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*समुच्यबोधक [[सार्थक शब्द (व्याकरण)|सार्थक शब्दों]] के आठ भेदों में एक भेद है।
*समुच्यबोधक [[सार्थक शब्द (व्याकरण)|सार्थक शब्दों]] के आठ भेदों में एक भेद है।
*[[व्याकरण (व्यावहारिक)|व्याकरण]] में समुच्यबोधक एक [[अविकारी शब्द]] है।  
*[[व्याकरण (व्यावहारिक)|व्याकरण]] में समुच्यबोधक एक [[अविकारी शब्द]] है।  
*जो अविकारी [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] दो शब्दों, दो वाक्यों अथवा दो वाक्यों खण्डों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्यबोधक कहते हैं।  
*जो अविकारी [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] दो शब्दों, दो वाक्यों अथवा दो वाक्य खण्डों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्यबोधक कहते हैं।  
*जैसे- और, या, न, पर, किन्तु, परन्तु, वरन्, लेकिन, इसीलिए, अतएव, सो, अत:, क्योंकि, कि, यदि, तो, यद्यपि-तथापि आदि। उदाहरण-
*जैसे- और, या, न, पर, किन्तु, परन्तु, वरन्, लेकिन, इसीलिए, अतएव, सो, अत:, क्योंकि, कि, यदि, तो, यद्यपि-तथापि आदि।  
;<u>उदाहरण</u>
*राम और श्याम [[दिल्ली]] जा रहे हैं।
*राम और श्याम [[दिल्ली]] जा रहे हैं।
*या तो तुम बातें करों या सो जाओ।
*या तो तुम बातें करों या सो जाओ।

08:15, 5 जनवरी 2011 का अवतरण

  • समुच्यबोधक सार्थक शब्दों के आठ भेदों में एक भेद है।
  • व्याकरण में समुच्यबोधक एक अविकारी शब्द है।
  • जो अविकारी शब्द दो शब्दों, दो वाक्यों अथवा दो वाक्य खण्डों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्यबोधक कहते हैं।
  • जैसे- और, या, न, पर, किन्तु, परन्तु, वरन्, लेकिन, इसीलिए, अतएव, सो, अत:, क्योंकि, कि, यदि, तो, यद्यपि-तथापि आदि।
उदाहरण
  • राम और श्याम दिल्ली जा रहे हैं।
  • या तो तुम बातें करों या सो जाओ।
  • वह यहाँ अवश्य आता, परन्तु बीमार था।
  • यदि तुम आओगे, तो मैं भी अवश्य आऊँगा।


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