"अंतिम बूँद -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
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<poem>अंतिम बूँद बची मधु | <poem> | ||
मधु की लाली से रहता था | अंतिम बूँद बची मधु की अब जर्जर प्यासे घट जीवन में। | ||
मधु की लाली से रहता था जहाँ विहँसता सदा सवेरा, | |||
मरघट है वह मदिरालय अब घिरा मौत का सघन अंधेरा, | मरघट है वह मदिरालय अब घिरा मौत का सघन अंधेरा, | ||
दूर गए वे पीने वाले जो मिट्टी के जड़ प्याले में- | दूर गए वे पीने वाले जो मिट्टी के जड़ प्याले में- | ||
डुबो दिया करते थे हँसकर भाव हृदय का 'मेरा-तेरा', | डुबो दिया करते थे हँसकर भाव हृदय का 'मेरा - तेरा', | ||
रूठा वह | रूठा वह साक़ी भी जिसने लहराया मधु - सिन्धु नयन में। | ||
अंतिम बूँद बची मधु | अंतिम बूँद बची मधु की अब जर्जर प्यासे घट जीवन में।। | ||
अब न गूंजती है कानों में पायल की मादक ध्वनि छम छम, | अब न गूंजती है कानों में पायल की मादक ध्वनि छम छम, | ||
अब न चला करता है सम्मुख जन्म-मरण सा प्यालों का क्रम, | अब न चला करता है सम्मुख जन्म-मरण सा प्यालों का क्रम, |
07:36, 3 नवम्बर 2011 का अवतरण
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अंतिम बूँद बची मधु की अब जर्जर प्यासे घट जीवन में। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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