"आर्कटिक वेधशाला से कुछ नोट्स -अजेय": अवतरणों में अंतर
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'''सुबह होगी और दिन भर बसंत रहेगा''' | |||
9. पौ फट रही है | |||
सुबह होगी और दिन भर बसंत रहेगा | क्षितिज बैंगनी हो गया है | ||
इस लम्बी सर्दी के बाद जो सूरज उगेगा | |||
कम से कम चार माह नहीं डूबेगा | |||
मौत सी ठंडी इस सफेदी को | |||
इन्द्रधनुषी रंग बाँटेगा | |||
परिंदे और लोमड़ियाँ सफेद पोशाकें उतार | |||
मनपसंद रंगों में धमा चौकड़ी मचाएंगे | |||
10. बर्फ पर कोई सिंदूर छिड़क गया है। | |||
28. सारा खेल वक्त का है | |||
28. सारा खेल वक्त का है | |||
वक्त सूरज तय करता है | वक्त सूरज तय करता है | ||
सूरज हवाएँ पैदा करता है | सूरज हवाएँ पैदा करता है | ||
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29. यह हलचल ही है | 29. यह हलचल ही है | ||
जहाँ जीवन दिखता है | जहाँ जीवन दिखता है | ||
वह एक लहर थी | वह एक लहर थी | ||
जो मछलियों को तट तक बहा लाई | जो मछलियों को तट तक बहा लाई | ||
पंक्ति 64: | पंक्ति 61: | ||
30. चट्टानों पर कोंपले निकल आएंगी | 30. चट्टानों पर कोंपले निकल आएंगी | ||
तेज़ हवा की मार सहती हुई | तेज़ हवा की मार सहती हुई | ||
धीरे-धीरे धरती के साथ भूरी होती लोमड़ी | धीरे-धीरे धरती के साथ भूरी होती लोमड़ी | ||
झुंड से बिछडे़ चूज़ों को खाना शुरू करेगी | झुंड से बिछडे़ चूज़ों को खाना शुरू करेगी |
18:35, 9 जनवरी 2012 का अवतरण
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सुबह होगी और दिन भर बसंत रहेगा |