"केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[चित्र:Greylag-Goose-Keoladeo-National-Park.jpg|thumb|ग्रेलैग हंस, केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान]] | [[चित्र:Greylag-Goose-Keoladeo-National-Park.jpg|thumb|ग्रेलैग हंस, केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान]] | ||
'''केवलादेव | '''केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान''' [[राजस्थान]] में स्थित एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान है। यह [[भारत]] का सबसे बड़ा पक्षी अभयारण्य है, जो [[1964]] में अभयारण्य और [[1982]] में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। | ||
* | *यह राष्ट्रीय उद्यान 29 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। | ||
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | *उद्यान में शीतकाल में [[यूरोप]], [[अफ़ग़ानिस्तान]], [[चीन]], [[मंगोलिया]] तथा [[रूस]] आदि देशों से पक्षी आते है। | ||
*लगभग 100 वर्ष पूर्व [[भरतपुर]] के महाराजाओं ने इसे आखेट स्थल के रूप में विकसित किया था। | |||
*केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को द्वारा संचालित 'विश्व धरोहर कोष' की सूची में शामिल कर लिया गया है। | |||
*5000 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर दुर्लभ प्रवासी पक्षी साइबेरियन क्रेन सर्दियों में यहॉ पहचते हैं, जो पर्यटकों का मुख्य आकर्षण होते हैं। | |||
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{राजस्थान के अभयारण्य}}{{राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य}} | {{राजस्थान के अभयारण्य}}{{राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य}} |
06:36, 30 दिसम्बर 2012 का अवतरण
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान में स्थित एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान है। यह भारत का सबसे बड़ा पक्षी अभयारण्य है, जो 1964 में अभयारण्य और 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
- यह राष्ट्रीय उद्यान 29 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
- उद्यान में शीतकाल में यूरोप, अफ़ग़ानिस्तान, चीन, मंगोलिया तथा रूस आदि देशों से पक्षी आते है।
- लगभग 100 वर्ष पूर्व भरतपुर के महाराजाओं ने इसे आखेट स्थल के रूप में विकसित किया था।
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को द्वारा संचालित 'विश्व धरोहर कोष' की सूची में शामिल कर लिया गया है।
- 5000 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर दुर्लभ प्रवासी पक्षी साइबेरियन क्रेन सर्दियों में यहॉ पहचते हैं, जो पर्यटकों का मुख्य आकर्षण होते हैं।
|
|
|
|
|