"बृहद्रथ": अवतरणों में अंतर
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*बृहद्रथ एक प्राचीन युग का प्रतापी राजा भी था, जो मृत्यु लोक से देवलोकवासी हुआ। [[यमराज]] के प्रासाद में उसकी उपस्थिति मानी गई थी।<ref>[[महाभारत]], [[आदिपर्व महाभारत|आदिपर्व]], अध्याय 67</ref> | *बृहद्रथ एक प्राचीन युग का प्रतापी राजा भी था, जो मृत्यु लोक से देवलोकवासी हुआ। [[यमराज]] के प्रासाद में उसकी उपस्थिति मानी गई थी।<ref>[[महाभारत]], [[आदिपर्व महाभारत|आदिपर्व]], अध्याय 67</ref> | ||
*असुर सूक्ष्म का [[अवतार]] और इस जन्म का [[महाभारत]] युगीन बृहद्रथ नामक एक राजा। वह [[द्रौपदी]] के [[स्वयंवर]] में अन्य राजाओं के साथ उपस्थित हुआ था।<ref>[[महाभारत]], आदिपर्व, अध्याय 67</ref> | *असुर सूक्ष्म का [[अवतार]] और इस जन्म का [[महाभारत]] युगीन बृहद्रथ नामक एक राजा। वह [[द्रौपदी]] के [[स्वयंवर]] में अन्य राजाओं के साथ उपस्थित हुआ था।<ref>[[महाभारत]], आदिपर्व, अध्याय 67</ref> | ||
*बृहद्रथ एक [[अग्नि]] का नाम भी है, जो प्रनिधि का पिता और आंगिरसों में से एक है।<ref>[[महाभारत]], [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]], अध्याय 220</ref> | |||
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11:12, 9 अप्रैल 2012 का अवतरण
बृहद्रथ | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- बृहद्रथ (बहुविकल्पी) |
बृहद्रथ नाम के कई राजा हुए हैं और इनका उल्लेख भिन्न-भिन्न स्रोतों से प्राप्त होता है। इन राजाओं का उल्लेख इस प्रकार से है-
- बृहद्रथ नाम के एक राजा को षोड्शराज मांधाता ने मारा था।[1]
- एक और कुरुवंशी बृहद्रथ पौरव नाम से विख्यात हुआ। उनकी षोड्शराज में गणना की गई। वह अंग देश का प्रजावत्सल-प्रतापी नरेश था। उसने कई अश्वमेध यज्ञ किए और शिक्षा तक अक्षर (वेदज्ञ) ब्राह्मणों को प्रचुर दान दिया। उसकी यशोगाथा में कवियों ने गान (छन्द) रचे थे।[2]
- बृहद्रथ एक प्राचीन युग का प्रतापी राजा भी था, जो मृत्यु लोक से देवलोकवासी हुआ। यमराज के प्रासाद में उसकी उपस्थिति मानी गई थी।[3]
- असुर सूक्ष्म का अवतार और इस जन्म का महाभारत युगीन बृहद्रथ नामक एक राजा। वह द्रौपदी के स्वयंवर में अन्य राजाओं के साथ उपस्थित हुआ था।[4]
- बृहद्रथ एक अग्नि का नाम भी है, जो प्रनिधि का पिता और आंगिरसों में से एक है।[5]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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