"अलर्क": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{{पुनरीक्षण}} *अलर्क मदालसा और राजा ऋतुध्वज के सबसे छो...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}
{{पुनरीक्षण}}
*अलर्क मदालसा और राजा ऋतुध्वज के सबसे छोटे पुत्र थे।  
#अलर्क मदालसा और राजा ऋतुध्वज के सबसे छोटे पुत्र थे। अलर्क को उनकी [[माता]] ने राजधर्म की शिक्षा दी थी जबकि अन्य पुत्रों को निवृत्तिधर्म की शिक्षा दी गयी थी।  
*अलर्क को उनकी [[माता]] ने राजधर्म की शिक्षा दी थी जबकि अन्य पुत्रों को निवृत्तिधर्म की शिक्षा दी गयी थी।  
#अलर्क प्राचीनकाल के एक राजा का नाम था जिसने एक [[ब्राह्मण]] के माँगने पर अपनी आँखें निकालकर उसे दे दी थीं। पूर्वकाल में अकर्क ए अतिरिक्त और किसी ने भी 66000 वर्षों तक युवावस्था में रहकर पृथ्वी का भोग नहीं किया।<ref>[[विष्णु पुराण]] 4.8.16.18</ref>
 
#अलर्क [[दत्तात्रेय]] के एक शिष्य थे जो [[विष्णु]] की माया का रहस्य जानते थे।<ref>[[भागवत पुराण]] 1.3.11; 2.7.44</ref>
#अलर्क द्युतमत के एक पुत्र तथा सन्नति के पिता का नाम था जिसने 66000 वर्षों तक राज्य किया। [[ब्रह्माण्ड पुराण|ब्रह्माण्डपुराणानुसार]] अलर्क वत्स का, [[विष्णु पुराण|विष्णु पुराणानुसार]] प्रतर्द्धन का पुत्र था। यह [[काशी]] का राजर्षि था जिसने [[लोपामुद्रा]] की कृपा से दीर्घजीवन पाया था। क्षेमक राक्षस को मार इसने काशी में अपनी सुन्दर राजधानी बसायी थी।<ref> ब्रह्माण्ड पुराण 3.6.7.69; [[विष्णु पुराण]] 4.8.16-18; [[भागवत पुराण]] 9.17.6-8</ref>
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
पंक्ति 10: पंक्ति 11:


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{पौराणिक चरित्र}}
[[Category:पौराणिक कोश]]
[[Category:पौराणिक चरित्र]]
[[Category:चरित कोश]]
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:नया पन्ना]]
__INDEX__
__INDEX__

10:45, 6 जुलाई 2011 का अवतरण

इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
  1. अलर्क मदालसा और राजा ऋतुध्वज के सबसे छोटे पुत्र थे। अलर्क को उनकी माता ने राजधर्म की शिक्षा दी थी जबकि अन्य पुत्रों को निवृत्तिधर्म की शिक्षा दी गयी थी।
  2. अलर्क प्राचीनकाल के एक राजा का नाम था जिसने एक ब्राह्मण के माँगने पर अपनी आँखें निकालकर उसे दे दी थीं। पूर्वकाल में अकर्क ए अतिरिक्त और किसी ने भी 66000 वर्षों तक युवावस्था में रहकर पृथ्वी का भोग नहीं किया।[1]
  3. अलर्क दत्तात्रेय के एक शिष्य थे जो विष्णु की माया का रहस्य जानते थे।[2]
  4. अलर्क द्युतमत के एक पुत्र तथा सन्नति के पिता का नाम था जिसने 66000 वर्षों तक राज्य किया। ब्रह्माण्डपुराणानुसार अलर्क वत्स का, विष्णु पुराणानुसार प्रतर्द्धन का पुत्र था। यह काशी का राजर्षि था जिसने लोपामुद्रा की कृपा से दीर्घजीवन पाया था। क्षेमक राक्षस को मार इसने काशी में अपनी सुन्दर राजधानी बसायी थी।[3]
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विष्णु पुराण 4.8.16.18
  2. भागवत पुराण 1.3.11; 2.7.44
  3. ब्रह्माण्ड पुराण 3.6.7.69; विष्णु पुराण 4.8.16-18; भागवत पुराण 9.17.6-8

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख