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*[[पुराण|पुराणों]] और [[रामायण]] में वर्णित [[इक्ष्वाकु वंश|इक्ष्वाकु वंशी]] राजा दशरथ महाराज अज के पुत्र थे। इनकी माता का नाम इन्दुमती था। इन्होंने देवताओं की ओर से कई बार असुरों को पराजित किया।
*[[वैवस्वत मनु|वैवस्वत]] मनु के वंश में अनेक शूरवीर, पराक्रमी, प्रतिभाशाली तथा यशस्वी राजा हुये जिनमें से राजा दशरथ भी एक थे।
*[[वैवस्वत मनु|वैवस्वत]] मनु के वंश में अनेक शूरवीर, पराक्रमी, प्रतिभाशाली तथा यशस्वी राजा हुये जिनमें से राजा दशरथ भी एक थे।
*[[कौशल]] प्रदेश, जिसकी स्थापना वैवस्वत मनु ने की थी, पवित्र [[सरयू नदी]] के तट पर स्थित है। सुन्दर एवं समृद्ध [[अयोध्या]] नगरी इस प्रदेश की राजधानी है।  
*[[कौशल]] प्रदेश, जिसकी स्थापना वैवस्वत मनु ने की थी, पवित्र [[सरयू नदी]] के तट पर स्थित है। सुन्दर एवं समृद्ध [[अयोध्या]] नगरी इस प्रदेश की राजधानी है।  
*राजा दशरथ वेदों के मर्मज्ञ, धर्मप्राण, दयालु, रणकुशल, और प्रजापालक थे। उनके राज्य में प्रजा कष्टरहित, सत्यनिष्ठ एवं ईश्‍वरभक्‍त थी। उनके राज्य में किसी का किसी के भी प्रति द्वेषभाव का सर्वथा अभाव था।  
*राजा दशरथ वेदों के मर्मज्ञ, धर्मप्राण, दयालु, रणकुशल, और प्रजापालक थे। उनके राज्य में प्रजा कष्टरहित, सत्यनिष्ठ एवं ईश्‍वरभक्‍त थी। उनके राज्य में किसी का किसी के भी प्रति द्वेषभाव का सर्वथा अभाव था।  
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चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में [[सूर्य ग्रह|सूर्य]], [[मंगल ग्रह|मंगल]] [[शनि ग्रह|शनि]], वृहस्पति तथा [[शुक्र ग्रह|शुक्र]] अपने-अपने उच्च स्थानों में विराजमान थे, कर्क लग्न का उदय होते ही महाराज दशरथ की बड़ी रानी [[कौशल्या]] के गर्भ से एक शिशु का जन्म हुआ जो कि श्यामवर्ण, अत्यन्त तेजोमय, परम कान्तिवान तथा अद्‍भुत सौन्दर्यशाली था। उस शिशु को देखने वाले ठगे से रह जाते थे। इसके पश्चात शुभ नक्षत्रों और शुभ घड़ी में महारानी कैकेयी के एक तथा तीसरी रानी सुमित्रा के दो तेजस्वी पुत्रों का जन्म हुआ। इस प्रकार क्रमशः [[राम]], [[भरत (दशरथ पुत्र)|भरत]], [[लक्ष्मण]] और [[शत्रुघ्न]] का जन्म हुआ।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में [[सूर्य ग्रह|सूर्य]], [[मंगल ग्रह|मंगल]] [[शनि ग्रह|शनि]], वृहस्पति तथा [[शुक्र ग्रह|शुक्र]] अपने-अपने उच्च स्थानों में विराजमान थे, कर्क लग्न का उदय होते ही महाराज दशरथ की बड़ी रानी [[कौशल्या]] के गर्भ से एक शिशु का जन्म हुआ जो कि श्यामवर्ण, अत्यन्त तेजोमय, परम कान्तिवान तथा अद्‍भुत सौन्दर्यशाली था। उस शिशु को देखने वाले ठगे से रह जाते थे। इसके पश्चात शुभ नक्षत्रों और शुभ घड़ी में महारानी [[कैकेयी]] के एक तथा तीसरी रानी [[सुमित्रा]] के दो तेजस्वी पुत्रों का जन्म हुआ। इस प्रकार क्रमशः [[राम]], [[भरत (दशरथ पुत्र)|भरत]], [[लक्ष्मण]] और [[शत्रुघ्न]] का जन्म हुआ। इनकी शांता नाम की एक पुत्री थी, जिसे इनके मित्र राजा रोमपाद ने गोद लिया था।
 
अपने बड़े पुत्र राम के राज्याभिषेक की इच्छा दशरथ पूरी नहीं कर पाए और कैकयी के हठ के कारण उन्हें राम को 14 वर्ष के लिए बनवास पर भेजना पड़ा। इसी पुत्र-वियोग में दशरथ का देहांत हो गया। इस सम्बन्ध में यह भी उल्लेख मिलता है कि हाथी के पानी पीने के समान आवाज सुनकर दशरथ ने शब्द-भेदी बाण चला दिया था। उससे अंधे माता-पिता के लिए पानी भर रहे श्रवणकुमार की मृत्यु हो गई। पुत्र की मृत्यु के बाद तड़पकर मरते हुए श्रवणकुमार के माता-पिता ने दशरथ को शाप दिया था कि तुम भी हमारी तरह पुत्र के शोक में मरोगे। वही शाप राम के वन-गमन के वियोग में दशरथ की मृत्यु का कारण बना।
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==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==

06:42, 4 अप्रैल 2012 का अवतरण

राजा दशरथ

  • पुराणों और रामायण में वर्णित इक्ष्वाकु वंशी राजा दशरथ महाराज अज के पुत्र थे। इनकी माता का नाम इन्दुमती था। इन्होंने देवताओं की ओर से कई बार असुरों को पराजित किया।
  • वैवस्वत मनु के वंश में अनेक शूरवीर, पराक्रमी, प्रतिभाशाली तथा यशस्वी राजा हुये जिनमें से राजा दशरथ भी एक थे।
  • कौशल प्रदेश, जिसकी स्थापना वैवस्वत मनु ने की थी, पवित्र सरयू नदी के तट पर स्थित है। सुन्दर एवं समृद्ध अयोध्या नगरी इस प्रदेश की राजधानी है।
  • राजा दशरथ वेदों के मर्मज्ञ, धर्मप्राण, दयालु, रणकुशल, और प्रजापालक थे। उनके राज्य में प्रजा कष्टरहित, सत्यनिष्ठ एवं ईश्‍वरभक्‍त थी। उनके राज्य में किसी का किसी के भी प्रति द्वेषभाव का सर्वथा अभाव था।

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य, मंगल शनि, वृहस्पति तथा शुक्र अपने-अपने उच्च स्थानों में विराजमान थे, कर्क लग्न का उदय होते ही महाराज दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या के गर्भ से एक शिशु का जन्म हुआ जो कि श्यामवर्ण, अत्यन्त तेजोमय, परम कान्तिवान तथा अद्‍भुत सौन्दर्यशाली था। उस शिशु को देखने वाले ठगे से रह जाते थे। इसके पश्चात शुभ नक्षत्रों और शुभ घड़ी में महारानी कैकेयी के एक तथा तीसरी रानी सुमित्रा के दो तेजस्वी पुत्रों का जन्म हुआ। इस प्रकार क्रमशः राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। इनकी शांता नाम की एक पुत्री थी, जिसे इनके मित्र राजा रोमपाद ने गोद लिया था।

अपने बड़े पुत्र राम के राज्याभिषेक की इच्छा दशरथ पूरी नहीं कर पाए और कैकयी के हठ के कारण उन्हें राम को 14 वर्ष के लिए बनवास पर भेजना पड़ा। इसी पुत्र-वियोग में दशरथ का देहांत हो गया। इस सम्बन्ध में यह भी उल्लेख मिलता है कि हाथी के पानी पीने के समान आवाज सुनकर दशरथ ने शब्द-भेदी बाण चला दिया था। उससे अंधे माता-पिता के लिए पानी भर रहे श्रवणकुमार की मृत्यु हो गई। पुत्र की मृत्यु के बाद तड़पकर मरते हुए श्रवणकुमार के माता-पिता ने दशरथ को शाप दिया था कि तुम भी हमारी तरह पुत्र के शोक में मरोगे। वही शाप राम के वन-गमन के वियोग में दशरथ की मृत्यु का कारण बना।

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