आंधी- | सिर्फ भूमिका है बहार की यह आंधी-पतझरों वाली, | ||
किसी सुबह की ही मंजिल है रजनी बुझे सितारों वाली, | किसी सुबह की ही मंजिल है रजनी बुझे सितारों वाली, | ||
उजड़े घर ये सूने आंगन, रोते नयन, सिसकते सावन, | उजड़े घर ये सूने आंगन, रोते नयन, सिसकते सावन, | ||
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मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा! | मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा! | ||
जीवन क्या?-तम भरे नगर में किसी रोशनी की पुकार है, | जीवन क्या? - तम भरे नगर में किसी रोशनी की पुकार है, | ||
ध्वनि जिसकी इस पार और प्रतिध्वनि जिसकी दूसरे पार है, | ध्वनि जिसकी इस पार और प्रतिध्वनि जिसकी दूसरे पार है, | ||
सौ सौ बार मरण ने सीकर होंठ इसे चाहा चुप करना, | सौ सौ बार मरण ने सीकर होंठ इसे चाहा चुप करना, |
06:48, 3 नवम्बर 2011 का अवतरण
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मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा! |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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