नव संवत्सर (विक्रमी), नवरात्र प्रारम्भ और गुड़ी पड़वा के उपलक्ष्य में 'भारतकोश' की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ

"कणाद रहस्यवृत्ति": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 2: पंक्ति 2:


*बलभद्र और विजयश्री के पुत्र, न्यायबोधिनीकार गोवर्धन मिश्र के ज्येष्ठ भ्राता, पद्मनाभ मिश्र (1600 ई.) द्वारा इस वृत्ति की रचना की गई।  
*बलभद्र और विजयश्री के पुत्र, न्यायबोधिनीकार गोवर्धन मिश्र के ज्येष्ठ भ्राता, पद्मनाभ मिश्र (1600 ई.) द्वारा इस वृत्ति की रचना की गई।  
*किन्तु यह अभी तक अमुद्रित है।<balloon title="कणादरहस्याख्यावृत्ति की पाण्डुलिपि तंजाउर पुस्तकालय में उपलब्ध है।" style=color:blue>*</balloon>
*किन्तु यह अभी तक अमुद्रित है।<ref>कणादरहस्याख्यावृत्ति की पाण्डुलिपि तंजाउर पुस्तकालय में उपलब्ध है।</ref>
 
==टीका टिप्पणी==
<references/>
==अन्य लिंक==
==अन्य लिंक==
{{वैशेषिक दर्शन}}
{{वैशेषिक दर्शन}}
{{दर्शन शास्त्र}}
{{दर्शन शास्त्र}}
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
[[Category: दर्शन कोश]]
[[Category: दर्शन कोश]]
[[Category:वैशेषिक दर्शन]]
[[Category:वैशेषिक दर्शन]]
__INDEX__
__INDEX__

06:45, 1 जून 2010 का अवतरण

पद्मनाभ रचित कणाद रहस्यवृत्ति

  • बलभद्र और विजयश्री के पुत्र, न्यायबोधिनीकार गोवर्धन मिश्र के ज्येष्ठ भ्राता, पद्मनाभ मिश्र (1600 ई.) द्वारा इस वृत्ति की रचना की गई।
  • किन्तु यह अभी तक अमुद्रित है।[1]

टीका टिप्पणी

  1. कणादरहस्याख्यावृत्ति की पाण्डुलिपि तंजाउर पुस्तकालय में उपलब्ध है।

अन्य लिंक