"हिन्दी व्याकरण": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) छो (श्रेणी:नया पन्ना; Adding category Category:व्याकरण (Redirect Category:व्याकरण resolved) (को हटा दिया गया हैं।)) |
No edit summary |
||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
{{मुख्य|व्यंजन (व्याकरण)}} | {{मुख्य|व्यंजन (व्याकरण)}} | ||
*स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन कहलाते हैं। | *स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन कहलाते हैं। | ||
== | ==शब्द== | ||
{{मुख्य|शब्द (व्याकरण)}} | {{मुख्य|शब्द (व्याकरण)}} | ||
*वर्ण-समूह या ध्वनि-समूह को 'शब्द' कहते हैं। | *वर्ण-समूह या ध्वनि-समूह को 'शब्द' कहते हैं। | ||
*शब्द दो प्रकार के होते हैं- [[सार्थक शब्द (व्याकरण)|सार्थक]] और [[निरर्थक शब्द (व्याकरण)|निरर्थक]]। | *शब्द दो प्रकार के होते हैं- [[सार्थक शब्द (व्याकरण)|सार्थक]] और [[निरर्थक शब्द (व्याकरण)|निरर्थक]]। | ||
====<u>सार्थक शब्द</u>==== | |||
{{मुख्य|सार्थक शब्द}} | |||
*किसी निश्चित अर्थ का बोध कराने वाले शब्दों को सार्थक शब्द कहा जाता है। | |||
*जैसे- आना, ऊपर, जाना, पाना आदि। | |||
====<u>सार्थक शब्द</u>==== | |||
{{मुख्य|निरर्थक शब्द}} | |||
*किसी निश्चित अर्थ का बोध नहीं कराने वाले शब्दों को निरर्थक शब्द कहा जाता है। | |||
====<u>विकारी शब्द</u>==== | |||
{{मुख्य|विकारी शब्द}} | |||
*वह शब्द जो लिंग, वचन, कारक आदि से विकृत हो जाते हैं विकारी शब्द होते हैं। | |||
*जैसे- मैं→ मुझ→ मुझे→ मेरा, अच्छा→ अच्छे आदि। | |||
====<u>अविकारी शब्द</u>==== | |||
{{मुख्य|अविकारी शब्द}} | |||
*वह शब्द जो लिंग, वचन, कारक आदि से कभी विकृत नहीं होते हैं अविकारी शब्द होते हैं। | |||
*इनको 'अव्यय' भी कहा जाता है। | |||
====<u>संज्ञा</u>==== | |||
{{मुख्य|संज्ञा व्याकरण}} | |||
*यह सार्थक वर्ण-समूह शब्द कहलाता है। | |||
*किंतु जब इसका प्रयोग वाक्य में होता है तो वह व्याकरण के नियमों में बँध जाता है और इसका रूप भी बदल जाता है। | |||
====<u>सर्वनाम</u>==== | |||
{{मुख्य|सर्वनाम}} | |||
*सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द को सर्वनाम कहते है। | |||
*संज्ञा की पुनरुक्ति न करने के लिए सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है। | |||
====<u>विशेषण</u>==== | |||
{{मुख्य|विशेषण}} | |||
*संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द ‘विशेषण’ कहलाते हैं। | |||
====<u>क्रिया</u>==== | |||
{{मुख्य|क्रिया}} | |||
*जिन शब्दों से किसी कार्य या व्यापार के होने या किए जाने का बोध होता है उन्हें क्रिया कहते हैं। | |||
*जैसे- उठना, बैठना, सोना जागना। | |||
====<u>क्रियाविशेषण</u>==== | |||
{{मुख्य|क्रियाविशेषण}} | |||
*जिन अविकारी शब्दों से क्रिया की विशेषता का बोध होता है वे क्रियाविशेषण कहलाते हैं। | |||
====<u>सम्बन्धबोधक</u>==== | |||
{{मुख्य|सम्बन्धबोधक}} | |||
*जो अविकारी शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के पहले या पीछे आकर उसका सम्बन्ध वाक्य के किसी अन्य शब्द से कराते हैं, उन्हें सम्बन्धबोधक कहते हैं। | |||
*जैसे- पूर्वक, और, वास्ते, तुल्य, समान आदि। | |||
====<u>समुच्यबोधक</u>==== | |||
{{मुख्य|समुच्यबोधक}} | |||
*व्याकरण में समुच्यबोधक एक अविकारी शब्द है। | |||
*जो अविकारी शब्द दो शब्दों, दो वाक्यों अथवा दो वाक्यों खण्डों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्यबोधक कहते हैं। | |||
*जैसे- वह यहाँ अवश्य आता, परन्तु बीमार था। | |||
====<u>विस्मयादिबोधक</u>==== | |||
{{मुख्य|विस्मयादिबोधक}} | |||
*जो अविकारी शब्द हर्ष, शोक, आश्चर्य, घृणा, क्रोध, तिरस्कार आदि भावों का बोध कराते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक कहते हैं। | |||
*जैसे- वाह, ओह, हाय आदि। | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
|प्रारम्भिक= | |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 | ||
|माध्यमिक= | |माध्यमिक= | ||
|पूर्णता= | |पूर्णता= |
13:01, 25 दिसम्बर 2010 का अवतरण
जिस विद्या से किसी भाषा के बोलने तथा लिखने के नियमों की व्यवस्थित पद्धति का ज्ञान होता है, उसे 'व्याकरण' कहते हैं।
वर्णमाला
मुख्य लेख : वर्णमाला (व्याकरण)
हिन्दी भाषा में जितने वर्णों का प्रयोग होता है, उन वर्णों के समूह को 'वर्णमाला' कहा जाता है।
हिन्दी वर्णमाला
मुख्य लेख : हिन्दी वर्णमाला (व्याकरण)
- हिन्दी भाषा में जितने वर्ण प्रयुक्त होते हैं, उन वर्णों के समूह को 'हिन्दी-वर्णमाला' कहा जाता है।
स्वर
मुख्य लेख : स्वर (व्याकरण)
- स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण स्वर कहलाते हैं।
व्यंजन
मुख्य लेख : व्यंजन (व्याकरण)
- स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन कहलाते हैं।
शब्द
मुख्य लेख : शब्द (व्याकरण)
सार्थक शब्द
मुख्य लेख : सार्थक शब्द
- किसी निश्चित अर्थ का बोध कराने वाले शब्दों को सार्थक शब्द कहा जाता है।
- जैसे- आना, ऊपर, जाना, पाना आदि।
सार्थक शब्द
मुख्य लेख : निरर्थक शब्द
- किसी निश्चित अर्थ का बोध नहीं कराने वाले शब्दों को निरर्थक शब्द कहा जाता है।
विकारी शब्द
मुख्य लेख : विकारी शब्द
- वह शब्द जो लिंग, वचन, कारक आदि से विकृत हो जाते हैं विकारी शब्द होते हैं।
- जैसे- मैं→ मुझ→ मुझे→ मेरा, अच्छा→ अच्छे आदि।
अविकारी शब्द
मुख्य लेख : अविकारी शब्द
- वह शब्द जो लिंग, वचन, कारक आदि से कभी विकृत नहीं होते हैं अविकारी शब्द होते हैं।
- इनको 'अव्यय' भी कहा जाता है।
संज्ञा
मुख्य लेख : संज्ञा व्याकरण
- यह सार्थक वर्ण-समूह शब्द कहलाता है।
- किंतु जब इसका प्रयोग वाक्य में होता है तो वह व्याकरण के नियमों में बँध जाता है और इसका रूप भी बदल जाता है।
सर्वनाम
मुख्य लेख : सर्वनाम
- सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द को सर्वनाम कहते है।
- संज्ञा की पुनरुक्ति न करने के लिए सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है।
विशेषण
मुख्य लेख : विशेषण
- संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द ‘विशेषण’ कहलाते हैं।
क्रिया
मुख्य लेख : क्रिया
- जिन शब्दों से किसी कार्य या व्यापार के होने या किए जाने का बोध होता है उन्हें क्रिया कहते हैं।
- जैसे- उठना, बैठना, सोना जागना।
क्रियाविशेषण
मुख्य लेख : क्रियाविशेषण
- जिन अविकारी शब्दों से क्रिया की विशेषता का बोध होता है वे क्रियाविशेषण कहलाते हैं।
सम्बन्धबोधक
मुख्य लेख : सम्बन्धबोधक
- जो अविकारी शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के पहले या पीछे आकर उसका सम्बन्ध वाक्य के किसी अन्य शब्द से कराते हैं, उन्हें सम्बन्धबोधक कहते हैं।
- जैसे- पूर्वक, और, वास्ते, तुल्य, समान आदि।
समुच्यबोधक
मुख्य लेख : समुच्यबोधक
- व्याकरण में समुच्यबोधक एक अविकारी शब्द है।
- जो अविकारी शब्द दो शब्दों, दो वाक्यों अथवा दो वाक्यों खण्डों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्यबोधक कहते हैं।
- जैसे- वह यहाँ अवश्य आता, परन्तु बीमार था।
विस्मयादिबोधक
मुख्य लेख : विस्मयादिबोधक
- जो अविकारी शब्द हर्ष, शोक, आश्चर्य, घृणा, क्रोध, तिरस्कार आदि भावों का बोध कराते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक कहते हैं।
- जैसे- वाह, ओह, हाय आदि।
|
|
|
|
|