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एक सलोना झोंका
एक सलोना झोंका
भीनी-सी खुशबू का,
भीनी-सी खुशबू का,
रोज़ मेरी नींदों को दस्तक दे जाता है।एक स्वप्न-इंद्रधनुष
रोज़ मेरी नींदों को दस्तक दे जाता है।
एक स्वप्न-इंद्रधनुष
धरती से उठता है,
धरती से उठता है,
आसमान को समेट बाहों में लाता है
आसमान को समेट बाहों में लाता है
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तान छेड़
तान छेड़
गाता है।
गाता है।
इंद्रधनुष रोज़ मेरे सपनों में आता है। पारे जैसे मन का
इंद्रधनुष रोज़ मेरे सपनों में आता है।  
पारे जैसे मन का
कैसा प्रलोभन है
कैसा प्रलोभन है
आतुर है इन्द्रधनुष बाहों में भरने को।
आतुर है इन्द्रधनुष बाहों में भरने को।
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सच तो यह है कि
सच तो यह है कि
हमें चाहिये दोनों ही
हमें चाहिये दोनों ही
टुकड़ा भी,पूरा भी।
टुकड़ा भी, पूरा भी।
पूरा भी ,अधूरा भी।
पूरा भी, अधूरा भी।
एक को पाकर भी दूसरे की बेचैनी
एक को पाकर भी दूसरे की बेचैनी
दोनों की चाहत में  
दोनों की चाहत में  
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वह क्योंकर आता है?
वह क्योंकर आता है?
रोज मेरे सपनों में आकर  
रोज मेरे सपनों में आकर  
क्यों गाता है?
क्यों गाता है?
आज रात  
आज रात....


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==संबंधित लेख==
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12:34, 23 अगस्त 2011 का अवतरण

इंद्रधनुष -कन्हैयालाल नंदन
कन्हैयालाल नंदन
कन्हैयालाल नंदन
कवि कन्हैयालाल नंदन
जन्म 1 जुलाई, 1933
जन्म स्थान फतेहपुर ज़िले के परसदेपुर गांव, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 25 सितंबर, 2010
मृत्यु स्थान दिल्ली
मुख्य रचनाएँ लुकुआ का शाहनामा, घाट-घाट का पानी, आग के रंग आदि।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कन्हैयालाल नंदन की रचनाएँ

एक सलोना झोंका
भीनी-सी खुशबू का,
रोज़ मेरी नींदों को दस्तक दे जाता है।
एक स्वप्न-इंद्रधनुष
धरती से उठता है,
आसमान को समेट बाहों में लाता है
फिर पूरा आसमान बन जाता है चादर
इंद्रधनुष धरती का वक्ष सहलाता है
रंगों की खेती से झोली भर जाता है
इंद्रधनुष
रोज रात
सांसों के सरगम पर
तान छेड़
गाता है।
इंद्रधनुष रोज़ मेरे सपनों में आता है।
पारे जैसे मन का
कैसा प्रलोभन है
आतुर है इन्द्रधनुष बाहों में भरने को।
आक्षितिज दोनों हाथ बढ़ाता है,
एक टुकड़ा इन्द्रधनुष बाहों में आता है
बाकी सारा कमान बाहर रह जाता है।
जीवन को मिल जाती है
एक सुहानी उलझन…
कि टुकड़े को सहलाऊँ ?
या पूरा ही पाऊँ?
सच तो यह है कि
हमें चाहिये दोनों ही
टुकड़ा भी, पूरा भी।
पूरा भी, अधूरा भी।
एक को पाकर भी दूसरे की बेचैनी
दोनों की चाहत में

कोई टकराव नहीं।
आज रात इंद्रधनुष से खुद ही पूछूंगा—
उसकी क्या चाहत है
वह क्योंकर आता है?
रोज मेरे सपनों में आकर
क्यों गाता है?
आज रात....





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