"अब तुम रूठो -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
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अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है। | अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है। | ||
अब मेरी | अब मेरी आवाज़ मुझे टेरा करती है, | ||
अब मेरी दुनियां मेरे पीछे फिरती है, | अब मेरी दुनियां मेरे पीछे फिरती है, | ||
देखा करती है, मेरी तस्वीर मुझे अब, | देखा करती है, मेरी तस्वीर मुझे अब, |
10:41, 3 जून 2012 का अवतरण
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अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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