"विश्व चाहे या न चाहे -गोपालदास नीरज": अवतरणों में अंतर
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आदमी वह फिर न टूटे, | आदमी वह फिर न टूटे, | ||
वक़्त फिर उसको न लूटे, | वक़्त फिर उसको न लूटे, | ||
ज़िन्दगी की हम नई सूरत बनाकर ही उठेंगे। | |||
विश्व चाहे या न चाहे.... | विश्व चाहे या न चाहे.... | ||
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गीत गाए ही बिना जो हैं गए वापिस मुसाफ़िर | गीत गाए ही बिना जो हैं गए वापिस मुसाफ़िर | ||
और वे जो हाथ में मिज़राब पहने मुश्किलों की | और वे जो हाथ में मिज़राब पहने मुश्किलों की | ||
दे रहे हैं | दे रहे हैं ज़िन्दगी के साज़ को सबसे नया स्वर, | ||
मौर तुम लाओ न लाओ, | मौर तुम लाओ न लाओ, | ||
नेग तुम पाओ न पाओ, | नेग तुम पाओ न पाओ, |
10:55, 3 जून 2012 के समय का अवतरण
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विश्व चाहे या न चाहे, |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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