"कौन ठगवा नगरिया लूटल हो -कबीर": अवतरणों में अंतर

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कौन ठगवा नगरिया लूटल हो ।।
कौन ठगवा नगरिया लूटल हो॥


चंदन काठ के बनल खटोला
चंदन काठ के बनल खटोला,
ता पर दुलहिन सूतल हो।
ता पर दुलहिन सूतल हो॥


उठो सखी री माँग संवारो
उठो सखी री माँग संवारो,
दुलहा मो से रूठल हो।
दुलहा मो से रूठल हो॥


आये जम राजा पलंग चढ़ि बैठा
आये जम राजा पलंग चढ़ि बैठा,
नैनन अंसुवा टूटल हो
नैनन अंसुवा टूटल हो॥


चार जाने मिल खाट उठाइन
चार जाने मिल खाट उठाइन,
चहुँ दिसि धूं धूं उठल हो
चहुँ दिसि धूं धूं उठल हो॥


कहत कबीर सुनो भाई साधो
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
जग से नाता छूटल हो
जग से नाता छूटल हो॥
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07:18, 24 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

कौन ठगवा नगरिया लूटल हो -कबीर
संत कबीरदास
संत कबीरदास
कवि कबीर
जन्म 1398 (लगभग)
जन्म स्थान लहरतारा ताल, काशी
मृत्यु 1518 (लगभग)
मृत्यु स्थान मगहर, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ साखी, सबद और रमैनी
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कबीर की रचनाएँ

कौन ठगवा नगरिया लूटल हो॥

चंदन काठ के बनल खटोला,
ता पर दुलहिन सूतल हो॥

उठो सखी री माँग संवारो,
दुलहा मो से रूठल हो॥

आये जम राजा पलंग चढ़ि बैठा,
नैनन अंसुवा टूटल हो॥

चार जाने मिल खाट उठाइन,
चहुँ दिसि धूं धूं उठल हो॥

कहत कबीर सुनो भाई साधो,
जग से नाता छूटल हो॥









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