"राजा रवि वर्मा": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Raja-Ravi-Varma-1.jpg|thumb|250px|राजा रवि वर्मा<br /> Raja Ravi Varma]]
{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व
'''राजा रवि वर्मा''' (1848-[[1906]]) [[केरल]] प्रदेश के विख्यात चित्रकार थे। उन्होंने भारतीय [[साहित्य]] और [[संस्कृति]] के पात्रों का चित्रण किया। उनके चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता [[हिन्दू]] महाकाव्यों और धर्म ग्रंथों पर बनाए गए चित्र हैं। हिन्दू मिथकों का बहुत ही प्रभावशाली इस्‍तेमाल उनके चित्रों में दिखता हैं। इस संग्रहालय में उनके चित्रों का बहुत बड़ा संग्रह है।  
|चित्र=Raja-Ravi-Varma-1.jpg
 
|चित्र का नाम=राजा रवि वर्मा
राजा रवि वर्मा का जन्म [[29 अप्रैल]] 1848 को केरल के एक छोटे से गांव किलिमन्नूर में हुआ। पांच वर्ष की छोटी-सी आयु में ही उन्होंने अपने घर की दीवारों को दैनिक जीवन की घटनाओं से चित्रित करना प्रारंभ कर दिया था। उनके चाचा कलाकार राजा राजा वर्मा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और [[कला]] की प्रारंभिक शिक्षा दी। चौदह वर्ष की आयु में वे उन्हें थिरुवनंतपुरम ले गये जहाँ [[राजमहल]] में उनकी तैल चित्रण की शिक्षा हुई। बाद में [[चित्रकला]] के विभिन्न आयामों में दक्षता के लिये उन्होंने [[मैसूर]], [[बड़ौदा]] और देश के अन्य भागों की यात्रा की।  
|पूरा नाम=राजा रवि वर्मा
|अन्य नाम=
|जन्म= [[29 अप्रैल]] 1848
|जन्म भूमि=[[तिरुवनंतपुरम]], [[केरल]]
|मृत्यु= [[2 अक्टूबर]] [[1906]]
|मृत्यु स्थान=तिरुवनंतपुरम
|अविभावक=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|गुरु=
|कर्म भूमि=
|कर्म-क्षेत्र=
|मुख्य रचनाएँ=
|विषय=
|खोज=
|भाषा=
|शिक्षा=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि=
|प्रसिद्धि=[[चित्रकार]]
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|शीर्षक 3=
|पाठ 3=
|शीर्षक 4=
|पाठ 4=
|शीर्षक 5=
|पाठ 5=
|अन्य जानकारी=उनके द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक कलाकृति, जो [[भारत]] में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रितानी राज के एक उच्च अधिकारी और महाराजा की मुलाक़ात को चित्रित करती है, 1.24 मिलियन डॉलर (लगभग 6 करोड़) में बिकी है।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''राजा रवि वर्मा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Raja Ravi Varma'', [[29 अप्रैल]] 1848 - [[2 अक्टूबर]] [[1906]]) [[भारत]] के विख्यात [[चित्रकार]] थे। उन्होंने भारतीय [[साहित्य]] और [[संस्कृति]] के पात्रों का चित्रण किया। उनके चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता [[हिन्दू]] [[महाकाव्य|महाकाव्यों]] और धर्म ग्रंथों पर बनाए गए चित्र हैं। हिन्दू मिथकों का बहुत ही प्रभावशाली इस्‍तेमाल उनके चित्रों में दिखता है। इस संग्रहालय में उनके चित्रों का बहुत बड़ा संग्रह है।  
==जीवन परिचय==
राजा रवि वर्मा का जन्म [[29 अप्रैल]] 1848 को [[केरल]] के एक छोटे से गांव किलिमन्नूर में हुआ। पांच वर्ष की छोटी-सी आयु में ही उन्होंने अपने घर की दीवारों को दैनिक जीवन की घटनाओं से चित्रित करना प्रारंभ कर दिया था। उनके चाचा कलाकार राजा राजा वर्मा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और [[कला]] की प्रारंभिक शिक्षा दी। चौदह वर्ष की आयु में वे उन्हें [[तिरुवनंतपुरम]] ले गये जहाँ [[राजमहल]] में उनकी तैल चित्रण की शिक्षा हुई। बाद में [[चित्रकला]] के विभिन्न आयामों में दक्षता के लिये उन्होंने [[मैसूर]], [[बड़ौदा]] और देश के अन्य भागों की यात्रा की।  


राजा रवि वर्मा की सफलता का श्रेय उनकी सुव्यवस्थित कला शिक्षा को जाता है। उन्होंने पहले पारंपरिक तंजावुर कला में महारत प्राप्त की और फिर यूरोपीय कला का अध्ययन किया। उनकी कला कृतियों को तीन प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-  
राजा रवि वर्मा की सफलता का श्रेय उनकी सुव्यवस्थित कला शिक्षा को जाता है। उन्होंने पहले पारंपरिक तंजावुर कला में महारत प्राप्त की और फिर यूरोपीय कला का अध्ययन किया। उनकी कला कृतियों को तीन प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-  
पंक्ति 9: पंक्ति 48:
#[[इतिहास]] व [[पुराण]] की घटनाओं से संबंधित चित्र।  
#[[इतिहास]] व [[पुराण]] की घटनाओं से संबंधित चित्र।  


यद्यपि जनसाधारण में राजा रवि वर्मा की लोकप्रियता इतिहास पुराण व देवी-देवताओं के चित्रों के कारण हुई लेकिन तैल माध्यम में बनी अपनी प्रतिकृतियों के कारण वे विश्व में सर्वोत्कृष्ट चित्रकार के रूप में जाने गए। आज तक तैलरंगों में उनकी जैसी सजीव प्रतिकृतियाँ बनाने वाला कलाकार दूसरा नहीं हुआ। उनका देहांत 2 अक्तूबर 1906 को हुआ।
यद्यपि जनसाधारण में राजा रवि वर्मा की लोकप्रियता इतिहास [[पुराण]] व देवी-देवताओं के चित्रों के कारण हुई लेकिन तैल माध्यम में बनी अपनी प्रतिकृतियों के कारण वे विश्व में सर्वोत्कृष्ट चित्रकार के रूप में जाने गए। आज तक तैलरंगों में उनकी जैसी सजीव प्रतिकृतियाँ बनाने वाला कलाकार दूसरा नहीं हुआ। उनका देहांत [[2 अक्तूबर]] [[1906]] को हुआ।


==रोचक तथ्य==
==रोचक तथ्य==
अक्टूबर [[2007]] में उनके द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक कलाकृति, जो [[भारत]] में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रितानी राज के एक उच्च अधिकारी और महाराजा की मुलाक़ात को चित्रित करती है, 1.24 मिलियन डॉलर(लगभग 6 करोड़) में बिकी है। इस पेंटिंग में त्रावणकोर के महाराज और उनके भाई को मद्रास के गवर्नर जनरल रिचर्ड टेंपल ग्रेनविले को स्वागत करते हुए दिखाया गया है। ग्रेनविले 1880 में आधिकारिक यात्रा पर त्रावणकोर गए थे जो अब केरल राज्य में है। विश्व की सबसे महंगी साड़ी राजा रवि वर्मा के चित्रों की नक़ल से सुसज्जित है। बेशकीमती 12 रत्नों व धातुओं से जड़ी, 40 लाख रुपये की साड़ी को दुनिया की सबसे महंगी साड़ी के तौर पर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकार्ड में शामिल किया गया है।
[[अक्टूबर]] [[2007]] में उनके द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक कलाकृति, जो [[भारत]] में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रितानी राज के एक उच्च अधिकारी और महाराजा की मुलाक़ात को चित्रित करती है, 1.24 मिलियन डॉलर (लगभग 6 करोड़) में बिकी है। इस पेंटिंग में त्रावणकोर के महाराज और उनके भाई को [[मद्रास]] के गवर्नर जनरल रिचर्ड टेंपल ग्रेनविले को स्वागत करते हुए दिखाया गया है। ग्रेनविले 1880 में आधिकारिक यात्रा पर त्रावणकोर गए थे जो अब केरल राज्य में है। विश्व की सबसे महंगी साड़ी राजा रवि वर्मा के चित्रों की नक़ल से सुसज्जित है। बेशकीमती 12 [[रत्न|रत्नों]] व धातुओं से जड़ी, 40 लाख रुपये की साड़ी को दुनिया की सबसे महंगी साड़ी के तौर पर 'लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकार्ड' में शामिल किया गया है।
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==वीथिका==
==वीथिका==
<gallery>
<gallery>
पंक्ति 20: पंक्ति 61:
चित्र:maharas.jpg|'जमुना'(गोपियों के साथ कृष्ण), द्वारा- राजा रवि वर्मा
चित्र:maharas.jpg|'जमुना'(गोपियों के साथ कृष्ण), द्वारा- राजा रवि वर्मा
</gallery>
</gallery>
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
|आधार=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{चित्रकार}}
{{चित्रकार}}
[[Category:चित्रकार]]
[[Category:चित्रकार]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चरित कोश]]
[[Category:कला कोश]]
[[Category:कला कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

09:56, 19 अप्रैल 2013 का अवतरण

राजा रवि वर्मा
राजा रवि वर्मा
राजा रवि वर्मा
पूरा नाम राजा रवि वर्मा
जन्म 29 अप्रैल 1848
जन्म भूमि तिरुवनंतपुरम, केरल
मृत्यु 2 अक्टूबर 1906
मृत्यु स्थान तिरुवनंतपुरम
प्रसिद्धि चित्रकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी उनके द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक कलाकृति, जो भारत में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रितानी राज के एक उच्च अधिकारी और महाराजा की मुलाक़ात को चित्रित करती है, 1.24 मिलियन डॉलर (लगभग 6 करोड़) में बिकी है।

राजा रवि वर्मा (अंग्रेज़ी: Raja Ravi Varma, 29 अप्रैल 1848 - 2 अक्टूबर 1906) भारत के विख्यात चित्रकार थे। उन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति के पात्रों का चित्रण किया। उनके चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता हिन्दू महाकाव्यों और धर्म ग्रंथों पर बनाए गए चित्र हैं। हिन्दू मिथकों का बहुत ही प्रभावशाली इस्‍तेमाल उनके चित्रों में दिखता है। इस संग्रहालय में उनके चित्रों का बहुत बड़ा संग्रह है।

जीवन परिचय

राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल 1848 को केरल के एक छोटे से गांव किलिमन्नूर में हुआ। पांच वर्ष की छोटी-सी आयु में ही उन्होंने अपने घर की दीवारों को दैनिक जीवन की घटनाओं से चित्रित करना प्रारंभ कर दिया था। उनके चाचा कलाकार राजा राजा वर्मा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और कला की प्रारंभिक शिक्षा दी। चौदह वर्ष की आयु में वे उन्हें तिरुवनंतपुरम ले गये जहाँ राजमहल में उनकी तैल चित्रण की शिक्षा हुई। बाद में चित्रकला के विभिन्न आयामों में दक्षता के लिये उन्होंने मैसूर, बड़ौदा और देश के अन्य भागों की यात्रा की।

राजा रवि वर्मा की सफलता का श्रेय उनकी सुव्यवस्थित कला शिक्षा को जाता है। उन्होंने पहले पारंपरिक तंजावुर कला में महारत प्राप्त की और फिर यूरोपीय कला का अध्ययन किया। उनकी कला कृतियों को तीन प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-

  1. प्रतिकृति या पोर्टरेट
  2. मानवीय आकृतियों वाले चित्र तथा
  3. इतिहासपुराण की घटनाओं से संबंधित चित्र।

यद्यपि जनसाधारण में राजा रवि वर्मा की लोकप्रियता इतिहास पुराण व देवी-देवताओं के चित्रों के कारण हुई लेकिन तैल माध्यम में बनी अपनी प्रतिकृतियों के कारण वे विश्व में सर्वोत्कृष्ट चित्रकार के रूप में जाने गए। आज तक तैलरंगों में उनकी जैसी सजीव प्रतिकृतियाँ बनाने वाला कलाकार दूसरा नहीं हुआ। उनका देहांत 2 अक्तूबर 1906 को हुआ।

रोचक तथ्य

अक्टूबर 2007 में उनके द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक कलाकृति, जो भारत में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रितानी राज के एक उच्च अधिकारी और महाराजा की मुलाक़ात को चित्रित करती है, 1.24 मिलियन डॉलर (लगभग 6 करोड़) में बिकी है। इस पेंटिंग में त्रावणकोर के महाराज और उनके भाई को मद्रास के गवर्नर जनरल रिचर्ड टेंपल ग्रेनविले को स्वागत करते हुए दिखाया गया है। ग्रेनविले 1880 में आधिकारिक यात्रा पर त्रावणकोर गए थे जो अब केरल राज्य में है। विश्व की सबसे महंगी साड़ी राजा रवि वर्मा के चित्रों की नक़ल से सुसज्जित है। बेशकीमती 12 रत्नों व धातुओं से जड़ी, 40 लाख रुपये की साड़ी को दुनिया की सबसे महंगी साड़ी के तौर पर 'लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकार्ड' में शामिल किया गया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

वीथिका

संबंधित लेख