"विजयलक्ष्मी पण्डित": अवतरणों में अंतर

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[[भारत]] के लिए [[नेहरू-गाँधी परिवार वृक्ष|नेहरू परिवार]] ने जो महान बलिदान और योगदान किया है, राष्ट्र उसे हमेशा याद रखेगा। स्वतंत्रता आंदोलन में [[जवाहरलाल नेहरू|पंडित जवाहर लाल]] की बहन विजय लक्ष्मी पंडित के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।  
'''विजयलक्ष्मी पण्डित''' (जन्म- [[18 अगस्त]], [[1900]], [[इलाहाबाद]]; मृत्यु- [[1 दिसम्बर]], [[1990]]) एक संपन्‍न, कुलीन घराने से ताल्‍लुक रखने वाली और [[पण्डित जवाहरलाल नेहरू]] की बहन थीं। [[भारत]] के लिए '[[नेहरू-गाँधी परिवार वृक्ष|नेहरू परिवार]]' ने जो महान बलिदान और योगदान किया है, राष्ट्र उसे हमेशा याद रखेगा। विजयलक्ष्मी पण्डित ने भी देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' में भाग लेने के कारण उन्‍हें जेल में बंद किया गया था। विजयलक्ष्मी एक पढ़ी-लिखी और प्रबुद्ध महिला थीं और विदेशों में आयोजित विभिन्‍न सम्‍मेलनों में उन्‍होंने [[भारत]] का प्रतिनिधित्‍व किया था। भारत के राजनीतिक इतिहास में वह पहली महिला मंत्री थीं। संयुक्‍त राष्‍ट्र की पहली भारतीय महिला अध्‍यक्ष भी वही थीं। विजयलक्ष्मी पण्डित स्‍वतंत्र भारत की पहली महिला राजदूत थीं, जिन्‍होंने मास्‍को, लंदन और वॉशिंगटन में भारत का प्रतिनिधित्‍व किया था।
*18 अगस्त 1900 में उनका जन्म हुआ था।  
*उनकी शिक्षा-दीक्षा मुख्य रूप से घर में ही हुयी।
*विजयलक्ष्मी पण्डित भी [[महात्मा गाँधी|गांधीजी]] से प्रभावित होकर जंग-ए-आज़ादी में कूद पड़ीं।
*वह हर आन्दोलन में आगे रहतीं, जेल जातीं, रिहा होतीं, और फिर आन्दोलन में जुट जातीं।
*1936 और 1946 में वह [[उत्तर प्रदेश]] [[विधान सभा]] के लिए चुनी गयीं और मंत्री बनायी गयीं। मंत्री स्तर का दर्जा पाने वाली भारत की वह प्रथम महिला थीं।  
*1932, 1941 और 1942 में [[सविनय अवज्ञा आंदोलन]] में भाग लेने के लिए उन्हें जेल की सज़ा हुयी।
*आज़ादी के बाद भी उन्होंने देश सेवा जारी रखी।
*सन् [[1945]] में संयुक्त राष्ट्र संघ के सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में विजयलक्ष्मी पण्डित ने [[भारत]] का प्रतिनिधित्व भी किया।
*संयुक्त राष्ट्र की अध्यक्ष बनने वाली वह विश्व की पहली महिला थीं। वे राज्यपाल और राजदूत जैसे कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहीं।


18 अगस्त 1900 में उनका जन्म हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा मुख्य रूप से घर में ही हुयी। विजयलक्ष्मी पण्डित भी [[महात्मा गाँधी|गांधीजी]] से प्रभावित होकर जंग-ए-आज़ादी में कूद पड़ीं। वह हर आन्दोलन में आगे रहतीं, जेल जातीं, रिहा होतीं, और फिर आन्दोलन में जुट जातीं। 1936 और 1946 में वह [[उत्तर प्रदेश]] [[विधान सभा]] के लिए चुनी गयीं और मंत्री बनायी गयीं। मंत्री स्तर का दर्जा पाने वाली भारत की वह प्रथम महिला थीं। 1932, 1941 और 1942 में [[सविनय अवज्ञा आंदोलन]] में भाग लेने के लिए उन्हें जेल की सज़ा हुयी। आज़ादी के बाद भी उन्होंने देश सेवा जारी रखी। सन् [[1945]] में संयुक्त राष्ट्र संघ के सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में विजयलक्ष्मी पण्डित ने [[भारत]] का प्रतिनिधित्व भी किया। संयुक्त राष्ट्र की अध्यक्ष बनने वाली वह विश्व की पहली महिला थीं। वे राज्यपाल और राजदूत जैसे कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहीं।




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06:14, 18 अगस्त 2013 का अवतरण

विजयलक्ष्मी पण्डित (जन्म- 18 अगस्त, 1900, इलाहाबाद; मृत्यु- 1 दिसम्बर, 1990) एक संपन्‍न, कुलीन घराने से ताल्‍लुक रखने वाली और पण्डित जवाहरलाल नेहरू की बहन थीं। भारत के लिए 'नेहरू परिवार' ने जो महान बलिदान और योगदान किया है, राष्ट्र उसे हमेशा याद रखेगा। विजयलक्ष्मी पण्डित ने भी देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' में भाग लेने के कारण उन्‍हें जेल में बंद किया गया था। विजयलक्ष्मी एक पढ़ी-लिखी और प्रबुद्ध महिला थीं और विदेशों में आयोजित विभिन्‍न सम्‍मेलनों में उन्‍होंने भारत का प्रतिनिधित्‍व किया था। भारत के राजनीतिक इतिहास में वह पहली महिला मंत्री थीं। संयुक्‍त राष्‍ट्र की पहली भारतीय महिला अध्‍यक्ष भी वही थीं। विजयलक्ष्मी पण्डित स्‍वतंत्र भारत की पहली महिला राजदूत थीं, जिन्‍होंने मास्‍को, लंदन और वॉशिंगटन में भारत का प्रतिनिधित्‍व किया था।

18 अगस्त 1900 में उनका जन्म हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा मुख्य रूप से घर में ही हुयी। विजयलक्ष्मी पण्डित भी गांधीजी से प्रभावित होकर जंग-ए-आज़ादी में कूद पड़ीं। वह हर आन्दोलन में आगे रहतीं, जेल जातीं, रिहा होतीं, और फिर आन्दोलन में जुट जातीं। 1936 और 1946 में वह उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए चुनी गयीं और मंत्री बनायी गयीं। मंत्री स्तर का दर्जा पाने वाली भारत की वह प्रथम महिला थीं। 1932, 1941 और 1942 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने के लिए उन्हें जेल की सज़ा हुयी। आज़ादी के बाद भी उन्होंने देश सेवा जारी रखी। सन् 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ के सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में विजयलक्ष्मी पण्डित ने भारत का प्रतिनिधित्व भी किया। संयुक्त राष्ट्र की अध्यक्ष बनने वाली वह विश्व की पहली महिला थीं। वे राज्यपाल और राजदूत जैसे कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहीं।


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