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* तिलक ने [[वेद|वेदों]] के इतिहास के बारे में एक पुस्तक लिखी जिसे काफ़ी सराहा जाता है। उन्होंने "द आर्कटिक होम इन द वेदास" नामक पुस्तक में खगोल शास्त्र के उद्धरण देकर साबित किया कि वेद आर्कटिक क्षेत्र में लिखे गए थे। इसके अलावा उन्होंने "श्रीमद्भागवतगीतारहस्य अथवा कर्मयोगशास्त्र" और "जीवन का हिन्दू दर्शन" नामक किताबें भी लिखी हैं। | * तिलक ने [[वेद|वेदों]] के इतिहास के बारे में एक पुस्तक लिखी जिसे काफ़ी सराहा जाता है। उन्होंने "द आर्कटिक होम इन द वेदास" नामक पुस्तक में खगोल शास्त्र के उद्धरण देकर साबित किया कि वेद आर्कटिक क्षेत्र में लिखे गए थे। इसके अलावा उन्होंने "श्रीमद्भागवतगीतारहस्य अथवा कर्मयोगशास्त्र" और "जीवन का हिन्दू दर्शन" नामक किताबें भी लिखी हैं। | ||
* इनका कथन "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा" बहुत प्रसिद्ध हुआ। '''[[बाल गंगाधर तिलक|.... और पढ़ें]]''' | * इनका कथन "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा" बहुत प्रसिद्ध हुआ। '''[[बाल गंगाधर तिलक|.... और पढ़ें]]''' | ||
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11:01, 17 सितम्बर 2011 का अवतरण
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