"एस. आर. रंगनाथन": अवतरणों में अंतर

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'''शियाली रामअमृता रंगनाथन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Siyali Ramamrita Ranganathan'', जन्म- [[9 अगस्त]], [[1892]], [[मद्रास]]; मृत्यु- [[27 सितंबर]], [[1972]], [[बंगलौर]]) विख्यात गणितज्ञ, पुस्तकालाध्यक्ष और शिक्षाशास्त्री थे, जिन्हें "[[भारत]] में पुस्तकालय [[विज्ञान]] का अध्यक्ष व जनक" माना जाता हैं। एस. आर. रंगनाथन ने कोलन वर्गीकरण तथा क्लासिफ़ाइड केटलॉग कोड बनाया। पुस्तकालय विज्ञान को महत्व प्रदान करने तथा [[भारत]] में इसका प्रचार-प्रसार करने में उनका सक्रिय योगदान था।
'''शियाली रामअमृता रंगनाथन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Siyali Ramamrita Ranganathan'', जन्म- [[9 अगस्त]], [[1892]], [[मद्रास]]; मृत्यु- [[27 सितंबर]], [[1972]], [[बंगलौर]]) विख्यात गणितज्ञ, पुस्तकालाध्यक्ष और शिक्षाशास्त्री थे, जिन्हें '''भारत में पुस्तकालय विज्ञान का अध्यक्ष व जनक''' माना जाता है। एस. आर. रंगनाथन ने कोलन वर्गीकरण तथा क्लासिफ़ाइड केटलॉग कोड बनाया। पुस्तकालय विज्ञान को महत्व प्रदान करने तथा [[भारत]] में इसका प्रचार-प्रसार करने में उनका सक्रिय योगदान था।
==जीवन परिचय==
==परिचय==
एस. आर. रंगनाथन का जन्म [[9 अगस्त]], [[1892]] को शियाली, [[मद्रास]] (वर्तमान [[चेन्नई]]) में हुआ था। रंगनाथन के योगदान का [[भारत]] पर विश्वव्यापी प्रभाव पड़ा। रंगनाथन ने भारत में कई पुस्तकालयों की स्थापना की थी। उनकी शिक्षा शियाली के हिन्दू हाईस्कूल, टीचर्स कॉलेज, सइदापेट्ट में हुई थी। मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से उन्होंने [[1913]] और [[1916]] में गणित में बी. ए. और एम. ए. की उपाधि प्राप्त की। [[1917]] में उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज, [[कोयंबतुर]] और [[1921]]-[[1923|23]] के दौरान प्रेज़िडेंसी कॉलेज, [[मद्रास विश्वविद्यालय]] में अध्यापन कार्य किया।
एस. आर. रंगनाथन का जन्म [[9 अगस्त]], [[1892]] को शियाली, [[मद्रास]] (वर्तमान [[चेन्नई]]) में हुआ था। उनकी शिक्षा शियाली के हिन्दू हाई स्कूल, मद्रास क्रिश्चयन कॉलेज में (जहाँ उन्होंने [[1913]] और [[1916]] में गणित में बी.ए. और एम.ए. की उपाधि प्राप्त की) और टीचर्स कॉलेज, सईदापेट्ट में हुई। [[1917]] में वे गोवर्नमेंट कॉलेज, मंगलोर में नियुक्त किए गए। बाद में उन्होंने [[1920]] में गोवर्नमेंट कॉलेज, कोयंबटूर और [[1921]]-[[1923]] के दौरान प्रेजिडेंसी कॉलेज, मद्रास विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया। [[1924]] में उन्हें मद्रास विश्वविद्यालय का पहला पुस्तकालयाध्यक्ष बनाया गया और इस पद की योग्यता हासिल करने के लिए वे यूनिवर्सिटी कॉलेज, [[लंदन]] में अध्ययन करने के लिए [[इंग्लैंड]] गए। [[1925]] से मद्रास में उन्होंने यह काम पूरी लगन से शुरू किया और [[1944]] तक वे इस पद पर बने रहे।
==पद==
 
[[1924]] में रंगनाथन को [[मद्रास विश्वविद्यालय]] का पहला पुस्तकालयाध्यक्ष बनाया गया और इस पद की योग्यता हासिल करने के लिए वह यूनिवर्सिटी कॉलेज, [[लंदन]] में अध्ययन करने के लिए [[इंग्लैंड]] गए। [[1925]] से मद्रास में उन्होंने यह काम पूरी लग्न से शुरू किया और [[1944]] तक इस पद पर बने रहें। [[1945]]-47 के दौरान उन्होंने [[बनारस]] (वर्तमान [[वाराणसी]]) हिन्दू विश्वविद्यालय में पुस्तकालाध्यक्ष और पुस्तकालय [[विज्ञान]] के प्राध्यापक के रूप में कार्य किया व [[1947]]-54 के दौरान उन्होंने [[दिल्ली]] विश्वविद्यालय में पढ़ाया। [[1954]]-57 के दौरान वह ज़्यूरिख, स्विट्ज़रलैंड में शोध और लेखन में व्यस्त रहे। इसके बाद वह भारत लौट आए और [[1959]] तक [[विक्रम विश्वविद्यालय]], [[उज्जैन]] में अतिथि प्राध्यापक रहे। [[1962]] में उन्होंने बंगलोर में प्रलेखन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया और इसके प्रमुख बने और जीवनपर्यंत इससे जुड़े रहे। [[1965]] में भारत सरकार ने उन्हें पुस्तकालय विज्ञान में राष्ट्रीय शोध प्राध्यापक की उपाधि से सम्मानित किया।
[[1945]]-[[1947]] के दौरान एस. आर. रंगनाथन ने [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] में पुस्तकालयाध्यक्ष और पुस्तकालय विज्ञान के प्राध्यापक के रूप में कार्य किया व [[1947]]-[[1954]] के दौरान उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाया। [[1954]]-[[1957]] के दौरान वे ज्यूरिख, स्विट्जरलैंड में शोध और लेखन में व्यस्त रहे। इसके बाद वे [[भारत]] लौट आए और [[1959]] तक विक्रम विश्वविद्यालय, [[उज्जैन]] में अतिथि प्राध्यापक रहे। [[1962]] में उन्होंने [[बंगलोर]] में प्रलेखन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया और इसके प्रमुख बने और जीवनपर्यंत इससे जुड़े रहे। [[1965]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें पुस्तकालय विज्ञान में राष्ट्रीय शोध प्राध्यापक की उपाधि से सम्मानित किया।
==योगदान==
==योगदान==
पुस्तकालय विज्ञान के लिए रंगनाथन का प्रमुख तकनीकी योगदान वर्गीकरण और अनुक्रमणीकरण (इंडेक्सिंग) सिद्धांत था। उनके कॉलन क़्लासिफ़िकेशन ([[1933]]) ने ऐसी प्रणाली शुरू की, जिसे विश्व भर में व्यापक रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस पद्धति ने डेवी दशमलव वर्गीकरण जैसी पुरानी पद्धति के विकास को प्रभावित किया। बाद में उन्होंने विषय अनुक्रमणीकरण प्रविष्टियों के लिए 'शृंखला अनुक्रमणीकरण' की तकनीक तैयार की।  
पुस्तकालय विज्ञान के लिए एस. आर. रंगनाथन का प्रमुख तकनीकी योगदान वर्गीकरण और अनुक्रमणीकरण (इंडेक्सिंग) सिद्धांत था। उनके कॉलन क़्लासिफ़िकेशन ([[1933]]) ने ऐसी प्रणाली शुरू की, जिसे विश्व भर में व्यापक रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस पद्धति ने डेवी दशमलव वर्गीकरण जैसी पुरानी पद्धति के विकास को प्रभावित किया। बाद में उन्होंने विषय अनुक्रमणीकरण प्रविष्टियों के लिए 'शृंखला अनुक्रमणीकरण' की तकनीक तैयार की।  
==कृतियाँ==
==कृतियाँ==
एस. आर. रंगनाथन की अन्य कृतियों में क़्लासिफ़ाइड कैटेलॉग कोड ([[1934]]), प्रोलेगोमेना टु लाइब्रेरी क़्लासिफ़िकेशन ([[1937]]), थ्योरी ऑफ़ लाइब्रेरी कैटेलॉग ([[1938]]), एलीमेंट्स ऑफ़ लाइब्रेरी क़्लासिफ़िकेशन ([[1945]]), क़्लासिफ़िकेशन ऐंड इंटरनेशनल डॉक्यूमेंटेशन ([[1948]]), क़्लासिफ़िकेशन ऐंड कम्युनिकेशन ([[1951]]) और हेडिंग्स ऐंड कैनन्स ([[1955]]) शामिल है। उनकी फ़ाइव लॉज़ ऑफ़ लाइब्रेरी साइंस ([[1931]]) को पुस्तकालय सेवा के आदर्श एवं निर्णायक कथन के रूप में व्यापक रूप से स्वीकृत किया गया। उन्होंने राष्ट्रीय और कई राज्य स्तरीय पुस्तकालय प्रणालियों की योजनाएँ तैयार कीं। कई पत्रिकाएँ स्थापित और संपादित कीं और कई व्यावसायिक समितियों में सक्रिय रहें।
एस. आर. रंगनाथन की अन्य कृतियों में प्रमुख निम्नलिखित हैं-
#क़्लासिफ़ाइड कैटेलॉग कोड ([[1934]])
#प्रोलेगोमेना टु लाइब्रेरी क़्लासिफ़िकेशन ([[1937]])
#थ्योरी ऑफ़ लाइब्रेरी कैटेलॉग ([[1938]])
#एलीमेंट्स ऑफ़ लाइब्रेरी क़्लासिफ़िकेशन ([[1945]])
#क़्लासिफ़िकेशन ऐंड इंटरनेशनल डॉक्यूमेंटेशन ([[1948]])
#क़्लासिफ़िकेशन ऐंड कम्युनिकेशन ([[1951]])
#हेडिंग्स ऐंड कैनन्स ([[1955]])
 
 
उनकी फ़ाइव लॉज़ ऑफ़ लाइब्रेरी साइंस ([[1931]]) को पुस्तकालय सेवा के आदर्श एवं निर्णायक कथन के रूप में व्यापक रूप से स्वीकृत किया गया। उन्होंने राष्ट्रीय और कई राज्य स्तरीय पुस्तकालय प्रणालियों की योजनाएँ तैयार कीं। कई पत्रिकाएँ स्थापित और संपादित कीं और कई व्यावसायिक समितियों में सक्रिय रहे।
==मृत्यु==
==मृत्यु==
एस. आर. रंगनाथन जैसे महान् पुस्तकालाध्यक्ष और शिक्षाशास्त्री की मृत्यु [[27 सितम्बर]] [[1972]], [[बंगलोर]] में हुई थीं।
एस. आर. रंगनाथन जैसे महान् पुस्तकालाध्यक्ष और शिक्षाशास्त्री की मृत्यु [[27 सितम्बर]], [[1972]], [[बंगलोर]] में हुई।




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एस. आर. रंगनाथन
एस. आर. रंगनाथन
एस. आर. रंगनाथन
पूरा नाम शियाली रामअमृता रंगनाथन
जन्म 9 अगस्त, 1892
जन्म भूमि मद्रास
मृत्यु 27 सितंबर, 1972
मृत्यु स्थान बंगलौर
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र लेखक, शिक्षक, गणितज्ञ, पुस्तकालयाध्यक्ष
मुख्य रचनाएँ क़्लासिफ़ाइड कैटेलॉग कोड, प्रोलेगोमेना टु लाइब्रेरी क़्लासिफ़िकेशन, थ्योरी ऑफ़ लाइब्रेरी कैटेलॉग आदि।
शिक्षा बी. ए , एम. ए. (गणित)
विद्यालय मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज
विशेष योगदान पुस्तकालय विज्ञान के लिए रंगनाथन का प्रमुख तकनीकी योगदान वर्गीकरण और अनुक्रमणीकरण (इंडेक्सिंग) सिद्धांत था।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी 1965 में भारत सरकार ने उन्हें पुस्तकालय विज्ञान में 'राष्ट्रीय शोध प्राध्यापक' की उपाधि से सम्मानित किया।
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शियाली रामअमृता रंगनाथन (अंग्रेज़ी: Siyali Ramamrita Ranganathan, जन्म- 9 अगस्त, 1892, मद्रास; मृत्यु- 27 सितंबर, 1972, बंगलौर) विख्यात गणितज्ञ, पुस्तकालाध्यक्ष और शिक्षाशास्त्री थे, जिन्हें भारत में पुस्तकालय विज्ञान का अध्यक्ष व जनक माना जाता है। एस. आर. रंगनाथन ने कोलन वर्गीकरण तथा क्लासिफ़ाइड केटलॉग कोड बनाया। पुस्तकालय विज्ञान को महत्व प्रदान करने तथा भारत में इसका प्रचार-प्रसार करने में उनका सक्रिय योगदान था।

परिचय

एस. आर. रंगनाथन का जन्म 9 अगस्त, 1892 को शियाली, मद्रास (वर्तमान चेन्नई) में हुआ था। उनकी शिक्षा शियाली के हिन्दू हाई स्कूल, मद्रास क्रिश्चयन कॉलेज में (जहाँ उन्होंने 1913 और 1916 में गणित में बी.ए. और एम.ए. की उपाधि प्राप्त की) और टीचर्स कॉलेज, सईदापेट्ट में हुई। 1917 में वे गोवर्नमेंट कॉलेज, मंगलोर में नियुक्त किए गए। बाद में उन्होंने 1920 में गोवर्नमेंट कॉलेज, कोयंबटूर और 1921-1923 के दौरान प्रेजिडेंसी कॉलेज, मद्रास विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया। 1924 में उन्हें मद्रास विश्वविद्यालय का पहला पुस्तकालयाध्यक्ष बनाया गया और इस पद की योग्यता हासिल करने के लिए वे यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन में अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए। 1925 से मद्रास में उन्होंने यह काम पूरी लगन से शुरू किया और 1944 तक वे इस पद पर बने रहे।

1945-1947 के दौरान एस. आर. रंगनाथन ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में पुस्तकालयाध्यक्ष और पुस्तकालय विज्ञान के प्राध्यापक के रूप में कार्य किया व 1947-1954 के दौरान उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाया। 1954-1957 के दौरान वे ज्यूरिख, स्विट्जरलैंड में शोध और लेखन में व्यस्त रहे। इसके बाद वे भारत लौट आए और 1959 तक विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में अतिथि प्राध्यापक रहे। 1962 में उन्होंने बंगलोर में प्रलेखन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया और इसके प्रमुख बने और जीवनपर्यंत इससे जुड़े रहे। 1965 में भारत सरकार ने उन्हें पुस्तकालय विज्ञान में राष्ट्रीय शोध प्राध्यापक की उपाधि से सम्मानित किया।

योगदान

पुस्तकालय विज्ञान के लिए एस. आर. रंगनाथन का प्रमुख तकनीकी योगदान वर्गीकरण और अनुक्रमणीकरण (इंडेक्सिंग) सिद्धांत था। उनके कॉलन क़्लासिफ़िकेशन (1933) ने ऐसी प्रणाली शुरू की, जिसे विश्व भर में व्यापक रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस पद्धति ने डेवी दशमलव वर्गीकरण जैसी पुरानी पद्धति के विकास को प्रभावित किया। बाद में उन्होंने विषय अनुक्रमणीकरण प्रविष्टियों के लिए 'शृंखला अनुक्रमणीकरण' की तकनीक तैयार की।

कृतियाँ

एस. आर. रंगनाथन की अन्य कृतियों में प्रमुख निम्नलिखित हैं-

  1. क़्लासिफ़ाइड कैटेलॉग कोड (1934)
  2. प्रोलेगोमेना टु लाइब्रेरी क़्लासिफ़िकेशन (1937)
  3. थ्योरी ऑफ़ लाइब्रेरी कैटेलॉग (1938)
  4. एलीमेंट्स ऑफ़ लाइब्रेरी क़्लासिफ़िकेशन (1945)
  5. क़्लासिफ़िकेशन ऐंड इंटरनेशनल डॉक्यूमेंटेशन (1948)
  6. क़्लासिफ़िकेशन ऐंड कम्युनिकेशन (1951)
  7. हेडिंग्स ऐंड कैनन्स (1955)


उनकी फ़ाइव लॉज़ ऑफ़ लाइब्रेरी साइंस (1931) को पुस्तकालय सेवा के आदर्श एवं निर्णायक कथन के रूप में व्यापक रूप से स्वीकृत किया गया। उन्होंने राष्ट्रीय और कई राज्य स्तरीय पुस्तकालय प्रणालियों की योजनाएँ तैयार कीं। कई पत्रिकाएँ स्थापित और संपादित कीं और कई व्यावसायिक समितियों में सक्रिय रहे।

मृत्यु

एस. आर. रंगनाथन जैसे महान् पुस्तकालाध्यक्ष और शिक्षाशास्त्री की मृत्यु 27 सितम्बर, 1972, बंगलोर में हुई।


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