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08:12, 18 जून 2011 का अवतरण
हैदराबाद
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विवरण | दक्षिण पू्र्वी भारत में स्थित हैदराबाद, आंध्र प्रदेश राज्य की राजधानी है। यह दक्कन के पठार पर मूसा नदी के किनारे स्थित है। इस शहर को विविध संस्कृतियों के केंद्र के रूप में भी जाना जाता है। |
राज्य | आंध्र प्रदेश |
ज़िला | हैदराबाद ज़िला |
निर्माता | मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह |
स्थापना | सन 1591 ई. |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 17.366°, पूर्व- 78.476° |
मार्ग स्थिति | हैदराबाद, बैंगलोर से 574 किलोमीटर दक्षिण में, मुंबई से 750 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में, चेन्नई से 700 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में है। |
प्रसिद्धि | हैदराबादी बिरयानी |
कब जाएँ | मार्च से जून के पहले सप्ताह तक हैदराबाद का मौसम गर्म रहता है। हैदराबाद जाने के लिए अक्टूबर से फ़रवरी के बीच का समय उपयुक्त है। |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज, रेल, बस, टैक्सी |
राजीव गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, बेगमपेट हवाई अड्डा | |
सिंकदराबाद रेलवे स्टेशन, नामपल्ली रेलवे स्टेशन, काचीगुड़ा रेलवे स्टेशन | |
महात्मा गाँधी (इम्लिबन) बस अड्डा | |
टैक्सी, ऑटो-रिक्शा, साइकिल रिक्शा, बस | |
क्या देखें | हैदराबाद पर्यटन |
कहाँ ठहरें | होटल, अतिथि ग्रह, धर्मशाला |
क्या खायें | हैदराबादी बिरयानी, मिर्ची का सालन, भरवा बैंगन, हलीम, कबाब |
क्या ख़रीदें | आभूषण, रंगबिरंगी पेंटिंग, ऊन और बांस से बने डिब्बे, साड़ी, चूड़ियाँ |
एस.टी.डी. कोड | 040 |
ए.टी.एम | लगभग सभी |
गूगल मानचित्र | |
अद्यतन | 17:02, 27 जनवरी 2011 (IST)
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हैदराबाद | हैदराबाद पर्यटन | हैदराबाद ज़िला |
दक्षिण पू्र्वी भारत में स्थित हैदराबाद शहर आंध्र प्रदेश राज्य की राजधानी है। यह दक्कन के पठार पर मूसा नदी के किनारे स्थित है। हैदराबाद गोलकुंडा के क़ुतुबशाही सुल्तानों द्वारा बसाया गया था, जिनके शासन में गोलकुंडा ने वह महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया, जहाँ केवल उत्तर में मुग़ल साम्राज्य ही उससे आगे था। ख़ूबसूरत इमारतों, निज़ामी शानो-शौक़त और लजीज खाने के कारण मशहूर हैदराबाद भारत के मानचित्र पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में अपनी एक अलग अहमियत रखता है। इस शहर को विविध संस्कृतियों के केंद्र के रूप में भी जाना जाता है। निज़ामों के इस शहर में आज भी हिन्दू-मुस्लिम सांप्रदायिक सौहार्द्र से एक-दूसरे के साथ रहकर उनकी खुशियों में शरीक होते हैं।
स्थापना
गोलकुंडा का पुराना क़िला राज्य की राजधानी के लिए अपर्याप्त सिद्ध हुआ और इसलिए लगभग 1591 में क़ुतुबशाही वंश में पाँचवें मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह ने पुराने गोलकुंडा से कुछ मील दूर मूसा नदी के किनारे हैदराबाद नामक नया नगर बनाया।
चार खुली मेहराबों और चार मीनारों वाली भारतीय-अरबी शैली की भव्य वास्तुशिल्पीय रचना चारमीनार, क़ुतुबशाही काल की सर्वोच्च उपलब्धि मानी जाती है। यह वह केंद्र है, जिसके आसपास बनाई गई मक्का मस्जिद 10 हज़ार लोगो को समाहित कर सकती है। हैदराबाद अपने सौंदर्य और समृद्धि के लिए जाना जाता था।
हैदराबाद का नामकरण
हैदराबाद नाम के पीछे कई कहानियाँ प्रचलित हैं। सबसे प्रसिद्ध कहानी है कि हैदराबाद की नींव बसाते समय मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह को एक स्थानीय बंजारा लड़की भागमती से प्रेम हो गया। भागमती से शादी के बाद उसने इस शहर का नाम भाग्यनगरम रखा। तत्कालीन चलन के अनुरूप इस्लाम स्वीकार करने के बाद, भागमती का नाम हैदर महल रखा गया और शहर को भी हैदराबाद नाम मिला।[1]
इतिहास
मुग़लों ने 1685 में हैदराबाद पर विजय प्राप्त कर ली। मुग़ल आधिपत्य के परिणामस्वरूप लूटमार और विध्वंस हुआ और इसके बाद यूरोपीय शक्तियों का भारत के मामलों में हस्तक्षेप आरंभ हुआ। 1724 में दक्कन के मुग़ल सूबेदार आसफ़जाह निज़ाम-उल-मुल्क ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। दक्कन का यह राज्य, जिसकी राजधानी हैदराबाद थी, हैदराबाद कहलाया।
19वीं शताब्दी के दौरान, आसफ़जाहियों ने पुराने शहर के उत्तर में मूसा नदी के पार विस्तार कर पुनः शक्ति एकत्रित करना आरंभ किया। उत्तर की ओर सिकंदराबाद एक ब्रिटिश छावनी के रूप में विकसित हुआ, जो हुसैन सागर झील पर बने एक मील लंबे तटबंध द्वारा हैदराबाद से जुड़ा था। यह बंद एक विहारस्थल का कार्य करता है और नगर का गौरव है। हिन्दू व मुस्लिम शैलियों का सुंदर अम्मिश्रण प्रदर्शित करने वाली कई नई संरचनाएँ बाद में बनाई गईं। निज़ामों के शासन में हिन्दू और मुसलमान भाईचारे से रहते थे, यद्यपि भारत की आज़ादी के तुरंत बाद एक कट्टर मुस्लिम गुट रज़ाकारों ने राज्य और नगर में तनाव पैदा कर दिया था।
हैदराबाद राज्य प्रशासनिक रूप से समाप्त
1 नवंबर, 1956 को हैदराबाद राज्य प्रशासनिक रूप से समाप्त हो गया। इसे (भाषाई आधार पर) आंध्र प्रदेश, जिसने तेलगांना ज़िले लिए, और बंबई (वर्तमान मुंबई) राज्यों में विभाजित कर दिया गया। बरार को पहले ही मध्य प्रदेश में मिला लिया गया था। हैदराबाद के निज़ाम एक ऐसे मुस्लिम वंश का हिस्सा थे, जिन्होंने बहुल आबादी पर शासन किया। यह इस वंश के शासक के लिए गर्व की बात है की उनकी हिन्दू प्रजा ने इन वर्षों में मराठों, मैसूर अथवा यूरोपीय शक्तियों के साथ मिलकर मुस्लिम राजशाही को हटाने का कोई प्रयास नहीं किया।
भारत में विलय
भारत सरकार ने हस्तक्षेप किया और आख़िरकार हैदराबाद को भारत में मिला लिया गया। 1956 में राज्य का विभाजन हुआ, इसमें तेलुगु भाषी इलाक़ों को हैदराबाद के रूप में राजधानी वाले आंध्र प्रदेश राज्य के गठन के लिए भूतपूर्व आंध्र राज्य में मिला लिया गया।
जलवायु
हैदराबाद में वैसे तो वर्ष में किसी भी समय जा सकते हैं, लेकिन हैदराबाद की झुलसती गर्मी से बचना हो तो अप्रैल से मई माह छोड़कर कभी भी हैदराबाद जा सकते हैं। अप्रैल के अंत और मई को छोड़ दें तो हैदराबाद का मौसम पूरे वर्ष बहुत अच्छा रहता है। इस मौसम में हैदराबाद में खूब सर्राटेदार हवा चलती है। इन दिनों हैदराबाद में न तो ज़्यादा गर्मी होती है और न ही ठंड होती है। हैदराबाद में अच्छी वर्षा होती है। वैसे हैदराबाद जाने के लिए अक्टूबर से फ़रवरी के बीच का समय उपयुक्त है। हैदराबाद में बस तीन तरह के ही मौसम हैं - हॉट, हॉटर एंड हॉटेस्ट। जनवरी में भी कभी- कभी पंखे चल जाते हैं, यहाँ गर्मी भयानक वाली पड़ती है लेकिन शाम को मस्त सुहानी, ठंडी हवा चलती है। इस मौसम में शाम को देर तक हुसैन सागर के किनारे खड़ा रहना बहुत अच्छा लगता है।
व्यापार और उद्योग
हैदराबाद व्यापार और वाणिज्य का केंद्र बन गया है। यहाँ सिगरेट व कपड़ा उत्पादन होता है और सेवा उद्योगों का विस्तार किया गया है। हैदराबाद में परिवहन की भी अच्छी सुविधाएँ हैं।
हीरों के व्यापार का विश्व प्रसिद्ध केंद्र
हैदराबाद के निज़ाम का आभूषण संग्रह दमकता हुआ जैकब हीरा, बसरा मोतियों का सतलड़ा हार, कोलंबियाई पन्ने, हीरों के बटन, बहुमूल्य पत्थरों से सजी बेल्ट है, जो उस दौर की झलक बताता है, जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। 16वीं और 17वीं शताब्दी तक हैदराबाद हीरों के व्यापार का विश्व प्रसिद्ध केंद्र बन गया था। ब्रिटिश क्वीन एलीजाबेथ के राजमुकुट में जड़ा विश्व में सर्वाधिक प्रसिद्ध और कीमती कोह-ए-नूर हीरा गोलकुंडा की खदानों से ही निकला है।[1]
यातायात और परिवहन
हैदराबाद पहुँचने के लिए सभी प्रकार की यातायात सुविधाएँ उपलब्ध है। हैदराबाद पर्यटक आसानी से पहुँच सकते हैं। ऐतिहासिक स्थलों अजंता और एलोरा से जुड़े औरंगाबाद के लिए भी साधन उपलब्ध हैं।
- हवाई मार्ग
भारत के प्रमुख नगरों से हैदराबाद वायुमार्ग के द्वारा जुड़ा हुआ है। बेगमपेट हवाई अड्डा अन्तर्देशीय व अन्तर्राष्ट्रीय विमान सेवा देता है। हैदराबाद में स्थित राजीव गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा से दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और बंगलोर के लिए उड़ानें उपलब्ध हैं। राजीव गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा हैदराबाद शहर से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- रेल मार्ग
हैदराबाद रेल मार्ग के द्वारा दिल्ली, आगरा एवं भारत के अन्य प्रमुख नगरों से जुड़ा हुआ है। हैदराबाद से दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और बंगलोर के लिए रेल सेवाएँ उपलब्ध हैं। हैदराबाद में दक्षिण-पश्चिम रेलवे का मुख्यालय सिंकदराबाद में स्थित है। हैदराबाद में तीन रेलवे स्टेशन हैं।
- सिंकदराबाद रेलवे स्टेशन।
- नामपल्ली रेलवे स्टेशन।
- काचीगुड़ा रेलवे स्टेशन।
- सड़क मार्ग
भारत के सभी प्रमुख नगरों से हैदराबाद के लिए नियमित बसें उपलब्ध हैं। हैदराबाद का मुख्य बस अड्डा महात्मा गाँधी बस अड्डा है। महात्मा गाँधी बस अड्डे को इम्लिबन बस अड्डा भी कहा जाता है। ज़्यादातर लोग बस अड्डे को इम्लिबन के नाम से ही जानते हैं। यह बस अड्डा 35 एकड़ में फैला हुआ है, और यह बस अड्डा एशिया का पाँचवा सबसे बड़ा बस अड्डा है। इस बस अड्डे में कुल 72 प्लेटफोर्म हैं। इम्लिबन बस अड्डे पर सफाई, व्यवस्था, दुकानें, सब सही तरीके से व्यवस्थित हैं।
- स्थानीय साधन
हैदराबाद में टैक्सियाँ, ऑटो-रिक्शा, साइकिल रिक्शा, निजी वाहन और बस व रेल सेवाएँ स्थानीय परिवहन उपलब्ध कराती हैं।
शिक्षण संस्थान
आरंभ में हैदराबाद में मद्रास विश्वविद्यालय से संबद्ध दो महाविद्यालय थे। लेकिन 1918 में निज़ाम ने उस्मानिया विश्वाविद्यालय की स्थापना की और अब यह भारत के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक है। हैदराबाद विश्वविद्यालयों की स्थापना 1974 में हुई। एक कृषि विश्वविद्यालय और कई ग़ैर सरकारी संस्थान, जैसे अमेरिकन स्टडीज़ रिसर्च सेंटर और जर्मन इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओरिएंटल रिसर्च भी हैं।
हैदराबाद में सार्वजनिक व निजी सांस्कृतिक संगठन बड़ी संख्या में हैं, जैसे राज्य द्वारा सहायता प्राप्त नाट्य, साहित्य व ललित कला अकादमियाँ। सार्वजनिक सभागृह रबींद्र भारती नृत्य व संगीत महोत्सवों के लिए मंच प्रदान करता है और सालारजंग संग्रहालय में दुर्लभ वस्तुओं का संगृह है, जिनमें संगेयशब, आभूषण, चित्र और फ़र्नीचर शामिल हैं।
क्षेत्रीय केन्द्र
हैदराबाद क्षेत्रीय केन्द्र की स्थापना जनवरी, 1987 में की गई थी। दो उत्तरी तटीय ज़िले श्रीकाकुलम और विजयनगरम को छोड़कर यह क्षेत्रीय केन्द्र पूरे आंध्र प्रदेश को समाहित करता है। इस क्षेत्रीय केन्द्र का औपचारिक उद्घाटन इग्नू के संस्थापक वी. सी प्रोफ़ेसर जी. रामा रेड्डी द्वारा 2 फ़रवरी, 1987 को किया गया था। कुछ ही वर्षों में इसने 60 अध्ययन केन्द्रों की स्थापना की और 120 से ज़्यादा कार्यक्रम अध्ययन केन्द्रों में उपलब्ध कराने लगा।[2]
हिन्दी संस्थान
हैदराबाद केंद्र की स्थापना वर्ष 1976 में हुई। शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अंतर्गत यह केंद्र स्कूलों/कॉलेजों एवं स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाओं के हिन्दी अध्यापकों के लिए 1 से 4 सप्ताह के लघु अवधीय नवीकरण कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिसमें हिन्दी अध्यापकों को हिन्दी के वर्तमान परिवेश के अंतर्गत भाषाशिक्षण की आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराया जाता है। वर्तमान में हैदराबाद केंद्र का कार्यक्षेत्र आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गोवा, महाराष्ट्र एवं केंद्र शासित प्रदेश पांडिचेरी एवं अण्डमान निकोबार द्वीप समूह हैं। हैदराबाद केंद्र पर हिन्दी शिक्षण पारंगत पाठ्यक्रम भी संचालित किया जाता है।
सार्वजनिक उद्यान
सार्वजनिक उद्यान प्रमुख मनोरंजन सुविधाएँ उपलब्ध कराते हैं। विभिन्न पार्कों और सिकंदराबाद में बड़े परेड मैदानों में खेल व मनोरंजन की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। चिड़ियाघर व विश्वविद्यालय का वानस्पतिक उद्यान लोकप्रिय आमोद स्थल है। हैदराबाद फुटबॉल और क्रिकेट के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ एक रेसकोर्स भी है।
हैदराबाद का विकास
हैदराबाद के लोग अपने शहर को मेट्रो कहलाना पसन्द नहीं करते, वह लोग इसको कॉस्मोपोलिटन शहर कहते हैं और हैदराबाद में जिस रफ़्तार से विकास हो रहा है उसे देखकर उन लोगों का यह गर्व जायज भी लगता है। कुछ साल पहले गाचीबोली इलाका कुछ ख़ास विकसित नहीं था पर अब यहाँ 30-30 मंजिला इमारतें शान से सिर उठाए खड़ी हैं। ग्रेटर हैदराबाद म्युन्सिपल कॉर्पोरेशन शहर को साफ-सुथरा रखने के लिए बहुत जोर लगा रही है। हैदराबाद के कुछ इलाकों माधापुर, गाचीबोली, बंजारा हिल्स में ग्रेटर हैदराबाद म्युन्सिपल कॉर्पोरेशन का और वहाँ के रहवासियों का प्रयास तारीफ के काबिल है पर फिर भी बहुत से अंदरूनी इलाकों का कायाकल्प होना हैदराबाद में अभी भी बाकी है।[1]
संस्कृति
हैदराबाद उत्तर एवं दक्षिण की संस्कृतियों का संगम है। इस शहर में पहुँच कर ऐसा लगता है हम नवाबी परम्परा के मूल स्वरूप को सचित्र रूप में देख रहे हों। किसी समय में इस ख़ूबसूरत शहर को क़ुतुबशाही परम्परा के पाँचवें शासक मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह ने अपनी प्रेमिका भागमती को उपहार स्वरूप भेंट किया था, उस समय यह शहर भागनगर के नाम से जाना जाता था। भागनगर समय के साथ हैदराबाद के नाम से प्रसिद्ध हुआ। किसी समय नवाबी परम्परा के इस शहर में शाही हवेलियाँ और निज़ामों की संस्कृति के बीच हीरे जवाहरात का रंग उभर कर सामने आया तो कभी स्वादिष्ट नवाबी भोजन का स्वाद। इस शहर के ऐतिहासिक गोलकुंडा दुर्ग की प्रसिद्धि पार-द्वार तक पहुँची और इसे उत्तर भारत और दक्षिणांचल के बीच संवाद का अवसर सालाजार संग्रहालय तथा चारमीनार ने प्रदान किया है।
समाहित संस्कृतियाँ
हैदराबाद की एक अपनी ही संस्कृति है जिसमें अनेक संस्कृतियाँ समाहित हैं। हैदराबाद में बाज़ारों के बीच चलते रिक्शों में बैठकर ग़रीबी को समीप से देखा जा सकता है तो बड़े होटलों एवं रेस्तराओं में बैठकर अमीरी की शाम को भी देख सकते हैं। इस शहर को बुलंदियों को छूती शायरी और गूढ़तम गहराइयों में जीती कविताएँ नई पहचान देती हैं।
इस शहर के सांस्कृतिक आयोजन मनुष्य की जीवंतता का परिचय देते हैं। हिन्दी की पहली साहित्यिक पत्रिका 'कल्पना' हैदराबाद से ही प्रकाशित हुआ करती थी जिसने हिन्दी साहित्य को अनेक प्रतिभाओं से अवगत कराया था। हैदराबाद के रवीन्द्र भारती सभागार में प्राय: सांस्कृतिक आयोजन होते रहते हैं जो पुरातन और नवीन के समन्वय के रूप में बहुचर्चित हैं।[3]
भाषा
हैदराबाद में भाषा की बिल्कुल समस्या नहीं है। हैदराबाद में हिन्दी सब लोग जानते और समझते हैं। हैदराबाद की मुख्य भाषाएँ तेलुगु, हिन्दी, उर्दू व दक्कनी हैं।
लोक संस्कृति
हर प्रदेश की अपनी लोक संस्कृति और लोक संगीत होता हैं। हैदराबाद की लोक संस्कृति में दक्खिनी जुबान की मिठास है। यह जुबान (भाषा) पूरी तरह से न तो उर्दू है और न ही हिन्दी है, यह अलग ही एक शब्दावली है जिसे आज के समय में हैदराबादी भाषा के नाम से जाना जाता है।
लोक संगीत
हैदराबाद का लोक संगीत हैदराबादी भाषा यानि कि दक्खिनी जुबान में है जिस लोक संगीत में ढोलक के गीत हैं। ढोलक के गीतों के बारे में भी अन्य लोक गीतों की तरह यह कहा जाता है कि ये गीत किसने लिखे, कब लिखे, कोई नहीं जानता। हैदराबाद की तहज़ीब का सालों से ये गीत एक हिस्सा हैं। शहर में पहले होने वाली शादियों में ये गीत गाए जाते थे पर अब तो शहर में ये गीत शायद ही कही सुनाई देते हैं, इसका कारण यह है कि नई पीढ़ी की लड़कियों ने इन गीतों को सीखा ही नहीं है। इन गीतों को केवल महिलाएँ ही गाती हैं। आमतौर पर लोक गीतों में सभी तरह के गीत शामिल होते है जैसे त्योहारों, बेटे का जन्म आदि मौकों पर गाए जाने वाले गीत हैं।
- आकाशवाणी
इन लोक गीतों को शहर में जन-जन तक पहुँचाने में आकाशवाणी के हैदराबाद केंद्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। इन गीतों ने पचास के दशक से लगभग अस्सी के दशक तक आकाशवाणी के हैदराबाद केन्द्र से धूम मचाई है। एक ख़ास बात ये है कि हैदराबाद केंद्र के कलाकार केवल दो ही रहे- एक श्रीमती अर्जुमन नज़ीर और दूसरी श्रीमती कनीज़ फ़ातिमा। दोनों का अपना-अपना समूह था। उर्दू कार्यक्रमों में रात साढ़े नौ बजे से प्रसारित होने वाले नयरंग कार्यक्रम और दोपहर में प्रसारित होने वाले महिलाओं के कार्यक्रम में लोक गीत सप्ताह में एक बार जरूर सुनवाये जाते थे। ये गीत रात में लगभग 10 बजे प्रसारित होते थे और लगभग सुनसान सड़कों, गलियों और घरों की खिड़कियों से ये गीत गूँजा करते थे।
इन गीतों का प्रसारण अस्सी के दशक तक आते-आते कम होने लगा था और अब यह गीत शायद ही कभी सुनवाए जाते हैं। इन गीतों को नई पीढ़ी शायद ही जानती है। कई राज्यों में आजकल ऐसा लगता है कि लोक संगीत का दौर लौट आया है लेकिन हैदराबाद में ढोलक के गीतों की दुबारा शुरूआत अब भी नहीं हो पाई है।
- बाज़ार
अस्सी के दशक की एक फ़िल्म बाज़ार लोकप्रिय कलात्मक फ़िल्म है। इस लोकप्रिय कलात्मक फ़िल्म में स्मिता पाटिल, नसीरूद्दीन शाह, फ़ारुख़ शेख, सुप्रिया पाठक ने काम किया है। सागर सरहदी की यह फ़िल्म हैदराबादी जन-जीवन पर आधारित है। इसमे एक ढोलक का गीत रखा गया था जिसे पैमिला चोपड़ा ने गाया था। हालांकि इस गीत में देसीपन कम है क्योंकि आर्केस्ट्रा का प्रयोग किया गया है। वैसे इस फ़िल्म के अन्य गीतों की तुलना में यह गीत कम पसंद किया गया। यह माना जाता है कि कुछ गीत ऐसे भी है जिन्हें बाद में लिखा गया है जिसमे होली के गीत और बचपन के कुछ खेलों के गीत शामिल हैं।
संस्कृतियों का अद्भुत संगम
हैदराबाद में हिन्दू व मुस्लिम संस्कृतियों का अद्भुत संगम चारमीनार के आसपास के मशहूर बाज़ार पथरगट्टी व लाड बाज़ार में देख सकते हैं। इस स्थान पर देशी-विदेशी महिलाएँ मोती के गहने और लाख की चूड़ियाँ ख़रीदती दिखेंगी। हैदराबाद के कई परिवार कई पीढ़ियों से मोती के व्यापार से जुड़े हुए हैं। मोतियों को धागे में पिरोने के काम में हैदराबाद जैसी निपुणता कहीं नहीं मिलती है। क़ुतुबशाही मक़बरे भी इस शहर की सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक इमारतों में हैं। यह दुनिया का अकेला ऐसा मक़बरा है जहाँ पूरा क़ुतुबशाह वंश एक स्थान पर दफ़नाया गया है। हैदराबाद के मंदिर भी दर्शनीय हैं। इन मंदिरों में संगमरमर से बना बिड़ला मंदिर प्रसिद्ध है। इस मंदिर की ऊँचाई से हैदराबाद की सुंदर झलक दिखाई देती है।[4]
ख़ज़ाना
हैदराबाद स्थापत्य कलाओं का ख़ज़ाना है। विश्व के बड़े खजानों में निज़ामों के खजानों की अपनी एक अलग पहचान है। इन खजानों का एक बड़ा नाम जवाहरात है। गोलकुंडा की खानों से निकले नायाब हीरे, पुखराज, पन्ने, मणियाँ, मोती सभी हैदराबाद में हैं। हैदराबाद में निज़ामों के खजानों की धूम हमेशा मची रही है।
खानपान
हैदराबाद की बिरयानी बहुत प्रसिद्ध है। हैदराबादी बिरयानी को हैदराबाद का पर्यायवाची माना जाता है। बिरयानी के अलावा हैदराबाद का हलीम, दम का मुर्ग, मिर्ची का सालन, भरवा बैंगन और पाथर का गोश्त भी लोगों को पसंद आता है। हैदराबाद के लगभग प्रत्येक भोजनालय में बिरयानी मिलती है। असली हैदराबादी खाने के लिए हैदराबाद की ओर रुख किया जा सकता है। हवाई अड्डे के पास एस.पी. रोड पर, मसब टैंक और रोड नं. 3 बंजारा हिल्स समेत इनकी शाखाएँ पूरे शहर में फैली हुई हैं। सिकंदराबाद का पैराडाइज बिरयानी और कबाब के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इस जगह पर बैठकर खाने की व्यवस्था नहीं है। यहाँ पर खाना पैक किया जाता है। हैदराबाद में शाकाहारी भोजनालय भी बहुत है।[1]
बिरयानी
हैदराबाद में बिरयानी चार प्रकार की बनती है-
- मटन बिरयानी
- चिकन बिरयानी
- अंडा बिरयानी
- सब्ज़ियों की बिरयानी- सब्ज़ियों की बिरयानी शाकाहारियों के लिए है। इसको पकाने का तरीका अन्य बिरयानी को पकाने की तरह ही है।
- बिरयानी की शुरूआत
दक्षिण भारतीय मसालों में पकी हैदराबादी बिरयानी की शुरूआत की कहानी भी बहुत दिलचस्प है कहा जाता है निज़ामों के जमाने में जब फ़ौज लडाई या किसी अभियान पर कूच करती थी तो एक साथ हज़ारों फ़ौज़ियों का खाना बनाने के लिए रसोइयों की फ़ौज भी उनके साथ रखनी पड़ती थी। बरतन-खाद्य सामग्री इत्यादी भी लाव-लश्कर के साथ ही चलती थीं। लड़ाई के समय फ़ौज का कुछ हिस्सा तो रसोईयों और खाने के सामान की हिफ़ाजत में ही रखना पड़ता था।
एक बार दुश्मन फ़ौज ने निज़ामी फ़ौज पर जबरदस्त धावा बोल दिया, अचानक हुए इस हमले से घबराए फ़ौज़ियों ने रसोइयों को जान बचाने के लिए जंगल में भाग जाने को कहा, जल्दबाजी में रसोइयों ने सारी खाद्य सामग्री चूल्हे पर चढ़े बरतन में डाल दी और भाग गए। निज़ामी फ़ौज द्वारा शाम तक दुश्मन को मार भगाने के बाद जब रसोइयों ने वापस आ कर देखा तो बरतन में डाली गई सारी सामग्री में से भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी, थके-हारे फ़ौज़ियों को रसोइयों ने वही चावल परोसे और उन्हें यह व्यंजन बहुत लज़ीज़ लगा और इसकी खबर निज़ाम तक भी गई। जब निज़ाम नें इसे खाया तो उसे इतना पसन्द आया की उसने तुरंत हुक्म दिया की आज से यह शाही बिरयानी फ़ौज़ियों के लिए पकायी जाएगी जिससे बहुत से बरतनों और ढेर सारे खानसामों की ज़रूरत नहीं पड़े और इस व्यंजन को पूरे हैदराबाद में सामुहिक दस्तरखानों में परोसा जाए। इस के बाद तो हैदराबादी बिरयानी की खुशबू और स्वाद पूरी दुनिया में फैल गया।
- हलीम
'हलीम' रमज़ान के दिनों में मिलने वाला का एक व्यंजन है, जो हैदराबाद में पेराडाइज में मिलता है, हैदराबाद का एक ऐसा व्यंजन है जो एक बार खाने के बाद आपको हैदराबाद में बार-बार आने के लिए मज़बूर कर देगा।
- दक्षिण भारतीय भोजन
हैदराबाद में दक्षिण भारत में मिलने वाले परम्परागत भोजन भी कई जगह पर मिल जाएंगे। हैदराबाद में दक्षिण भारतीय थाली भी कई जगह पर मिलती है जिसमें परोसे गए व्यंजन दक्षिण भारत के व्यंजनों का स्वाद चखवा सकते हैं।
पेराडाइज सर्कल से पार्कलेन की तरफ जाते ही होटल कामथ (दक्षिण में त को अक्सर थ पढा जाता है जैसे ललिता को ललिथा) में आपको शुद्ध शाकाहारी दक्षिण भारतीय व्यंजन जैसे- इडली-डोसा, उत्तपम, साभर बड़ा इत्यादी मिल जाएंगे। इसके अलावा सैकड़ों टिफिन सेंटरों में आपको यह सारे व्यंजन उचित दरों पर मिलतें है।
- मुगलई व्यंजन
निज़ामों के शहर हैदराबाद में अन्य मुगलई व्यंजन भी हैं। हैदराबाद में हांडी का गोश्त भी मिट्टी की हांडी में रखकर बहुत धीमी आँच पर पकाया जाता है। काली मिर्च का मुर्ग भी लोकप्रिय व्यंजनों में से एक है। जिस प्रकार हैदराबादी बिरयानी 5-6 किस्म की बनाई जाती है, उसी तरह हैदराबाद के लजीज कबाबों का भी कोई जवाब नहीं है। जाली के कबाब, सीक व शामी कबाबों का ज़ायक़ा लेने के लिए दूर-दूर से लोग यहाँ आते हैं और बिरयानी के साथ इन उम्दा कबाबों का पूरा लुत्फ उठाते हैं। मुगलई व्यंजनों के लिए मशहूर हैदराबाद में कई ऐसे नामी बावर्ची हैं जिनकी पुरानी पीढ़ियों ने निज़ामों की रसोइयों में काम किया है।
हैदराबाद में गोश्त के साथ रुमाली या तंदूरी रोटी खाना आम है, पर खमीरी शीरमल के साथ गोश्त का मजा बिलकुल अलग होता है। मुगलई व्यंजनों की सूची में खुशबूदार मसालों में बना भराग भी शामिल है।
आंध्र प्रदेश के तेज़ मिर्च व खट्टे स्वाद वाले व्यंजन अकसर अन्य प्रदेश के लोगों को उँगुली चाटने पर मज़बूर कर देते हैं। यहाँ तेज़ लाल मिर्च, नारियल व इमली का प्रयोग खूब किया जाता है। पुलीहारा यहाँ का ख़ास व्यंजन है। जिसमें चावल, राई का छौंक, इमली व हरी मिर्च डाली जाती है।[4]
- शाकाहारी
हैदराबाद में शाकाहारी लोगों के लिए भी कई तरह के स्वाद हैं जिनमें इडली, डोसा, सांबर व नारियल की चटनी के साथ-साथ चूरन के करेले व बघारे बैंगन विशेष हैं। तिल व पिसी मूँगफली की ग्रेवी में बने चटपटे बघारे बैंगन सिर्फ़ आंध्र प्रदेश की खासियत हैं जिनमें छोटे-छोटे गोलाकार बैंगनों का प्रयोग किया जाता है। भोजन में भुने और तले पापड़ व विभिन्न प्रकार की चटनियों के स्वाद से हैदराबादी खाने का मजा दुगना हो जाता है।
- मिठाई
हैदराबाद में भी अन्य जगहों की तरह भोजन का अंत मीठा खाकर ही होता है। हैदराबाद में मिठाई में सेवई, खीर या खुबानी ख़ास हैं।
- नफ़ासतें
हैदराबाद ईरानी चाय के लिए भी जाना जाता है। हैदराबाद में मुस्लिम बहुल होने की वज़ह से ईरानी दस्तरख़ान की भी कई नफ़ासतें मिलती हैं, जिसमें ईरानी चाय, गाढे दूध में थोड़ा नमकीन स्वाद वाली चाय और बिस्किट, सब्ज़ियों के समोसे मिलते हैं। सिकंदराबाद में कई ऐसी दुकानें हैं जहाँ रोजाना हज़ारों कप चाय बेची जाती है। हैदराबाद के कई लोगो की सुबह की शुरूआत सब्ज़ियों के समोसे के नाश्ते से होती है।
- फ्रूट बिस्किट
हैदराबाद में कराची बेकरी के फ्रूट बिस्किट्स तो खाडी देशो में निर्यात किए जाते हैं।
- बेकरी के व्यंजन
सिकन्दराबाद के कारख़ाना क्षेत्र में वेक्स पेस्ट्रीज में आपको दुनिया भर की पेस्ट्रीज, गटाऊ, केक्स और पुडिंग चखने को मिल जाएँगे। यहाँ एक ही छ्त के नीचे देशी-विदेशी और फ्युजन अमूमन सभी प्रकार की मीठे और नमकीन बेकरी के व्यंजन यहाँ हैं।
पब
हैदराबाद में रात की ज़िंदगी जीने वालों लिए भी बहुत कुछ है। हैदराबाद में होटल असरानी से लेकर होटल बंजारा में कई पब खुल गए हैं, होटल ग्रीन पार्क के डिस्कोथेक पिरामिड्स मध्यम वर्ग के युवाओं की पसंदीदा जगह है तो दुर्गम चेवरू (सीक्रेट लेक) का अलोहा पब हाईटेक सिटी में काम करने वाले युवाओं की मनपसन्द जगह है। हैदराबाद में गाचीबोली, माधापुर से लेकर बेगमपेट और कुक्कटपल्ली तक सभी जगह और बहुत से भोजनालय रात भर खुले रहते हैं।[1] होटल ग्रीन पार्क की मिडनाईट बिरयानी तो रात में 11.00 बजे से मिलती है, हैदराबाद एक ऐसा शहर है जहाँ हर किसी के लिए ख़ास इंतजाम है।
ख़रीददारी
पर्यटकों को हैदराबाद के बाज़ारों में विभिन्न प्रकार की ऐसी चीजें मिल जाएंगी जो वह अपने साथ ले जाना चाहेंगे। हैदराबाद के लाड बाज़ार में रंग-बिरंगी काँच की चूड़ियाँ मिलती हैं। हैदराबाद शहर में चारमीनार के आसपास की दुकानों में विभिन्न प्रकार के मोती मिलते हैं। चारमीनार के आसपास की इन्हीं दुकानों से पता चलता है हैदराबाद को मोतियों का शहर क्यों कहा जाता है। हैदराबाद में कुछ समय से जापान और चीन से लाए गए मोती भी बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं। कपड़ों की कशीदाकारी के लिए भी आंध्र प्रदेश बहुत प्रसिद्ध है। हैदराबाद में इसकी झलक दिखाई देती है। हैदराबाद में गोडवाल, पोचमपल्ली और नारायणपेट्ट कपड़ों पर कलाकारी की प्रमुख शैलियाँ हैं। कुछ ऐसे शिल्पकार हैदराबाद में अभी भी हैं जो इस प्राचीन कला को जिंदा रखे हुए हैं। हैदराबाद से रंगबिरंगी पेंटिंग, ऊन और बांस से बने डिब्बे भी ख़रीदे जा सकते हैं।
खेल
क्रम | नाम | पद |
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1 | अब्बास अली बेग | पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी |
2 | सी. के. नायडू | पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी |
3 | अबिद अली | पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी |
4 | अबू टायेब याह्या मोहम्मद | जूनियर टेबल टेनिस खिलाड़ी |
5 | अर्शद अकी | पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी |
6 | गगन नारंग | विश्व स्तर के निशानेबाज |
7 | गुलाम अहमद | पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान |
8 | मीर कासिम अली | पूर्व भारतीय टेबल टेनिस चैंपियन |
9 | मिताली राज | भारतीय महिला क्रिकेट टीम की वर्तमान कप्तान |
10 | मोहम्मद अजहरुद्दीन | पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान |
11 | नंदानूरी मुकेश कुमार | ओलंपियन और पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी |
12 | पुलेला गोपीचंद | बैडमिंटन खिलाड़ी[5] |
13 | पी कृष्णा मूर्ति | पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी |
14 | सायना नेहवाल | बैडमिंटन खिलाड़ी |
15 | सानिया मिर्जा | टेनिस खिलाड़ी |
16 | शिव लाल यादव | पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी और क्रिकेट टीम के चयनकर्ता |
17 | सैयद मोहम्मद हादी | ओलंपिक टेनिस खिलाड़ी |
18 | वी. वी. एस. लक्ष्मण | भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी |
19 | वेंकटपति राजू | पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी और वर्तमान भारतीय क्रिकेट टीम के चयनकर्ता |
20 | कोनेरू हम्पी | अंतर्राष्ट्रीय शतरंज खिलाड़ी |
जनसंख्या
2001 की जनगणना के अनुसार हैदराबाद क्षेत्र की जनसंख्या 34,49,878 है, ज़िले की कुल जनसंख्या 36,86,460 है।
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वीथिका
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गोलकुंडा क़िला, हैदराबाद
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क़ुतुब शाही मक़बरा, हैदराबाद
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चारमीनार, हैदराबाद
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बुद्ध, हैदराबाद
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गोलकुंडा क़िला, हैदराबाद
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चौमहला महल, हैदराबाद
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चारमीनार, हैदराबाद
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गोलकुंडा क़िला, हैदराबाद
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4
हैदराबाद (हिन्दी) यात्रा सलाह डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 23 जनवरी, 2011। सन्दर्भ त्रुटि:
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अमान्य टैग है; "हैदराबाद" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है - ↑ हैदराबाद क्षेत्रीय केन्द्र (हिन्दी) इग्नू। अभिगमन तिथि: 23 जनवरी, 2011।
- ↑ संस्कृतियों का संगम हैदराबाद (हिन्दी) देशबन्धु। अभिगमन तिथि: 23 जनवरी, 2011।
- ↑ 4.0 4.1 इतिहास का एक पन्ना हैदराबाद (हिन्दी) जागरण यात्रा। अभिगमन तिथि: 25 जनवरी, 2011।
- ↑ (ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैम्पियनशिप के विजेता - 2001)
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