"नाँन्हाँ काती चित्त दे -कबीर": अवतरणों में अंतर
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12:55, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
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नाँन्हाँ काती चित्त दे, मँहगे मोलि बिकाइ। |
अर्थ सहित व्याख्या
कबीरदास कहते हैं कि हे मानव! तू मन लगाकर बारीक कताई कर, क्योंकि बारीक सूत मँहगे दामों पर बिकता है अर्थात् तू अच्छे कर्म कर। उसका ही बड़ा मूल्य होगा और उसके ग्राहक कोई सांसारिक राजा नहीं, स्वयं प्रभु होंगे। कोई दूसरा तेरे निकट नहीं आएगा। इस माल को कोई दूसरा न ख़रीद सकेगा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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