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'''शिक्षक दिवस''' गुरु की महत्ता बताने वाला प्रमुख दिवस है। [[भारत]] में 'शिक्षक दिवस' प्रत्येक वर्ष [[5 सितम्बर]] को मनाया जाता है। शिक्षक का समाज में आदरणीय व सम्माननीय स्थान होता है। भारत के द्वितीय [[राष्ट्रपति]] [[सर्वपल्ली राधाकृष्णन|डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला 'शिक्षक दिवस' एक पर्व की तरह है, जो शिक्षक समुदाय के मान-सम्मान को बढ़ाता है। [[पंचांग|हिन्दू पंचांग]] के अनुसार [[गुरु पूर्णिमा]] के दिन को 'गुरु दिवस' के रूप में स्वीकार किया गया है। विश्व के विभिन्न देश अलग-अलग तारीख़ों में 'शिक्षक दिवस' को मानते हैं। बहुत सारे कवियों, गद्यकारों ने कितने ही पन्ने गुरु की महिमा में रंग डाले हैं।


[[भारत]] के द्वितीय राष्ट्रपति, शैक्षिक दार्शनिक [[सर्वपल्ली राधाकृष्णन|डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] का जन्मदिवस, [[5 सितंबर]] के दिन शिक्षक दिवस के रूप में सम्पूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है। ऐसा ही कहा गया है की गुरु के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं होता-
शिक्षक के विषय में कहा गया है की गुरु के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं होता-
<poem>1. गुरु बिनु ज्ञान कहाँ जग माही</poem>


<poem>'''गुरु बिनु ज्ञान कहाँ जग माही'''</poem>  
<poem>2. गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।</poem>


[[पंचांग|हिन्दू पंचांग]] के अनुसार [[गुरु पूर्णिमा]] के दिन को 'गुरु दिवस' के रूप में स्वीकार करते हैं। विश्व के विभिन्न देश अलग-अलग तारीख़ों में 'शिक्षक दिवस' को मानते हैं। बहुत सारे कवियों, गद्यकारों ने कितने ही पन्ने गुरु की महिमा में रंग डाले हैं।
कबीरदास द्वारा लिखी गई यह पंक्तियां जीवन में गुरु के महत्व को वर्णित करने के लिए काफी हैं। भारत में प्राचीन समय से ही गुरु व शिक्षक परपरा चली आ रही है। गुरुओं की महिमा का वृतात ग्रंथों में मिलता है। जीवन में माता-पिता का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता क्योंकि वे ही हमें इस रंगीन खूबसूरत दुनिया में लाते हैं। उनका ऋण हम किसी भी रूप में उतार नहीं सकते लेकिन जिस समाज में हमें रहना है, उसके योग्य हमें केवल शिक्षक ही बनाते हैं। यद्यपि परिवार को बच्चे के प्रारंभिक विद्यालय का दर्जा दिया जाता है लेकिन जीने का असली सलीका उसे शिक्षक ही सिखाता है। समाज के शिल्पकार कहे जाने वाले शिक्षकों का महत्व यहीं समाप्त नहीं होता क्योंकि वह ना सिर्फ आपको सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं बल्कि आपके सफल जीवन की नींव भी उन्हीं के हाथों द्वारा रखी जाती है।
==शिक्षक दिवस==
==शिक्षक दिवस==
गुरु, शिक्षक, आचार्य, अध्यापक या टीचर ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को व्याख्यातित करते हैं जो हमें ज्ञान देता है, सिखाता है। इन्हीं शिक्षको को धन्यवाद देने के लिए एक दिन है जो की 5 सितंबर को 'शिक्षक दिवस' के रूप में जाना जाता है। सिर्फ़ धन को दे कर ही शिक्षा हासिल नहीं होती बल्कि अपने गुरु के प्रति आदर, सम्मान और विश्वास, ज्ञानार्जन में बहुत सहायक होता है।<ref>{{cite web |url=http://rachana.pundir.in/2008/09/teachers-day.html |title=शिक्षक दिवस |accessmonthday=[[28 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=हिन्दी की प्रसिद्ध रचनायें |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
गुरु, शिक्षक, आचार्य, अध्यापक या टीचर ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को व्याख्यातित करते हैं जो हमें ज्ञान देता है, सिखाता है। इन्हीं शिक्षको को धन्यवाद देने के लिए एक दिन है जो की 5 सितंबर को 'शिक्षक दिवस' के रूप में जाना जाता है। सिर्फ़ धन को दे कर ही शिक्षा हासिल नहीं होती बल्कि अपने गुरु के प्रति आदर, सम्मान और विश्वास, ज्ञानार्जन में बहुत सहायक होता है।<ref>{{cite web |url=http://rachana.pundir.in/2008/09/teachers-day.html |title=शिक्षक दिवस |accessmonthday=[[28 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=हिन्दी की प्रसिद्ध रचनायें |language=[[हिन्दी]] }}</ref>
==महत्त्व==
==महत्त्व==
'शिक्षक दिवस' कहने-सुनने में तो बहुत अच्छा प्रतीत होता है। लेकिन क्या आप इसके महत्त्व को समझते हैं। शिक्षक दिवस का मतलब साल में एक दिन बच्चों के द्वारा अपने शिक्षक को भेंट में दिया गया एक गुलाब का फूल या ‍कोई भी उपहार नहीं है और यह शिक्षक दिवस मनाने का सही तरीका भी नहीं है।  
'शिक्षक दिवस' कहने-सुनने में तो बहुत अच्छा प्रतीत होता है। लेकिन क्या आप इसके महत्त्व को समझते हैं। शिक्षक दिवस का मतलब साल में एक दिन बच्चों के द्वारा अपने शिक्षक को भेंट में दिया गया एक गुलाब का फूल या ‍कोई भी उपहार नहीं है और यह शिक्षक दिवस मनाने का सही तरीका भी नहीं है।  
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संत [[कबीर]] जी के शब्दों से भारतीय संस्कृति में गुरु के उच्च स्थान की झलक मिलती है। भारतीय बच्चे प्राचीन काल से ही '''आचार्य देवो भवः''' का बोध-वाक्य सुनकर ही बड़े होते हैं। माता पिता के नाम के कुल की व्यवस्था तो सारे विश्व के मातृ या पितृ सत्तात्मक समाजों में चलती है परन्तु गुरुकुल का विधान भारतीय संस्कृति की अनूठी विशेषता है।
संत [[कबीर]] जी के शब्दों से भारतीय संस्कृति में गुरु के उच्च स्थान की झलक मिलती है। भारतीय बच्चे प्राचीन काल से ही '''आचार्य देवो भवः''' का बोध-वाक्य सुनकर ही बड़े होते हैं। माता पिता के नाम के कुल की व्यवस्था तो सारे विश्व के मातृ या पितृ सत्तात्मक समाजों में चलती है परन्तु गुरुकुल का विधान भारतीय संस्कृति की अनूठी विशेषता है।


शिक्षक दिवस के इस शुभ अवसर पर उन शिक्षकों को हिंद-युग्म का शत शत प्रणाम जिनकी प्रेरणा और प्रयत्नों की वज़ह से आज हम इस योग्य हुए कि मनुष्य बनने का प्रयास कर सकें।
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कबीर जी ने गुरु और शिष्य के लिए एक दोहा कहा है कि-
<poem>'''गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय'''
'''बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।'''<ref>{{cite web |url=http://udantashtari.blogspot.com/2006/09/blog-post_05.html |title=गुरु गोविंद दोउ खड़े |accessmonthday=[[28 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=उड़न तश्तरी |language=[[हिन्दी]] }}</ref></poem>
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==संबंधित लेख==
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10:24, 25 अगस्त 2013 का अवतरण

सर्वपल्ली राधाकृष्णन

शिक्षक दिवस गुरु की महत्ता बताने वाला प्रमुख दिवस है। भारत में 'शिक्षक दिवस' प्रत्येक वर्ष 5 सितम्बर को मनाया जाता है। शिक्षक का समाज में आदरणीय व सम्माननीय स्थान होता है। भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला 'शिक्षक दिवस' एक पर्व की तरह है, जो शिक्षक समुदाय के मान-सम्मान को बढ़ाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन को 'गुरु दिवस' के रूप में स्वीकार किया गया है। विश्व के विभिन्न देश अलग-अलग तारीख़ों में 'शिक्षक दिवस' को मानते हैं। बहुत सारे कवियों, गद्यकारों ने कितने ही पन्ने गुरु की महिमा में रंग डाले हैं।

शिक्षक के विषय में कहा गया है की गुरु के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं होता-

1. गुरु बिनु ज्ञान कहाँ जग माही

2. गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागू पाय
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।

कबीरदास द्वारा लिखी गई यह पंक्तियां जीवन में गुरु के महत्व को वर्णित करने के लिए काफी हैं। भारत में प्राचीन समय से ही गुरु व शिक्षक परपरा चली आ रही है। गुरुओं की महिमा का वृतात ग्रंथों में मिलता है। जीवन में माता-पिता का स्थान कभी कोई नहीं ले सकता क्योंकि वे ही हमें इस रंगीन खूबसूरत दुनिया में लाते हैं। उनका ऋण हम किसी भी रूप में उतार नहीं सकते लेकिन जिस समाज में हमें रहना है, उसके योग्य हमें केवल शिक्षक ही बनाते हैं। यद्यपि परिवार को बच्चे के प्रारंभिक विद्यालय का दर्जा दिया जाता है लेकिन जीने का असली सलीका उसे शिक्षक ही सिखाता है। समाज के शिल्पकार कहे जाने वाले शिक्षकों का महत्व यहीं समाप्त नहीं होता क्योंकि वह ना सिर्फ आपको सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं बल्कि आपके सफल जीवन की नींव भी उन्हीं के हाथों द्वारा रखी जाती है।

शिक्षक दिवस

गुरु, शिक्षक, आचार्य, अध्यापक या टीचर ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को व्याख्यातित करते हैं जो हमें ज्ञान देता है, सिखाता है। इन्हीं शिक्षको को धन्यवाद देने के लिए एक दिन है जो की 5 सितंबर को 'शिक्षक दिवस' के रूप में जाना जाता है। सिर्फ़ धन को दे कर ही शिक्षा हासिल नहीं होती बल्कि अपने गुरु के प्रति आदर, सम्मान और विश्वास, ज्ञानार्जन में बहुत सहायक होता है।[1]

महत्त्व

'शिक्षक दिवस' कहने-सुनने में तो बहुत अच्छा प्रतीत होता है। लेकिन क्या आप इसके महत्त्व को समझते हैं। शिक्षक दिवस का मतलब साल में एक दिन बच्चों के द्वारा अपने शिक्षक को भेंट में दिया गया एक गुलाब का फूल या ‍कोई भी उपहार नहीं है और यह शिक्षक दिवस मनाने का सही तरीका भी नहीं है।

आप अगर शिक्षक दिवस का सही महत्त्व समझना चाहते है तो सर्वप्रथम आप हमेशा इस बात को ध्यान में रखें कि आप एक छात्र हैं, और ‍उम्र में अपने शिक्षक से काफ़ी छोटे है। और फिर हमारे संस्कार भी तो हमें यही सिखाते है कि हमें अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए। हमको अपने गुरु का आदर-सत्कार करना चाहिए। हमें अपने गुरु की बात को ध्यान से सुनना और समझना चाहिए। अगर आपने अपने क्रोध, ईर्ष्या को त्याग कर अपने अंदर संयम के बीज बोएं तो निश्‍चित ही आपका व्यवहार आपको बहुत ऊँचाइयों तक ले जाएगा। और तभी हमारा शिक्षक दिवस मनाने का महत्त्व भी सार्थक होगा। [2]

कबीर के शब्दों में

संत कबीर जी के शब्दों से भारतीय संस्कृति में गुरु के उच्च स्थान की झलक मिलती है। भारतीय बच्चे प्राचीन काल से ही आचार्य देवो भवः का बोध-वाक्य सुनकर ही बड़े होते हैं। माता पिता के नाम के कुल की व्यवस्था तो सारे विश्व के मातृ या पितृ सत्तात्मक समाजों में चलती है परन्तु गुरुकुल का विधान भारतीय संस्कृति की अनूठी विशेषता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शिक्षक दिवस (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) हिन्दी की प्रसिद्ध रचनायें। अभिगमन तिथि: 28 अगस्त, 2010
  2. शिक्षक दिवस का महत्त्व (हिन्दी) (एच.टी.एम) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 28 अगस्त, 2010

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