"मैं अकंपित दीप -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर

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<poem>मैं अकंपित दीप प्राणों का लिए,
<poem>मैं अकंपित दीप प्राणों का लिए,
यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा?
यह तिमिर तूफ़ान मेरा क्या करेगा?
बन्द मेरी पुतलियों में रात है,
बन्द मेरी पुतलियों में रात है,
हास बन बिखरा अधर पर प्रात है,
हास बन बिखरा अधर पर प्रात है,
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साँस में मेरी उनंचासों पवन,
साँस में मेरी उनंचासों पवन,
यह प्रलय-पवमान मेरा क्या करेगा?
यह प्रलय-पवमान मेरा क्या करेगा?
यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा?
यह तिमिर तूफ़ान मेरा क्या करेगा?


कुछ नहीं डर वायु जो प्रतिकूल है,
कुछ नहीं डर वायु जो प्रतिकूल है,
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बढ़ रहा जब मैं लिए विश्वास यह,
बढ़ रहा जब मैं लिए विश्वास यह,
पंथ यह वीरान मेरा क्या करेगा?
पंथ यह वीरान मेरा क्या करेगा?
यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा?
यह तिमिर तूफ़ान मेरा क्या करेगा?


मुश्किलें मारग दिखाती हैं मुझे,
मुश्किलें मारग दिखाती हैं मुझे,

07:54, 5 मार्च 2012 का अवतरण

मैं अकंपित दीप -गोपालदास नीरज
गोपालदास नीरज
गोपालदास नीरज
कवि गोपालदास नीरज
जन्म 4 जनवरी, 1925
मुख्य रचनाएँ दर्द दिया है, प्राण गीत, आसावरी, गीत जो गाए नहीं, बादर बरस गयो, दो गीत, नदी किनारे, नीरज की पाती, लहर पुकारे, मुक्तकी, गीत-अगीत, विभावरी, संघर्ष, अंतरध्वनी, बादलों से सलाम लेता हूँ, कुछ दोहे नीरज के
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
गोपालदास नीरज की रचनाएँ

मैं अकंपित दीप प्राणों का लिए,
यह तिमिर तूफ़ान मेरा क्या करेगा?
बन्द मेरी पुतलियों में रात है,
हास बन बिखरा अधर पर प्रात है,
मैं पपीहा, मेघ क्या मेरे लिए,
जिन्दगी का नाम ही बरसात है,
साँस में मेरी उनंचासों पवन,
यह प्रलय-पवमान मेरा क्या करेगा?
यह तिमिर तूफ़ान मेरा क्या करेगा?

कुछ नहीं डर वायु जो प्रतिकूल है,
और पैरों में कसकता शूल है,
क्योंकि मेरा तो सदा अनुभव यही,
राह पर हर एक काँटा फूल है,
बढ़ रहा जब मैं लिए विश्वास यह,
पंथ यह वीरान मेरा क्या करेगा?
यह तिमिर तूफ़ान मेरा क्या करेगा?

मुश्किलें मारग दिखाती हैं मुझे,
आफतें बढ़ना बताती हैं मुझे,
पंथ की उत्तुंग दुर्दम घाटियाँ
ध्येय-गिरि चढ़ना सिखाती हैं मुझे,
एक भू पर, एक नभ पर पाँव है,
यह पतन-उत्थान मेरा क्या करेगा?

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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