"राम मन्दिर, अयोध्या": अवतरणों में अंतर

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'''राम मन्दिर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ram Mandir'') विश्व का प्रसिद्ध मन्दिर है जो [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश|उत्तर प्रदेश राज्य]] की धार्मिक नगरी [[अयोध्या]] में स्थित है। यह प्रसिद्ध मन्दिर [[राम|भगवान श्रीराम]] को समर्पित है। [[भारत के प्रधानमंत्री]] [[नरेन्द्र मोदी]] ने [[22 जनवरी]], [[2024]] को मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पवित्र कार्यक्रम को पूरा किया था। परंपरागत नागर शैली में तैयार किये गए इस मंदिर की सुन्दरता देखने योग्य है। राम मन्दिर की देखरेख 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट' द्वारा की जा रही है। हिन्दू मान्यानुसार यह मन्दिर राम जन्मभूमि स्थल पर स्थित है, जो [[हिन्दू धर्म]] के मुख्याराध्य श्रीराम का पौराणिक जन्मस्थान है। [[5 अगस्त]], [[2020]] को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम मन्दिर के निर्माणारम्भ हेतु भूमि पूजन किया था। इसके बाद 22 जनवरी, 2024 को उन्होंने राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा (अभिषेक) के अनुष्ठान में मुख्य यजमान निभाया।
'''राम मन्दिर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ram Mandir'') विश्व का प्रसिद्ध मन्दिर है जो [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश|उत्तर प्रदेश राज्य]] की धार्मिक नगरी [[अयोध्या]] में स्थित है। यह प्रसिद्ध मन्दिर [[राम|भगवान श्रीराम]] को समर्पित है। [[भारत के प्रधानमंत्री]] [[नरेन्द्र मोदी]] ने [[22 जनवरी]], [[2024]] को मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पवित्र कार्यक्रम को पूरा किया था। परंपरागत नागर शैली में तैयार किये गए इस मंदिर की सुन्दरता देखने योग्य है। राम मन्दिर की देखरेख 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट' द्वारा की जा रही है। हिन्दू मान्यानुसार यह मन्दिर राम जन्मभूमि स्थल पर स्थित है, जो [[हिन्दू धर्म]] के मुख्याराध्य श्रीराम का पौराणिक जन्मस्थान है। [[5 अगस्त]], [[2020]] को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम मन्दिर के निर्माणारम्भ हेतु भूमि पूजन किया था। इसके बाद 22 जनवरी, 2024 को उन्होंने राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा (अभिषेक) के अनुष्ठान में मुख्य यजमान निभाया। यह मंदिर 70 एकड़ में बना है। श्रद्धालु पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे। इस मंदिर की नींव को बनाने में 2587 जगहों की [[मिट्टी]] का इस्तेमाल किया गया है। यह राम मंदिर भगवान राम से जुड़ी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को दर्शाता है और हिंदुओं के लिए अत्यधिक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व को प्रदर्शित करता है। मंदिर में श्रीराम की जो मूर्ति है, उसके मूतिकार अरुण योगीराज ([[मैसूर]]), गणेश भट्ट और सत्यनारायण पांडे हैं।
==विशेषताएँ==
==विशेषताएँ==
राम मन्दिर की निम्न विशेषताएँ हैं-
राम मन्दिर की निम्न विशेषताएँ हैं-
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#प्रार्थना मंडप
#प्रार्थना मंडप
#कीर्तन मंडप
#कीर्तन मंडप
*मंदिर के खंभों व दीवारों में देवी-देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी गयी हैं जो मंदिर की खूबसूरती को और बढ़ा देती हैं। दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था की गयी है।  
*मंदिर के खंभों व दीवारों में देवी-देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी गयी हैं जो मंदिर की खूबसूरती को और बढ़ा देती हैं। दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था की गयी है।
*राम मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट है। परकोटा के चारों कोनों पर [[सूर्यदेव]], मां भगवती, [[गणेश|गणपति]] व [[शिव|भगवान शिव]] को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण किया गया है। वहीं उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में [[हनुमान|हनुमान जी]] का मंदिर है।
*राम मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट है। परकोटा के चारों कोनों पर [[सूर्यदेव]], मां भगवती, [[गणेश|गणपति]] व [[शिव|भगवान शिव]] को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण किया गया है। वहीं उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में [[हनुमान|हनुमान जी]] का मंदिर है।
*मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा। मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे।
*मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा। मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे।
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*25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी।  
*25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी।  
*मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी। मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
*मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी। मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
*मंदिर के गर्भगृह में लगे सोने के दरवाजे की ऊंचाई करीब 12 फीट है, जबकि इसकी चौड़ाई 8 फीट है। मंदिर में कुल 46 दरवाजों में से 42 पर 100 किलोग्राम सोने की परत चढ़ाई गई है।
*मंदिर के 2000 फीट नीचे गाड़े गए टाइम कैप्सूल में मंदिर, भगवान राम और [[अयोध्या]] के बारे में प्रासंगिक जानकारी अंकित की गई है। ऐसा आने वाली पीढ़ियों के लिए मंदिर की पहचान संरक्षित करने के मकसद से किया गया है।
==रामलला के आभूषण==
अयोध्या में भव्य राम मंदिर में विराजमान रामलला के लिए [[आभूषण]] [[अध्यात्म रामायण]], [[वाल्मीकि रामायण]], [[रामचरितमानस]] और अलवंदर स्तोत्रम जैसे ग्रंथों पर लंबी रिसर्च और स्टडी के बाद तैयार किए गए हैं। ये जानकारी मंदिर ट्रस्ट की तरफ से दी गई है। रामलला के आभूषण [[बदायूं]], [[उत्तर प्रदेश]] के सर्राफ हरसहायमल श्यामलाल ज्वेलर्स की [[लखनऊ]] शाखा ने तैयार किए हैं। [[अयोध्या]] के कवि यतेंद्र मिश्रा के निर्देश पर रामलला के गहने तैयार किए गए हैं।<ref name="p">{{cite web |url=https://ndtv.in/india/ayodhya-ram-mandir-ramlalas-jewellery-preparation-after-research-and-study-earings-and-bangles-4915396 |title=रामलला ने सिर से पांव तक पहने हैं कौन-कौन से 17 आभूषण?|accessmonthday=14 फ़रवरी|accessyear=2024 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=ndtv.in |language=हिंदी}}</ref> भगवान राम के शीष पर मुकुट या किरीट धारण है। कानों में कुंडल, गले में कंठा, ह्रदय पर [[कौस्तुभ मणि]], नाभिकमल के ऊपर पदिक, वैजयन्ती या विजयमाल, कमर में कांची या करधनी, भुजबंध या अंगद, कंकण या कंगन, मुद्रिका, पैरों में छड़ा या पैजनिया, हाथों में धनुष, गले में माला, मस्तक पर तिलक, चरणों के नीचे [[कमल]], पांच साल के रामलला के खेलने के लिए [[चांदी]] के खिलौने, भगवान के प्रभा मंडल के ऊपर छत्र आदि मौजद हैं।
;शीष पर मुकुट या किरीट
भगवान रामलला ने उत्तर भारतीय परंपरा के मुताबिक सोने से बना मुकुट पहना है, जिस पर माणिक्य, पन्ना, हीरे जड़े हुए हैं। मुकुट के बीच में भगवान सूर्य विराजमान हैं। मुकुट के दायी तरफ मोतियों की लड़ियां लगी हैं।
;कुंडल
रामलला के कानों में खूबसूरत कुंडल धारण किए हैं। इसमें मोर की आकृतियां बनी हैं। सोने से बने भगवान के कुंडलों में हीरे, माणिक्य और पन्ना जड़े गए हैं।
;कण्ठा
गले में रत्नों से जड़ा अर्द्धचंद्राकार कंठा पहना हुआ है। इसे मंगल का विधान रचते [[फूल]] अर्पित किए गए हैं। इसके बीच में [[सूर्य]] की आकृति बनी है। सोने से बने इस कण्ठे में हीरे, माणिक्य और पन्ना जड़ा गया है। इसके नीचे पन्ने की लड़ियां लगाई गई हैं।
;ह्रदय पर कौस्तुभ मणि
भगवान ने कौस्तुभ मणि धारण किया है। इसको बड़े माणिक्य और हीरों से सजाया गया है। शास्त्रों के मुताबिक [[विष्णु|भगवान विष्णु]] और उनके अवतार ह्रदय में कौस्तुभ मणि धारण करते हैं, इसीलिए रामलला को भी इसे धारण कराया गया है।<ref name="p"/>
;पदिक
रामलला के गले के नीचे नाभिकमल के ऊपर एक हार धारण कराया गया है। देव अलंकरण में इसका खास महत्व है। पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने का ऐसा पंचलड़ा है, जिसके नीचे  एक बड़ा सा सुंदर और जड़ाऊ पेंडेंट लगाया गया है।
;वैजयंती या विजयमाल
वैजयंती रामलला को पहनाया जाने वाला सोने से बना तीसरा और सबसे लंबा हार है। इसमें जगह-जगह माणिक्य जड़े गए हैं। इसे भगवान को विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है, जिसमें वैष्णव परंपरा के सभी मंगल चिन्ह, सुदर्शन चत्र, पद्यपुष्प, [[शंख]] और मंगल कलश बना हुआ है। इसमें पांच तरह के देवों के पसंदीदा फूलों को भी खूबसूरती से सजाया गया है, ये [[कमल]], चंपा, [[पारिजात]], कुंद और [[तुलसी]] हैं।
;कांची या करधनी
रामलला को कमर में रत्नों से जड़ी करधनी धारण कराई गई है। सोने से बनी करधनी में हीरे, माणिक्य, [[मोती]], पन्ना जड़े गए हैं। पवित्रता के तौर पर इसमें पांच घंटियां भी लगाई गई हैं। इन घंटियों पर पन्ना, मोती, माणिक्य की लड़ियां लगाई गई हैं।
;भुजबंद या अंगद
भगवान रामलला को दोनों भुजाओं में सोने और रत्नों से जड़े भुजबंद पहनाए गए हैं।
;कंकण, कंगन
रामलला के दोनों हाथों में हीरे, मोती जैसे रत्नों से जड़े खूबसूरत कंगन पहनाए गए हैं।
;मुद्रिका
रामलला दाएं और बाएं, दोनों हाथों में मुद्रिकाएं धारण की हुई हैं। इन अंगूठियों में रत्न जड़े हैं और मोती लटक रहे हैं।
;छड़ा और पैजनियां
पैरों में छड़ा और पैजनिया पहनाए गए हैं। भगवान के पैरों की सुंदरता बढ़ा रही पायलें सोने की हैं।
;धनुष
रामलला के बाएं हाथ में सोने का धनुष पहनाया गया है। इस धनुष को मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियों से सजाया गया है। वहीं हाहिने हाथ मे सोने का बाण भगवान धारण किए हुए हैं।
;वनमाला
गले में रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला पहनाई गई है। इसको हस्तशिल्प के लिए समर्पित शिल्पमंजरी संस्था ने बनाया है।
;तिलक
भगवान रामलला के मस्तक पर मंगल तिलक पहनाया गया है। इस तिलक में हीरे और माणिक्य जड़े हुए हैं।
;चरणों के नीचे कमल
भगवान के चरणों के नीचे कमल शोभायमान है। इसके नीचे एक सोने की माला सजी हुई है।
;खिलौने
भव्य राम मंदिर में पांच साल के रामलला विराजे हैं, तो उनके खेलने के लिए चांदी से बने खिलौने रखे गए हैं। खिलौनों में झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौनागाड़ी और लट्टू शामिल है।
;छत्र
भगवान रामलला के प्रभा-मंडल के ऊपर सोने का छत्र लगा हुआ है।<ref name="p"/>
==और क्या देखें==
==और क्या देखें==
यदि [[अयोध्या]] घूमने की योजना बना रहे हैं तो राम मंदिर के अलावा अयोध्या में और भी कई जगहों पर घूमने की योजना कर सकते हैं। अयोध्या में कम बजट में भी कई स्थानों पर घूमा जा सकता है।<ref>{{cite web |url= https://www.zeebiz.com/hindi/trending/travel/after-visiting-ram-temple-in-ayodhya-plan-these-places-the-trip-will-be-completed-at-very-low-cost-know-the-details-156137|title=अयोध्या में राम मंदिर घूमने के बाद इन जगहों का करें प्लान|accessmonthday=14 फ़रवरी|accessyear=2024 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=zeebiz.com |language=हिंदी}}</ref>
यदि [[अयोध्या]] घूमने की योजना बना रहे हैं तो राम मंदिर के अलावा अयोध्या में और भी कई जगहों पर घूमने की योजना कर सकते हैं। अयोध्या में कम बजट में भी कई स्थानों पर घूमा जा सकता है।<ref>{{cite web |url= https://www.zeebiz.com/hindi/trending/travel/after-visiting-ram-temple-in-ayodhya-plan-these-places-the-trip-will-be-completed-at-very-low-cost-know-the-details-156137|title=अयोध्या में राम मंदिर घूमने के बाद इन जगहों का करें प्लान|accessmonthday=14 फ़रवरी|accessyear=2024 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=zeebiz.com |language=हिंदी}}</ref>
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==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[https://www.nextias.com/blog/%E0%A4%85%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE-%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B0/ राम मंदिर: महत्त्वपूर्ण तथ्य, निर्माण संबंधी पहलू और अन्य विशेषताएँ]
*[https://www.jagran.com/event/ram-mandir-ayodhya-inauguration-history-photos-videos-latest-updates जानिये श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या का इतिहास]
==संबंधित लेख==
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{{उत्तर प्रदेश के मन्दिर}}{{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}}{{रामायण}}{{उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल}}
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07:10, 14 फ़रवरी 2024 का अवतरण

राम मन्दिर (अंग्रेज़ी: Ram Mandir) विश्व का प्रसिद्ध मन्दिर है जो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की धार्मिक नगरी अयोध्या में स्थित है। यह प्रसिद्ध मन्दिर भगवान श्रीराम को समर्पित है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 जनवरी, 2024 को मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पवित्र कार्यक्रम को पूरा किया था। परंपरागत नागर शैली में तैयार किये गए इस मंदिर की सुन्दरता देखने योग्य है। राम मन्दिर की देखरेख 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट' द्वारा की जा रही है। हिन्दू मान्यानुसार यह मन्दिर राम जन्मभूमि स्थल पर स्थित है, जो हिन्दू धर्म के मुख्याराध्य श्रीराम का पौराणिक जन्मस्थान है। 5 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम मन्दिर के निर्माणारम्भ हेतु भूमि पूजन किया था। इसके बाद 22 जनवरी, 2024 को उन्होंने राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा (अभिषेक) के अनुष्ठान में मुख्य यजमान निभाया। यह मंदिर 70 एकड़ में बना है। श्रद्धालु पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे। इस मंदिर की नींव को बनाने में 2587 जगहों की मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है। यह राम मंदिर भगवान राम से जुड़ी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को दर्शाता है और हिंदुओं के लिए अत्यधिक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व को प्रदर्शित करता है। मंदिर में श्रीराम की जो मूर्ति है, उसके मूतिकार अरुण योगीराज (मैसूर), गणेश भट्ट और सत्यनारायण पांडे हैं।

विशेषताएँ

राम मन्दिर की निम्न विशेषताएँ हैं-

  • मंदिर परंपरागत नागर शैली में बनाया गया है। मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फुट, चौड़ाई 250 फुट और ऊंचाई 161 फुट है। वहीं 3 मंजिला मंदिर में प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फुट जहां कुल 392 खंभे और 44 द्वार बनाये गए हैं।[1]
  • राम मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह) और प्रथम तल पर श्रीराम दरबार बनाया गया है। मंदिर में पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से प्रवेश किया जा सकेगा।
  • मंदिर के 70 एकड़ क्षेत्र में से 70 प्रतिशत क्षेत्र हमेशा हरा-भरा रहेगा। वहीं मंदिर में लोहे का उपयोग नहीं किया गया है और न ही धरती के ऊपर कंक्रीट बिछाई गयी है।
  • मंदिर में 5 मंडप बनाये गए हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं-
  1. नृत्य मंडप
  2. रंग मंडप
  3. सभा मंडप
  4. प्रार्थना मंडप
  5. कीर्तन मंडप
  • मंदिर के खंभों व दीवारों में देवी-देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी गयी हैं जो मंदिर की खूबसूरती को और बढ़ा देती हैं। दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था की गयी है।
  • राम मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा। चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट है। परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपतिभगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण किया गया है। वहीं उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर है।
  • मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा। मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे।
  • दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है और वहां जटायु की प्रतिमा की स्थापना की गई है।
  • मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है। मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।[1]
  • 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी।
  • मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी। मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है। पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
  • मंदिर के गर्भगृह में लगे सोने के दरवाजे की ऊंचाई करीब 12 फीट है, जबकि इसकी चौड़ाई 8 फीट है। मंदिर में कुल 46 दरवाजों में से 42 पर 100 किलोग्राम सोने की परत चढ़ाई गई है।
  • मंदिर के 2000 फीट नीचे गाड़े गए टाइम कैप्सूल में मंदिर, भगवान राम और अयोध्या के बारे में प्रासंगिक जानकारी अंकित की गई है। ऐसा आने वाली पीढ़ियों के लिए मंदिर की पहचान संरक्षित करने के मकसद से किया गया है।

रामलला के आभूषण

अयोध्या में भव्य राम मंदिर में विराजमान रामलला के लिए आभूषण अध्यात्म रामायण, वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस और अलवंदर स्तोत्रम जैसे ग्रंथों पर लंबी रिसर्च और स्टडी के बाद तैयार किए गए हैं। ये जानकारी मंदिर ट्रस्ट की तरफ से दी गई है। रामलला के आभूषण बदायूं, उत्तर प्रदेश के सर्राफ हरसहायमल श्यामलाल ज्वेलर्स की लखनऊ शाखा ने तैयार किए हैं। अयोध्या के कवि यतेंद्र मिश्रा के निर्देश पर रामलला के गहने तैयार किए गए हैं।[2] भगवान राम के शीष पर मुकुट या किरीट धारण है। कानों में कुंडल, गले में कंठा, ह्रदय पर कौस्तुभ मणि, नाभिकमल के ऊपर पदिक, वैजयन्ती या विजयमाल, कमर में कांची या करधनी, भुजबंध या अंगद, कंकण या कंगन, मुद्रिका, पैरों में छड़ा या पैजनिया, हाथों में धनुष, गले में माला, मस्तक पर तिलक, चरणों के नीचे कमल, पांच साल के रामलला के खेलने के लिए चांदी के खिलौने, भगवान के प्रभा मंडल के ऊपर छत्र आदि मौजद हैं।

शीष पर मुकुट या किरीट

भगवान रामलला ने उत्तर भारतीय परंपरा के मुताबिक सोने से बना मुकुट पहना है, जिस पर माणिक्य, पन्ना, हीरे जड़े हुए हैं। मुकुट के बीच में भगवान सूर्य विराजमान हैं। मुकुट के दायी तरफ मोतियों की लड़ियां लगी हैं।

कुंडल

रामलला के कानों में खूबसूरत कुंडल धारण किए हैं। इसमें मोर की आकृतियां बनी हैं। सोने से बने भगवान के कुंडलों में हीरे, माणिक्य और पन्ना जड़े गए हैं।

कण्ठा

गले में रत्नों से जड़ा अर्द्धचंद्राकार कंठा पहना हुआ है। इसे मंगल का विधान रचते फूल अर्पित किए गए हैं। इसके बीच में सूर्य की आकृति बनी है। सोने से बने इस कण्ठे में हीरे, माणिक्य और पन्ना जड़ा गया है। इसके नीचे पन्ने की लड़ियां लगाई गई हैं।

ह्रदय पर कौस्तुभ मणि

भगवान ने कौस्तुभ मणि धारण किया है। इसको बड़े माणिक्य और हीरों से सजाया गया है। शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु और उनके अवतार ह्रदय में कौस्तुभ मणि धारण करते हैं, इसीलिए रामलला को भी इसे धारण कराया गया है।[2]

पदिक

रामलला के गले के नीचे नाभिकमल के ऊपर एक हार धारण कराया गया है। देव अलंकरण में इसका खास महत्व है। पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने का ऐसा पंचलड़ा है, जिसके नीचे एक बड़ा सा सुंदर और जड़ाऊ पेंडेंट लगाया गया है।

वैजयंती या विजयमाल

वैजयंती रामलला को पहनाया जाने वाला सोने से बना तीसरा और सबसे लंबा हार है। इसमें जगह-जगह माणिक्य जड़े गए हैं। इसे भगवान को विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है, जिसमें वैष्णव परंपरा के सभी मंगल चिन्ह, सुदर्शन चत्र, पद्यपुष्प, शंख और मंगल कलश बना हुआ है। इसमें पांच तरह के देवों के पसंदीदा फूलों को भी खूबसूरती से सजाया गया है, ये कमल, चंपा, पारिजात, कुंद और तुलसी हैं।

कांची या करधनी

रामलला को कमर में रत्नों से जड़ी करधनी धारण कराई गई है। सोने से बनी करधनी में हीरे, माणिक्य, मोती, पन्ना जड़े गए हैं। पवित्रता के तौर पर इसमें पांच घंटियां भी लगाई गई हैं। इन घंटियों पर पन्ना, मोती, माणिक्य की लड़ियां लगाई गई हैं।

भुजबंद या अंगद

भगवान रामलला को दोनों भुजाओं में सोने और रत्नों से जड़े भुजबंद पहनाए गए हैं।

कंकण, कंगन

रामलला के दोनों हाथों में हीरे, मोती जैसे रत्नों से जड़े खूबसूरत कंगन पहनाए गए हैं।

मुद्रिका

रामलला दाएं और बाएं, दोनों हाथों में मुद्रिकाएं धारण की हुई हैं। इन अंगूठियों में रत्न जड़े हैं और मोती लटक रहे हैं।

छड़ा और पैजनियां

पैरों में छड़ा और पैजनिया पहनाए गए हैं। भगवान के पैरों की सुंदरता बढ़ा रही पायलें सोने की हैं।

धनुष

रामलला के बाएं हाथ में सोने का धनुष पहनाया गया है। इस धनुष को मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियों से सजाया गया है। वहीं हाहिने हाथ मे सोने का बाण भगवान धारण किए हुए हैं।

वनमाला

गले में रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला पहनाई गई है। इसको हस्तशिल्प के लिए समर्पित शिल्पमंजरी संस्था ने बनाया है।

तिलक

भगवान रामलला के मस्तक पर मंगल तिलक पहनाया गया है। इस तिलक में हीरे और माणिक्य जड़े हुए हैं।

चरणों के नीचे कमल

भगवान के चरणों के नीचे कमल शोभायमान है। इसके नीचे एक सोने की माला सजी हुई है।

खिलौने

भव्य राम मंदिर में पांच साल के रामलला विराजे हैं, तो उनके खेलने के लिए चांदी से बने खिलौने रखे गए हैं। खिलौनों में झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौनागाड़ी और लट्टू शामिल है।

छत्र

भगवान रामलला के प्रभा-मंडल के ऊपर सोने का छत्र लगा हुआ है।[2]

और क्या देखें

यदि अयोध्या घूमने की योजना बना रहे हैं तो राम मंदिर के अलावा अयोध्या में और भी कई जगहों पर घूमने की योजना कर सकते हैं। अयोध्या में कम बजट में भी कई स्थानों पर घूमा जा सकता है।[3]

कनक भवन

यह भवन अयोध्या के बेहतरीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि यह भवन भगवान श्रीराम से विवाह के तुरंत बाद महारानी कैकेयी द्वारा सीता को उपहार में दिया गया था। यह देवी सीता और भगवान राम का निजी महल है।

गुलाबबाड़ी

गुलाबबाड़ी शहर के सबसे सुंदर बगीचों में से एक है। एक बड़े भू-भाग में फैले इस स्थल की हरियाली लोगों को सम्मोहित करती है। अवध के तीसरे नवाब शुजा-उद-दौला और उनके परिजनों की यहां समाधि बनी हुई है। यहां शानदार मकबरा है, जो विशाल दीवारों से घिरा हुआ है। 8वीं सदी में इस बगीचे में रंगीन गुलाब की कई किस्में लगाई गई थीं।

बहू बेगम का मकबरा

अयोध्या स्थित बहू-बेगम के मकबरे को 'पूर्वांचल का ताजमहल' कहा जाता है। इसे अवध के तीसरे नवाब शुजाउद्दौला ने कई साल पहले अपनी पत्नी की याद में बनवाया था।

नागेश्वरनाथ मंदिर

ऐसा कहा जाता है कि नागेश्वरनाथ मंदिर को राम के पुत्र कुश ने बनवाया था। माना जाता है जब कुश सरयू नदी में नहा रहे थे तो उनका बाजूबंद खो गया था। बाजूबंद एक नाग कन्या को मिला, जिसे कुश से प्रेम हो गया। वह शिव भक्त थी। कुश ने उसके लिए यह मंदिर बनवाया था।

तुलसी स्मारक भवन

तुलसी स्मारक महान संत कवि गोस्वामी तुलसीदास को समर्पित है। नियमित रूप से यहां प्रार्थना, भक्ति संगीत और धार्मिक प्रवचन आयोजित होते हैं। परिसर में स्थित 'अयोध्या शोध संस्थान' के पास गोस्वामी तुलसीदास पर साहित्यिक रचनाओं का एक बड़ा भंडार है।

हनुमानगढ़ी

अयोध्या का हनुमानगढ़ी काफी प्रसिद्ध है। यहां एक गुफ़ा है जिसको लेकर कहा जाता है कि यहां हनुमान विराजते हैं। यहां जाकर काफी शांति का अहसास होता है।

सरयू घाट

अयोध्या में राम मंदिर दर्शन के बाद सरयू घाट पर जरूर जाना चाहिए। यह सरयू नदी के तट पर मौजूद है। रामनवमी, दीपावली, विजयादशमी जैसे पर्व पर यहां हजारों की संख्या में लोग आते हैं।

मोती महल

यह महल फैजाबाद में एक स्मारक है, जिसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। मोती महल को अक्सर 'पर्ल पैलेस' कहा जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 क्या है अयोध्या के 'राम मंदिर' की मुख्य विशेषताएं (हिंदी) jagranjosh.com। अभिगमन तिथि: 14 फ़रवरी, 2024।
  2. 2.0 2.1 2.2 रामलला ने सिर से पांव तक पहने हैं कौन-कौन से 17 आभूषण? (हिंदी) ndtv.in। अभिगमन तिथि: 14 फ़रवरी, 2024।
  3. अयोध्या में राम मंदिर घूमने के बाद इन जगहों का करें प्लान (हिंदी) zeebiz.com। अभिगमन तिथि: 14 फ़रवरी, 2024।

बाहरी कड़ियाँ

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