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'''बूँदी रियासत''' की स्थापना 1241 ई. में देवी सिंह हाड़ा | '''बूँदी रियासत''' की स्थापना 1241 ई. में देवी सिंह हाड़ा<ref>देवा हाड़ा</ref> के द्वारा बूंदा मीणा को पराजित कर गई थी। [[बूँदी]] का नाम बूंदा मीणा के नाम से पड़ा। बूँदी रियासत की प्रारम्भिक राजधानी [[कोटा]] थी। | ||
*देवी सिंह हाड़ा ने बूँदी के निकट तारागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था। तारागढ़ दुर्ग को वर्तमान स्वरूप बरसिंह हाड़ा द्वारा दिया गया। | *देवी सिंह हाड़ा ने बूँदी के निकट [[तारागढ़ दुर्ग अजमेर|तारागढ़ दुर्ग]] का निर्माण करवाया था। तारागढ़ दुर्ग को वर्तमान स्वरूप '''बरसिंह हाड़ा''' द्वारा दिया गया। | ||
*राव बरसिंह हाड़ा के समय [[मेवाड़]] के महाराजा लाखा ने तीन बार आक्रमण किया था, जिसे बरसिंह हाड़ा ने विफल कर दिया।<ref>{{cite web |url=http://www.rajasthangk.co.in/2015/10/bundi-estate-of-rajasthan.html |title=राजस्थान की बूँदी रियासत |accessmonthday=04 सितम्बर |accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=rajasthangk.co.in |language= हिंदी}}</ref> | *राव बरसिंह हाड़ा के समय [[मेवाड़]] के महाराजा लाखा ने तीन बार आक्रमण किया था, जिसे बरसिंह हाड़ा ने विफल कर दिया।<ref>{{cite web |url=http://www.rajasthangk.co.in/2015/10/bundi-estate-of-rajasthan.html |title=राजस्थान की बूँदी रियासत |accessmonthday=04 सितम्बर |accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=rajasthangk.co.in |language= हिंदी}}</ref> | ||
*बरसिंह के पश्चात् बूँदी रियासत मेवाड़ के अधीन हो गई। | *बरसिंह के पश्चात् बूँदी रियासत [[मेवाड़]] के अधीन हो गई। | ||
*राव सुर्जन सिंह हाड़ा के काल में [[बूँदी]] पुनः स्वतन्त्र [[रियासत]] के रूप में स्थापित हुई। | *राव सुर्जन सिंह हाड़ा के काल में [[बूँदी]] पुनः स्वतन्त्र [[रियासत]] के रूप में स्थापित हुई। | ||
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*रणथम्भौर दुर्ग में ही 1569 ई. में राव सुर्जनसिंह हाड़ा ने [[अकबर]] की अधीनता को सशर्त स्वीकार कर लिया था। | *रणथम्भौर दुर्ग में ही 1569 ई. में राव सुर्जनसिंह हाड़ा ने [[अकबर]] की अधीनता को सशर्त स्वीकार कर लिया था। | ||
*अकबर ने राव सुर्जन सिंह हाड़ा को [[बनारस]] | *अकबर ने राव सुर्जन सिंह हाड़ा को [[बनारस]]<ref>[[वाराणसी]]</ref> की जागीर उपहार में दी थी। | ||
*राव सुर्जन सिंह हाड़ा ने बनारस में एक मन्दिर का निर्माण करवाया तथा अपने जीवन के अन्तिम काल में संन्यास धारण कर लिया। | *राव सुर्जन सिंह हाड़ा ने बनारस में एक मन्दिर का निर्माण करवाया तथा अपने जीवन के अन्तिम काल में संन्यास धारण कर लिया। | ||
12:25, 6 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
बूँदी रियासत की स्थापना 1241 ई. में देवी सिंह हाड़ा[1] के द्वारा बूंदा मीणा को पराजित कर गई थी। बूँदी का नाम बूंदा मीणा के नाम से पड़ा। बूँदी रियासत की प्रारम्भिक राजधानी कोटा थी।
- देवी सिंह हाड़ा ने बूँदी के निकट तारागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था। तारागढ़ दुर्ग को वर्तमान स्वरूप बरसिंह हाड़ा द्वारा दिया गया।
- राव बरसिंह हाड़ा के समय मेवाड़ के महाराजा लाखा ने तीन बार आक्रमण किया था, जिसे बरसिंह हाड़ा ने विफल कर दिया।[2]
- बरसिंह के पश्चात् बूँदी रियासत मेवाड़ के अधीन हो गई।
- राव सुर्जन सिंह हाड़ा के काल में बूँदी पुनः स्वतन्त्र रियासत के रूप में स्थापित हुई।
- सुर्जन सिंह हाड़ा का अधिकार रणथम्भौर दुर्ग पर भी था।
- रणथम्भौर दुर्ग में ही 1569 ई. में राव सुर्जनसिंह हाड़ा ने अकबर की अधीनता को सशर्त स्वीकार कर लिया था।
- अकबर ने राव सुर्जन सिंह हाड़ा को बनारस[3] की जागीर उपहार में दी थी।
- राव सुर्जन सिंह हाड़ा ने बनारस में एक मन्दिर का निर्माण करवाया तथा अपने जीवन के अन्तिम काल में संन्यास धारण कर लिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ देवा हाड़ा
- ↑ राजस्थान की बूँदी रियासत (हिंदी) rajasthangk.co.in। अभिगमन तिथि: 04 सितम्बर, 2018।
- ↑ वाराणसी
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