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[[उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था|उत्तर प्रदेश राज्य की अर्थव्यवस्था]] का मुख्य आधार [[कृषि]] है। 1960 के दशक से [[गेहूँ]] [[चावल]] की उच्च पैदावार वाले बीजों के प्रयोग, उर्वरकों की अधिक उपलब्धता और सिंचाई के अधिक इस्तेमाल से उत्तर प्रदेश खाद्यान्न का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बन गया है। यद्यपि किसान दो प्रमुख समस्याओं से ग्रस्त हैं: आर्थिक रूप से अलाभकारी छोटे खेत और बेहतर उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी में निवेश करने के लिए अपर्याप्त संसाधन, [[उत्तर प्रदेश]] राज्य की अधिकतम कृषि भूमि किसानों को मुश्किल से ही भरण-पोषण कर पाती है।
*[[चावल]], [[गेहूँ]], ज्वार, बाजरा, जौ और [[गन्ना]] राज्य की मुख्य फ़सलें हैं।
*1960 के दशक से गेहूँ व चावल की उच्च पैदावार वाले बीजों के प्रयोग, उर्वरकों की अधिक उपलब्धता और सिंचाई के अधिक इस्तेमाल से उत्तर प्रदेश खाद्यान्न का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बन गया है।  
*यद्यपि किसान दो प्रमुख समस्याओं से ग्रस्त हैं: आर्थिक रूप से अलाभकारी छोटे खेत और बेहतर उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी में निवेश करने के लिए अपर्याप्त संसाधन, [[उत्तर प्रदेश]] राज्य की अधिकतम कृषि भूमि किसानों को मुश्किल से ही भरण-पोषण कर पाती है।  


==मुख्य फ़सलें==
====गेहूँ====
गेहूँ के सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, [[पंजाब]] तथा [[हरियाणा]] में हरित- क्रांति के प्रयोगों से उच्च उत्पादकता तथा उत्पादन की मात्रा अधिक प्राप्त की गई है। इन राज्यों में कुल 758 लाख टन गेहूँ का उत्पादन हुआ, जो 1990-91 की तुलना में 3.67% की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है। 2006-2007 में उत्तर प्रदेश देश के कुल उत्पादन का 34.71% पंजाब, हरियाणा, [[मध्य प्रदेश]], [[राजस्थान]] तथा [[बिहार]] गेहूँ के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उत्पादक राज्य हैं, जो [[गुजरात]] तथा [[महाराष्ट्र]] राज्यों के साथ मिलकर देश के लगभग 90% गेहूँ का उत्पादन करते हैं। उत्तर प्रदेश में दक्षिणी पर्वतीय एवं पठारी भूमि को छोड़कर सर्वत्र भाग में गेहूँ की कृषि की जाती हैं।
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गेहूँ]]
[[चित्र:Rice-Field.jpg|thumb|250px|[[चावल]] के खेत]]
====चावल====
[[भारत]] में 4.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 9.2 करोड़ मीट्रिक टन चावल का उत्पादन किया जाता है। चावल भारत की सर्वाधिक मात्रा में उत्पादित की जाने वाली फ़सल है। यहाँ लगभग 34% भू-भाग पर मोटे अनाज की खेती की जाती है। भारत में चावल उत्पादक राज्यों में [[पश्चिम बंगाल]], उत्तर प्रदेश, [[आन्ध्र प्रदेश]], [[बिहार]], [[मध्य प्रदेश]], [[छत्तीसगढ़]], [[तमिलनाडु]], [[कर्नाटक]], [[उड़ीसा]], [[असम]] तथा [[पंजाब]] है। यह दक्षिणी और पूर्वी भारत के राज्‍यों का मुख्‍य भोजन है।
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[चावल]]
====गन्ना====
देश में र्निमित सभी मुख्य मीठाकारकों के लिए गन्ना एक मुख्य कच्चा माल है। इसका उपयोग दो प्रमुख कुटीर उद्योगों नामतः गुड़ तथा खंडसारी उद्योगों में भी किया जाता है। इन दोनों उद्योगों से लगभग 10 मिलियन टन मीठाकारकों (गुड़ और खंडसारी) का उत्पादन होता है जिससे देश में हुए गन्ने के उत्पादन का लगभग 28-35% गन्ने का उपयोग होता है।
[[भारत]] में गन्ने की खेती का मुख्य भाग अर्ध-उष्णकटिबंधीय भाग है। इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, [[उत्तरांचल]], [[बिहार]], [[पंजाब]], [[हरियाणा]] मुख्य गन्ना उत्पादक राज्य हैं। [[मध्य प्रदेश]], [[पश्चिम बंगाल]], [[राजस्थान]] और [[असम]] के भी कुछ क्षेत्रों में गन्ना पैदा किया जाता है, लेकिन इन राज्यों में उत्पादकता बहुत ही कम है।
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गन्ना]]
====ज्वार====
ज्‍वार विश्‍व की एक मोटे अनाज वाली महत्‍वपूर्ण फ़सल है। [[वर्षा]] आधारित [[कृषि]] के लिये ज्‍वार सबसे उपयुक्‍त फ़सल है। ज्‍वार फ़सल का दोहरा लाभ मिलता है। मानव आहार के साथ-साथ पशु आहार के रूप में इसकी अच्‍छी खपत होती है। ज्‍वार की फ़सल कम वर्षा में भी अच्‍छा उपज दे सकती है। वर्तमान समय में भारत में ज्वार की खेती [[मध्य प्रदेश]], [[उडीसा]], उत्तर प्रदेश तथा [[पंजाब]] राज्यों में बहुतायत में की जाती है। ज्‍वार के दाने का उपयोग उच्‍च गुणवत्‍ता वाला एल्‍कोहल बनाने में भी किया जाता हैं।
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ज्वार]]
====जौ====
जौ के पौधे गेहूँ के पौधे के समान होते हैं और उतनी ही ऊंचाई भी होती है। जौ ख़ास तौर पर 3 तरह की होती है। तीक्ष्ण नोक वाले, नोकरहित और हरापन लिए हुए बारीक। नोकदार जौ को यव, बिना नोक के काले तथा लालिमा लिए हुए जौ को अतयव एवं हरापन लिए हुए नोकरहित बारीक जौ को तोक्ययव कहते हैं। यव की अपेक्षा अतियव और अतियव की अपेक्षा तोक्ययव कम गुण माने वाले जाते हैं।
जौ की एक जंगली जाति भी होती है। उस जाति के जौ का उपयोग- [[यूरोप]], [[अमेरिका]], [[चीन]], [[जापान]] आदि देशों में औषधियाँ बनाने के लिए होता है।
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जौ]]
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08:45, 18 दिसम्बर 2011 का अवतरण

गेहूँ की कटाई

उत्तर प्रदेश राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है। 1960 के दशक से गेहूँचावल की उच्च पैदावार वाले बीजों के प्रयोग, उर्वरकों की अधिक उपलब्धता और सिंचाई के अधिक इस्तेमाल से उत्तर प्रदेश खाद्यान्न का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बन गया है। यद्यपि किसान दो प्रमुख समस्याओं से ग्रस्त हैं: आर्थिक रूप से अलाभकारी छोटे खेत और बेहतर उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी में निवेश करने के लिए अपर्याप्त संसाधन, उत्तर प्रदेश राज्य की अधिकतम कृषि भूमि किसानों को मुश्किल से ही भरण-पोषण कर पाती है।

मुख्य फ़सलें

गेहूँ

गेहूँ के सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा हरियाणा में हरित- क्रांति के प्रयोगों से उच्च उत्पादकता तथा उत्पादन की मात्रा अधिक प्राप्त की गई है। इन राज्यों में कुल 758 लाख टन गेहूँ का उत्पादन हुआ, जो 1990-91 की तुलना में 3.67% की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है। 2006-2007 में उत्तर प्रदेश देश के कुल उत्पादन का 34.71% पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा बिहार गेहूँ के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उत्पादक राज्य हैं, जो गुजरात तथा महाराष्ट्र राज्यों के साथ मिलकर देश के लगभग 90% गेहूँ का उत्पादन करते हैं। उत्तर प्रदेश में दक्षिणी पर्वतीय एवं पठारी भूमि को छोड़कर सर्वत्र भाग में गेहूँ की कृषि की जाती हैं।

{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- गेहूँ

चावल के खेत

चावल

भारत में 4.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर 9.2 करोड़ मीट्रिक टन चावल का उत्पादन किया जाता है। चावल भारत की सर्वाधिक मात्रा में उत्पादित की जाने वाली फ़सल है। यहाँ लगभग 34% भू-भाग पर मोटे अनाज की खेती की जाती है। भारत में चावल उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा, असम तथा पंजाब है। यह दक्षिणी और पूर्वी भारत के राज्‍यों का मुख्‍य भोजन है।

{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- चावल

गन्ना

देश में र्निमित सभी मुख्य मीठाकारकों के लिए गन्ना एक मुख्य कच्चा माल है। इसका उपयोग दो प्रमुख कुटीर उद्योगों नामतः गुड़ तथा खंडसारी उद्योगों में भी किया जाता है। इन दोनों उद्योगों से लगभग 10 मिलियन टन मीठाकारकों (गुड़ और खंडसारी) का उत्पादन होता है जिससे देश में हुए गन्ने के उत्पादन का लगभग 28-35% गन्ने का उपयोग होता है। भारत में गन्ने की खेती का मुख्य भाग अर्ध-उष्णकटिबंधीय भाग है। इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, बिहार, पंजाब, हरियाणा मुख्य गन्ना उत्पादक राज्य हैं। मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और असम के भी कुछ क्षेत्रों में गन्ना पैदा किया जाता है, लेकिन इन राज्यों में उत्पादकता बहुत ही कम है।

{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- गन्ना

ज्वार

ज्‍वार विश्‍व की एक मोटे अनाज वाली महत्‍वपूर्ण फ़सल है। वर्षा आधारित कृषि के लिये ज्‍वार सबसे उपयुक्‍त फ़सल है। ज्‍वार फ़सल का दोहरा लाभ मिलता है। मानव आहार के साथ-साथ पशु आहार के रूप में इसकी अच्‍छी खपत होती है। ज्‍वार की फ़सल कम वर्षा में भी अच्‍छा उपज दे सकती है। वर्तमान समय में भारत में ज्वार की खेती मध्य प्रदेश, उडीसा, उत्तर प्रदेश तथा पंजाब राज्यों में बहुतायत में की जाती है। ज्‍वार के दाने का उपयोग उच्‍च गुणवत्‍ता वाला एल्‍कोहल बनाने में भी किया जाता हैं।

{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- ज्वार

जौ

जौ के पौधे गेहूँ के पौधे के समान होते हैं और उतनी ही ऊंचाई भी होती है। जौ ख़ास तौर पर 3 तरह की होती है। तीक्ष्ण नोक वाले, नोकरहित और हरापन लिए हुए बारीक। नोकदार जौ को यव, बिना नोक के काले तथा लालिमा लिए हुए जौ को अतयव एवं हरापन लिए हुए नोकरहित बारीक जौ को तोक्ययव कहते हैं। यव की अपेक्षा अतियव और अतियव की अपेक्षा तोक्ययव कम गुण माने वाले जाते हैं। जौ की एक जंगली जाति भी होती है। उस जाति के जौ का उपयोग- यूरोप, अमेरिका, चीन, जापान आदि देशों में औषधियाँ बनाने के लिए होता है।

{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- जौ


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