"कणाद रहस्यवृत्ति": अवतरणों में अंतर

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पद्मनाभ रचित कणाद रहस्यवृत्ति

  • बलभद्र और विजयश्री के पुत्र, न्यायबोधिनीकार गोवर्धन मिश्र के ज्येष्ठ भ्राता, पद्मनाभ मिश्र (1600 ई.) द्वारा इस वृत्ति की रचना की गई।
  • किन्तु यह अभी तक अमुद्रित है।<balloon title="कणादरहस्याख्यावृत्ति की पाण्डुलिपि तंजाउर पुस्तकालय में उपलब्ध है।" style=color:blue>*</balloon>