"आज मदहोश हुआ जाए रे -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर

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<poem>आज मदहोश हुआ जाए रे, मेरा मन मेरा मन मेरा मन
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आज मदहोश हुआ जाए रे, मेरा मन मेरा मन मेरा मन
बिना ही बात मुस्कुराये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन
बिना ही बात मुस्कुराये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन


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शरारत करने को ललचाये रे, मेरा मन मेरा मन मेरा मन
शरारत करने को ललचाये रे, मेरा मन मेरा मन मेरा मन


ये, यहाँ हमे ज़माना देखे , आओ चलो कही छुप जाए
ये, यहाँ हमे ज़माना देखे,  
भीगा भीगा नशीला दिन है , कैसे कहो प्यासे रह पाये
आओ चलो कही छुप जाए
भीगा भीगा नशीला दिन है,  
कैसे कहो प्यासे रह पाये,
तू मेरी मैं हू तेरा , तेरी कसम
तू मेरी मैं हू तेरा , तेरी कसम
मैं तेरी तू हैं मेरा , मेरी कसम
मैं तेरी तू हैं मेरा , मेरी कसम
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शरारत करने को ललचाये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन
शरारत करने को ललचाये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन


रोम रोम बहे सुर धारा , अंग अंग बजे शहनाई
रोम रोम बहे सुर धारा,  
जीवन सारा मिला एक पल मी , जाने कैसी घड़ी ये आयी
अंग अंग बजे शहनाई
जीवन सारा मिला एक पल में,  
जाने कैसी घड़ी ये आयी
छू लिया आज मैंने सारा गगन
छू लिया आज मैंने सारा गगन
नाचे मन आज मोरा छूम छनन
नाचे मन आज मोरा छूम छनन

09:09, 3 नवम्बर 2011 का अवतरण

आज मदहोश हुआ जाए रे -गोपालदास नीरज
गोपालदास नीरज
गोपालदास नीरज
कवि गोपालदास नीरज
जन्म 4 जनवरी, 1925
मुख्य रचनाएँ दर्द दिया है, प्राण गीत, आसावरी, गीत जो गाए नहीं, बादर बरस गयो, दो गीत, नदी किनारे, नीरज की पाती, लहर पुकारे, मुक्तकी, गीत-अगीत, विभावरी, संघर्ष, अंतरध्वनी, बादलों से सलाम लेता हूँ, कुछ दोहे नीरज के
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
गोपालदास नीरज की रचनाएँ

आज मदहोश हुआ जाए रे, मेरा मन मेरा मन मेरा मन
बिना ही बात मुस्कुराये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन

ओ री कली , सजा तू डोली
ओ री लहर , पहना तू पायल
ओ री नदी , दिखा तू दर्पण
ओ री किरण ओढा तू आँचल
इक जोगन हैं बनी आज दुल्हन
आओ उड़ जाए कही बन के पवन
आज मदहोश हुआ जाए रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन
शरारत करने को ललचाये रे, मेरा मन मेरा मन मेरा मन

ये, यहाँ हमे ज़माना देखे,
आओ चलो कही छुप जाए
भीगा भीगा नशीला दिन है,
कैसे कहो प्यासे रह पाये,
तू मेरी मैं हू तेरा , तेरी कसम
मैं तेरी तू हैं मेरा , मेरी कसम
आज मदहोश हुआ जाए रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन
शरारत करने को ललचाये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन

रोम रोम बहे सुर धारा,
अंग अंग बजे शहनाई
जीवन सारा मिला एक पल में,
जाने कैसी घड़ी ये आयी
छू लिया आज मैंने सारा गगन
नाचे मन आज मोरा छूम छनन
आज मदहोश हुआ जाए रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन
शरारत करने को ललचाये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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