"साँसों के मुसाफिर -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
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कोई नहीं पराया, सारी धरती एक बसेरा है, | कोई नहीं पराया, सारी धरती एक बसेरा है, | ||
इसका | इसका ख़ैमा पश्चिम में तो उसका पूरब डेरा है, | ||
श्वेत बरन या श्याम बरन हो सुन्दर या कि असुन्दर हो, | श्वेत बरन या श्याम बरन हो सुन्दर या कि असुन्दर हो, | ||
सभी मछरियाँ एक ताल की क्या मेरा क्या तेरा है? | सभी मछरियाँ एक ताल की क्या मेरा क्या तेरा है? |
14:01, 25 अगस्त 2012 का अवतरण
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इसको भी अपनाता चल, |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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